नई दिल्ली, 17 फरवरी (आईएएनएस)। चुनाव आयोग (ईसी) ने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा कि पार्टी का नाम शिवसेना और चुनाव चिह्न् तीर और कमान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट के पास रहेगा।
चुनाव आयोग ने पाया कि शिवसेना का वर्तमान संविधान, जिस पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे दावा कर रहे थे, अलोकतांत्रिक है। आयोग ने शुक्रवार को जारी अपने 78 पन्नों के आदेश में कहा, पार्टी संविधान के परीक्षण को लागू करते हुए, आयोग ने पाया कि जिस पार्टी संविधान पर प्रतिवादी (उद्धव ठाकरे गुट) दावा कर रहे थे, वह अलोकतांत्रिक है।
आयोग ने कहा, जब भी चुनाव हुए या नियुक्तियां की गईं, विभिन्न निकायों के पदाधिकारियों की पूरी सूची आयोग को उपलब्ध नहीं कराई गई। चुनाव आयोग ने पाया कि 2018 में संविधान में संशोधन ने चुनाव आयोग के आग्रह पर दिवंगत बाल ठाकरे द्वारा लाए गए 1999 के पार्टी संविधान में लोकतांत्रिक मानदंडों को पेश करने के कार्य को पूर्ववत कर दिया था।
चुनाव आयोग के आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि शिवसेना के मूल संविधान के अलोकतांत्रिक मानदंड, जिसे 1999 में आयोग द्वारा स्वीकार नहीं किया गया था, को गुप्त तरीके से वापस लाया गया है, जिससे पार्टी निजी जागीर के समान हो गई है। चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा- भारत के विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने और इसके राजनीतिक क्षेत्र में कुछ पार्टियों द्वारा कब्जा किए जाने का विरोधाभास, जिन्हें जागीर माना जा रहा है, अलग हो रहा है। वास्तव में कार्यशील लोकतंत्र के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि प्रमुख हितधारकों में से एक, जो राजनीतिक दल हैं, लोकतांत्रिक तरीके से चलाए जाए और बदले में यह तभी सुनिश्चित किया जा सकता है जब उनके द्वारा अपनाया जा रहा संविधान कुछ लोगों के हाथों में सत्ता की एकाग्रता की अनुमति नहीं देता है।
चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि बाला साहेबंची शिवसेना का नाम और दो तलवार और ढाल का प्रतीक, जो अंतरिम आदेश के माध्यम से याचिकाकर्ता को आवंटित किया गया था, अब तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाएगा।
–आईएएनएस
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