नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। महाराष्ट्र में जारी चुनाव प्रचार के घमासान के बीच ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड द्वारा विपक्षी महा विकास अघाड़ी गठबंधन को लिखे पत्र को लेकर नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने उलेमा बोर्ड द्वारा समर्थन देने की एवज में की गई मांगों और उस पर कांग्रेस द्वारा दिए गए जवाब की तीखी आलोचना करते हुए राहुल गांधी, शरद पवार और उद्धव ठाकरे से कई सवाल पूछे हैं। उन्होंने विपक्षी गठबंधन के नेताओं पर तीखा हमला बोलते हुए यह भी कहा कि आखिर विपक्षी गठबंधन ध्रुवीकरण और तुष्टिकरण के लिए किस हद तक जाएंगे?
भाजपा मुख्यालय में शनिवार को मीडिया को संबोधित करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड, महाराष्ट्र ने शरद पवार, उद्धव ठाकरे, नाना पटोले और अन्य नेताओं को चुनाव में समर्थन देने के लिए, वोट के लिए पत्र लिखकर कुछ मांगें रखी हैं। उन्होंने कहा कि इन शर्तों में, वक्फ बिल का विरोध करने, मुसलमानों के लिए नौकरी एवं शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने, पुलिस भर्तियों में मुस्लिमों युवाओं को प्राथमिकता देने, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध और नितेश राणे को जेल भेजने और उनके लोगों को जेल से बाहर निकालने सहित कई मांगें रखी गई हैं।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, “यह देश को तोड़ने वाली मांगें हैं, यह देश के विघटन का चार्टर है। पीड़ा इस बात की है कि महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस ने जवाबी पत्र लिखकर सरकार बनने पर इन सभी मांगों को पूरा करने के लिए कदम उठाने का भरोसा दिया है।”
उन्होंने कांग्रेस के जवाब को लेकर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि संविधान की किताब लेकर घूमने वाले राहुल गांधी को क्या यह मालूम नहीं है कि संविधान में धर्म आधारित आरक्षण देना प्रतिबंधित है? सुप्रीम कोर्ट भी अपने फैसले में धर्म आधारित आरक्षण की मनाही कर चुका है। आखिर ये वोट लेने के लिए किस हद तक जाएंगे। वोट लेने के लिए कुछ भी स्वीकार कर लेंगे? राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे बताएं कि क्या उनके महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष ने उनकी सहमति से मुस्लिम जमात से यह वादा किया है? कर्नाटक में चुनाव के समय इन्होंने पीएफआई तक से सहयोग लिया था। इन्हें संविधान का ज्ञान ही नहीं है।
उन्होंने कहा कि इन शर्तों में आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की गई है और महाराष्ट्र कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने इस पर विचार करने की बात कही है। खड़गे और राहुल गांधी खुलकर बताएं कि क्या कांग्रेस पार्टी आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन करती है? इससे पहले आपातकाल में इंदिरा गांधी ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था, जो बाद में खारिज हो गया और आपातकाल के बाद कांग्रेस के साथ क्या हुआ, यह सब जानते हैं। आरएसएस एक राष्ट्रवादी और सांस्कृतिक संगठन है। संघ ने देश सेवा और राष्ट्रभक्ति में ऐतिहासिक काम किया है और अगले साल इस संगठन के सौ वर्ष पूरे होने जा रहे हैं।
प्रसाद ने इन मांगों को लेकर शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे से सवाल पूछा कि क्या वे अपनी विरासत भूल गए हैं? उन्होंने कहा कि यह बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना नहीं है बल्कि सत्ता के लिए लोलुप अवसरवादी सेना है। बालासाहेब ठाकरे ने हमेशा ऐसी ही राजनीति का विरोध किया, लेकिन आज उद्धव ठाकरे के व्यवहार से बहुत पीड़ा होती है।
विपक्षी गठबंधन के अहम सूत्रधार शरद पवार पर कटाक्ष करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि आरक्षण में 50 प्रतिशत की सीमा है। ऐसे में मुस्लिमों को आरक्षण देने के लिए किसका हक मारा जाएगा। यह एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण में हकमारी का प्रयास है। शरद पवार तो कानून समझते हैं। वे अपने गठबंधन के घटक दलों को समझाते क्यों नहीं? शरद पवार मराठा मतदाताओं को क्या कहेंगे?
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भाजपा ऐसे विघटनकारी मांगों का कड़ा विरोध करती है और कभी भी ऐसा होने नहीं देगी। अगर ऐसा हुआ तो यह अदालत में खारिज हो जाएगा और भाजपा इसके खिलाफ आंदोलन भी करेगी। भाजपा पूरे देश में ‘इंडिया’ ब्लॉक के इस रवैये का पर्दाफाश करेगी।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी कुछ नया नहीं कर रही हैं। केरल में कांग्रेस की पूरी राजनीति मुस्लिम लीग और पीएफआई से ही जुड़ी रही है और ये लोग दिल्ली में हमें धर्मनिरपेक्षता का लेक्चर देते रहते हैं।
–आईएएनएस
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