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ईआरसीपी के खिलाफ मध्य प्रदेश की याचिका पूर्वी राजस्थान को पानी से वंचित करने का प्रयास : गहलोत

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February 24, 2023
in राष्ट्रीय
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जयपुर, 23 फरवरी (आईएएनएस)। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के काम पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका को अपने राज्य को उसके हिस्से के पानी से वंचित करने का प्रयास करार दिया।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, ढोलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर सहित पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के पानी को रोकने के लिए ईआरसीपी के काम को रोकने की कोशिश कर रही है।

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गहलोत ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की डीपीआर केंद्रीय जल आयोग की गाइडलाइन 2010 के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतर्राज्यीय राज्य नियंत्रण बोर्ड की बैठक के निर्णय के अनुसार ईआरसीपी सामने आया और मध्य प्रदेश ने इस निर्णय के आधार पर कुंडालिया और मोहनपुरा बांध बनाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय जल आयोग के धौलपुर स्थित रिवर गेज स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक चंबल में हर साल औसतन 19000 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बर्बाद होकर समुद्र में चला जाता है, जबकि ईआरसीपी के लिए सिर्फ 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजस्थान के लोगों की पीने के पानी और सिंचाई की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ईआरसीपी के माध्यम से इस बर्बाद पानी को मोड़ने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने दावा किया कि पूर्वी राजस्थान के जायज पानी को रोकने के लिए केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार नाजायज प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा, पानी राज्य के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। ईआरसीपी के कार्यान्वयन में कानूनी बाधाएं पैदा करना राज्य के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। राजस्थान सरकार राज्य के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए ईआरसीपी को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार हर मंच पर ईआरसीपी के पक्ष में मजबूती से अपनी बात रखेगी और अपने अधिकारों की लड़ाई जीतकर पूर्वी राजस्थान में जल संकट को दूर करेगी।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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जयपुर, 23 फरवरी (आईएएनएस)। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के काम पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका को अपने राज्य को उसके हिस्से के पानी से वंचित करने का प्रयास करार दिया।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, ढोलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर सहित पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के पानी को रोकने के लिए ईआरसीपी के काम को रोकने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की डीपीआर केंद्रीय जल आयोग की गाइडलाइन 2010 के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतर्राज्यीय राज्य नियंत्रण बोर्ड की बैठक के निर्णय के अनुसार ईआरसीपी सामने आया और मध्य प्रदेश ने इस निर्णय के आधार पर कुंडालिया और मोहनपुरा बांध बनाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय जल आयोग के धौलपुर स्थित रिवर गेज स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक चंबल में हर साल औसतन 19000 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बर्बाद होकर समुद्र में चला जाता है, जबकि ईआरसीपी के लिए सिर्फ 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजस्थान के लोगों की पीने के पानी और सिंचाई की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ईआरसीपी के माध्यम से इस बर्बाद पानी को मोड़ने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने दावा किया कि पूर्वी राजस्थान के जायज पानी को रोकने के लिए केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार नाजायज प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा, पानी राज्य के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। ईआरसीपी के कार्यान्वयन में कानूनी बाधाएं पैदा करना राज्य के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। राजस्थान सरकार राज्य के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए ईआरसीपी को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार हर मंच पर ईआरसीपी के पक्ष में मजबूती से अपनी बात रखेगी और अपने अधिकारों की लड़ाई जीतकर पूर्वी राजस्थान में जल संकट को दूर करेगी।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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जयपुर, 23 फरवरी (आईएएनएस)। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के काम पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका को अपने राज्य को उसके हिस्से के पानी से वंचित करने का प्रयास करार दिया।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, ढोलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर सहित पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के पानी को रोकने के लिए ईआरसीपी के काम को रोकने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की डीपीआर केंद्रीय जल आयोग की गाइडलाइन 2010 के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतर्राज्यीय राज्य नियंत्रण बोर्ड की बैठक के निर्णय के अनुसार ईआरसीपी सामने आया और मध्य प्रदेश ने इस निर्णय के आधार पर कुंडालिया और मोहनपुरा बांध बनाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय जल आयोग के धौलपुर स्थित रिवर गेज स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक चंबल में हर साल औसतन 19000 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बर्बाद होकर समुद्र में चला जाता है, जबकि ईआरसीपी के लिए सिर्फ 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजस्थान के लोगों की पीने के पानी और सिंचाई की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ईआरसीपी के माध्यम से इस बर्बाद पानी को मोड़ने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने दावा किया कि पूर्वी राजस्थान के जायज पानी को रोकने के लिए केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार नाजायज प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा, पानी राज्य के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। ईआरसीपी के कार्यान्वयन में कानूनी बाधाएं पैदा करना राज्य के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। राजस्थान सरकार राज्य के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए ईआरसीपी को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार हर मंच पर ईआरसीपी के पक्ष में मजबूती से अपनी बात रखेगी और अपने अधिकारों की लड़ाई जीतकर पूर्वी राजस्थान में जल संकट को दूर करेगी।

–आईएएनएस

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जयपुर, 23 फरवरी (आईएएनएस)। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के काम पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका को अपने राज्य को उसके हिस्से के पानी से वंचित करने का प्रयास करार दिया।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, ढोलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर सहित पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के पानी को रोकने के लिए ईआरसीपी के काम को रोकने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की डीपीआर केंद्रीय जल आयोग की गाइडलाइन 2010 के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतर्राज्यीय राज्य नियंत्रण बोर्ड की बैठक के निर्णय के अनुसार ईआरसीपी सामने आया और मध्य प्रदेश ने इस निर्णय के आधार पर कुंडालिया और मोहनपुरा बांध बनाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय जल आयोग के धौलपुर स्थित रिवर गेज स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक चंबल में हर साल औसतन 19000 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बर्बाद होकर समुद्र में चला जाता है, जबकि ईआरसीपी के लिए सिर्फ 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजस्थान के लोगों की पीने के पानी और सिंचाई की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ईआरसीपी के माध्यम से इस बर्बाद पानी को मोड़ने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने दावा किया कि पूर्वी राजस्थान के जायज पानी को रोकने के लिए केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार नाजायज प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा, पानी राज्य के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। ईआरसीपी के कार्यान्वयन में कानूनी बाधाएं पैदा करना राज्य के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। राजस्थान सरकार राज्य के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए ईआरसीपी को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार हर मंच पर ईआरसीपी के पक्ष में मजबूती से अपनी बात रखेगी और अपने अधिकारों की लड़ाई जीतकर पूर्वी राजस्थान में जल संकट को दूर करेगी।

–आईएएनएस

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जयपुर, 23 फरवरी (आईएएनएस)। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के काम पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका को अपने राज्य को उसके हिस्से के पानी से वंचित करने का प्रयास करार दिया।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, ढोलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर सहित पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के पानी को रोकने के लिए ईआरसीपी के काम को रोकने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की डीपीआर केंद्रीय जल आयोग की गाइडलाइन 2010 के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतर्राज्यीय राज्य नियंत्रण बोर्ड की बैठक के निर्णय के अनुसार ईआरसीपी सामने आया और मध्य प्रदेश ने इस निर्णय के आधार पर कुंडालिया और मोहनपुरा बांध बनाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय जल आयोग के धौलपुर स्थित रिवर गेज स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक चंबल में हर साल औसतन 19000 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बर्बाद होकर समुद्र में चला जाता है, जबकि ईआरसीपी के लिए सिर्फ 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजस्थान के लोगों की पीने के पानी और सिंचाई की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ईआरसीपी के माध्यम से इस बर्बाद पानी को मोड़ने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने दावा किया कि पूर्वी राजस्थान के जायज पानी को रोकने के लिए केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार नाजायज प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा, पानी राज्य के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। ईआरसीपी के कार्यान्वयन में कानूनी बाधाएं पैदा करना राज्य के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। राजस्थान सरकार राज्य के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए ईआरसीपी को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार हर मंच पर ईआरसीपी के पक्ष में मजबूती से अपनी बात रखेगी और अपने अधिकारों की लड़ाई जीतकर पूर्वी राजस्थान में जल संकट को दूर करेगी।

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जयपुर, 23 फरवरी (आईएएनएस)। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के काम पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका को अपने राज्य को उसके हिस्से के पानी से वंचित करने का प्रयास करार दिया।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, ढोलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर सहित पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के पानी को रोकने के लिए ईआरसीपी के काम को रोकने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की डीपीआर केंद्रीय जल आयोग की गाइडलाइन 2010 के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतर्राज्यीय राज्य नियंत्रण बोर्ड की बैठक के निर्णय के अनुसार ईआरसीपी सामने आया और मध्य प्रदेश ने इस निर्णय के आधार पर कुंडालिया और मोहनपुरा बांध बनाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय जल आयोग के धौलपुर स्थित रिवर गेज स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक चंबल में हर साल औसतन 19000 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बर्बाद होकर समुद्र में चला जाता है, जबकि ईआरसीपी के लिए सिर्फ 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजस्थान के लोगों की पीने के पानी और सिंचाई की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ईआरसीपी के माध्यम से इस बर्बाद पानी को मोड़ने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने दावा किया कि पूर्वी राजस्थान के जायज पानी को रोकने के लिए केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार नाजायज प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा, पानी राज्य के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। ईआरसीपी के कार्यान्वयन में कानूनी बाधाएं पैदा करना राज्य के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। राजस्थान सरकार राज्य के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए ईआरसीपी को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार हर मंच पर ईआरसीपी के पक्ष में मजबूती से अपनी बात रखेगी और अपने अधिकारों की लड़ाई जीतकर पूर्वी राजस्थान में जल संकट को दूर करेगी।

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उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, ढोलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर सहित पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के पानी को रोकने के लिए ईआरसीपी के काम को रोकने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की डीपीआर केंद्रीय जल आयोग की गाइडलाइन 2010 के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतर्राज्यीय राज्य नियंत्रण बोर्ड की बैठक के निर्णय के अनुसार ईआरसीपी सामने आया और मध्य प्रदेश ने इस निर्णय के आधार पर कुंडालिया और मोहनपुरा बांध बनाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय जल आयोग के धौलपुर स्थित रिवर गेज स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक चंबल में हर साल औसतन 19000 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बर्बाद होकर समुद्र में चला जाता है, जबकि ईआरसीपी के लिए सिर्फ 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजस्थान के लोगों की पीने के पानी और सिंचाई की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ईआरसीपी के माध्यम से इस बर्बाद पानी को मोड़ने की कोशिश कर रही है।

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उन्होंने कहा, पानी राज्य के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। ईआरसीपी के कार्यान्वयन में कानूनी बाधाएं पैदा करना राज्य के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। राजस्थान सरकार राज्य के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए ईआरसीपी को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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जयपुर, 23 फरवरी (आईएएनएस)। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के काम पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका को अपने राज्य को उसके हिस्से के पानी से वंचित करने का प्रयास करार दिया।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, ढोलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर सहित पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के पानी को रोकने के लिए ईआरसीपी के काम को रोकने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की डीपीआर केंद्रीय जल आयोग की गाइडलाइन 2010 के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतर्राज्यीय राज्य नियंत्रण बोर्ड की बैठक के निर्णय के अनुसार ईआरसीपी सामने आया और मध्य प्रदेश ने इस निर्णय के आधार पर कुंडालिया और मोहनपुरा बांध बनाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय जल आयोग के धौलपुर स्थित रिवर गेज स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक चंबल में हर साल औसतन 19000 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बर्बाद होकर समुद्र में चला जाता है, जबकि ईआरसीपी के लिए सिर्फ 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजस्थान के लोगों की पीने के पानी और सिंचाई की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ईआरसीपी के माध्यम से इस बर्बाद पानी को मोड़ने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने दावा किया कि पूर्वी राजस्थान के जायज पानी को रोकने के लिए केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार नाजायज प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा, पानी राज्य के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। ईआरसीपी के कार्यान्वयन में कानूनी बाधाएं पैदा करना राज्य के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। राजस्थान सरकार राज्य के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए ईआरसीपी को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार हर मंच पर ईआरसीपी के पक्ष में मजबूती से अपनी बात रखेगी और अपने अधिकारों की लड़ाई जीतकर पूर्वी राजस्थान में जल संकट को दूर करेगी।

–आईएएनएस

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जयपुर, 23 फरवरी (आईएएनएस)। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के काम पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका को अपने राज्य को उसके हिस्से के पानी से वंचित करने का प्रयास करार दिया।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, ढोलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर सहित पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के पानी को रोकने के लिए ईआरसीपी के काम को रोकने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की डीपीआर केंद्रीय जल आयोग की गाइडलाइन 2010 के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतर्राज्यीय राज्य नियंत्रण बोर्ड की बैठक के निर्णय के अनुसार ईआरसीपी सामने आया और मध्य प्रदेश ने इस निर्णय के आधार पर कुंडालिया और मोहनपुरा बांध बनाए।

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उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजस्थान के लोगों की पीने के पानी और सिंचाई की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ईआरसीपी के माध्यम से इस बर्बाद पानी को मोड़ने की कोशिश कर रही है।

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उन्होंने कहा, पानी राज्य के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। ईआरसीपी के कार्यान्वयन में कानूनी बाधाएं पैदा करना राज्य के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। राजस्थान सरकार राज्य के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए ईआरसीपी को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार हर मंच पर ईआरसीपी के पक्ष में मजबूती से अपनी बात रखेगी और अपने अधिकारों की लड़ाई जीतकर पूर्वी राजस्थान में जल संकट को दूर करेगी।

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जयपुर, 23 फरवरी (आईएएनएस)। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के काम पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका को अपने राज्य को उसके हिस्से के पानी से वंचित करने का प्रयास करार दिया।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, ढोलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर सहित पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के पानी को रोकने के लिए ईआरसीपी के काम को रोकने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की डीपीआर केंद्रीय जल आयोग की गाइडलाइन 2010 के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतर्राज्यीय राज्य नियंत्रण बोर्ड की बैठक के निर्णय के अनुसार ईआरसीपी सामने आया और मध्य प्रदेश ने इस निर्णय के आधार पर कुंडालिया और मोहनपुरा बांध बनाए।

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उन्होंने कहा, पानी राज्य के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। ईआरसीपी के कार्यान्वयन में कानूनी बाधाएं पैदा करना राज्य के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। राजस्थान सरकार राज्य के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए ईआरसीपी को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार हर मंच पर ईआरसीपी के पक्ष में मजबूती से अपनी बात रखेगी और अपने अधिकारों की लड़ाई जीतकर पूर्वी राजस्थान में जल संकट को दूर करेगी।

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उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, ढोलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर सहित पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के पानी को रोकने के लिए ईआरसीपी के काम को रोकने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की डीपीआर केंद्रीय जल आयोग की गाइडलाइन 2010 के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतर्राज्यीय राज्य नियंत्रण बोर्ड की बैठक के निर्णय के अनुसार ईआरसीपी सामने आया और मध्य प्रदेश ने इस निर्णय के आधार पर कुंडालिया और मोहनपुरा बांध बनाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय जल आयोग के धौलपुर स्थित रिवर गेज स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक चंबल में हर साल औसतन 19000 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बर्बाद होकर समुद्र में चला जाता है, जबकि ईआरसीपी के लिए सिर्फ 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजस्थान के लोगों की पीने के पानी और सिंचाई की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ईआरसीपी के माध्यम से इस बर्बाद पानी को मोड़ने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने दावा किया कि पूर्वी राजस्थान के जायज पानी को रोकने के लिए केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार नाजायज प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा, पानी राज्य के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। ईआरसीपी के कार्यान्वयन में कानूनी बाधाएं पैदा करना राज्य के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। राजस्थान सरकार राज्य के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए ईआरसीपी को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार हर मंच पर ईआरसीपी के पक्ष में मजबूती से अपनी बात रखेगी और अपने अधिकारों की लड़ाई जीतकर पूर्वी राजस्थान में जल संकट को दूर करेगी।

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उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, ढोलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर सहित पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के पानी को रोकने के लिए ईआरसीपी के काम को रोकने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की डीपीआर केंद्रीय जल आयोग की गाइडलाइन 2010 के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतर्राज्यीय राज्य नियंत्रण बोर्ड की बैठक के निर्णय के अनुसार ईआरसीपी सामने आया और मध्य प्रदेश ने इस निर्णय के आधार पर कुंडालिया और मोहनपुरा बांध बनाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय जल आयोग के धौलपुर स्थित रिवर गेज स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक चंबल में हर साल औसतन 19000 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बर्बाद होकर समुद्र में चला जाता है, जबकि ईआरसीपी के लिए सिर्फ 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजस्थान के लोगों की पीने के पानी और सिंचाई की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ईआरसीपी के माध्यम से इस बर्बाद पानी को मोड़ने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने दावा किया कि पूर्वी राजस्थान के जायज पानी को रोकने के लिए केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार नाजायज प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा, पानी राज्य के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। ईआरसीपी के कार्यान्वयन में कानूनी बाधाएं पैदा करना राज्य के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। राजस्थान सरकार राज्य के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए ईआरसीपी को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार हर मंच पर ईआरसीपी के पक्ष में मजबूती से अपनी बात रखेगी और अपने अधिकारों की लड़ाई जीतकर पूर्वी राजस्थान में जल संकट को दूर करेगी।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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जयपुर, 23 फरवरी (आईएएनएस)। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के काम पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका को अपने राज्य को उसके हिस्से के पानी से वंचित करने का प्रयास करार दिया।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, ढोलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर सहित पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के पानी को रोकने के लिए ईआरसीपी के काम को रोकने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की डीपीआर केंद्रीय जल आयोग की गाइडलाइन 2010 के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतर्राज्यीय राज्य नियंत्रण बोर्ड की बैठक के निर्णय के अनुसार ईआरसीपी सामने आया और मध्य प्रदेश ने इस निर्णय के आधार पर कुंडालिया और मोहनपुरा बांध बनाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय जल आयोग के धौलपुर स्थित रिवर गेज स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक चंबल में हर साल औसतन 19000 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बर्बाद होकर समुद्र में चला जाता है, जबकि ईआरसीपी के लिए सिर्फ 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजस्थान के लोगों की पीने के पानी और सिंचाई की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ईआरसीपी के माध्यम से इस बर्बाद पानी को मोड़ने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने दावा किया कि पूर्वी राजस्थान के जायज पानी को रोकने के लिए केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार नाजायज प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा, पानी राज्य के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। ईआरसीपी के कार्यान्वयन में कानूनी बाधाएं पैदा करना राज्य के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। राजस्थान सरकार राज्य के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए ईआरसीपी को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार हर मंच पर ईआरसीपी के पक्ष में मजबूती से अपनी बात रखेगी और अपने अधिकारों की लड़ाई जीतकर पूर्वी राजस्थान में जल संकट को दूर करेगी।

–आईएएनएस

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जयपुर, 23 फरवरी (आईएएनएस)। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के काम पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका को अपने राज्य को उसके हिस्से के पानी से वंचित करने का प्रयास करार दिया।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, ढोलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर सहित पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के पानी को रोकने के लिए ईआरसीपी के काम को रोकने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की डीपीआर केंद्रीय जल आयोग की गाइडलाइन 2010 के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतर्राज्यीय राज्य नियंत्रण बोर्ड की बैठक के निर्णय के अनुसार ईआरसीपी सामने आया और मध्य प्रदेश ने इस निर्णय के आधार पर कुंडालिया और मोहनपुरा बांध बनाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय जल आयोग के धौलपुर स्थित रिवर गेज स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक चंबल में हर साल औसतन 19000 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बर्बाद होकर समुद्र में चला जाता है, जबकि ईआरसीपी के लिए सिर्फ 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजस्थान के लोगों की पीने के पानी और सिंचाई की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ईआरसीपी के माध्यम से इस बर्बाद पानी को मोड़ने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने दावा किया कि पूर्वी राजस्थान के जायज पानी को रोकने के लिए केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार नाजायज प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा, पानी राज्य के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। ईआरसीपी के कार्यान्वयन में कानूनी बाधाएं पैदा करना राज्य के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। राजस्थान सरकार राज्य के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए ईआरसीपी को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार हर मंच पर ईआरसीपी के पक्ष में मजबूती से अपनी बात रखेगी और अपने अधिकारों की लड़ाई जीतकर पूर्वी राजस्थान में जल संकट को दूर करेगी।

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जयपुर, 23 फरवरी (आईएएनएस)। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के काम पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका को अपने राज्य को उसके हिस्से के पानी से वंचित करने का प्रयास करार दिया।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, ढोलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर सहित पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के पानी को रोकने के लिए ईआरसीपी के काम को रोकने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की डीपीआर केंद्रीय जल आयोग की गाइडलाइन 2010 के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतर्राज्यीय राज्य नियंत्रण बोर्ड की बैठक के निर्णय के अनुसार ईआरसीपी सामने आया और मध्य प्रदेश ने इस निर्णय के आधार पर कुंडालिया और मोहनपुरा बांध बनाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय जल आयोग के धौलपुर स्थित रिवर गेज स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक चंबल में हर साल औसतन 19000 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बर्बाद होकर समुद्र में चला जाता है, जबकि ईआरसीपी के लिए सिर्फ 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजस्थान के लोगों की पीने के पानी और सिंचाई की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ईआरसीपी के माध्यम से इस बर्बाद पानी को मोड़ने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने दावा किया कि पूर्वी राजस्थान के जायज पानी को रोकने के लिए केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार नाजायज प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा, पानी राज्य के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। ईआरसीपी के कार्यान्वयन में कानूनी बाधाएं पैदा करना राज्य के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। राजस्थान सरकार राज्य के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए ईआरसीपी को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार हर मंच पर ईआरसीपी के पक्ष में मजबूती से अपनी बात रखेगी और अपने अधिकारों की लड़ाई जीतकर पूर्वी राजस्थान में जल संकट को दूर करेगी।

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जयपुर, 23 फरवरी (आईएएनएस)। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के काम पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका को अपने राज्य को उसके हिस्से के पानी से वंचित करने का प्रयास करार दिया।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, ढोलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर सहित पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के पानी को रोकने के लिए ईआरसीपी के काम को रोकने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की डीपीआर केंद्रीय जल आयोग की गाइडलाइन 2010 के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतर्राज्यीय राज्य नियंत्रण बोर्ड की बैठक के निर्णय के अनुसार ईआरसीपी सामने आया और मध्य प्रदेश ने इस निर्णय के आधार पर कुंडालिया और मोहनपुरा बांध बनाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय जल आयोग के धौलपुर स्थित रिवर गेज स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक चंबल में हर साल औसतन 19000 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बर्बाद होकर समुद्र में चला जाता है, जबकि ईआरसीपी के लिए सिर्फ 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजस्थान के लोगों की पीने के पानी और सिंचाई की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ईआरसीपी के माध्यम से इस बर्बाद पानी को मोड़ने की कोशिश कर रही है।

गहलोत ने दावा किया कि पूर्वी राजस्थान के जायज पानी को रोकने के लिए केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार नाजायज प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा, पानी राज्य के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। ईआरसीपी के कार्यान्वयन में कानूनी बाधाएं पैदा करना राज्य के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। राजस्थान सरकार राज्य के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए ईआरसीपी को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार हर मंच पर ईआरसीपी के पक्ष में मजबूती से अपनी बात रखेगी और अपने अधिकारों की लड़ाई जीतकर पूर्वी राजस्थान में जल संकट को दूर करेगी।

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