नई दिल्ली, 27 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को भाजपा पार्षद शरद कपूर को उनकी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मेयर शैली ओबेरॉय ने 22 फरवरी को एमसीडी स्थायी समिति के सदस्यों का चुनाव करने के लिए मतदान के दौरान मोबाइल फोन और पेन का उपयोग नहीं करने के नियमों का पालन नहीं किया।
न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव इस मामले की सुनवाई कर रहे थे, कपूर ने चुनाव के दो दिन बाद एचसी का रुख किया और चुनावों को शून्य घोषित करने की मांग की।
हालांकि, एमसीडी के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय के लिए नए चुनाव 24 फरवरी को महापौर के आदेश पर आयोजित किए गए थे, जिस दिन उच्च न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई की थी। 24 फरवरी को हुआ मतदान भी अनिर्णायक रहा और महापौर ने 27 फरवरी को फिर से चुनाव कराने की घोषणा की लेकिन उच्च न्यायालय ने एक अन्य मामले में इस फैसले पर रोक लगा दी।
कपूर ने अपनी याचिका में कहा था कि मेयर ने संवैधानिक और वैधानिक मानदंड का उल्लंघन किया और चुनाव कार्यवाही में मोबाइल फोन और पेन की अनुमति देकर संविधान के जनादेश को धोखा दिया। हाईकोर्ट ने 25 फरवरी को विशेष सुनवाई में नवनिर्वाचित महापौर द्वारा एमसीडी स्थायी समिति के छह सदस्यों के फिर से चुनाव कराने के निर्देश जारी करने के नोटिस पर रोक लगा दी थी।
कोर्ट ने कहा था कि 27 फरवरी को नए सिरे से चुनाव कराने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा। कपूर ने कहा था कि उन्होंने अन्य लोगों के साथ मिलकर मेयर के कृत्य का विरोध किया था। स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव के लिए इस्तेमाल किए गए कई गोपनीय मतपत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
याचिका में कहा गया है: घटनाओं के एक विचित्र मोड़ में, नव-नियुक्त महापौर ने संवैधानिक रूप से स्थापित मानदंडों और मयार्दाओं की खुलेआम अवहेलना करते हुए, चुनाव प्रक्रिया में हेरफेर करने और खराब करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से मतदान प्रक्रिया के दौरान पार्षदों को अपने मोबाइल फोन और पेन लाने की अनुमति दी।
दलील में कहा- भाजपा के निर्वाचित सदस्यों की आपत्ति के बावजूद, जिसके कारण कई मौकों पर स्थगन हुआ और घंटों तक मतदान प्रक्रिया ठप रही, स्थायी समिति के छह सदस्यों के लिए चुनाव प्रक्रिया को महापौर द्वारा जारी रखने की अनुमति दी गई, सदस्यों को पोलिंग बूथ के अंदर मोबाइल फोन और पेन ले जाने की अनुमति देते हुए, जिसमें आम आदमी पार्टी के कई सदस्यों ने अपने-अपने वोट डालने से पहले अपने वोटों (बैलट पेपर) की तस्वीरें/स्नैपशॉट लिए, जो पूरे चुनावी नियमों का घोर उल्लंघन है।
–आईएएनएस
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