deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home ब्लॉग

एआई की तैयारी वाले शीर्ष 10 देशों में भारत भी शामिल : रिपोर्ट

by
November 22, 2024
in ब्लॉग
0
0
SHARES
2
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तैयारी में शीर्ष दस देशों में भारत भी शामिल है, और देश में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में परिवर्तन की अपार संभावनाएं दिखाई दे रही है।

READ ALSO

फोनपे पीजी, रुपे और जियोहॉटस्टार ने यूपीआई ऑटोपे के साथ सब्सक्रिप्शन पेमेंट को आसान बनाने के लिए की साझेदारी

महिलाओं और पुरुषों में डिप्रेशन के जीन अलग, ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों की बड़ी रिसर्च

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की 73 अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट से पता चला है कि भारत एआई विशेषज्ञों में दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ शोध प्रकाशनों में तीसरे स्थान पर है।

दूसरी ओर, अध्ययन की गई 70 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्थाएं पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारी, कौशल और अनुसंधान एवं विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में औसत से नीचे स्कोर करती हैं।

बीसीजी के टेक्नोलॉजी और डिजिटल एडवांटेज प्रैक्टिस के इंडिया लीडर, सैबल चक्रवर्ती ने कहा, “एआई के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने पर देश के जोर को रेखांकित करती है। एआई की तैयारी में शीर्ष 10 देशों में से एक के रूप में भारत में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में बदलाव की अपार संभावनाएं हैं।”

भारत में बीसीजी के सार्वजनिक क्षेत्र अभ्यास का नेतृत्व करने वाले मारियो गोंसाल्वेस ने कहा, “एआई विशेषज्ञों में भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ अनुसंधान प्रकाशनों में यह तीसरे स्थान पर है।”

रिपोर्ट ने आगे दिखाया कि एआई एक्सपोजर भारत में कई प्रमुख क्षेत्रों में फैला हुआ है। व्यावसायिक सेवाएं सकल घरेलू उत्पाद का 16 प्रतिशत हिस्सा हैं और सरकारी संचालन के लिए प्रशासनिक दक्षता में संभावित सुधार के साथ महत्वपूर्ण एआई एक्सपोजर है।

खुदरा और थोक व्यापार जीडीपी का 10 प्रतिशत हिस्सा है, जहां एआई सार्वजनिक वितरण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को सुव्यवस्थित कर सकता है, जिससे नुकसान कम होता है। वहीं सार्वजनिक सेवाएं जीडीपी का 6 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो एआई सेवा वितरण और आपातकालीन प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने के अवसर देता है।

कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन सकल घरेलू उत्पाद में 17 प्रतिशत का योगदान देता है। उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए सटीक खेती और जोखिम मूल्यांकन में एआई का उपयोग कर सकते हैं।

सकल घरेलू उत्पाद के 8 प्रतिशत के साथ निर्माण क्षेत्र बुनियादी ढांचे की योजना और संपत्ति के रखरखाव के लिए एआई का उपयोग कर सकता है। कला मनोरंजन और व्यक्तिगत सेवाएं भी 8 प्रतिशत के साथ सार्वजनिक सुविधाओं के प्रबंधन में एआई से लाभान्वित हो सकती हैं।

चक्रवर्ती ने कहा, “इस संभावना को साकार करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, एआई शोध क्षमताओं को बढ़ाना और कार्यबल प्रशिक्षण का विस्तार करना शामिल है। ग्रामीण क्षेत्रों में एआई शिक्षा का विस्तार करने और सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ-साथ अनुसंधान केंद्रों, क्लाउड क्षमताओं और डेटा प्रणालियों में निवेश महत्वपूर्ण है।”

रिपोर्ट में एआई के नैतिक उपयोग को संबोधित करने, पूर्वाग्रह को समझने और प्रौद्योगिकी को जिम्मेदारी से अपनाने को सुनिश्चित करने के लिए नियामक ढांचों की भी मांग की गई है।

–आईएएनएस

एमकेएस/एएस

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तैयारी में शीर्ष दस देशों में भारत भी शामिल है, और देश में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में परिवर्तन की अपार संभावनाएं दिखाई दे रही है।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की 73 अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट से पता चला है कि भारत एआई विशेषज्ञों में दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ शोध प्रकाशनों में तीसरे स्थान पर है।

दूसरी ओर, अध्ययन की गई 70 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्थाएं पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारी, कौशल और अनुसंधान एवं विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में औसत से नीचे स्कोर करती हैं।

बीसीजी के टेक्नोलॉजी और डिजिटल एडवांटेज प्रैक्टिस के इंडिया लीडर, सैबल चक्रवर्ती ने कहा, “एआई के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने पर देश के जोर को रेखांकित करती है। एआई की तैयारी में शीर्ष 10 देशों में से एक के रूप में भारत में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में बदलाव की अपार संभावनाएं हैं।”

भारत में बीसीजी के सार्वजनिक क्षेत्र अभ्यास का नेतृत्व करने वाले मारियो गोंसाल्वेस ने कहा, “एआई विशेषज्ञों में भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ अनुसंधान प्रकाशनों में यह तीसरे स्थान पर है।”

रिपोर्ट ने आगे दिखाया कि एआई एक्सपोजर भारत में कई प्रमुख क्षेत्रों में फैला हुआ है। व्यावसायिक सेवाएं सकल घरेलू उत्पाद का 16 प्रतिशत हिस्सा हैं और सरकारी संचालन के लिए प्रशासनिक दक्षता में संभावित सुधार के साथ महत्वपूर्ण एआई एक्सपोजर है।

खुदरा और थोक व्यापार जीडीपी का 10 प्रतिशत हिस्सा है, जहां एआई सार्वजनिक वितरण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को सुव्यवस्थित कर सकता है, जिससे नुकसान कम होता है। वहीं सार्वजनिक सेवाएं जीडीपी का 6 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो एआई सेवा वितरण और आपातकालीन प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने के अवसर देता है।

कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन सकल घरेलू उत्पाद में 17 प्रतिशत का योगदान देता है। उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए सटीक खेती और जोखिम मूल्यांकन में एआई का उपयोग कर सकते हैं।

सकल घरेलू उत्पाद के 8 प्रतिशत के साथ निर्माण क्षेत्र बुनियादी ढांचे की योजना और संपत्ति के रखरखाव के लिए एआई का उपयोग कर सकता है। कला मनोरंजन और व्यक्तिगत सेवाएं भी 8 प्रतिशत के साथ सार्वजनिक सुविधाओं के प्रबंधन में एआई से लाभान्वित हो सकती हैं।

चक्रवर्ती ने कहा, “इस संभावना को साकार करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, एआई शोध क्षमताओं को बढ़ाना और कार्यबल प्रशिक्षण का विस्तार करना शामिल है। ग्रामीण क्षेत्रों में एआई शिक्षा का विस्तार करने और सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ-साथ अनुसंधान केंद्रों, क्लाउड क्षमताओं और डेटा प्रणालियों में निवेश महत्वपूर्ण है।”

रिपोर्ट में एआई के नैतिक उपयोग को संबोधित करने, पूर्वाग्रह को समझने और प्रौद्योगिकी को जिम्मेदारी से अपनाने को सुनिश्चित करने के लिए नियामक ढांचों की भी मांग की गई है।

–आईएएनएस

एमकेएस/एएस

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तैयारी में शीर्ष दस देशों में भारत भी शामिल है, और देश में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में परिवर्तन की अपार संभावनाएं दिखाई दे रही है।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की 73 अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट से पता चला है कि भारत एआई विशेषज्ञों में दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ शोध प्रकाशनों में तीसरे स्थान पर है।

दूसरी ओर, अध्ययन की गई 70 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्थाएं पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारी, कौशल और अनुसंधान एवं विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में औसत से नीचे स्कोर करती हैं।

बीसीजी के टेक्नोलॉजी और डिजिटल एडवांटेज प्रैक्टिस के इंडिया लीडर, सैबल चक्रवर्ती ने कहा, “एआई के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने पर देश के जोर को रेखांकित करती है। एआई की तैयारी में शीर्ष 10 देशों में से एक के रूप में भारत में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में बदलाव की अपार संभावनाएं हैं।”

भारत में बीसीजी के सार्वजनिक क्षेत्र अभ्यास का नेतृत्व करने वाले मारियो गोंसाल्वेस ने कहा, “एआई विशेषज्ञों में भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ अनुसंधान प्रकाशनों में यह तीसरे स्थान पर है।”

रिपोर्ट ने आगे दिखाया कि एआई एक्सपोजर भारत में कई प्रमुख क्षेत्रों में फैला हुआ है। व्यावसायिक सेवाएं सकल घरेलू उत्पाद का 16 प्रतिशत हिस्सा हैं और सरकारी संचालन के लिए प्रशासनिक दक्षता में संभावित सुधार के साथ महत्वपूर्ण एआई एक्सपोजर है।

खुदरा और थोक व्यापार जीडीपी का 10 प्रतिशत हिस्सा है, जहां एआई सार्वजनिक वितरण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को सुव्यवस्थित कर सकता है, जिससे नुकसान कम होता है। वहीं सार्वजनिक सेवाएं जीडीपी का 6 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो एआई सेवा वितरण और आपातकालीन प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने के अवसर देता है।

कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन सकल घरेलू उत्पाद में 17 प्रतिशत का योगदान देता है। उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए सटीक खेती और जोखिम मूल्यांकन में एआई का उपयोग कर सकते हैं।

सकल घरेलू उत्पाद के 8 प्रतिशत के साथ निर्माण क्षेत्र बुनियादी ढांचे की योजना और संपत्ति के रखरखाव के लिए एआई का उपयोग कर सकता है। कला मनोरंजन और व्यक्तिगत सेवाएं भी 8 प्रतिशत के साथ सार्वजनिक सुविधाओं के प्रबंधन में एआई से लाभान्वित हो सकती हैं।

चक्रवर्ती ने कहा, “इस संभावना को साकार करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, एआई शोध क्षमताओं को बढ़ाना और कार्यबल प्रशिक्षण का विस्तार करना शामिल है। ग्रामीण क्षेत्रों में एआई शिक्षा का विस्तार करने और सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ-साथ अनुसंधान केंद्रों, क्लाउड क्षमताओं और डेटा प्रणालियों में निवेश महत्वपूर्ण है।”

रिपोर्ट में एआई के नैतिक उपयोग को संबोधित करने, पूर्वाग्रह को समझने और प्रौद्योगिकी को जिम्मेदारी से अपनाने को सुनिश्चित करने के लिए नियामक ढांचों की भी मांग की गई है।

–आईएएनएस

एमकेएस/एएस

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तैयारी में शीर्ष दस देशों में भारत भी शामिल है, और देश में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में परिवर्तन की अपार संभावनाएं दिखाई दे रही है।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की 73 अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट से पता चला है कि भारत एआई विशेषज्ञों में दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ शोध प्रकाशनों में तीसरे स्थान पर है।

दूसरी ओर, अध्ययन की गई 70 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्थाएं पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारी, कौशल और अनुसंधान एवं विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में औसत से नीचे स्कोर करती हैं।

बीसीजी के टेक्नोलॉजी और डिजिटल एडवांटेज प्रैक्टिस के इंडिया लीडर, सैबल चक्रवर्ती ने कहा, “एआई के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने पर देश के जोर को रेखांकित करती है। एआई की तैयारी में शीर्ष 10 देशों में से एक के रूप में भारत में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में बदलाव की अपार संभावनाएं हैं।”

भारत में बीसीजी के सार्वजनिक क्षेत्र अभ्यास का नेतृत्व करने वाले मारियो गोंसाल्वेस ने कहा, “एआई विशेषज्ञों में भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ अनुसंधान प्रकाशनों में यह तीसरे स्थान पर है।”

रिपोर्ट ने आगे दिखाया कि एआई एक्सपोजर भारत में कई प्रमुख क्षेत्रों में फैला हुआ है। व्यावसायिक सेवाएं सकल घरेलू उत्पाद का 16 प्रतिशत हिस्सा हैं और सरकारी संचालन के लिए प्रशासनिक दक्षता में संभावित सुधार के साथ महत्वपूर्ण एआई एक्सपोजर है।

खुदरा और थोक व्यापार जीडीपी का 10 प्रतिशत हिस्सा है, जहां एआई सार्वजनिक वितरण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को सुव्यवस्थित कर सकता है, जिससे नुकसान कम होता है। वहीं सार्वजनिक सेवाएं जीडीपी का 6 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो एआई सेवा वितरण और आपातकालीन प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने के अवसर देता है।

कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन सकल घरेलू उत्पाद में 17 प्रतिशत का योगदान देता है। उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए सटीक खेती और जोखिम मूल्यांकन में एआई का उपयोग कर सकते हैं।

सकल घरेलू उत्पाद के 8 प्रतिशत के साथ निर्माण क्षेत्र बुनियादी ढांचे की योजना और संपत्ति के रखरखाव के लिए एआई का उपयोग कर सकता है। कला मनोरंजन और व्यक्तिगत सेवाएं भी 8 प्रतिशत के साथ सार्वजनिक सुविधाओं के प्रबंधन में एआई से लाभान्वित हो सकती हैं।

चक्रवर्ती ने कहा, “इस संभावना को साकार करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, एआई शोध क्षमताओं को बढ़ाना और कार्यबल प्रशिक्षण का विस्तार करना शामिल है। ग्रामीण क्षेत्रों में एआई शिक्षा का विस्तार करने और सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ-साथ अनुसंधान केंद्रों, क्लाउड क्षमताओं और डेटा प्रणालियों में निवेश महत्वपूर्ण है।”

रिपोर्ट में एआई के नैतिक उपयोग को संबोधित करने, पूर्वाग्रह को समझने और प्रौद्योगिकी को जिम्मेदारी से अपनाने को सुनिश्चित करने के लिए नियामक ढांचों की भी मांग की गई है।

–आईएएनएस

एमकेएस/एएस

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तैयारी में शीर्ष दस देशों में भारत भी शामिल है, और देश में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में परिवर्तन की अपार संभावनाएं दिखाई दे रही है।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की 73 अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट से पता चला है कि भारत एआई विशेषज्ञों में दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ शोध प्रकाशनों में तीसरे स्थान पर है।

दूसरी ओर, अध्ययन की गई 70 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्थाएं पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारी, कौशल और अनुसंधान एवं विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में औसत से नीचे स्कोर करती हैं।

बीसीजी के टेक्नोलॉजी और डिजिटल एडवांटेज प्रैक्टिस के इंडिया लीडर, सैबल चक्रवर्ती ने कहा, “एआई के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने पर देश के जोर को रेखांकित करती है। एआई की तैयारी में शीर्ष 10 देशों में से एक के रूप में भारत में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में बदलाव की अपार संभावनाएं हैं।”

भारत में बीसीजी के सार्वजनिक क्षेत्र अभ्यास का नेतृत्व करने वाले मारियो गोंसाल्वेस ने कहा, “एआई विशेषज्ञों में भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ अनुसंधान प्रकाशनों में यह तीसरे स्थान पर है।”

रिपोर्ट ने आगे दिखाया कि एआई एक्सपोजर भारत में कई प्रमुख क्षेत्रों में फैला हुआ है। व्यावसायिक सेवाएं सकल घरेलू उत्पाद का 16 प्रतिशत हिस्सा हैं और सरकारी संचालन के लिए प्रशासनिक दक्षता में संभावित सुधार के साथ महत्वपूर्ण एआई एक्सपोजर है।

खुदरा और थोक व्यापार जीडीपी का 10 प्रतिशत हिस्सा है, जहां एआई सार्वजनिक वितरण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को सुव्यवस्थित कर सकता है, जिससे नुकसान कम होता है। वहीं सार्वजनिक सेवाएं जीडीपी का 6 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो एआई सेवा वितरण और आपातकालीन प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने के अवसर देता है।

कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन सकल घरेलू उत्पाद में 17 प्रतिशत का योगदान देता है। उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए सटीक खेती और जोखिम मूल्यांकन में एआई का उपयोग कर सकते हैं।

सकल घरेलू उत्पाद के 8 प्रतिशत के साथ निर्माण क्षेत्र बुनियादी ढांचे की योजना और संपत्ति के रखरखाव के लिए एआई का उपयोग कर सकता है। कला मनोरंजन और व्यक्तिगत सेवाएं भी 8 प्रतिशत के साथ सार्वजनिक सुविधाओं के प्रबंधन में एआई से लाभान्वित हो सकती हैं।

चक्रवर्ती ने कहा, “इस संभावना को साकार करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, एआई शोध क्षमताओं को बढ़ाना और कार्यबल प्रशिक्षण का विस्तार करना शामिल है। ग्रामीण क्षेत्रों में एआई शिक्षा का विस्तार करने और सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ-साथ अनुसंधान केंद्रों, क्लाउड क्षमताओं और डेटा प्रणालियों में निवेश महत्वपूर्ण है।”

रिपोर्ट में एआई के नैतिक उपयोग को संबोधित करने, पूर्वाग्रह को समझने और प्रौद्योगिकी को जिम्मेदारी से अपनाने को सुनिश्चित करने के लिए नियामक ढांचों की भी मांग की गई है।

–आईएएनएस

एमकेएस/एएस

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तैयारी में शीर्ष दस देशों में भारत भी शामिल है, और देश में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में परिवर्तन की अपार संभावनाएं दिखाई दे रही है।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की 73 अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट से पता चला है कि भारत एआई विशेषज्ञों में दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ शोध प्रकाशनों में तीसरे स्थान पर है।

दूसरी ओर, अध्ययन की गई 70 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्थाएं पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारी, कौशल और अनुसंधान एवं विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में औसत से नीचे स्कोर करती हैं।

बीसीजी के टेक्नोलॉजी और डिजिटल एडवांटेज प्रैक्टिस के इंडिया लीडर, सैबल चक्रवर्ती ने कहा, “एआई के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने पर देश के जोर को रेखांकित करती है। एआई की तैयारी में शीर्ष 10 देशों में से एक के रूप में भारत में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में बदलाव की अपार संभावनाएं हैं।”

भारत में बीसीजी के सार्वजनिक क्षेत्र अभ्यास का नेतृत्व करने वाले मारियो गोंसाल्वेस ने कहा, “एआई विशेषज्ञों में भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ अनुसंधान प्रकाशनों में यह तीसरे स्थान पर है।”

रिपोर्ट ने आगे दिखाया कि एआई एक्सपोजर भारत में कई प्रमुख क्षेत्रों में फैला हुआ है। व्यावसायिक सेवाएं सकल घरेलू उत्पाद का 16 प्रतिशत हिस्सा हैं और सरकारी संचालन के लिए प्रशासनिक दक्षता में संभावित सुधार के साथ महत्वपूर्ण एआई एक्सपोजर है।

खुदरा और थोक व्यापार जीडीपी का 10 प्रतिशत हिस्सा है, जहां एआई सार्वजनिक वितरण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को सुव्यवस्थित कर सकता है, जिससे नुकसान कम होता है। वहीं सार्वजनिक सेवाएं जीडीपी का 6 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो एआई सेवा वितरण और आपातकालीन प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने के अवसर देता है।

कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन सकल घरेलू उत्पाद में 17 प्रतिशत का योगदान देता है। उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए सटीक खेती और जोखिम मूल्यांकन में एआई का उपयोग कर सकते हैं।

सकल घरेलू उत्पाद के 8 प्रतिशत के साथ निर्माण क्षेत्र बुनियादी ढांचे की योजना और संपत्ति के रखरखाव के लिए एआई का उपयोग कर सकता है। कला मनोरंजन और व्यक्तिगत सेवाएं भी 8 प्रतिशत के साथ सार्वजनिक सुविधाओं के प्रबंधन में एआई से लाभान्वित हो सकती हैं।

चक्रवर्ती ने कहा, “इस संभावना को साकार करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, एआई शोध क्षमताओं को बढ़ाना और कार्यबल प्रशिक्षण का विस्तार करना शामिल है। ग्रामीण क्षेत्रों में एआई शिक्षा का विस्तार करने और सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ-साथ अनुसंधान केंद्रों, क्लाउड क्षमताओं और डेटा प्रणालियों में निवेश महत्वपूर्ण है।”

रिपोर्ट में एआई के नैतिक उपयोग को संबोधित करने, पूर्वाग्रह को समझने और प्रौद्योगिकी को जिम्मेदारी से अपनाने को सुनिश्चित करने के लिए नियामक ढांचों की भी मांग की गई है।

–आईएएनएस

एमकेएस/एएस

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तैयारी में शीर्ष दस देशों में भारत भी शामिल है, और देश में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में परिवर्तन की अपार संभावनाएं दिखाई दे रही है।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की 73 अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट से पता चला है कि भारत एआई विशेषज्ञों में दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ शोध प्रकाशनों में तीसरे स्थान पर है।

दूसरी ओर, अध्ययन की गई 70 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्थाएं पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारी, कौशल और अनुसंधान एवं विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में औसत से नीचे स्कोर करती हैं।

बीसीजी के टेक्नोलॉजी और डिजिटल एडवांटेज प्रैक्टिस के इंडिया लीडर, सैबल चक्रवर्ती ने कहा, “एआई के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने पर देश के जोर को रेखांकित करती है। एआई की तैयारी में शीर्ष 10 देशों में से एक के रूप में भारत में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में बदलाव की अपार संभावनाएं हैं।”

भारत में बीसीजी के सार्वजनिक क्षेत्र अभ्यास का नेतृत्व करने वाले मारियो गोंसाल्वेस ने कहा, “एआई विशेषज्ञों में भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ अनुसंधान प्रकाशनों में यह तीसरे स्थान पर है।”

रिपोर्ट ने आगे दिखाया कि एआई एक्सपोजर भारत में कई प्रमुख क्षेत्रों में फैला हुआ है। व्यावसायिक सेवाएं सकल घरेलू उत्पाद का 16 प्रतिशत हिस्सा हैं और सरकारी संचालन के लिए प्रशासनिक दक्षता में संभावित सुधार के साथ महत्वपूर्ण एआई एक्सपोजर है।

खुदरा और थोक व्यापार जीडीपी का 10 प्रतिशत हिस्सा है, जहां एआई सार्वजनिक वितरण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को सुव्यवस्थित कर सकता है, जिससे नुकसान कम होता है। वहीं सार्वजनिक सेवाएं जीडीपी का 6 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो एआई सेवा वितरण और आपातकालीन प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने के अवसर देता है।

कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन सकल घरेलू उत्पाद में 17 प्रतिशत का योगदान देता है। उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए सटीक खेती और जोखिम मूल्यांकन में एआई का उपयोग कर सकते हैं।

सकल घरेलू उत्पाद के 8 प्रतिशत के साथ निर्माण क्षेत्र बुनियादी ढांचे की योजना और संपत्ति के रखरखाव के लिए एआई का उपयोग कर सकता है। कला मनोरंजन और व्यक्तिगत सेवाएं भी 8 प्रतिशत के साथ सार्वजनिक सुविधाओं के प्रबंधन में एआई से लाभान्वित हो सकती हैं।

चक्रवर्ती ने कहा, “इस संभावना को साकार करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, एआई शोध क्षमताओं को बढ़ाना और कार्यबल प्रशिक्षण का विस्तार करना शामिल है। ग्रामीण क्षेत्रों में एआई शिक्षा का विस्तार करने और सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ-साथ अनुसंधान केंद्रों, क्लाउड क्षमताओं और डेटा प्रणालियों में निवेश महत्वपूर्ण है।”

रिपोर्ट में एआई के नैतिक उपयोग को संबोधित करने, पूर्वाग्रह को समझने और प्रौद्योगिकी को जिम्मेदारी से अपनाने को सुनिश्चित करने के लिए नियामक ढांचों की भी मांग की गई है।

–आईएएनएस

एमकेएस/एएस

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तैयारी में शीर्ष दस देशों में भारत भी शामिल है, और देश में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में परिवर्तन की अपार संभावनाएं दिखाई दे रही है।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की 73 अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट से पता चला है कि भारत एआई विशेषज्ञों में दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ शोध प्रकाशनों में तीसरे स्थान पर है।

दूसरी ओर, अध्ययन की गई 70 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्थाएं पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारी, कौशल और अनुसंधान एवं विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में औसत से नीचे स्कोर करती हैं।

बीसीजी के टेक्नोलॉजी और डिजिटल एडवांटेज प्रैक्टिस के इंडिया लीडर, सैबल चक्रवर्ती ने कहा, “एआई के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने पर देश के जोर को रेखांकित करती है। एआई की तैयारी में शीर्ष 10 देशों में से एक के रूप में भारत में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में बदलाव की अपार संभावनाएं हैं।”

भारत में बीसीजी के सार्वजनिक क्षेत्र अभ्यास का नेतृत्व करने वाले मारियो गोंसाल्वेस ने कहा, “एआई विशेषज्ञों में भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ अनुसंधान प्रकाशनों में यह तीसरे स्थान पर है।”

रिपोर्ट ने आगे दिखाया कि एआई एक्सपोजर भारत में कई प्रमुख क्षेत्रों में फैला हुआ है। व्यावसायिक सेवाएं सकल घरेलू उत्पाद का 16 प्रतिशत हिस्सा हैं और सरकारी संचालन के लिए प्रशासनिक दक्षता में संभावित सुधार के साथ महत्वपूर्ण एआई एक्सपोजर है।

खुदरा और थोक व्यापार जीडीपी का 10 प्रतिशत हिस्सा है, जहां एआई सार्वजनिक वितरण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को सुव्यवस्थित कर सकता है, जिससे नुकसान कम होता है। वहीं सार्वजनिक सेवाएं जीडीपी का 6 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो एआई सेवा वितरण और आपातकालीन प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने के अवसर देता है।

कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन सकल घरेलू उत्पाद में 17 प्रतिशत का योगदान देता है। उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए सटीक खेती और जोखिम मूल्यांकन में एआई का उपयोग कर सकते हैं।

सकल घरेलू उत्पाद के 8 प्रतिशत के साथ निर्माण क्षेत्र बुनियादी ढांचे की योजना और संपत्ति के रखरखाव के लिए एआई का उपयोग कर सकता है। कला मनोरंजन और व्यक्तिगत सेवाएं भी 8 प्रतिशत के साथ सार्वजनिक सुविधाओं के प्रबंधन में एआई से लाभान्वित हो सकती हैं।

चक्रवर्ती ने कहा, “इस संभावना को साकार करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, एआई शोध क्षमताओं को बढ़ाना और कार्यबल प्रशिक्षण का विस्तार करना शामिल है। ग्रामीण क्षेत्रों में एआई शिक्षा का विस्तार करने और सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ-साथ अनुसंधान केंद्रों, क्लाउड क्षमताओं और डेटा प्रणालियों में निवेश महत्वपूर्ण है।”

रिपोर्ट में एआई के नैतिक उपयोग को संबोधित करने, पूर्वाग्रह को समझने और प्रौद्योगिकी को जिम्मेदारी से अपनाने को सुनिश्चित करने के लिए नियामक ढांचों की भी मांग की गई है।

–आईएएनएस

एमकेएस/एएस

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तैयारी में शीर्ष दस देशों में भारत भी शामिल है, और देश में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में परिवर्तन की अपार संभावनाएं दिखाई दे रही है।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की 73 अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट से पता चला है कि भारत एआई विशेषज्ञों में दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ शोध प्रकाशनों में तीसरे स्थान पर है।

दूसरी ओर, अध्ययन की गई 70 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्थाएं पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारी, कौशल और अनुसंधान एवं विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में औसत से नीचे स्कोर करती हैं।

बीसीजी के टेक्नोलॉजी और डिजिटल एडवांटेज प्रैक्टिस के इंडिया लीडर, सैबल चक्रवर्ती ने कहा, “एआई के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने पर देश के जोर को रेखांकित करती है। एआई की तैयारी में शीर्ष 10 देशों में से एक के रूप में भारत में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में बदलाव की अपार संभावनाएं हैं।”

भारत में बीसीजी के सार्वजनिक क्षेत्र अभ्यास का नेतृत्व करने वाले मारियो गोंसाल्वेस ने कहा, “एआई विशेषज्ञों में भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ अनुसंधान प्रकाशनों में यह तीसरे स्थान पर है।”

रिपोर्ट ने आगे दिखाया कि एआई एक्सपोजर भारत में कई प्रमुख क्षेत्रों में फैला हुआ है। व्यावसायिक सेवाएं सकल घरेलू उत्पाद का 16 प्रतिशत हिस्सा हैं और सरकारी संचालन के लिए प्रशासनिक दक्षता में संभावित सुधार के साथ महत्वपूर्ण एआई एक्सपोजर है।

खुदरा और थोक व्यापार जीडीपी का 10 प्रतिशत हिस्सा है, जहां एआई सार्वजनिक वितरण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को सुव्यवस्थित कर सकता है, जिससे नुकसान कम होता है। वहीं सार्वजनिक सेवाएं जीडीपी का 6 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो एआई सेवा वितरण और आपातकालीन प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने के अवसर देता है।

कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन सकल घरेलू उत्पाद में 17 प्रतिशत का योगदान देता है। उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए सटीक खेती और जोखिम मूल्यांकन में एआई का उपयोग कर सकते हैं।

सकल घरेलू उत्पाद के 8 प्रतिशत के साथ निर्माण क्षेत्र बुनियादी ढांचे की योजना और संपत्ति के रखरखाव के लिए एआई का उपयोग कर सकता है। कला मनोरंजन और व्यक्तिगत सेवाएं भी 8 प्रतिशत के साथ सार्वजनिक सुविधाओं के प्रबंधन में एआई से लाभान्वित हो सकती हैं।

चक्रवर्ती ने कहा, “इस संभावना को साकार करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, एआई शोध क्षमताओं को बढ़ाना और कार्यबल प्रशिक्षण का विस्तार करना शामिल है। ग्रामीण क्षेत्रों में एआई शिक्षा का विस्तार करने और सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ-साथ अनुसंधान केंद्रों, क्लाउड क्षमताओं और डेटा प्रणालियों में निवेश महत्वपूर्ण है।”

रिपोर्ट में एआई के नैतिक उपयोग को संबोधित करने, पूर्वाग्रह को समझने और प्रौद्योगिकी को जिम्मेदारी से अपनाने को सुनिश्चित करने के लिए नियामक ढांचों की भी मांग की गई है।

–आईएएनएस

एमकेएस/एएस

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तैयारी में शीर्ष दस देशों में भारत भी शामिल है, और देश में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में परिवर्तन की अपार संभावनाएं दिखाई दे रही है।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की 73 अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट से पता चला है कि भारत एआई विशेषज्ञों में दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ शोध प्रकाशनों में तीसरे स्थान पर है।

दूसरी ओर, अध्ययन की गई 70 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्थाएं पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारी, कौशल और अनुसंधान एवं विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में औसत से नीचे स्कोर करती हैं।

बीसीजी के टेक्नोलॉजी और डिजिटल एडवांटेज प्रैक्टिस के इंडिया लीडर, सैबल चक्रवर्ती ने कहा, “एआई के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने पर देश के जोर को रेखांकित करती है। एआई की तैयारी में शीर्ष 10 देशों में से एक के रूप में भारत में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में बदलाव की अपार संभावनाएं हैं।”

भारत में बीसीजी के सार्वजनिक क्षेत्र अभ्यास का नेतृत्व करने वाले मारियो गोंसाल्वेस ने कहा, “एआई विशेषज्ञों में भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ अनुसंधान प्रकाशनों में यह तीसरे स्थान पर है।”

रिपोर्ट ने आगे दिखाया कि एआई एक्सपोजर भारत में कई प्रमुख क्षेत्रों में फैला हुआ है। व्यावसायिक सेवाएं सकल घरेलू उत्पाद का 16 प्रतिशत हिस्सा हैं और सरकारी संचालन के लिए प्रशासनिक दक्षता में संभावित सुधार के साथ महत्वपूर्ण एआई एक्सपोजर है।

खुदरा और थोक व्यापार जीडीपी का 10 प्रतिशत हिस्सा है, जहां एआई सार्वजनिक वितरण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को सुव्यवस्थित कर सकता है, जिससे नुकसान कम होता है। वहीं सार्वजनिक सेवाएं जीडीपी का 6 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो एआई सेवा वितरण और आपातकालीन प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने के अवसर देता है।

कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन सकल घरेलू उत्पाद में 17 प्रतिशत का योगदान देता है। उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए सटीक खेती और जोखिम मूल्यांकन में एआई का उपयोग कर सकते हैं।

सकल घरेलू उत्पाद के 8 प्रतिशत के साथ निर्माण क्षेत्र बुनियादी ढांचे की योजना और संपत्ति के रखरखाव के लिए एआई का उपयोग कर सकता है। कला मनोरंजन और व्यक्तिगत सेवाएं भी 8 प्रतिशत के साथ सार्वजनिक सुविधाओं के प्रबंधन में एआई से लाभान्वित हो सकती हैं।

चक्रवर्ती ने कहा, “इस संभावना को साकार करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, एआई शोध क्षमताओं को बढ़ाना और कार्यबल प्रशिक्षण का विस्तार करना शामिल है। ग्रामीण क्षेत्रों में एआई शिक्षा का विस्तार करने और सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ-साथ अनुसंधान केंद्रों, क्लाउड क्षमताओं और डेटा प्रणालियों में निवेश महत्वपूर्ण है।”

रिपोर्ट में एआई के नैतिक उपयोग को संबोधित करने, पूर्वाग्रह को समझने और प्रौद्योगिकी को जिम्मेदारी से अपनाने को सुनिश्चित करने के लिए नियामक ढांचों की भी मांग की गई है।

–आईएएनएस

एमकेएस/एएस

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तैयारी में शीर्ष दस देशों में भारत भी शामिल है, और देश में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में परिवर्तन की अपार संभावनाएं दिखाई दे रही है।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की 73 अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट से पता चला है कि भारत एआई विशेषज्ञों में दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ शोध प्रकाशनों में तीसरे स्थान पर है।

दूसरी ओर, अध्ययन की गई 70 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्थाएं पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारी, कौशल और अनुसंधान एवं विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में औसत से नीचे स्कोर करती हैं।

बीसीजी के टेक्नोलॉजी और डिजिटल एडवांटेज प्रैक्टिस के इंडिया लीडर, सैबल चक्रवर्ती ने कहा, “एआई के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने पर देश के जोर को रेखांकित करती है। एआई की तैयारी में शीर्ष 10 देशों में से एक के रूप में भारत में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में बदलाव की अपार संभावनाएं हैं।”

भारत में बीसीजी के सार्वजनिक क्षेत्र अभ्यास का नेतृत्व करने वाले मारियो गोंसाल्वेस ने कहा, “एआई विशेषज्ञों में भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ अनुसंधान प्रकाशनों में यह तीसरे स्थान पर है।”

रिपोर्ट ने आगे दिखाया कि एआई एक्सपोजर भारत में कई प्रमुख क्षेत्रों में फैला हुआ है। व्यावसायिक सेवाएं सकल घरेलू उत्पाद का 16 प्रतिशत हिस्सा हैं और सरकारी संचालन के लिए प्रशासनिक दक्षता में संभावित सुधार के साथ महत्वपूर्ण एआई एक्सपोजर है।

खुदरा और थोक व्यापार जीडीपी का 10 प्रतिशत हिस्सा है, जहां एआई सार्वजनिक वितरण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को सुव्यवस्थित कर सकता है, जिससे नुकसान कम होता है। वहीं सार्वजनिक सेवाएं जीडीपी का 6 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो एआई सेवा वितरण और आपातकालीन प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने के अवसर देता है।

कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन सकल घरेलू उत्पाद में 17 प्रतिशत का योगदान देता है। उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए सटीक खेती और जोखिम मूल्यांकन में एआई का उपयोग कर सकते हैं।

सकल घरेलू उत्पाद के 8 प्रतिशत के साथ निर्माण क्षेत्र बुनियादी ढांचे की योजना और संपत्ति के रखरखाव के लिए एआई का उपयोग कर सकता है। कला मनोरंजन और व्यक्तिगत सेवाएं भी 8 प्रतिशत के साथ सार्वजनिक सुविधाओं के प्रबंधन में एआई से लाभान्वित हो सकती हैं।

चक्रवर्ती ने कहा, “इस संभावना को साकार करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, एआई शोध क्षमताओं को बढ़ाना और कार्यबल प्रशिक्षण का विस्तार करना शामिल है। ग्रामीण क्षेत्रों में एआई शिक्षा का विस्तार करने और सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ-साथ अनुसंधान केंद्रों, क्लाउड क्षमताओं और डेटा प्रणालियों में निवेश महत्वपूर्ण है।”

रिपोर्ट में एआई के नैतिक उपयोग को संबोधित करने, पूर्वाग्रह को समझने और प्रौद्योगिकी को जिम्मेदारी से अपनाने को सुनिश्चित करने के लिए नियामक ढांचों की भी मांग की गई है।

–आईएएनएस

एमकेएस/एएस

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तैयारी में शीर्ष दस देशों में भारत भी शामिल है, और देश में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में परिवर्तन की अपार संभावनाएं दिखाई दे रही है।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की 73 अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट से पता चला है कि भारत एआई विशेषज्ञों में दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ शोध प्रकाशनों में तीसरे स्थान पर है।

दूसरी ओर, अध्ययन की गई 70 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्थाएं पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारी, कौशल और अनुसंधान एवं विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में औसत से नीचे स्कोर करती हैं।

बीसीजी के टेक्नोलॉजी और डिजिटल एडवांटेज प्रैक्टिस के इंडिया लीडर, सैबल चक्रवर्ती ने कहा, “एआई के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने पर देश के जोर को रेखांकित करती है। एआई की तैयारी में शीर्ष 10 देशों में से एक के रूप में भारत में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में बदलाव की अपार संभावनाएं हैं।”

भारत में बीसीजी के सार्वजनिक क्षेत्र अभ्यास का नेतृत्व करने वाले मारियो गोंसाल्वेस ने कहा, “एआई विशेषज्ञों में भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ अनुसंधान प्रकाशनों में यह तीसरे स्थान पर है।”

रिपोर्ट ने आगे दिखाया कि एआई एक्सपोजर भारत में कई प्रमुख क्षेत्रों में फैला हुआ है। व्यावसायिक सेवाएं सकल घरेलू उत्पाद का 16 प्रतिशत हिस्सा हैं और सरकारी संचालन के लिए प्रशासनिक दक्षता में संभावित सुधार के साथ महत्वपूर्ण एआई एक्सपोजर है।

खुदरा और थोक व्यापार जीडीपी का 10 प्रतिशत हिस्सा है, जहां एआई सार्वजनिक वितरण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को सुव्यवस्थित कर सकता है, जिससे नुकसान कम होता है। वहीं सार्वजनिक सेवाएं जीडीपी का 6 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो एआई सेवा वितरण और आपातकालीन प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने के अवसर देता है।

कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन सकल घरेलू उत्पाद में 17 प्रतिशत का योगदान देता है। उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए सटीक खेती और जोखिम मूल्यांकन में एआई का उपयोग कर सकते हैं।

सकल घरेलू उत्पाद के 8 प्रतिशत के साथ निर्माण क्षेत्र बुनियादी ढांचे की योजना और संपत्ति के रखरखाव के लिए एआई का उपयोग कर सकता है। कला मनोरंजन और व्यक्तिगत सेवाएं भी 8 प्रतिशत के साथ सार्वजनिक सुविधाओं के प्रबंधन में एआई से लाभान्वित हो सकती हैं।

चक्रवर्ती ने कहा, “इस संभावना को साकार करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, एआई शोध क्षमताओं को बढ़ाना और कार्यबल प्रशिक्षण का विस्तार करना शामिल है। ग्रामीण क्षेत्रों में एआई शिक्षा का विस्तार करने और सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ-साथ अनुसंधान केंद्रों, क्लाउड क्षमताओं और डेटा प्रणालियों में निवेश महत्वपूर्ण है।”

रिपोर्ट में एआई के नैतिक उपयोग को संबोधित करने, पूर्वाग्रह को समझने और प्रौद्योगिकी को जिम्मेदारी से अपनाने को सुनिश्चित करने के लिए नियामक ढांचों की भी मांग की गई है।

–आईएएनएस

एमकेएस/एएस

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तैयारी में शीर्ष दस देशों में भारत भी शामिल है, और देश में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में परिवर्तन की अपार संभावनाएं दिखाई दे रही है।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की 73 अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट से पता चला है कि भारत एआई विशेषज्ञों में दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ शोध प्रकाशनों में तीसरे स्थान पर है।

दूसरी ओर, अध्ययन की गई 70 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्थाएं पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारी, कौशल और अनुसंधान एवं विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में औसत से नीचे स्कोर करती हैं।

बीसीजी के टेक्नोलॉजी और डिजिटल एडवांटेज प्रैक्टिस के इंडिया लीडर, सैबल चक्रवर्ती ने कहा, “एआई के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने पर देश के जोर को रेखांकित करती है। एआई की तैयारी में शीर्ष 10 देशों में से एक के रूप में भारत में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में बदलाव की अपार संभावनाएं हैं।”

भारत में बीसीजी के सार्वजनिक क्षेत्र अभ्यास का नेतृत्व करने वाले मारियो गोंसाल्वेस ने कहा, “एआई विशेषज्ञों में भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ अनुसंधान प्रकाशनों में यह तीसरे स्थान पर है।”

रिपोर्ट ने आगे दिखाया कि एआई एक्सपोजर भारत में कई प्रमुख क्षेत्रों में फैला हुआ है। व्यावसायिक सेवाएं सकल घरेलू उत्पाद का 16 प्रतिशत हिस्सा हैं और सरकारी संचालन के लिए प्रशासनिक दक्षता में संभावित सुधार के साथ महत्वपूर्ण एआई एक्सपोजर है।

खुदरा और थोक व्यापार जीडीपी का 10 प्रतिशत हिस्सा है, जहां एआई सार्वजनिक वितरण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को सुव्यवस्थित कर सकता है, जिससे नुकसान कम होता है। वहीं सार्वजनिक सेवाएं जीडीपी का 6 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो एआई सेवा वितरण और आपातकालीन प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने के अवसर देता है।

कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन सकल घरेलू उत्पाद में 17 प्रतिशत का योगदान देता है। उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए सटीक खेती और जोखिम मूल्यांकन में एआई का उपयोग कर सकते हैं।

सकल घरेलू उत्पाद के 8 प्रतिशत के साथ निर्माण क्षेत्र बुनियादी ढांचे की योजना और संपत्ति के रखरखाव के लिए एआई का उपयोग कर सकता है। कला मनोरंजन और व्यक्तिगत सेवाएं भी 8 प्रतिशत के साथ सार्वजनिक सुविधाओं के प्रबंधन में एआई से लाभान्वित हो सकती हैं।

चक्रवर्ती ने कहा, “इस संभावना को साकार करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, एआई शोध क्षमताओं को बढ़ाना और कार्यबल प्रशिक्षण का विस्तार करना शामिल है। ग्रामीण क्षेत्रों में एआई शिक्षा का विस्तार करने और सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ-साथ अनुसंधान केंद्रों, क्लाउड क्षमताओं और डेटा प्रणालियों में निवेश महत्वपूर्ण है।”

रिपोर्ट में एआई के नैतिक उपयोग को संबोधित करने, पूर्वाग्रह को समझने और प्रौद्योगिकी को जिम्मेदारी से अपनाने को सुनिश्चित करने के लिए नियामक ढांचों की भी मांग की गई है।

–आईएएनएस

एमकेएस/एएस

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तैयारी में शीर्ष दस देशों में भारत भी शामिल है, और देश में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में परिवर्तन की अपार संभावनाएं दिखाई दे रही है।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की 73 अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट से पता चला है कि भारत एआई विशेषज्ञों में दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ शोध प्रकाशनों में तीसरे स्थान पर है।

दूसरी ओर, अध्ययन की गई 70 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्थाएं पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारी, कौशल और अनुसंधान एवं विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में औसत से नीचे स्कोर करती हैं।

बीसीजी के टेक्नोलॉजी और डिजिटल एडवांटेज प्रैक्टिस के इंडिया लीडर, सैबल चक्रवर्ती ने कहा, “एआई के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने पर देश के जोर को रेखांकित करती है। एआई की तैयारी में शीर्ष 10 देशों में से एक के रूप में भारत में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में बदलाव की अपार संभावनाएं हैं।”

भारत में बीसीजी के सार्वजनिक क्षेत्र अभ्यास का नेतृत्व करने वाले मारियो गोंसाल्वेस ने कहा, “एआई विशेषज्ञों में भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ अनुसंधान प्रकाशनों में यह तीसरे स्थान पर है।”

रिपोर्ट ने आगे दिखाया कि एआई एक्सपोजर भारत में कई प्रमुख क्षेत्रों में फैला हुआ है। व्यावसायिक सेवाएं सकल घरेलू उत्पाद का 16 प्रतिशत हिस्सा हैं और सरकारी संचालन के लिए प्रशासनिक दक्षता में संभावित सुधार के साथ महत्वपूर्ण एआई एक्सपोजर है।

खुदरा और थोक व्यापार जीडीपी का 10 प्रतिशत हिस्सा है, जहां एआई सार्वजनिक वितरण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को सुव्यवस्थित कर सकता है, जिससे नुकसान कम होता है। वहीं सार्वजनिक सेवाएं जीडीपी का 6 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो एआई सेवा वितरण और आपातकालीन प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने के अवसर देता है।

कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन सकल घरेलू उत्पाद में 17 प्रतिशत का योगदान देता है। उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए सटीक खेती और जोखिम मूल्यांकन में एआई का उपयोग कर सकते हैं।

सकल घरेलू उत्पाद के 8 प्रतिशत के साथ निर्माण क्षेत्र बुनियादी ढांचे की योजना और संपत्ति के रखरखाव के लिए एआई का उपयोग कर सकता है। कला मनोरंजन और व्यक्तिगत सेवाएं भी 8 प्रतिशत के साथ सार्वजनिक सुविधाओं के प्रबंधन में एआई से लाभान्वित हो सकती हैं।

चक्रवर्ती ने कहा, “इस संभावना को साकार करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, एआई शोध क्षमताओं को बढ़ाना और कार्यबल प्रशिक्षण का विस्तार करना शामिल है। ग्रामीण क्षेत्रों में एआई शिक्षा का विस्तार करने और सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ-साथ अनुसंधान केंद्रों, क्लाउड क्षमताओं और डेटा प्रणालियों में निवेश महत्वपूर्ण है।”

रिपोर्ट में एआई के नैतिक उपयोग को संबोधित करने, पूर्वाग्रह को समझने और प्रौद्योगिकी को जिम्मेदारी से अपनाने को सुनिश्चित करने के लिए नियामक ढांचों की भी मांग की गई है।

–आईएएनएस

एमकेएस/एएस

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तैयारी में शीर्ष दस देशों में भारत भी शामिल है, और देश में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में परिवर्तन की अपार संभावनाएं दिखाई दे रही है।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की 73 अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट से पता चला है कि भारत एआई विशेषज्ञों में दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ शोध प्रकाशनों में तीसरे स्थान पर है।

दूसरी ओर, अध्ययन की गई 70 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्थाएं पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारी, कौशल और अनुसंधान एवं विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में औसत से नीचे स्कोर करती हैं।

बीसीजी के टेक्नोलॉजी और डिजिटल एडवांटेज प्रैक्टिस के इंडिया लीडर, सैबल चक्रवर्ती ने कहा, “एआई के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने पर देश के जोर को रेखांकित करती है। एआई की तैयारी में शीर्ष 10 देशों में से एक के रूप में भारत में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में बदलाव की अपार संभावनाएं हैं।”

भारत में बीसीजी के सार्वजनिक क्षेत्र अभ्यास का नेतृत्व करने वाले मारियो गोंसाल्वेस ने कहा, “एआई विशेषज्ञों में भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ अनुसंधान प्रकाशनों में यह तीसरे स्थान पर है।”

रिपोर्ट ने आगे दिखाया कि एआई एक्सपोजर भारत में कई प्रमुख क्षेत्रों में फैला हुआ है। व्यावसायिक सेवाएं सकल घरेलू उत्पाद का 16 प्रतिशत हिस्सा हैं और सरकारी संचालन के लिए प्रशासनिक दक्षता में संभावित सुधार के साथ महत्वपूर्ण एआई एक्सपोजर है।

खुदरा और थोक व्यापार जीडीपी का 10 प्रतिशत हिस्सा है, जहां एआई सार्वजनिक वितरण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को सुव्यवस्थित कर सकता है, जिससे नुकसान कम होता है। वहीं सार्वजनिक सेवाएं जीडीपी का 6 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो एआई सेवा वितरण और आपातकालीन प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने के अवसर देता है।

कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन सकल घरेलू उत्पाद में 17 प्रतिशत का योगदान देता है। उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए सटीक खेती और जोखिम मूल्यांकन में एआई का उपयोग कर सकते हैं।

सकल घरेलू उत्पाद के 8 प्रतिशत के साथ निर्माण क्षेत्र बुनियादी ढांचे की योजना और संपत्ति के रखरखाव के लिए एआई का उपयोग कर सकता है। कला मनोरंजन और व्यक्तिगत सेवाएं भी 8 प्रतिशत के साथ सार्वजनिक सुविधाओं के प्रबंधन में एआई से लाभान्वित हो सकती हैं।

चक्रवर्ती ने कहा, “इस संभावना को साकार करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, एआई शोध क्षमताओं को बढ़ाना और कार्यबल प्रशिक्षण का विस्तार करना शामिल है। ग्रामीण क्षेत्रों में एआई शिक्षा का विस्तार करने और सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ-साथ अनुसंधान केंद्रों, क्लाउड क्षमताओं और डेटा प्रणालियों में निवेश महत्वपूर्ण है।”

रिपोर्ट में एआई के नैतिक उपयोग को संबोधित करने, पूर्वाग्रह को समझने और प्रौद्योगिकी को जिम्मेदारी से अपनाने को सुनिश्चित करने के लिए नियामक ढांचों की भी मांग की गई है।

–आईएएनएस

एमकेएस/एएस

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तैयारी में शीर्ष दस देशों में भारत भी शामिल है, और देश में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में परिवर्तन की अपार संभावनाएं दिखाई दे रही है।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की 73 अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट से पता चला है कि भारत एआई विशेषज्ञों में दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ शोध प्रकाशनों में तीसरे स्थान पर है।

दूसरी ओर, अध्ययन की गई 70 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्थाएं पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारी, कौशल और अनुसंधान एवं विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में औसत से नीचे स्कोर करती हैं।

बीसीजी के टेक्नोलॉजी और डिजिटल एडवांटेज प्रैक्टिस के इंडिया लीडर, सैबल चक्रवर्ती ने कहा, “एआई के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने पर देश के जोर को रेखांकित करती है। एआई की तैयारी में शीर्ष 10 देशों में से एक के रूप में भारत में एआई के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में बदलाव की अपार संभावनाएं हैं।”

भारत में बीसीजी के सार्वजनिक क्षेत्र अभ्यास का नेतृत्व करने वाले मारियो गोंसाल्वेस ने कहा, “एआई विशेषज्ञों में भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है और एआई से संबंधित पेटेंट में मजबूत आधार के साथ अनुसंधान प्रकाशनों में यह तीसरे स्थान पर है।”

रिपोर्ट ने आगे दिखाया कि एआई एक्सपोजर भारत में कई प्रमुख क्षेत्रों में फैला हुआ है। व्यावसायिक सेवाएं सकल घरेलू उत्पाद का 16 प्रतिशत हिस्सा हैं और सरकारी संचालन के लिए प्रशासनिक दक्षता में संभावित सुधार के साथ महत्वपूर्ण एआई एक्सपोजर है।

खुदरा और थोक व्यापार जीडीपी का 10 प्रतिशत हिस्सा है, जहां एआई सार्वजनिक वितरण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को सुव्यवस्थित कर सकता है, जिससे नुकसान कम होता है। वहीं सार्वजनिक सेवाएं जीडीपी का 6 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो एआई सेवा वितरण और आपातकालीन प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने के अवसर देता है।

कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन सकल घरेलू उत्पाद में 17 प्रतिशत का योगदान देता है। उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए सटीक खेती और जोखिम मूल्यांकन में एआई का उपयोग कर सकते हैं।

सकल घरेलू उत्पाद के 8 प्रतिशत के साथ निर्माण क्षेत्र बुनियादी ढांचे की योजना और संपत्ति के रखरखाव के लिए एआई का उपयोग कर सकता है। कला मनोरंजन और व्यक्तिगत सेवाएं भी 8 प्रतिशत के साथ सार्वजनिक सुविधाओं के प्रबंधन में एआई से लाभान्वित हो सकती हैं।

चक्रवर्ती ने कहा, “इस संभावना को साकार करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, एआई शोध क्षमताओं को बढ़ाना और कार्यबल प्रशिक्षण का विस्तार करना शामिल है। ग्रामीण क्षेत्रों में एआई शिक्षा का विस्तार करने और सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ-साथ अनुसंधान केंद्रों, क्लाउड क्षमताओं और डेटा प्रणालियों में निवेश महत्वपूर्ण है।”

रिपोर्ट में एआई के नैतिक उपयोग को संबोधित करने, पूर्वाग्रह को समझने और प्रौद्योगिकी को जिम्मेदारी से अपनाने को सुनिश्चित करने के लिए नियामक ढांचों की भी मांग की गई है।

–आईएएनएस

एमकेएस/एएस

Related Posts

ब्लॉग

फोनपे पीजी, रुपे और जियोहॉटस्टार ने यूपीआई ऑटोपे के साथ सब्सक्रिप्शन पेमेंट को आसान बनाने के लिए की साझेदारी

October 8, 2025
महिलाओं और पुरुषों में डिप्रेशन के जीन अलग, ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों की बड़ी रिसर्च
ब्लॉग

महिलाओं और पुरुषों में डिप्रेशन के जीन अलग, ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों की बड़ी रिसर्च

October 8, 2025
ब्लॉग

मेड-इन-इंडिया 4जी स्टैक टेक वर्ल्ड में भारत की लीडरशिप का प्रमाण : पीएम नरेंद्र मोदी

October 8, 2025
ब्लॉग

आने वाले समय में ‘चरखे’ की भूमिका निभाएगा सेमीकंडक्टर, आत्मनिर्भरता का होगा प्रतीक: ज्योतिरादित्य सिंधिया

October 8, 2025
ब्लॉग

गूगल ने जारी किया लेटेस्ट अपडेट, ‘एआई मोड’ अब 7 नई भारतीय भाषाओं में होगा उपलब्ध

October 8, 2025
प्रकृति का साथ, स्क्रीन से दूर: चर्चा में नोबेल विजेता का डिजिटल विराम
ब्लॉग

प्रकृति का साथ, स्क्रीन से दूर: चर्चा में नोबेल विजेता का डिजिटल विराम

October 7, 2025
Next Post

....जब एलजी ने की सीएम आतिशी की तारीफ

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

120225
Total views : 6046018
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In