नई दिल्ली, 21 मार्च (आईएएनएस)। पूर्वी लद्दाख से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के कारण लगातार गतिरोध की स्थिति है। इस बीच अब भारतीय सेना ने यहां ऊर्जा आपूर्ति को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इसके तहत सेना ग्रीन-हाइड्रोजन-आधारित माइक्रो-ग्रिड परियोजना अपनाने जा रही है। इससे उत्तरी सीमाओं और पूर्वी लद्दाख में फॉरवर्ड बेस और तैनाती पर निर्बाध ऊर्जा सप्लाई की जा सकेगी।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक भारतीय सेना बिजली खरीद समझौते (पीपीए) के माध्यम से उत्पन्न बिजली खरीदने की प्रतिबद्धता के साथ 25 साल के लिए पट्टे पर आवश्यक भूमि उपलब्ध करा रही है। प्रस्तावित परियोजनाओं को एनटीपीसी द्वारा पूर्वी लद्दाख में संयुक्त रूप से चिन्हित स्थान पर बिल्ड, ओन एंड ऑपरेट (बीओओ) मॉडल पर स्थापित किया जाएगा।
परियोजना में हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए पानी के हाइड्रोलिसिस के लिए एक सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करना शामिल है। यह गैर-सौर घंटों के दौरान फ्यूल सेल्स के माध्यम से बिजली प्रदान करेगा। यह भविष्य में इसी तरह की परियोजनाओं के लिए पृष्?ठभूमि तैयार करेगा और ग्रीन-हाउस गैस उत्सर्जन में कमी के साथ जीवाश्म ईंधन आधारित जनरेटर सेट पर निर्भरता को कम करने में योगदान देगा।
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस एमओयू के साथ, भारतीय सेना नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड के साथ भविष्य में इसी तरह की परियोजनाओं को आरंभ करने की ²ढ़ योजना के साथ समझौता करने वाला पहला सरकारी संगठन बन गया है।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अब तक जो क्षेत्र पावर ग्रिड से कटे हुए थे, वहां डीजल से चलने वाले जनरेटर का इस्तेमाल किया जा रहा था। नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की तर्ज पर, भारतीय सेना ने उत्तरी सीमाओं के साथ-साथ उन अग्रिम क्षेत्रों में ग्रीन हाइड्रोजन आधारित माइक्रो ग्रिड पावर प्लांट परियोजना की स्थापना की प्रक्रिया आरंभ कर दी है जो राष्ट्रीय या राज्य ग्रिड से नहीं जुड़े हैं।
21 मार्च 2023 को नई दिल्ली के सेना भवन में भारतीय सेना और नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (एनटीपीसी आरईएल) के बीच एक समझौता किया गया। सीओएएस की ओर से क्वार्टर मास्टर जनरल (क्यूएमजी) ने एनटीपीसी आरईएल के सीईओ मोहित भार्गव के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
–आईएएनएस
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