बीजिंग, 6 जनवरी (आईएएनएस)। यूरोपीय अध्ययनकर्ता जान ओबर्ग ने हाल ही में जानकारी दी कि अमेरिकी कांग्रेस ने पांच साल पहले एक विधेयक पारित किया, जो 1 अरब 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर के व्यय से संबंधित है। इस अधिनियम का उद्देश्य चीन के नकारात्मक समाचार लिखने के लिए पश्चिमी संवाददाता और संपादक प्रशिक्षित करना है।
वास्तव में अंतरराष्ट्रीय लोकमत अखाड़े में अमेरिकी मीडिया का खराब रिकॉर्ड था। उन्होंने नाना प्रकार के उपाय कर कई देशों में राजनीतिक गड़बड़ी उकसाने में बड़ी भूमिका निभायी थी। इस संदर्भ में एक जानी-मानी मिसाल तो वर्ष 2003 में इराक में बड़े पैमाने वाले नरसंहार हथियार होने का झूठ है।
अमेरिकी मीडिया ने इस झूठ का जोरशोर से प्रचार किया, जिसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को धोखा दिया। जब इस झूठ का पर्दाफाश किया गया तो कई लाख लोगों की जान चली गयी थी। अमेरिका के वर्ष 2021 रणनीतिक प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम में साफ कहा गया कि अमेरिका वर्ष 2022 से 2026 तक हर वित्तीय साल में 30 करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च कर विश्व में चीन का प्रभाव कम करेगा। इस दौरान पश्चिमी मीडिया की स्पष्ट भूमिका है।
स्थानीय विश्लेषकों के विचार में अमेरिकी सरकार औऱ मीडिया इसलिए तथाकथित अमेरिकी शैली की प्रेस स्वतंत्रता छोड़कर चीन को बदनाम करने की कोशिश करता है कि इसके पीछे आर्थिक लाभ औऱ राजनीतिक उद्देश्य है। पूर्व सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी राजनीतिज्ञों को एक नया दुश्मन रचने की जरूरत है। क्योंकि अमेरिकी सैन्य उद्योग और अन्य हितधारक ग्रुपों को विशाल मुनाफा पाने के लिए एक डांवाडोल विश्व की जरूरत है।
चीन की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बाद अमेरिका ने चीन पर तथाकथित खतरे की पर्ची लगायी। विश्लेशकों के विचार में अमेरिकी राजनीतिज्ञों ने झूठी खबर के लिए कई अरब अमेरिकी डॉलर खर्च किया। इसने न सिर्फ संवाददाताओं की पेशेवर नैतिकता को बर्बाद किया है, बल्कि पश्चिमी जगत के आम लोगों की नैतिकता को भी बर्बाद किया है। अंत में चीन की अंतरराष्ट्रीय छवि के बजाय अमेरिकी सरकार और मीडिया के अंतरराष्ट्रीय विश्वास और प्रतिष्ठा पर भारी नुकसान पहुंचता है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
–आईएएनएस