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Home Today's Special News

एएसआई छत्रपति शिवाजी कार्यक्रम की सह-मेजबानी के लिए एनजीओ की याचिका पर जल्द विचार करे : दिल्ली हाईकोर्ट

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February 8, 2023
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एएसआई छत्रपति शिवाजी कार्यक्रम की सह-मेजबानी के लिए एनजीओ की याचिका पर जल्द विचार करे : दिल्ली हाईकोर्ट
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नई दिल्ली, 8 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को महाराष्ट्र स्थित पंजीकृत ट्रस्ट आर.आर. पाटिल फाउंडेशन की याचिका पर शीघ्रता से विचार करने का निर्देश दिया। कार्यक्रम 19 फरवरी को छत्रपति शिवाजी की जयंती पर आगरा के किले में होना है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की एकल न्यायाधीश पीठ आर.आर. पाटिल फाउंडेशन और अजिंक्य देवगिरि प्रतिष्ठान द्वारा एएसआई के पिछले दिसंबर के पत्र के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्हें कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं दी गई है। कार्यक्रम के आयोजन के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने केंद्रीय संस्कृति मंत्री को पत्र लिखा था।

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केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि एक निजी संस्था को किसी स्मारक पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

संरक्षित स्मारकों और स्थलों के अंदर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए केवल सरकारी विभागों और सार्वजनिक निकायों को अनुमति देने के लिए 2005 में जारी एएसआई के आधिकारिक ज्ञापन पर ध्यान देने के बाद अदालत ने कहा : चूंकि एएसआई का ओएम और नीति लगभग 18 वर्षो से चलन में है, इसलिए इसे चुनौती नहीं दी जा सकती। यह निर्देश देना उचित समझा जाता है कि यदि याचिकाकर्ता राज्य सरकार के साथ मिलकर कार्यक्रम का सह-आयोजन करना चाहता है, तो वह एएसआई को एक पत्र भेज सकता है, जिस पर शीघ्रता से विचार किया जाएगा।

हालांकि, यहां महाराष्ट्र सरकार इस आयोजन की सह-आयोजक नहीं है। मुख्यमंत्री ने केवल एनजीओ की दलील का समर्थन किया है।

न्यायमूर्ति सिंह ने केवल इसलिए निर्देश पारित किया, क्योंकि याचिकाकर्ता ने कार्यक्रम के समन्वय के लिए महाराष्ट्र सरकार से संपर्क किया था, जो विचाराधीन है।

इसके अलावा, अदालत ने मामले का निस्तारण करते हुए एएसआई द्वारा पत्र पर विचार करने में देरी होने पर याचिकाकर्ता को अदालत का दरवाजा खटखटाने की छूट दी।

याचिका में कहा गया है कि एनजीओ और महाराष्ट्र के लोग आगरा के किले से भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं, जहां छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके बेटे को मुगल बादशाह औरंगजेब ने कैद कर रखा था।

याचिकाकर्ता ने अदालत को यह भी बताया कि वह महाराष्ट्र में सामाजिक और धर्मार्थ गतिविधियों में शामिल है।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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नई दिल्ली, 8 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को महाराष्ट्र स्थित पंजीकृत ट्रस्ट आर.आर. पाटिल फाउंडेशन की याचिका पर शीघ्रता से विचार करने का निर्देश दिया। कार्यक्रम 19 फरवरी को छत्रपति शिवाजी की जयंती पर आगरा के किले में होना है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की एकल न्यायाधीश पीठ आर.आर. पाटिल फाउंडेशन और अजिंक्य देवगिरि प्रतिष्ठान द्वारा एएसआई के पिछले दिसंबर के पत्र के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्हें कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं दी गई है। कार्यक्रम के आयोजन के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने केंद्रीय संस्कृति मंत्री को पत्र लिखा था।

केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि एक निजी संस्था को किसी स्मारक पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

संरक्षित स्मारकों और स्थलों के अंदर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए केवल सरकारी विभागों और सार्वजनिक निकायों को अनुमति देने के लिए 2005 में जारी एएसआई के आधिकारिक ज्ञापन पर ध्यान देने के बाद अदालत ने कहा : चूंकि एएसआई का ओएम और नीति लगभग 18 वर्षो से चलन में है, इसलिए इसे चुनौती नहीं दी जा सकती। यह निर्देश देना उचित समझा जाता है कि यदि याचिकाकर्ता राज्य सरकार के साथ मिलकर कार्यक्रम का सह-आयोजन करना चाहता है, तो वह एएसआई को एक पत्र भेज सकता है, जिस पर शीघ्रता से विचार किया जाएगा।

हालांकि, यहां महाराष्ट्र सरकार इस आयोजन की सह-आयोजक नहीं है। मुख्यमंत्री ने केवल एनजीओ की दलील का समर्थन किया है।

न्यायमूर्ति सिंह ने केवल इसलिए निर्देश पारित किया, क्योंकि याचिकाकर्ता ने कार्यक्रम के समन्वय के लिए महाराष्ट्र सरकार से संपर्क किया था, जो विचाराधीन है।

इसके अलावा, अदालत ने मामले का निस्तारण करते हुए एएसआई द्वारा पत्र पर विचार करने में देरी होने पर याचिकाकर्ता को अदालत का दरवाजा खटखटाने की छूट दी।

याचिका में कहा गया है कि एनजीओ और महाराष्ट्र के लोग आगरा के किले से भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं, जहां छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके बेटे को मुगल बादशाह औरंगजेब ने कैद कर रखा था।

याचिकाकर्ता ने अदालत को यह भी बताया कि वह महाराष्ट्र में सामाजिक और धर्मार्थ गतिविधियों में शामिल है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 8 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को महाराष्ट्र स्थित पंजीकृत ट्रस्ट आर.आर. पाटिल फाउंडेशन की याचिका पर शीघ्रता से विचार करने का निर्देश दिया। कार्यक्रम 19 फरवरी को छत्रपति शिवाजी की जयंती पर आगरा के किले में होना है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की एकल न्यायाधीश पीठ आर.आर. पाटिल फाउंडेशन और अजिंक्य देवगिरि प्रतिष्ठान द्वारा एएसआई के पिछले दिसंबर के पत्र के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्हें कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं दी गई है। कार्यक्रम के आयोजन के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने केंद्रीय संस्कृति मंत्री को पत्र लिखा था।

केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि एक निजी संस्था को किसी स्मारक पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

संरक्षित स्मारकों और स्थलों के अंदर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए केवल सरकारी विभागों और सार्वजनिक निकायों को अनुमति देने के लिए 2005 में जारी एएसआई के आधिकारिक ज्ञापन पर ध्यान देने के बाद अदालत ने कहा : चूंकि एएसआई का ओएम और नीति लगभग 18 वर्षो से चलन में है, इसलिए इसे चुनौती नहीं दी जा सकती। यह निर्देश देना उचित समझा जाता है कि यदि याचिकाकर्ता राज्य सरकार के साथ मिलकर कार्यक्रम का सह-आयोजन करना चाहता है, तो वह एएसआई को एक पत्र भेज सकता है, जिस पर शीघ्रता से विचार किया जाएगा।

हालांकि, यहां महाराष्ट्र सरकार इस आयोजन की सह-आयोजक नहीं है। मुख्यमंत्री ने केवल एनजीओ की दलील का समर्थन किया है।

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इसके अलावा, अदालत ने मामले का निस्तारण करते हुए एएसआई द्वारा पत्र पर विचार करने में देरी होने पर याचिकाकर्ता को अदालत का दरवाजा खटखटाने की छूट दी।

याचिका में कहा गया है कि एनजीओ और महाराष्ट्र के लोग आगरा के किले से भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं, जहां छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके बेटे को मुगल बादशाह औरंगजेब ने कैद कर रखा था।

याचिकाकर्ता ने अदालत को यह भी बताया कि वह महाराष्ट्र में सामाजिक और धर्मार्थ गतिविधियों में शामिल है।

–आईएएनएस

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न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की एकल न्यायाधीश पीठ आर.आर. पाटिल फाउंडेशन और अजिंक्य देवगिरि प्रतिष्ठान द्वारा एएसआई के पिछले दिसंबर के पत्र के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्हें कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं दी गई है। कार्यक्रम के आयोजन के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने केंद्रीय संस्कृति मंत्री को पत्र लिखा था।

केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि एक निजी संस्था को किसी स्मारक पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

संरक्षित स्मारकों और स्थलों के अंदर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए केवल सरकारी विभागों और सार्वजनिक निकायों को अनुमति देने के लिए 2005 में जारी एएसआई के आधिकारिक ज्ञापन पर ध्यान देने के बाद अदालत ने कहा : चूंकि एएसआई का ओएम और नीति लगभग 18 वर्षो से चलन में है, इसलिए इसे चुनौती नहीं दी जा सकती। यह निर्देश देना उचित समझा जाता है कि यदि याचिकाकर्ता राज्य सरकार के साथ मिलकर कार्यक्रम का सह-आयोजन करना चाहता है, तो वह एएसआई को एक पत्र भेज सकता है, जिस पर शीघ्रता से विचार किया जाएगा।

हालांकि, यहां महाराष्ट्र सरकार इस आयोजन की सह-आयोजक नहीं है। मुख्यमंत्री ने केवल एनजीओ की दलील का समर्थन किया है।

न्यायमूर्ति सिंह ने केवल इसलिए निर्देश पारित किया, क्योंकि याचिकाकर्ता ने कार्यक्रम के समन्वय के लिए महाराष्ट्र सरकार से संपर्क किया था, जो विचाराधीन है।

इसके अलावा, अदालत ने मामले का निस्तारण करते हुए एएसआई द्वारा पत्र पर विचार करने में देरी होने पर याचिकाकर्ता को अदालत का दरवाजा खटखटाने की छूट दी।

याचिका में कहा गया है कि एनजीओ और महाराष्ट्र के लोग आगरा के किले से भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं, जहां छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके बेटे को मुगल बादशाह औरंगजेब ने कैद कर रखा था।

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संरक्षित स्मारकों और स्थलों के अंदर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए केवल सरकारी विभागों और सार्वजनिक निकायों को अनुमति देने के लिए 2005 में जारी एएसआई के आधिकारिक ज्ञापन पर ध्यान देने के बाद अदालत ने कहा : चूंकि एएसआई का ओएम और नीति लगभग 18 वर्षो से चलन में है, इसलिए इसे चुनौती नहीं दी जा सकती। यह निर्देश देना उचित समझा जाता है कि यदि याचिकाकर्ता राज्य सरकार के साथ मिलकर कार्यक्रम का सह-आयोजन करना चाहता है, तो वह एएसआई को एक पत्र भेज सकता है, जिस पर शीघ्रता से विचार किया जाएगा।

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न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की एकल न्यायाधीश पीठ आर.आर. पाटिल फाउंडेशन और अजिंक्य देवगिरि प्रतिष्ठान द्वारा एएसआई के पिछले दिसंबर के पत्र के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्हें कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं दी गई है। कार्यक्रम के आयोजन के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने केंद्रीय संस्कृति मंत्री को पत्र लिखा था।

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संरक्षित स्मारकों और स्थलों के अंदर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए केवल सरकारी विभागों और सार्वजनिक निकायों को अनुमति देने के लिए 2005 में जारी एएसआई के आधिकारिक ज्ञापन पर ध्यान देने के बाद अदालत ने कहा : चूंकि एएसआई का ओएम और नीति लगभग 18 वर्षो से चलन में है, इसलिए इसे चुनौती नहीं दी जा सकती। यह निर्देश देना उचित समझा जाता है कि यदि याचिकाकर्ता राज्य सरकार के साथ मिलकर कार्यक्रम का सह-आयोजन करना चाहता है, तो वह एएसआई को एक पत्र भेज सकता है, जिस पर शीघ्रता से विचार किया जाएगा।

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