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Home ताज़ा समाचार

उमर अब्दुल्ला को अलगाववादी सोच से बाहर निकलना चाहिए : विबोध गुप्ता

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September 11, 2024
in ताज़ा समाचार
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राजौरी, 11 सितंबर (आईएएनएस)। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला के साल 2001 के संसद हमले के दोषी अफजल गुरु पर दिए गए बयान से राजनीतिक बवाल मच गया है। इस पर बीजेपी ने आपत्ति जताई है। जम्मू-कश्मीर बीजेपी के प्रदेश महासचिव विबोध गुप्ता ने बुधवार को इस बयान पर आईएएनएस से बात की है।

उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला हो या फारूक अब्दुल्ला, नेशनल कॉन्फ्रेंस की नींव अलगाववादी मानसिकता के साथ रखी गई थी। फारूक अब्दुल्ला ने खुलेआम कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के संस्थापक सदस्य हैं।

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उमर अब्दुल्ला का बयान उनकी अलगाववादी मानसिकता को दर्शाता है। कहा कि उमर अब्दुल्ला ने तो यहां तक ​​कहा है कि अगर वह सत्ता में होते तो अफजल गुरु की फांसी रुकवा देते। उन्होंने हमेशा अलगाववाद का समर्थन किया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस की विचारधारा अलगाववाद से भरी हुई है। साथ ही आतंकवाद को बढ़ावा देने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही है।

कश्मीरी पंडितों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब कश्मीरी पंडितों के साथ अन्याय हुआ और “कश्मीर बनेगा पाकिस्तान” का नारा लगाया गया, तब भी नेशनल कॉन्फ्रेंस सत्ता में थी। उमर अब्दुल्ला को अब अलगाववादी सोच से बाहर निकलना चाहिए।

वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी सोच के लिए कोई जगह नहीं है। 5 अगस्त 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और पत्थरबाजी खत्म हो गई है। उमर अब्दुल्ला इन सब चीजों को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वह बार-बार ऐसे बयान दे रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि ऐसे बयान देने से जम्मू-कश्मीर की जनता उन्हें वोट नहीं देने वाली है। उन्हें यह बात समझ लेनी चाहिए।

उल्लेखनीय है कि अफजल गुरु को संसद पर हमले की साजिश रचने और उसमें मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उसे भारत सरकार ने फांसी पर लटका दिया था।

अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ देश में काफी विरोध हुआ था। उस समय कई लोगों ने इस बारे में याचिका दायर की थी। लेकिन अफजल को संसद पर हमले का दोषी पाया गया और अदालत के आदेश पर उसे 9 फरवरी 2013 को फांसी दे दी गई थी।

–आईएएनएस

आरके/एफजेड

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राजौरी, 11 सितंबर (आईएएनएस)। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला के साल 2001 के संसद हमले के दोषी अफजल गुरु पर दिए गए बयान से राजनीतिक बवाल मच गया है। इस पर बीजेपी ने आपत्ति जताई है। जम्मू-कश्मीर बीजेपी के प्रदेश महासचिव विबोध गुप्ता ने बुधवार को इस बयान पर आईएएनएस से बात की है।

उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला हो या फारूक अब्दुल्ला, नेशनल कॉन्फ्रेंस की नींव अलगाववादी मानसिकता के साथ रखी गई थी। फारूक अब्दुल्ला ने खुलेआम कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के संस्थापक सदस्य हैं।

उमर अब्दुल्ला का बयान उनकी अलगाववादी मानसिकता को दर्शाता है। कहा कि उमर अब्दुल्ला ने तो यहां तक ​​कहा है कि अगर वह सत्ता में होते तो अफजल गुरु की फांसी रुकवा देते। उन्होंने हमेशा अलगाववाद का समर्थन किया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस की विचारधारा अलगाववाद से भरी हुई है। साथ ही आतंकवाद को बढ़ावा देने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही है।

कश्मीरी पंडितों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब कश्मीरी पंडितों के साथ अन्याय हुआ और “कश्मीर बनेगा पाकिस्तान” का नारा लगाया गया, तब भी नेशनल कॉन्फ्रेंस सत्ता में थी। उमर अब्दुल्ला को अब अलगाववादी सोच से बाहर निकलना चाहिए।

वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी सोच के लिए कोई जगह नहीं है। 5 अगस्त 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और पत्थरबाजी खत्म हो गई है। उमर अब्दुल्ला इन सब चीजों को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वह बार-बार ऐसे बयान दे रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि ऐसे बयान देने से जम्मू-कश्मीर की जनता उन्हें वोट नहीं देने वाली है। उन्हें यह बात समझ लेनी चाहिए।

उल्लेखनीय है कि अफजल गुरु को संसद पर हमले की साजिश रचने और उसमें मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उसे भारत सरकार ने फांसी पर लटका दिया था।

अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ देश में काफी विरोध हुआ था। उस समय कई लोगों ने इस बारे में याचिका दायर की थी। लेकिन अफजल को संसद पर हमले का दोषी पाया गया और अदालत के आदेश पर उसे 9 फरवरी 2013 को फांसी दे दी गई थी।

–आईएएनएस

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उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला हो या फारूक अब्दुल्ला, नेशनल कॉन्फ्रेंस की नींव अलगाववादी मानसिकता के साथ रखी गई थी। फारूक अब्दुल्ला ने खुलेआम कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के संस्थापक सदस्य हैं।

उमर अब्दुल्ला का बयान उनकी अलगाववादी मानसिकता को दर्शाता है। कहा कि उमर अब्दुल्ला ने तो यहां तक ​​कहा है कि अगर वह सत्ता में होते तो अफजल गुरु की फांसी रुकवा देते। उन्होंने हमेशा अलगाववाद का समर्थन किया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस की विचारधारा अलगाववाद से भरी हुई है। साथ ही आतंकवाद को बढ़ावा देने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही है।

कश्मीरी पंडितों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब कश्मीरी पंडितों के साथ अन्याय हुआ और “कश्मीर बनेगा पाकिस्तान” का नारा लगाया गया, तब भी नेशनल कॉन्फ्रेंस सत्ता में थी। उमर अब्दुल्ला को अब अलगाववादी सोच से बाहर निकलना चाहिए।

वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी सोच के लिए कोई जगह नहीं है। 5 अगस्त 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और पत्थरबाजी खत्म हो गई है। उमर अब्दुल्ला इन सब चीजों को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वह बार-बार ऐसे बयान दे रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि ऐसे बयान देने से जम्मू-कश्मीर की जनता उन्हें वोट नहीं देने वाली है। उन्हें यह बात समझ लेनी चाहिए।

उल्लेखनीय है कि अफजल गुरु को संसद पर हमले की साजिश रचने और उसमें मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उसे भारत सरकार ने फांसी पर लटका दिया था।

अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ देश में काफी विरोध हुआ था। उस समय कई लोगों ने इस बारे में याचिका दायर की थी। लेकिन अफजल को संसद पर हमले का दोषी पाया गया और अदालत के आदेश पर उसे 9 फरवरी 2013 को फांसी दे दी गई थी।

–आईएएनएस

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राजौरी, 11 सितंबर (आईएएनएस)। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला के साल 2001 के संसद हमले के दोषी अफजल गुरु पर दिए गए बयान से राजनीतिक बवाल मच गया है। इस पर बीजेपी ने आपत्ति जताई है। जम्मू-कश्मीर बीजेपी के प्रदेश महासचिव विबोध गुप्ता ने बुधवार को इस बयान पर आईएएनएस से बात की है।

उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला हो या फारूक अब्दुल्ला, नेशनल कॉन्फ्रेंस की नींव अलगाववादी मानसिकता के साथ रखी गई थी। फारूक अब्दुल्ला ने खुलेआम कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के संस्थापक सदस्य हैं।

उमर अब्दुल्ला का बयान उनकी अलगाववादी मानसिकता को दर्शाता है। कहा कि उमर अब्दुल्ला ने तो यहां तक ​​कहा है कि अगर वह सत्ता में होते तो अफजल गुरु की फांसी रुकवा देते। उन्होंने हमेशा अलगाववाद का समर्थन किया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस की विचारधारा अलगाववाद से भरी हुई है। साथ ही आतंकवाद को बढ़ावा देने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही है।

कश्मीरी पंडितों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब कश्मीरी पंडितों के साथ अन्याय हुआ और “कश्मीर बनेगा पाकिस्तान” का नारा लगाया गया, तब भी नेशनल कॉन्फ्रेंस सत्ता में थी। उमर अब्दुल्ला को अब अलगाववादी सोच से बाहर निकलना चाहिए।

वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी सोच के लिए कोई जगह नहीं है। 5 अगस्त 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और पत्थरबाजी खत्म हो गई है। उमर अब्दुल्ला इन सब चीजों को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वह बार-बार ऐसे बयान दे रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि ऐसे बयान देने से जम्मू-कश्मीर की जनता उन्हें वोट नहीं देने वाली है। उन्हें यह बात समझ लेनी चाहिए।

उल्लेखनीय है कि अफजल गुरु को संसद पर हमले की साजिश रचने और उसमें मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उसे भारत सरकार ने फांसी पर लटका दिया था।

अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ देश में काफी विरोध हुआ था। उस समय कई लोगों ने इस बारे में याचिका दायर की थी। लेकिन अफजल को संसद पर हमले का दोषी पाया गया और अदालत के आदेश पर उसे 9 फरवरी 2013 को फांसी दे दी गई थी।

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राजौरी, 11 सितंबर (आईएएनएस)। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला के साल 2001 के संसद हमले के दोषी अफजल गुरु पर दिए गए बयान से राजनीतिक बवाल मच गया है। इस पर बीजेपी ने आपत्ति जताई है। जम्मू-कश्मीर बीजेपी के प्रदेश महासचिव विबोध गुप्ता ने बुधवार को इस बयान पर आईएएनएस से बात की है।

उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला हो या फारूक अब्दुल्ला, नेशनल कॉन्फ्रेंस की नींव अलगाववादी मानसिकता के साथ रखी गई थी। फारूक अब्दुल्ला ने खुलेआम कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के संस्थापक सदस्य हैं।

उमर अब्दुल्ला का बयान उनकी अलगाववादी मानसिकता को दर्शाता है। कहा कि उमर अब्दुल्ला ने तो यहां तक ​​कहा है कि अगर वह सत्ता में होते तो अफजल गुरु की फांसी रुकवा देते। उन्होंने हमेशा अलगाववाद का समर्थन किया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस की विचारधारा अलगाववाद से भरी हुई है। साथ ही आतंकवाद को बढ़ावा देने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही है।

कश्मीरी पंडितों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब कश्मीरी पंडितों के साथ अन्याय हुआ और “कश्मीर बनेगा पाकिस्तान” का नारा लगाया गया, तब भी नेशनल कॉन्फ्रेंस सत्ता में थी। उमर अब्दुल्ला को अब अलगाववादी सोच से बाहर निकलना चाहिए।

वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी सोच के लिए कोई जगह नहीं है। 5 अगस्त 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और पत्थरबाजी खत्म हो गई है। उमर अब्दुल्ला इन सब चीजों को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वह बार-बार ऐसे बयान दे रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि ऐसे बयान देने से जम्मू-कश्मीर की जनता उन्हें वोट नहीं देने वाली है। उन्हें यह बात समझ लेनी चाहिए।

उल्लेखनीय है कि अफजल गुरु को संसद पर हमले की साजिश रचने और उसमें मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उसे भारत सरकार ने फांसी पर लटका दिया था।

अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ देश में काफी विरोध हुआ था। उस समय कई लोगों ने इस बारे में याचिका दायर की थी। लेकिन अफजल को संसद पर हमले का दोषी पाया गया और अदालत के आदेश पर उसे 9 फरवरी 2013 को फांसी दे दी गई थी।

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राजौरी, 11 सितंबर (आईएएनएस)। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला के साल 2001 के संसद हमले के दोषी अफजल गुरु पर दिए गए बयान से राजनीतिक बवाल मच गया है। इस पर बीजेपी ने आपत्ति जताई है। जम्मू-कश्मीर बीजेपी के प्रदेश महासचिव विबोध गुप्ता ने बुधवार को इस बयान पर आईएएनएस से बात की है।

उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला हो या फारूक अब्दुल्ला, नेशनल कॉन्फ्रेंस की नींव अलगाववादी मानसिकता के साथ रखी गई थी। फारूक अब्दुल्ला ने खुलेआम कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के संस्थापक सदस्य हैं।

उमर अब्दुल्ला का बयान उनकी अलगाववादी मानसिकता को दर्शाता है। कहा कि उमर अब्दुल्ला ने तो यहां तक ​​कहा है कि अगर वह सत्ता में होते तो अफजल गुरु की फांसी रुकवा देते। उन्होंने हमेशा अलगाववाद का समर्थन किया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस की विचारधारा अलगाववाद से भरी हुई है। साथ ही आतंकवाद को बढ़ावा देने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही है।

कश्मीरी पंडितों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब कश्मीरी पंडितों के साथ अन्याय हुआ और “कश्मीर बनेगा पाकिस्तान” का नारा लगाया गया, तब भी नेशनल कॉन्फ्रेंस सत्ता में थी। उमर अब्दुल्ला को अब अलगाववादी सोच से बाहर निकलना चाहिए।

वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी सोच के लिए कोई जगह नहीं है। 5 अगस्त 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और पत्थरबाजी खत्म हो गई है। उमर अब्दुल्ला इन सब चीजों को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वह बार-बार ऐसे बयान दे रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि ऐसे बयान देने से जम्मू-कश्मीर की जनता उन्हें वोट नहीं देने वाली है। उन्हें यह बात समझ लेनी चाहिए।

उल्लेखनीय है कि अफजल गुरु को संसद पर हमले की साजिश रचने और उसमें मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उसे भारत सरकार ने फांसी पर लटका दिया था।

अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ देश में काफी विरोध हुआ था। उस समय कई लोगों ने इस बारे में याचिका दायर की थी। लेकिन अफजल को संसद पर हमले का दोषी पाया गया और अदालत के आदेश पर उसे 9 फरवरी 2013 को फांसी दे दी गई थी।

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उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला हो या फारूक अब्दुल्ला, नेशनल कॉन्फ्रेंस की नींव अलगाववादी मानसिकता के साथ रखी गई थी। फारूक अब्दुल्ला ने खुलेआम कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के संस्थापक सदस्य हैं।

उमर अब्दुल्ला का बयान उनकी अलगाववादी मानसिकता को दर्शाता है। कहा कि उमर अब्दुल्ला ने तो यहां तक ​​कहा है कि अगर वह सत्ता में होते तो अफजल गुरु की फांसी रुकवा देते। उन्होंने हमेशा अलगाववाद का समर्थन किया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस की विचारधारा अलगाववाद से भरी हुई है। साथ ही आतंकवाद को बढ़ावा देने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही है।

कश्मीरी पंडितों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब कश्मीरी पंडितों के साथ अन्याय हुआ और “कश्मीर बनेगा पाकिस्तान” का नारा लगाया गया, तब भी नेशनल कॉन्फ्रेंस सत्ता में थी। उमर अब्दुल्ला को अब अलगाववादी सोच से बाहर निकलना चाहिए।

वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी सोच के लिए कोई जगह नहीं है। 5 अगस्त 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और पत्थरबाजी खत्म हो गई है। उमर अब्दुल्ला इन सब चीजों को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वह बार-बार ऐसे बयान दे रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि ऐसे बयान देने से जम्मू-कश्मीर की जनता उन्हें वोट नहीं देने वाली है। उन्हें यह बात समझ लेनी चाहिए।

उल्लेखनीय है कि अफजल गुरु को संसद पर हमले की साजिश रचने और उसमें मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उसे भारत सरकार ने फांसी पर लटका दिया था।

अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ देश में काफी विरोध हुआ था। उस समय कई लोगों ने इस बारे में याचिका दायर की थी। लेकिन अफजल को संसद पर हमले का दोषी पाया गया और अदालत के आदेश पर उसे 9 फरवरी 2013 को फांसी दे दी गई थी।

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उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला हो या फारूक अब्दुल्ला, नेशनल कॉन्फ्रेंस की नींव अलगाववादी मानसिकता के साथ रखी गई थी। फारूक अब्दुल्ला ने खुलेआम कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के संस्थापक सदस्य हैं।

उमर अब्दुल्ला का बयान उनकी अलगाववादी मानसिकता को दर्शाता है। कहा कि उमर अब्दुल्ला ने तो यहां तक ​​कहा है कि अगर वह सत्ता में होते तो अफजल गुरु की फांसी रुकवा देते। उन्होंने हमेशा अलगाववाद का समर्थन किया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस की विचारधारा अलगाववाद से भरी हुई है। साथ ही आतंकवाद को बढ़ावा देने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही है।

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