नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त मंत्रालय द्वारा अंतरिम बजट (1 फरवरी) से पहले तैयार की गई भारतीय अर्थव्यवस्था समीक्षा में कहा गया है कि भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी और स्मार्टफोन का प्रसार तेजी से शहरीकरण और भारत के मध्य क्षेत्र का बढ़ता प्रभाव शामिल है। वर्ग ने ई-कॉमर्स बाजार को आगे बढ़ाया है।
कोविड महामारी के दौरान आरोग्य सेतु और कोविन ऐप्स ने वायरस के प्रसार को ट्रैक करने और रोकने में मदद की और कम समय में कई लोगों के टीकाकरण की सुविधा दी।
इन डिजिटल बुनियादी ढांचे का उपयोग करके भारत कई परिवारों को शीघ्रता से सहायता प्रदान करने में सक्षम था। महामारी के पहले महीनों में लगभग 87 प्रतिशत गरीब परिवारों को कम से कम एक लाभ मिला।
भारतीय अर्थव्यवस्था समीक्षा में कहा गया है कि पीएम ईविद्या महामारी के दौरान सीखने के अंतराल को पाटने के लिए डिजिटल तकनीक के उपयोग के साथ शुरू की गई एक और पहल थी। डिजिटल दुनिया ने माल, भोजन और परिवहन सेवाओं के लिए कई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म भी बनाए हैं जो लॉकडाउन के दौरान महत्वपूर्ण साबित हुए।
‘इंडिया ई-कॉमर्स इंडेक्स 2023136’ पर यूनिकॉमर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2013 में कुल ऑर्डर वॉल्यूम में 26.2 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो भारत में एक समृद्ध ई-कॉमर्स परिदृश्य का संकेत देता है, जो वित्तवर्ष 22 की तुलना में वार्षिक सकल व्यापारिक मूल्य (जीएमवी) में 23.5 प्रतिशत की वृद्धि से समर्थित है।
भारत का ई-कॉमर्स बाजार 2026 तक 163 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसमें प्रमुख गैर-किराना खुदरा श्रेणियों में ऑनलाइन बिक्री 25 प्रतिशत से अधिक होगी।
समीक्षा में कहा गया है कि 2014 में लॉन्च की गई पीएमजेडीवाई ने आधार और मोबाइल कनेक्ट का उपयोग करके लाभार्थी के बैंक खाते में सीधे लाभ हस्तांतरण को सक्षम करने के लिए भारतीय स्टैक का बहुत उपयोग किया।
समीक्षा में कहा गया है कि सार्वजनिक सेवाओं के अनुकरणीय उन्नयन में पीएमजेडीवाई खाते मार्च 2015 में 14.7 करोड़ से तीन गुना बढ़कर 10 जनवरी 2024 तक 51.5 करोड़ हो गए हैं, जिससे भारत की आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में आ गया है।
वित्त मंत्रालय के अनुसार, इसके साथ ही प्रति खाते औसत जमा में भी वृद्धि हुई है। डीबीटी मोड से अब तक (दिसंबर 2023) 233.6 लाख करोड़ रुपये से अधिक ट्रांसफर किए जा चुके हैं। डीबीटी से डुप्लिकेट/फर्जी लाभार्थियों को हटाने और लीकेज को रोकने में मदद मिली है।
परिणामस्वरूप, सरकार को 2.7 लाख करोड़ रुपये (मार्च 2022 तक) की वास्तविक बचत हुई है।
आईएमएफ का वर्किंग पेपर ‘स्टैकिंग अप द बेनिफिट्स: लेसन्स फ्रॉम इंडियाज डिजिटल जर्नी’ इस बात पर प्रकाश डालता है कि मार्च 2023 तक लगभग 45 लाख व्यक्तियों और कंपनियों को अकाउंट एग्रीगेटर के माध्यम से वित्तीय सेवाओं तक आसान पहुंच से लाभ हुआ, क्योंकि इसे पहली बार अगस्त 2021 में लॉन्च किया गया था।
नेशनल ई-गवर्नेंस सर्विसेज लिमिटेड (NeSL) का डिजिटल दस्तावेज़ निष्पादन प्लेटफ़ॉर्म IBC के तहत स्थापित एक सूचना उपयोगिता, एक ऐसी वित्तीय सेवा है , जो लाभार्थी के ऋण दस्तावेज़ीकरण को तेजी से पूरा करती है।
भुगतान परतों के साथ उधारकर्ता के क्रेडिट और व्यय व्यवहार को कैप्चर करना और इस प्रक्रिया में डिफ़ॉल्ट जोखिम उन मामलों में संपार्श्विक का उपयोग कम हो रहा है, जहां जोखिम नगण्य है।
–आईएएनएस
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