लखनऊ, 24 फरवरी (आईएएनएस)। इंडिया अलायंस के तहत कांग्रेस और सपा ने अपना गठबंधन कर लिया है, लेकिन उनके सहयोगी वामपंथी दल नाराज हैं। उन्होंने उपेक्षित होने का आरोप लगाया है। वामपंथी दलों ने यूपी में इंडिया गठबंधन के अलोकतांत्रिक संचालन और घटक दलों द्वारा उनके दलों की उपेक्षा पर हैरानी जताई है।
वामपंथी दलों के नेताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन में शामिल बड़े दलों सपा और कांग्रेस द्वारा प्रदेश में भाजपा को पराजित करने के लिए जिस गंभीरता और प्रतिबद्धता के साथ काम करना चाहिए, वह नहीं किया जा रहा है। जबकि, यूपी में वामपंथी दल सीपीआईएम, सीपीआई, सीपीआई माले, फारवर्ड ब्लॉक और लोकतांत्रिक जनता दल सांप्रदायिकता और भाजपा सरकार की जन और जनतंत्र विरोधी नीतियों के खिलाफ लगातार सड़क पर उतरकर आंदोलन कर रहे हैं।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. गिरीश कहते हैं कि इंडिया गठबंधन के कुछ घटक दलों द्वारा लोकसभा की सीटों की एकतरफा तरीके से घोषणा की जा रही है। गठबंधन में शामिल वामपंथी दलों से इन दलों द्वारा कोई राय-मशवरा नहीं किया जा रहा है। यह रवैया इन दलों की भाजपा के खिलाफ प्रतिबद्धता की कमी को दिखाता है।
उन्होंने कहा कि भाजपा को प्रदेश में हराने की ठोस और कारगर रणनीति वामपंथी दलों के साथ चर्चा करके बनाई जानी चाहिए और उन्हें प्रदेश के लोकसभा चुनावों में रचनात्मक भागीदारी दी जानी चाहिए।
इस मुद्दे पर सपा के प्रवक्ता सुनील साजन कहते हैं कि इंडिया गठबंधन बहुत मजबूती के साथ बना है। जो अन्य दल भाजपा के खिलाफ हैं, वो इन्हें हराने में हमारी मदद करें। सपा भाजपा को लोकसभा चुनाव में हराने जा रही है। ऐसे में इन दलों को हमारा सहयोग करना चाहिए, जिन राज्यों में यह लोग मजबूत हैं, सपा इनकी वहां मदद करेगी।
कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी सभी राजनीतिक दलों का सम्मान करती है, जो इस देश के लोकतंत्र और संविधान को बचाने को लेकर जागरूक हैं। इंडिया गठबंधन में शामिल सभी दलों का कांग्रेस सम्मान करती है। उनके सीट बंटवारे से लेकर अन्य भागीदारी को लेकर शीर्ष नेतृत्व से बातचीत चल रही है। इंडिया गठबंधन में सभी का सम्मान बरकरार रहेगा।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि इंडिया गठबंधन को बनाने में वाम दलों की अहम भूमिका रही है। यूपी में वामदलों का आधार चुनाव दर चुनाव घटता जा रहा है। जब भी गठबंधन में सीटों का बंटवारा होता है, उसमें पीछे का ट्रैक रिकॉर्ड देखा जाता है। इसी कारण कांग्रेस को कम सीटें मिली है। अगर रालोद गठबंधन में होती तो शायद इतनी भी न मिलती। यहां पर वामदलों का कैडर कुछ जगह बचा हुआ है। एक आध सीट मिल सकती है। यूपी में वामदलों की प्रभावी उपस्थिति न होने के कारण उन्हें गठबंधन में जगह नहीं मिल सकी है।
–आईएएनएस
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