नई दिल्ली, 13 मई (आईएएनएस)। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में डाले गए वोटों का वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियाेें के साथ अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की गई है।
याचिका में कहा गया है कि आदेश में गलतियां व त्रुटियां हैं, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
मामले में जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने 26 अप्रैल को अपने फैसले में कहा था कि यह मतदाताओं का मौलिक अधिकार है कि उनके वोट को दर्ज किया जाए और उसे गिना जाए। लेकिन इसे वीवीपैट पर्चियों की 100 प्रतिशत गिनती के अधिकार के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। इन पर्चियों को मतदाताओं को दिया भी नहीं जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मतदाताओं को वीवीपैट पर्चियों तक भौतिक पहुंच देना अव्यवहारिक है। इससे विवाद को बढ़ावा मिलेगा। कोर्ट ने बैलेट पेपर से मतदान कराने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था।
–आईएएनएस
सीबीटी/
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नई दिल्ली, 13 मई (आईएएनएस)। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में डाले गए वोटों का वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियाेें के साथ अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की गई है।
याचिका में कहा गया है कि आदेश में गलतियां व त्रुटियां हैं, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
मामले में जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने 26 अप्रैल को अपने फैसले में कहा था कि यह मतदाताओं का मौलिक अधिकार है कि उनके वोट को दर्ज किया जाए और उसे गिना जाए। लेकिन इसे वीवीपैट पर्चियों की 100 प्रतिशत गिनती के अधिकार के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। इन पर्चियों को मतदाताओं को दिया भी नहीं जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मतदाताओं को वीवीपैट पर्चियों तक भौतिक पहुंच देना अव्यवहारिक है। इससे विवाद को बढ़ावा मिलेगा। कोर्ट ने बैलेट पेपर से मतदान कराने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था।
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नई दिल्ली, 13 मई (आईएएनएस)। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में डाले गए वोटों का वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियाेें के साथ अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की गई है।
याचिका में कहा गया है कि आदेश में गलतियां व त्रुटियां हैं, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
मामले में जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने 26 अप्रैल को अपने फैसले में कहा था कि यह मतदाताओं का मौलिक अधिकार है कि उनके वोट को दर्ज किया जाए और उसे गिना जाए। लेकिन इसे वीवीपैट पर्चियों की 100 प्रतिशत गिनती के अधिकार के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। इन पर्चियों को मतदाताओं को दिया भी नहीं जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मतदाताओं को वीवीपैट पर्चियों तक भौतिक पहुंच देना अव्यवहारिक है। इससे विवाद को बढ़ावा मिलेगा। कोर्ट ने बैलेट पेपर से मतदान कराने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था।
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नई दिल्ली, 13 मई (आईएएनएस)। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में डाले गए वोटों का वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियाेें के साथ अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की गई है।
याचिका में कहा गया है कि आदेश में गलतियां व त्रुटियां हैं, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
मामले में जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने 26 अप्रैल को अपने फैसले में कहा था कि यह मतदाताओं का मौलिक अधिकार है कि उनके वोट को दर्ज किया जाए और उसे गिना जाए। लेकिन इसे वीवीपैट पर्चियों की 100 प्रतिशत गिनती के अधिकार के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। इन पर्चियों को मतदाताओं को दिया भी नहीं जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मतदाताओं को वीवीपैट पर्चियों तक भौतिक पहुंच देना अव्यवहारिक है। इससे विवाद को बढ़ावा मिलेगा। कोर्ट ने बैलेट पेपर से मतदान कराने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था।
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नई दिल्ली, 13 मई (आईएएनएस)। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में डाले गए वोटों का वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियाेें के साथ अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की गई है।
याचिका में कहा गया है कि आदेश में गलतियां व त्रुटियां हैं, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
मामले में जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने 26 अप्रैल को अपने फैसले में कहा था कि यह मतदाताओं का मौलिक अधिकार है कि उनके वोट को दर्ज किया जाए और उसे गिना जाए। लेकिन इसे वीवीपैट पर्चियों की 100 प्रतिशत गिनती के अधिकार के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। इन पर्चियों को मतदाताओं को दिया भी नहीं जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मतदाताओं को वीवीपैट पर्चियों तक भौतिक पहुंच देना अव्यवहारिक है। इससे विवाद को बढ़ावा मिलेगा। कोर्ट ने बैलेट पेपर से मतदान कराने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था।
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नई दिल्ली, 13 मई (आईएएनएस)। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में डाले गए वोटों का वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियाेें के साथ अनिवार्य क्रॉस-सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की गई है।
याचिका में कहा गया है कि आदेश में गलतियां व त्रुटियां हैं, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
मामले में जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने 26 अप्रैल को अपने फैसले में कहा था कि यह मतदाताओं का मौलिक अधिकार है कि उनके वोट को दर्ज किया जाए और उसे गिना जाए। लेकिन इसे वीवीपैट पर्चियों की 100 प्रतिशत गिनती के अधिकार के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। इन पर्चियों को मतदाताओं को दिया भी नहीं जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मतदाताओं को वीवीपैट पर्चियों तक भौतिक पहुंच देना अव्यवहारिक है। इससे विवाद को बढ़ावा मिलेगा। कोर्ट ने बैलेट पेपर से मतदान कराने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था।
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याचिका में कहा गया है कि आदेश में गलतियां व त्रुटियां हैं, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
मामले में जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने 26 अप्रैल को अपने फैसले में कहा था कि यह मतदाताओं का मौलिक अधिकार है कि उनके वोट को दर्ज किया जाए और उसे गिना जाए। लेकिन इसे वीवीपैट पर्चियों की 100 प्रतिशत गिनती के अधिकार के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। इन पर्चियों को मतदाताओं को दिया भी नहीं जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मतदाताओं को वीवीपैट पर्चियों तक भौतिक पहुंच देना अव्यवहारिक है। इससे विवाद को बढ़ावा मिलेगा। कोर्ट ने बैलेट पेपर से मतदान कराने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था।
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याचिका में कहा गया है कि आदेश में गलतियां व त्रुटियां हैं, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
मामले में जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने 26 अप्रैल को अपने फैसले में कहा था कि यह मतदाताओं का मौलिक अधिकार है कि उनके वोट को दर्ज किया जाए और उसे गिना जाए। लेकिन इसे वीवीपैट पर्चियों की 100 प्रतिशत गिनती के अधिकार के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। इन पर्चियों को मतदाताओं को दिया भी नहीं जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मतदाताओं को वीवीपैट पर्चियों तक भौतिक पहुंच देना अव्यवहारिक है। इससे विवाद को बढ़ावा मिलेगा। कोर्ट ने बैलेट पेपर से मतदान कराने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था।
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याचिका में कहा गया है कि आदेश में गलतियां व त्रुटियां हैं, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
मामले में जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने 26 अप्रैल को अपने फैसले में कहा था कि यह मतदाताओं का मौलिक अधिकार है कि उनके वोट को दर्ज किया जाए और उसे गिना जाए। लेकिन इसे वीवीपैट पर्चियों की 100 प्रतिशत गिनती के अधिकार के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। इन पर्चियों को मतदाताओं को दिया भी नहीं जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मतदाताओं को वीवीपैट पर्चियों तक भौतिक पहुंच देना अव्यवहारिक है। इससे विवाद को बढ़ावा मिलेगा। कोर्ट ने बैलेट पेपर से मतदान कराने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था।
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याचिका में कहा गया है कि आदेश में गलतियां व त्रुटियां हैं, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
मामले में जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने 26 अप्रैल को अपने फैसले में कहा था कि यह मतदाताओं का मौलिक अधिकार है कि उनके वोट को दर्ज किया जाए और उसे गिना जाए। लेकिन इसे वीवीपैट पर्चियों की 100 प्रतिशत गिनती के अधिकार के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। इन पर्चियों को मतदाताओं को दिया भी नहीं जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मतदाताओं को वीवीपैट पर्चियों तक भौतिक पहुंच देना अव्यवहारिक है। इससे विवाद को बढ़ावा मिलेगा। कोर्ट ने बैलेट पेपर से मतदान कराने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था।
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याचिका में कहा गया है कि आदेश में गलतियां व त्रुटियां हैं, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
मामले में जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने 26 अप्रैल को अपने फैसले में कहा था कि यह मतदाताओं का मौलिक अधिकार है कि उनके वोट को दर्ज किया जाए और उसे गिना जाए। लेकिन इसे वीवीपैट पर्चियों की 100 प्रतिशत गिनती के अधिकार के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। इन पर्चियों को मतदाताओं को दिया भी नहीं जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मतदाताओं को वीवीपैट पर्चियों तक भौतिक पहुंच देना अव्यवहारिक है। इससे विवाद को बढ़ावा मिलेगा। कोर्ट ने बैलेट पेपर से मतदान कराने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था।
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याचिका में कहा गया है कि आदेश में गलतियां व त्रुटियां हैं, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
मामले में जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने 26 अप्रैल को अपने फैसले में कहा था कि यह मतदाताओं का मौलिक अधिकार है कि उनके वोट को दर्ज किया जाए और उसे गिना जाए। लेकिन इसे वीवीपैट पर्चियों की 100 प्रतिशत गिनती के अधिकार के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। इन पर्चियों को मतदाताओं को दिया भी नहीं जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मतदाताओं को वीवीपैट पर्चियों तक भौतिक पहुंच देना अव्यवहारिक है। इससे विवाद को बढ़ावा मिलेगा। कोर्ट ने बैलेट पेपर से मतदान कराने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था।
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याचिका में कहा गया है कि आदेश में गलतियां व त्रुटियां हैं, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
मामले में जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने 26 अप्रैल को अपने फैसले में कहा था कि यह मतदाताओं का मौलिक अधिकार है कि उनके वोट को दर्ज किया जाए और उसे गिना जाए। लेकिन इसे वीवीपैट पर्चियों की 100 प्रतिशत गिनती के अधिकार के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। इन पर्चियों को मतदाताओं को दिया भी नहीं जा सकता।
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याचिका में कहा गया है कि आदेश में गलतियां व त्रुटियां हैं, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
मामले में जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने 26 अप्रैल को अपने फैसले में कहा था कि यह मतदाताओं का मौलिक अधिकार है कि उनके वोट को दर्ज किया जाए और उसे गिना जाए। लेकिन इसे वीवीपैट पर्चियों की 100 प्रतिशत गिनती के अधिकार के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। इन पर्चियों को मतदाताओं को दिया भी नहीं जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मतदाताओं को वीवीपैट पर्चियों तक भौतिक पहुंच देना अव्यवहारिक है। इससे विवाद को बढ़ावा मिलेगा। कोर्ट ने बैलेट पेपर से मतदान कराने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था।
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याचिका में कहा गया है कि आदेश में गलतियां व त्रुटियां हैं, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
मामले में जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने 26 अप्रैल को अपने फैसले में कहा था कि यह मतदाताओं का मौलिक अधिकार है कि उनके वोट को दर्ज किया जाए और उसे गिना जाए। लेकिन इसे वीवीपैट पर्चियों की 100 प्रतिशत गिनती के अधिकार के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। इन पर्चियों को मतदाताओं को दिया भी नहीं जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मतदाताओं को वीवीपैट पर्चियों तक भौतिक पहुंच देना अव्यवहारिक है। इससे विवाद को बढ़ावा मिलेगा। कोर्ट ने बैलेट पेपर से मतदान कराने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था।
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याचिका में कहा गया है कि आदेश में गलतियां व त्रुटियां हैं, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
मामले में जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने 26 अप्रैल को अपने फैसले में कहा था कि यह मतदाताओं का मौलिक अधिकार है कि उनके वोट को दर्ज किया जाए और उसे गिना जाए। लेकिन इसे वीवीपैट पर्चियों की 100 प्रतिशत गिनती के अधिकार के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। इन पर्चियों को मतदाताओं को दिया भी नहीं जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मतदाताओं को वीवीपैट पर्चियों तक भौतिक पहुंच देना अव्यवहारिक है। इससे विवाद को बढ़ावा मिलेगा। कोर्ट ने बैलेट पेपर से मतदान कराने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था।