सोल, 13 नवंबर (आईएएनएस)। दक्षिण कोरिया, अमेरिका और जापान बुधवार को अपना दूसरा त्रिपक्षीय बहु-क्षेत्रीय अभ्यास शुरू कर रहे हैं। दक्षिण कोरिया के संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ (जेसीएस) ने यह जानकारी दी। यह अभ्यास रूस के साथ उत्तर कोरिया के बढ़ते रिश्तों के खिलाफ संयुक्त प्रतिरोध का प्रदर्शन है।
जेसीएस ने कहा कि तीन दिवसीय अभ्यास साउथ कोरिया के दक्षिणी रिसॉर्ट द्वीप जेजू के दक्षिण में अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में होगा। पिछले साल राष्ट्रों के नेताओं द्वारा किए गए समझौते के अनुसार उद्घाटन अभ्यास के लगभग चार महीने बाद यह कार्यक्रम हो रहा है।
पिछले वर्ष अगस्त में, दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यूं सूक येओल, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइेडन और तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा ने उत्तर कोरिया से बढ़ते परमाणु और मिसाइल खतरों को रोकने के प्रयासों के तहत कैंप डेविड में अपने शिखर सम्मेलन के दौरान नियमित आधार पर ‘वार्षिक, नामित, बहुक्षेत्रीय’ त्रिपक्षीय अभ्यास आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की थी।
इस वर्ष जुलाई में तीनों देशों के रक्षा प्रमुखों ने त्रिपक्षीय सुरक्षा सहयोग रूपरेखा पर हस्ताक्षर किए थे। इसे तीनों के सुरक्षा सहयोग को औपचारिक रूप देने तथा उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल खतरों के विरुद्ध सहयोग को मजबूत करने के रूप में देखा गया।
जेसीएस ने कहा कि यह अभ्यास वायु रक्षा, बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा, पनडुब्बी रोधी युद्ध, समुद्री अवरोधन और रक्षात्मक साइबर ट्रेनिंग सहित कई क्षेत्रों में फैला होगा।
जेसीएस ने कहा, “तीनों देशों ने उत्तर कोरिया के भड़काऊ कृत्यों की कड़ी निंदा की है, जिसमें अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) का परीक्षण-प्रक्षेपण शामिल है, जो कोरियाई प्रायद्वीप और क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए खतरा है। यह अभ्यास ऐसे खतरों को रोकने और उनका जवाब देने की इच्छा को दर्शाता है।
उत्तर कोरिया ने 31 अक्टूबर को नई ह्वासोंग-19 आईसीबीएम लॉन्च की और इसे अपनी लंबी दूरी की मिसाइल सीरीज का ‘अंतिम’ संस्करण बताया। मिसाइल सबसे अधिक ऊंचाई तक पहुंची और सबसे लंबे समय तक उड़ी।
यह लॉन्च बढ़ती चिंताओं के बीच हुआ कि रूस में उत्तर कोरिया की सेना की तैनाती यूक्रेन के साथ मास्को के लंबे समय से चल रहे युद्ध को बढ़ा सकती है।
उत्तर कोरिया अमेरिका-जापान-साउथ कोरिया के संयुक्त सैन्य अभ्यासों का विरोध करता आया है। वह इन अभ्यासों को राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरों के लिए खतरे के तौर पर देखता है।
–आईएएनएस
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