पटना, 25 अगस्त (आईएएनएस)। भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को बिहार की राजधानी पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 को लेकर विपक्ष पर हमला बोला। रविशंकर प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) बी. सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि उनके (सुदर्शन रेड्डी) हालिया फैसलों से साफ जाहिर है कि उनका झुकाव माओवाद की ओर है।
भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, “सभी जानते हैं कि उपराष्ट्रपति चुनाव में बी. सुदर्शन रेड्डी विपक्षी पार्टियों के उम्मीदवार हैं। मैं बताना चाहता हूं कि 2011 के सलवा जुडूम फैसले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि उनके (सुदर्शन रेड्डी) इस निर्णय से माओवाद के प्रकोप को कम करने में कठिनाई हुई। शाह की टिप्पणी को सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजों ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया, लेकिन हम सभी जजों का सम्मान करते हैं। मैं मानता हूं कि उनको अपनी बात बोलने का अधिकार है, लेकिन आज हम विपक्ष से बुनियादी सवाल पूछना चाहते हैं।”
उन्होंने कहा, “मैं पूछना चाहता हूं कि अगर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उनके (सुदर्शन रेड्डी) सलवा जुडूम फैसले को लेकर कोई टिप्पणी की है तो इसमें गलत क्या है? सलवा जुडूम मामले में 2011 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति सुदर्शन रेड्डी द्वारा दिए गए फैसले पर अमित शाह ने टिप्पणी की थी कि इस निर्णय से माओवाद के प्रकोप को कम करने में कठिनाई होगी। सुदर्शन रेड्डी के निर्णय से माओवाद के खिलाफ लड़ाई को बड़ा धक्का लगा था और आज वही सुदर्शन रेड्डी विपक्ष के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार हैं। साल 2011 में यूपीए सरकार थी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तब आपकी (कांग्रेस) सरकार ने भी सलवा जुडूम मामले में छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार का समर्थन किया था।”
रविशंकर प्रसाद ने कहा, “इस देश के लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति का पद दूसरा सबसे ऊंचा स्थान रखता है। इसलिए, इस पद के लिए चुने गए व्यक्ति की मानसिकता और विचारधारा को समझना बेहद जरूरी है। उनके हालिया फैसलों से साफ जाहिर है कि उनका झुकाव माओवाद की ओर है। ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बी. सुदर्शन रेड्डी के बयान पर जो टिप्पणियां की हैं, वे बिल्कुल सही हैं।”
भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, “मैं भी देश का छोटा-मोटा वकील हूं और कानून मंत्री भी रहा हूं। कानून समझता हूं। हम निर्णय का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन कानून के छात्र के रूप में इसमें जो टिप्पणियां की गई हैं, वो ठीक नहीं हैं।”
–आईएएनएस
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