नई दिल्ली, 5 मई (आईएएनएस)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को इटली के शहर मिलान में 58वीं एडीबी वार्षिक बैठक के मौके पर इटली के वित्त मंत्री जियानकार्लो जियोर्जेटी से मुलाकात की। उन्होंने भारत-इटली आर्थिक संबंधों को मजबूत करने और आपसी हितों के मुद्दों पर वैश्विक और बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।
बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी द्वारा नवंबर 2024 में घोषित संयुक्त रणनीतिक कार्य योजना 2025-2029 के कार्यान्वयन पर प्रकाश डाला गया, जो प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग को गहराई और गति प्रदान करेगा।
वित्त मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “वित्त वर्ष 2023-24 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 14.56 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अक्षय ऊर्जा, डिजिटल प्रौद्योगिकियों, कृषि-खाद्य प्रसंस्करण और उच्च-स्तरीय विनिर्माण में अपार संभावनाओं पर जोर दिया और इटली की कंपनियों को भारत सरकार की पीएलआई (प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन) योजनाओं के माध्यम से ‘मेक इन इंडिया’ के लिए आमंत्रित किया।”
वित्त मंत्री ने आधार, यूपीआई और डिजीलॉकर जैसे डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) प्लेटफॉर्म के साथ देश की सफलता को साझा किया और अभिनव फिनटेक समाधानों पर सहयोग का प्रस्ताव दिया। दोनों वित्त मंत्रियों ने बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) में सुधार के महत्व पर चर्चा की ताकि उन्हें विकासशील देशों की जरूरतों के प्रति अधिक उत्तरदायी बनाया जा सके, पर्याप्त रूप से पूंजीकृत किया जा सके और एसडीजी के साथ बेहतर ढंग से अलाइन किया जा सके।
वित्त मंत्री सीतारमण ने ग्रीन हाइड्रोजन, कार्बन कैप्चर, ऊर्जा दक्षता और सर्कुलर अर्थव्यवस्था में सह-वित्तपोषण मॉडल और सहयोग को रेखांकित किया और कहा कि दोनों देश वैश्विक बाजारों के लिए समाधान विकसित करने के लिए अपनी ताकत का लाभ उठा सकते हैं, जिससे हमारी जलवायु प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ाया जा सके।
भारतीय वित्त मंत्री ने जापान के वित्त मंत्री काट्सुनोबु काटो से भी मुलाकात की और दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी पर चर्चा की।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि लोकतंत्र और कानून के शासन के साझा मूल्यों पर आधारित भारत-जापान साझेदारी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है।
–आईएएनएस
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