नई दिल्ली, 9 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती कर 6 प्रतिशत करने और रुख को ‘न्यूट्रल’ से ‘अकोमोडेटिव’ करने के फैसले ने ग्लोबल ब्रोकरेज के बीच आने वाले महीनों में और अधिक मौद्रिक ढील की उम्मीदों को मजबूत किया है।
वैश्विक अनिश्चितताओं, बढ़ते टैरिफ तनाव तथा धीमी आर्थिक वृद्धि के संकेतों के बीच, मॉर्गन स्टेनली तथा क्रिसिल के विश्लेषकों ने बुधवार को इस वित्त वर्ष में कम से कम एक या दो बार फिर दरों में कटौती की उम्मीद जताई है।
मॉर्गन स्टेनली को जून की नीति बैठक में दरों में 25 आधार अंकों की और कटौती की उम्मीद है, साथ ही वृद्धि में कमी रहने पर 50 से 75 आधार अंकों की और अधिक ढील की संभावना है।
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2026 के लिए जीडीपी पूर्वानुमान को 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है, जो वैश्विक टैरिफ वृद्धि तथा कमजोर निवेशक भावना से होने वाले जोखिमों की ओर इशारा करता है।
हालांकि, मुद्रास्फीति नियंत्रण में बनी हुई है। खाद्य पदार्थों की गिरती कीमतों ने हेडलाइन मुद्रास्फीति को केंद्रीय बैंक के 4 प्रतिशत लक्ष्य से नीचे ला दिया है, जिसके कारण आरबीआई ने वित्त वर्ष 2026 के लिए अपने सीपीआई मुद्रास्फीति अनुमान को घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है।
इसके साथ ही, मॉर्गन स्टेनली का मानना है कि आरबीआई लिक्विडिटी के प्रबंधन में सक्रिय रहेगा।
क्रिसिल ने भी इसी तरह के दृष्टिकोण को दोहराते हुए कमजोर मुद्रास्फीति दबावों और विकास के लिए बढ़ते जोखिमों के कारण दर में कटौती को ‘पूर्व निर्धारित निष्कर्ष’ कहा।
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा, “आरबीआई की नीति में बदलाव एक अधिक टिकाऊ दर कटौती चक्र की शुरुआत का संकेत देता है।”
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष के दौरान 25 आधार अंकों की कम से कम दो और दर कटौती की उम्मीद की जा सकती है।
जोशी ने यह भी बताया कि हालांकि सामान्य मानसून का पूर्वानुमान खाद्य मुद्रास्फीति के लिए अच्छा है, लेकिन, बढ़ती गर्मी जैसे बढ़ते जलवायु व्यवधानों पर बारीकी से नजर रखने की आवश्यकता है।
–आईएएनएस
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