नई दिल्ली, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। स्टलिर्ंग बायोटेक मामले सहित कॉर्पोरेट धोखाधड़ी के प्रमुख मामलों में, विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की कंपनियों द्वारा की गई धोखाधड़ी पर प्रवर्तन निदेशालय ने 33,862.20 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है, सोमवार को संसद के एक जवाब में यह जानकारी दी गई।
केंद्र सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए फेमा, पीएमएलए और भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (एफईओए) जैसे विभिन्न कानून बनाए हैं। प्रवर्तन निदेशालय को इन कानूनों के प्रावधानों को लागू करने का काम सौंपा गया है।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत लिखित उत्तर के अनुसार, ईडी द्वारा पिछले पांच वर्षों (1.4.2018 से 28.2.2023) में गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की संख्या 374 थी, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल कॉपोर्रेट फर्मों के कई निदेशक शामिल हैं।
जवाब में कहा गया- कॉर्पोरेट धोखाधड़ी से संबंधित कोई अलग डेटा नहीं रखा जा रहा है क्योंकि पीएमएलए के मामलों में आम तौर पर कई अन्य अपराध भी शामिल होते हैं। हालांकि, स्टलिर्ंग बायोटेक जैसे कॉर्पोरेट धोखाधड़ी के प्रमुख मामलों में, विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की कंपनियों द्वारा की गई धोखाधड़ी, ईडी ने 33,862.20 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। इसमें से 15,113.02 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को लौटा दी गई है।
एसबीआई के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम ने ईडी द्वारा सौंपी गई संपत्तियों की बिक्री से 7975.27 करोड़ रुपये की वसूली की है। जवाब में कहा गया है कि एनबीएफसी के अपने ग्राहक को धन शोधन निवारण (केवाईसी एएमएल) पर्यवेक्षण को मजबूत करने और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और चुनिंदा शहरी सहकारी बैंकों के लिए अपनाई गई पर्यवेक्षी रणनीति के अनुरूप, आरबीआई चुनिंदा एनबीएफसी के केवाईसी एएमएल पर्यवेक्षण के लिए जोखिम आधारित ²ष्टिकोण (आरबीए) को लागू करने की प्रक्रिया में है।
–आईएएनएस
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