नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने डॉक्टर पारस खन्ना को दहेज संबंधी आत्महत्या के आरोप से बरी कर दिया है। एक दशक पहले उनकी पत्नी वर्णिका ने अगस्त 2013 में एम्स परिसर में जान दे दी थी।
अदालत ने फैसला सुनाया कि अभियोजन पक्ष उत्पीड़न के कारण आत्महत्या के आरोपों को साबित करने में विफल रहा। वर्णिका के पिता द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि उनकी बेटी को नवंबर 2012 में शादी के बाद से उसके पति और ससुराल वालों द्वारा दहेज उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल पाहुजा ने कहा: “अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा है कि मृतका को उसके जीवनकाल के दौरान आरोपी द्वारा परेशान किया गया था, जिसके कारण उसने आत्महत्या कर ली।”
अदालत ने कहा कि उपलब्ध साक्ष्य आरोपी को संदेह के लाभ का हकदार बनाते हैं। इसमें कहा गया है कि मृतका द्वारा छोड़े गए लेखों और पत्रों से पता चलता है कि उसे अपने पति से कोई शिकायत नहीं थी और उसके निधन से पहले उसने उससे स्नेह के संकेत दिखाए थे।
अदालत ने वर्णिका के व्यक्तिगत लेखन, विशेष रूप से उसकी डायरी की जांच की, जिसमें उसकी शादी से पहले किसी और के प्रति उसके गहरे लगाव और अपने अतीत को भूलने में असमर्थता का संकेत मिलता है। अदालत ने अनुमान लगाया कि वह अपनी या दूसरों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरने के कारण अपराधबोध की भावना से बोझिल हो गई होगी, जो संभवतः उसकी नाजुक मानसिक स्थिति के लिए जिम्मेदार है।
इन निष्कर्षों के आलोक में, अदालत ने फैसला सुनाया कि परिस्थितियां खन्ना के अपराध की ओर इशारा नहीं करतीं। इसलिए, खन्ना को मामले में सभी आरोपों से बरी कर दिया गया।
–आईएएनएस
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