नई दिल्ली, 27 सितंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक में भी अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई राज्य सरकार की सहमति लिए बिना प्रदेश में जांच नहीं कर पाएगी। दरअसल, कर्नाटक में राज्य मंत्रिमंडल ने गुरुवार को राज्य में सीबीआई को बिना परमिशन जांच करने की अनुमति देने वाली अपनी पिछली अधिसूचना को वापस लेने का फैसला किया है। इसे लेकर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि ऐसा लगता है कि भाजपा ने सीबीआई एक्ट को पढ़ा ही नहीं है, जिससे यह एक्ट बना है। जब यह एक्ट बना था, तब इसमें प्रावधान था कि जब तक राज्य सरकार सहमत न हो, सीबीआई मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। वहीं अगर राज्य सरकार सीबीआई जांच करवाना चाहती है, तो केंद्र सरकार की सहमति के बिना ऐसा नहीं होगा। अगर भाजपा ऐसे मामले में कोई प्रतिक्रिया दे रही है, तो उसे सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया भी देखनी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि कोर्ट ने 15 दिन पहले ही कह दिया है कि सीबीआई पिंजरे में बंद पक्षी नहीं है, उसे यह साबित करना है। जब सुप्रीम कोर्ट खुद कह रहा है कि आप पिंजरे में बंद पक्षी हैं, तो हम खुलकर कह रहे हैं कि ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग भाजपा के फ्रंटल संगठन की तरह हो रहा है। निष्पक्ष जांच होनी चाहिए क्योंकि मामला न्यायालय में विचाराधीन है। फैसला आने दीजिए और अगर कुछ मना किया गया है तो वह नियम और अधिनियम के अनुसार सही तरीके से किया गया है।
पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में बिहार के छात्रों पर हुए हमले के बारे में उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। भारतीय नागरिकों को कश्मीर से कन्याकुमारी तक कहीं भी आने-जाने के लिए किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। कोई भी व्यक्ति किसी भी परीक्षा में शामिल हो सकता है और जो भी उन्हें रोकने की कोशिश करता है, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
बता दें कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के बाद कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने कहा, ‘दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 के तहत कर्नाटक राज्य में आपराधिक मामलों की जांच के लिए सीबीआई को सामान्य सहमति देने वाली अधिसूचना वापस ले ली गई है।’
–आईएएनएस
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