उदयपुर, 16 मार्च (आईएएनएस)। राजस्थान के उदयपुर जिले स्थित मेनार में जमरा बीज पर उत्साह और शौर्य का अद्भुत रंग बिखरा। हर साल की तरह इस बार भी धुलंडी के अगले दिन ‘जमरा बीज’ पर बंदूकें चलीं और तोपों से गोले दागे गए। पूरा गांव झूम उठा। यह परंपरा मेवाड़ के मुगलों पर विजय के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है।
इतिहासकारों की मानें तो महाराणा प्रताप के पूर्वजों ने मुगलों को हराया था, तब तत्कालीन महाराणा ने मेनार को 17वें उमराव की उपाधि दी थी। उसी समय से यह परंपरा शुरू हुई, जो आज भी कायम है।
शनिवार देर रात मेनार में इस परंपरा को बड़े उत्साह के साथ निभाया गया। स्थानीय लोग राजवाड़ा और सैनिकों की पारंपरिक पोशाक में सजे-धजे नजर आए। उनके हाथों में तलवारें और बंदूकें थीं। अलग-अलग रास्तों से ललकारते हुए लोग चार भुजामंदिर के सामने स्थित मुख्य बाजार के ओंकारेश्वर चौक पर पहुंचे। यहां पहुंचकर तोपों और बंदूकों से गोले दागे गए। इस दौरान माहौल में जोश और उत्साह देखते ही बनता था। होली पर दीपावली सी आतिशबाजी सिर्फ मेनार में होती है।
हर साल होली के मौके पर यह आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। यह परंपरा मेवाड़ के शौर्य और वीरता का प्रतीक मानी जाती है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि वे अपने पूर्वजों की जीत को इस तरह से याद करते हैं। इस बार भी आयोजन में युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
आयोजन के दौरान सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया। तोपों और बंदूकों को चलाने से पहले उनकी जांच की गई, ताकि कोई हादसा न हो। यह परंपरा न सिर्फ मेनार की पहचान है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनती जा रही है, जिसे साक्षात देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
–आईएएनएस
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