नई दिल्ली, 10 दिसंबर (आईएएनएस)। संसद में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध जारी है। इस सबके बीच विपक्ष अब राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है। इस प्रस्ताव को विपक्षी दलों ने 1 बजकर 37 मिनट पर राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा। इस अविश्वास प्रस्ताव पर 60 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। इस पर भारतीय जनता पार्टी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस ने सोरोस फाउंडेशन के इशारे पर एक के बाद एक संवैधानिक संस्थाओं पर सुनियोजित हमला करना शुरू किया है।
उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “राज्यसभा में उपराष्ट्रपति के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के पीछे मुख्य कारण इंडिया गठबंधन में चल रही प्रतिस्पर्धा है। जहां एक पार्टी दूसरे से मुद्दे छीनने की कोशिश कर रही है। यह प्रतिस्पर्धा खासकर कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के प्रति अविश्वास के रूप में प्रकट हुई है। इसे छिपाने के लिए कांग्रेस का यह प्रयास है, जिसमें जाने-अनजाने में इंडिया गठबंधन के दल शामिल हो रहे हैं। यह तो तात्कालिक कारण था, लेकिन यदि दीर्घकालिक दृष्टि से देखें तो यह एक लंबी प्रक्रिया का हिस्सा है। हमारी पार्टी ने लगातार आरोप लगाया है कि विदेशी संस्थाएं जैसे ओसीसीआरपी (ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट) और सोरोस फाउंडेशन, पिछले सात-आठ वर्षों से भारत में काम कर रही है। इन संस्थाओं ने भारत की हर व्यवस्था पर हमला किया है। सबसे पहले इन्होंने एयरफोर्स को निशाना बनाया, राफेल मामले में। फिर सेना के खिलाफ अविश्वास पैदा करने की कोशिश की, खासकर सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर। इसके बाद इन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाने वाली सरकारी कंपनियों पर हमला करना शुरू किया, जैसे एलआईसी और एसबीआई पर, जो बाद में गलत साबित हुआ। इसके बाद इनका हमला हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स पर हुआ, यह भी गलत निकला।”
उन्होंने आगे कहा, “इसके बाद, इन्होंने चुनाव आयोग और ईवीएम पर हमला किया और अब संवैधानिक पदों पर भी हमला करने की कोशिश की है। अगर हम पिछले 7-8 वर्षों का इतिहास देखें, तो यह देखा जा सकता है कि हर एक हमले के बाद, भारत की व्यवस्थाओं की गरिमा को कम करने के लिए एक सुनियोजित अभियान चलाया गया है। इसलिए, हम यह कह सकते हैं कि कांग्रेस और सोरोस की जो लैंड माइंस या सबमरीन थी अब वह बाहर आ चुकी है। अब इसमें कोई शक नहीं कि भारत की हर व्यवस्था और संसद की गरिमा को कम करने के लिए सात समुंदर पार से ताल ठोकने की कोशिश की जा रही है और यह अविश्वास प्रस्ताव इसी कड़ी का एक हिस्सा है।”
–आईएएनएस
पीएसएम/जीकेटी