मुंबई, 6 मार्च (आईएएनएस)। शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता और विधान पार्षद (एमएलसी) अनिल परब ने विधान परिषद में खुद की तुलना छत्रपति संभाजी महाराज से की। परब ने कहा कि जिस तरह संभाजी महाराज पर अत्याचार हुआ, उसी तरह उन पर भी पार्टी बदलने के लिए दबाव डाला गया और अलग-अलग एजेंसियों ने कार्रवाई की।
अनिल परब ने कहा कि संभाजी महाराज के विचार और उनकी विरासत को अगर किसी ने आगे बढ़ाया है, तो वह ‘छावा’ (फिल्म) में दिखेगा, “और मुझे भी देखो”। उन्होंने कहा, “धर्म बदलने के लिए उन पर अत्याचार हुआ और पार्टी बदलने के लिए मुझ पर अत्याचार किया गया। ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स और एनआईए सभी ने मेरे खिलाफ कार्रवाई की, लेकिन मैं जेल नहीं गया। संजय राउत जेल गए क्योंकि वे कच्चे खिलाड़ी थे, लेकिन मैं सब पर भारी पड़ा।”
इस बयान पर विधान परिषद के चेयरमैन ने पूछा कि क्या इसे रिकॉर्ड पर लिया जाना चाहिए? इस पर परब ने बेझिझक जवाब दिया, “क्यों नहीं रखना चाहिए? जो सच है, वो सच है। मुझ पर अत्याचार हुआ।”
दरअसल, इन दिनों ‘छावा’ फिल्म चर्चा में बनी हुई है। हाल ही में समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी ने औरंगजेब को लेकर विवादित बयान दिया था, जिस पर काफी चर्चा हो रही है। सोमवार को सपा नेता ने मुगल शासक औरंगजेब की तारीफ की थी। अबू आजमी ने कहा था, “औरंगजेब इंसाफ पसंद बादशाह था। उसके कार्यकाल में ही भारत सोने की चिड़िया बना। मैं औरंगजेब को क्रूर शासक नहीं मानता हूं। औरंगजेब के समय में राजकाज की लड़ाई थी, धर्म की नहीं थी, हिंदू-मुसलमान की लड़ाई नहीं थी। औरंगजेब ने अपने कार्यकाल में कई हिंदू मंदिरों का निर्माण करवाया। औरंगजेब को लेकर गलत इतिहास दिखाया जा रहा है।”
इससे पहले मंगलवार को अबू आजमी के औरंगजेब की तारीफ वाले बयान का मुद्दा महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों में गूंजा। उनके इस बयान को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति के सदस्यों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और सपा विधायक को विधानसभा से निलंबित करने की मांग की थी। उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज करने की भी मांग की गई। अबू आजमी ने औरंगजेब वाले बयान पर सफाई भी दी। उन्होंने कहा कि उनके शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। उन्हें पूरे बजट सत्र के लिए विधानसभा की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया है।
–आईएएनएस
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