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Home राष्ट्रीय

एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, गौतम नवलखा की नजरबंदी तमाशा बनकर रह गई है

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May 15, 2023
in राष्ट्रीय
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एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, गौतम नवलखा की नजरबंदी तमाशा बनकर रह गई है
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नई दिल्ली, 15 मई (आईएएनएस)। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को मानवाधिकार कार्यकर्ता और भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी मुंबई में नजरबंद गौतम नवलखा की याचिका का विरोध किया, जिसमें महाराष्ट्र के अलीबाग इलाके के एक घर में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।

एनआईए और महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ से कहा कि अलीबाग का वह घर, जहां नवलखा शिफ्ट होना चाहते हैं, ट्रायल कोर्ट से 110 किमी दूर है और उन्हें कोर्ट ले जाने में सात घंटे से ज्यादा समय लगेगा और फिर वापस उनके आवास पर ले जाने में उतना ही समय लगेगा।

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नवलखा के वकील ने कहा कि अलीबाग उसी जिले में है, जहां तलोजा जेल है, जहां उन्हें दूरी के विवाद पर सवाल उठाते हुए रखा गया था।

नवलखा की याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए राजू ने खंडपीठ में शामिल न्यायमूर्ति बी.वी.नागरत्ना के समक्ष तर्क दिया कि अलीबाग इलाके में नवलखा का घर एक आवासीय क्षेत्र में स्थित है, जहां घेराबंदी करना बहुत मुश्किल है। उन्होंने कहा, सुरक्षा पहलू को ध्यान में रखते हुए यह संभव नहीं है।

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि नवलखा द्वारा हाउस अरेस्ट के लिए मैदान लिया जाना एक तमाशा था। उन्होंने कहा कि नवलखा ने अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव का हवाला देते हुए अदालत से स्वास्थ्य आधार पर उन्हें जेल से हाउस अरेस्ट में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। वहीं, राजू ने कहा कि जिस क्षेत्र में वह शिफ्ट होना चाहते हैं, वहां कोई सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल नहीं है।

नवलखा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने राजू की दलील का जोरदार विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि वे निश्चित रूप से जांच एजेंसी के साथ उस क्षेत्र के बारे में चर्चा कर सकते हैं, जहां उनके मुवक्किल को घर में नजरबंद रखा जा सकता है।

दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने राजू को एजेंसी की आपत्ति को रिकॉर्ड पर लाने के लिए कहा और मामले को अगस्त में आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 10 नवंबर को नवलखा को उनके बिगड़ते स्वास्थ्य पर विचार करने के बाद नजरबंद करने की अनुमति दी थी और उन्हें 14 नवंबर तक 2 लाख रुपये की स्थानीय जमानत देने के लिए भी कहा था।

इस साल 28 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने नवलखा को उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मियों को उपलब्ध कराने के लिए आठ लाख रुपये और जमा करने का निर्देश दिया था।

पिछले साल 29 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने तलोजा जेल अधीक्षक को नवलखा को तुरंत इलाज के लिए मुंबई के जसलोक अस्पताल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था।

नवलखा ने अप्रैल में पारित बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया, जिसमें तलोजा जेल से स्थानांतरित किए जाने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया और इसके बजाय उन्हें नजरबंद कर दिया गया। अगस्त 2018 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था और शुरू में घर में नजरबंद रखा गया था। अप्रैल 2020 में शीर्ष अदालत के एक आदेश के बाद उन्हें महाराष्ट्र के तलोजा केंद्रीय कारागार में स्थानांतरित कर दिया गया।

–आईएएनएस

एसजीके

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नई दिल्ली, 15 मई (आईएएनएस)। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को मानवाधिकार कार्यकर्ता और भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी मुंबई में नजरबंद गौतम नवलखा की याचिका का विरोध किया, जिसमें महाराष्ट्र के अलीबाग इलाके के एक घर में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।

एनआईए और महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ से कहा कि अलीबाग का वह घर, जहां नवलखा शिफ्ट होना चाहते हैं, ट्रायल कोर्ट से 110 किमी दूर है और उन्हें कोर्ट ले जाने में सात घंटे से ज्यादा समय लगेगा और फिर वापस उनके आवास पर ले जाने में उतना ही समय लगेगा।

नवलखा के वकील ने कहा कि अलीबाग उसी जिले में है, जहां तलोजा जेल है, जहां उन्हें दूरी के विवाद पर सवाल उठाते हुए रखा गया था।

नवलखा की याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए राजू ने खंडपीठ में शामिल न्यायमूर्ति बी.वी.नागरत्ना के समक्ष तर्क दिया कि अलीबाग इलाके में नवलखा का घर एक आवासीय क्षेत्र में स्थित है, जहां घेराबंदी करना बहुत मुश्किल है। उन्होंने कहा, सुरक्षा पहलू को ध्यान में रखते हुए यह संभव नहीं है।

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि नवलखा द्वारा हाउस अरेस्ट के लिए मैदान लिया जाना एक तमाशा था। उन्होंने कहा कि नवलखा ने अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव का हवाला देते हुए अदालत से स्वास्थ्य आधार पर उन्हें जेल से हाउस अरेस्ट में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। वहीं, राजू ने कहा कि जिस क्षेत्र में वह शिफ्ट होना चाहते हैं, वहां कोई सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल नहीं है।

नवलखा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने राजू की दलील का जोरदार विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि वे निश्चित रूप से जांच एजेंसी के साथ उस क्षेत्र के बारे में चर्चा कर सकते हैं, जहां उनके मुवक्किल को घर में नजरबंद रखा जा सकता है।

दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने राजू को एजेंसी की आपत्ति को रिकॉर्ड पर लाने के लिए कहा और मामले को अगस्त में आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 10 नवंबर को नवलखा को उनके बिगड़ते स्वास्थ्य पर विचार करने के बाद नजरबंद करने की अनुमति दी थी और उन्हें 14 नवंबर तक 2 लाख रुपये की स्थानीय जमानत देने के लिए भी कहा था।

इस साल 28 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने नवलखा को उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मियों को उपलब्ध कराने के लिए आठ लाख रुपये और जमा करने का निर्देश दिया था।

पिछले साल 29 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने तलोजा जेल अधीक्षक को नवलखा को तुरंत इलाज के लिए मुंबई के जसलोक अस्पताल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था।

नवलखा ने अप्रैल में पारित बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया, जिसमें तलोजा जेल से स्थानांतरित किए जाने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया और इसके बजाय उन्हें नजरबंद कर दिया गया। अगस्त 2018 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था और शुरू में घर में नजरबंद रखा गया था। अप्रैल 2020 में शीर्ष अदालत के एक आदेश के बाद उन्हें महाराष्ट्र के तलोजा केंद्रीय कारागार में स्थानांतरित कर दिया गया।

–आईएएनएस

एसजीके

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नई दिल्ली, 15 मई (आईएएनएस)। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को मानवाधिकार कार्यकर्ता और भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी मुंबई में नजरबंद गौतम नवलखा की याचिका का विरोध किया, जिसमें महाराष्ट्र के अलीबाग इलाके के एक घर में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।

एनआईए और महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ से कहा कि अलीबाग का वह घर, जहां नवलखा शिफ्ट होना चाहते हैं, ट्रायल कोर्ट से 110 किमी दूर है और उन्हें कोर्ट ले जाने में सात घंटे से ज्यादा समय लगेगा और फिर वापस उनके आवास पर ले जाने में उतना ही समय लगेगा।

नवलखा के वकील ने कहा कि अलीबाग उसी जिले में है, जहां तलोजा जेल है, जहां उन्हें दूरी के विवाद पर सवाल उठाते हुए रखा गया था।

नवलखा की याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए राजू ने खंडपीठ में शामिल न्यायमूर्ति बी.वी.नागरत्ना के समक्ष तर्क दिया कि अलीबाग इलाके में नवलखा का घर एक आवासीय क्षेत्र में स्थित है, जहां घेराबंदी करना बहुत मुश्किल है। उन्होंने कहा, सुरक्षा पहलू को ध्यान में रखते हुए यह संभव नहीं है।

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि नवलखा द्वारा हाउस अरेस्ट के लिए मैदान लिया जाना एक तमाशा था। उन्होंने कहा कि नवलखा ने अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव का हवाला देते हुए अदालत से स्वास्थ्य आधार पर उन्हें जेल से हाउस अरेस्ट में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। वहीं, राजू ने कहा कि जिस क्षेत्र में वह शिफ्ट होना चाहते हैं, वहां कोई सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल नहीं है।

नवलखा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने राजू की दलील का जोरदार विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि वे निश्चित रूप से जांच एजेंसी के साथ उस क्षेत्र के बारे में चर्चा कर सकते हैं, जहां उनके मुवक्किल को घर में नजरबंद रखा जा सकता है।

दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने राजू को एजेंसी की आपत्ति को रिकॉर्ड पर लाने के लिए कहा और मामले को अगस्त में आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 10 नवंबर को नवलखा को उनके बिगड़ते स्वास्थ्य पर विचार करने के बाद नजरबंद करने की अनुमति दी थी और उन्हें 14 नवंबर तक 2 लाख रुपये की स्थानीय जमानत देने के लिए भी कहा था।

इस साल 28 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने नवलखा को उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मियों को उपलब्ध कराने के लिए आठ लाख रुपये और जमा करने का निर्देश दिया था।

पिछले साल 29 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने तलोजा जेल अधीक्षक को नवलखा को तुरंत इलाज के लिए मुंबई के जसलोक अस्पताल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था।

नवलखा ने अप्रैल में पारित बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया, जिसमें तलोजा जेल से स्थानांतरित किए जाने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया और इसके बजाय उन्हें नजरबंद कर दिया गया। अगस्त 2018 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था और शुरू में घर में नजरबंद रखा गया था। अप्रैल 2020 में शीर्ष अदालत के एक आदेश के बाद उन्हें महाराष्ट्र के तलोजा केंद्रीय कारागार में स्थानांतरित कर दिया गया।

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एनआईए और महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ से कहा कि अलीबाग का वह घर, जहां नवलखा शिफ्ट होना चाहते हैं, ट्रायल कोर्ट से 110 किमी दूर है और उन्हें कोर्ट ले जाने में सात घंटे से ज्यादा समय लगेगा और फिर वापस उनके आवास पर ले जाने में उतना ही समय लगेगा।

नवलखा के वकील ने कहा कि अलीबाग उसी जिले में है, जहां तलोजा जेल है, जहां उन्हें दूरी के विवाद पर सवाल उठाते हुए रखा गया था।

नवलखा की याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए राजू ने खंडपीठ में शामिल न्यायमूर्ति बी.वी.नागरत्ना के समक्ष तर्क दिया कि अलीबाग इलाके में नवलखा का घर एक आवासीय क्षेत्र में स्थित है, जहां घेराबंदी करना बहुत मुश्किल है। उन्होंने कहा, सुरक्षा पहलू को ध्यान में रखते हुए यह संभव नहीं है।

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि नवलखा द्वारा हाउस अरेस्ट के लिए मैदान लिया जाना एक तमाशा था। उन्होंने कहा कि नवलखा ने अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव का हवाला देते हुए अदालत से स्वास्थ्य आधार पर उन्हें जेल से हाउस अरेस्ट में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। वहीं, राजू ने कहा कि जिस क्षेत्र में वह शिफ्ट होना चाहते हैं, वहां कोई सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल नहीं है।

नवलखा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने राजू की दलील का जोरदार विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि वे निश्चित रूप से जांच एजेंसी के साथ उस क्षेत्र के बारे में चर्चा कर सकते हैं, जहां उनके मुवक्किल को घर में नजरबंद रखा जा सकता है।

दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने राजू को एजेंसी की आपत्ति को रिकॉर्ड पर लाने के लिए कहा और मामले को अगस्त में आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 10 नवंबर को नवलखा को उनके बिगड़ते स्वास्थ्य पर विचार करने के बाद नजरबंद करने की अनुमति दी थी और उन्हें 14 नवंबर तक 2 लाख रुपये की स्थानीय जमानत देने के लिए भी कहा था।

इस साल 28 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने नवलखा को उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मियों को उपलब्ध कराने के लिए आठ लाख रुपये और जमा करने का निर्देश दिया था।

पिछले साल 29 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने तलोजा जेल अधीक्षक को नवलखा को तुरंत इलाज के लिए मुंबई के जसलोक अस्पताल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था।

नवलखा ने अप्रैल में पारित बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया, जिसमें तलोजा जेल से स्थानांतरित किए जाने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया और इसके बजाय उन्हें नजरबंद कर दिया गया। अगस्त 2018 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था और शुरू में घर में नजरबंद रखा गया था। अप्रैल 2020 में शीर्ष अदालत के एक आदेश के बाद उन्हें महाराष्ट्र के तलोजा केंद्रीय कारागार में स्थानांतरित कर दिया गया।

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एनआईए और महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ से कहा कि अलीबाग का वह घर, जहां नवलखा शिफ्ट होना चाहते हैं, ट्रायल कोर्ट से 110 किमी दूर है और उन्हें कोर्ट ले जाने में सात घंटे से ज्यादा समय लगेगा और फिर वापस उनके आवास पर ले जाने में उतना ही समय लगेगा।

नवलखा के वकील ने कहा कि अलीबाग उसी जिले में है, जहां तलोजा जेल है, जहां उन्हें दूरी के विवाद पर सवाल उठाते हुए रखा गया था।

नवलखा की याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए राजू ने खंडपीठ में शामिल न्यायमूर्ति बी.वी.नागरत्ना के समक्ष तर्क दिया कि अलीबाग इलाके में नवलखा का घर एक आवासीय क्षेत्र में स्थित है, जहां घेराबंदी करना बहुत मुश्किल है। उन्होंने कहा, सुरक्षा पहलू को ध्यान में रखते हुए यह संभव नहीं है।

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि नवलखा द्वारा हाउस अरेस्ट के लिए मैदान लिया जाना एक तमाशा था। उन्होंने कहा कि नवलखा ने अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव का हवाला देते हुए अदालत से स्वास्थ्य आधार पर उन्हें जेल से हाउस अरेस्ट में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। वहीं, राजू ने कहा कि जिस क्षेत्र में वह शिफ्ट होना चाहते हैं, वहां कोई सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल नहीं है।

नवलखा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने राजू की दलील का जोरदार विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि वे निश्चित रूप से जांच एजेंसी के साथ उस क्षेत्र के बारे में चर्चा कर सकते हैं, जहां उनके मुवक्किल को घर में नजरबंद रखा जा सकता है।

दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने राजू को एजेंसी की आपत्ति को रिकॉर्ड पर लाने के लिए कहा और मामले को अगस्त में आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 10 नवंबर को नवलखा को उनके बिगड़ते स्वास्थ्य पर विचार करने के बाद नजरबंद करने की अनुमति दी थी और उन्हें 14 नवंबर तक 2 लाख रुपये की स्थानीय जमानत देने के लिए भी कहा था।

इस साल 28 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने नवलखा को उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मियों को उपलब्ध कराने के लिए आठ लाख रुपये और जमा करने का निर्देश दिया था।

पिछले साल 29 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने तलोजा जेल अधीक्षक को नवलखा को तुरंत इलाज के लिए मुंबई के जसलोक अस्पताल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था।

नवलखा ने अप्रैल में पारित बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया, जिसमें तलोजा जेल से स्थानांतरित किए जाने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया और इसके बजाय उन्हें नजरबंद कर दिया गया। अगस्त 2018 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था और शुरू में घर में नजरबंद रखा गया था। अप्रैल 2020 में शीर्ष अदालत के एक आदेश के बाद उन्हें महाराष्ट्र के तलोजा केंद्रीय कारागार में स्थानांतरित कर दिया गया।

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एनआईए और महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ से कहा कि अलीबाग का वह घर, जहां नवलखा शिफ्ट होना चाहते हैं, ट्रायल कोर्ट से 110 किमी दूर है और उन्हें कोर्ट ले जाने में सात घंटे से ज्यादा समय लगेगा और फिर वापस उनके आवास पर ले जाने में उतना ही समय लगेगा।

नवलखा के वकील ने कहा कि अलीबाग उसी जिले में है, जहां तलोजा जेल है, जहां उन्हें दूरी के विवाद पर सवाल उठाते हुए रखा गया था।

नवलखा की याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए राजू ने खंडपीठ में शामिल न्यायमूर्ति बी.वी.नागरत्ना के समक्ष तर्क दिया कि अलीबाग इलाके में नवलखा का घर एक आवासीय क्षेत्र में स्थित है, जहां घेराबंदी करना बहुत मुश्किल है। उन्होंने कहा, सुरक्षा पहलू को ध्यान में रखते हुए यह संभव नहीं है।

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि नवलखा द्वारा हाउस अरेस्ट के लिए मैदान लिया जाना एक तमाशा था। उन्होंने कहा कि नवलखा ने अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव का हवाला देते हुए अदालत से स्वास्थ्य आधार पर उन्हें जेल से हाउस अरेस्ट में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। वहीं, राजू ने कहा कि जिस क्षेत्र में वह शिफ्ट होना चाहते हैं, वहां कोई सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल नहीं है।

नवलखा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने राजू की दलील का जोरदार विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि वे निश्चित रूप से जांच एजेंसी के साथ उस क्षेत्र के बारे में चर्चा कर सकते हैं, जहां उनके मुवक्किल को घर में नजरबंद रखा जा सकता है।

दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने राजू को एजेंसी की आपत्ति को रिकॉर्ड पर लाने के लिए कहा और मामले को अगस्त में आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 10 नवंबर को नवलखा को उनके बिगड़ते स्वास्थ्य पर विचार करने के बाद नजरबंद करने की अनुमति दी थी और उन्हें 14 नवंबर तक 2 लाख रुपये की स्थानीय जमानत देने के लिए भी कहा था।

इस साल 28 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने नवलखा को उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मियों को उपलब्ध कराने के लिए आठ लाख रुपये और जमा करने का निर्देश दिया था।

पिछले साल 29 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने तलोजा जेल अधीक्षक को नवलखा को तुरंत इलाज के लिए मुंबई के जसलोक अस्पताल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था।

नवलखा ने अप्रैल में पारित बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया, जिसमें तलोजा जेल से स्थानांतरित किए जाने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया और इसके बजाय उन्हें नजरबंद कर दिया गया। अगस्त 2018 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था और शुरू में घर में नजरबंद रखा गया था। अप्रैल 2020 में शीर्ष अदालत के एक आदेश के बाद उन्हें महाराष्ट्र के तलोजा केंद्रीय कारागार में स्थानांतरित कर दिया गया।

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एनआईए और महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ से कहा कि अलीबाग का वह घर, जहां नवलखा शिफ्ट होना चाहते हैं, ट्रायल कोर्ट से 110 किमी दूर है और उन्हें कोर्ट ले जाने में सात घंटे से ज्यादा समय लगेगा और फिर वापस उनके आवास पर ले जाने में उतना ही समय लगेगा।

नवलखा के वकील ने कहा कि अलीबाग उसी जिले में है, जहां तलोजा जेल है, जहां उन्हें दूरी के विवाद पर सवाल उठाते हुए रखा गया था।

नवलखा की याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए राजू ने खंडपीठ में शामिल न्यायमूर्ति बी.वी.नागरत्ना के समक्ष तर्क दिया कि अलीबाग इलाके में नवलखा का घर एक आवासीय क्षेत्र में स्थित है, जहां घेराबंदी करना बहुत मुश्किल है। उन्होंने कहा, सुरक्षा पहलू को ध्यान में रखते हुए यह संभव नहीं है।

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि नवलखा द्वारा हाउस अरेस्ट के लिए मैदान लिया जाना एक तमाशा था। उन्होंने कहा कि नवलखा ने अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव का हवाला देते हुए अदालत से स्वास्थ्य आधार पर उन्हें जेल से हाउस अरेस्ट में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। वहीं, राजू ने कहा कि जिस क्षेत्र में वह शिफ्ट होना चाहते हैं, वहां कोई सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल नहीं है।

नवलखा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने राजू की दलील का जोरदार विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि वे निश्चित रूप से जांच एजेंसी के साथ उस क्षेत्र के बारे में चर्चा कर सकते हैं, जहां उनके मुवक्किल को घर में नजरबंद रखा जा सकता है।

दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने राजू को एजेंसी की आपत्ति को रिकॉर्ड पर लाने के लिए कहा और मामले को अगस्त में आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 10 नवंबर को नवलखा को उनके बिगड़ते स्वास्थ्य पर विचार करने के बाद नजरबंद करने की अनुमति दी थी और उन्हें 14 नवंबर तक 2 लाख रुपये की स्थानीय जमानत देने के लिए भी कहा था।

इस साल 28 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने नवलखा को उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मियों को उपलब्ध कराने के लिए आठ लाख रुपये और जमा करने का निर्देश दिया था।

पिछले साल 29 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने तलोजा जेल अधीक्षक को नवलखा को तुरंत इलाज के लिए मुंबई के जसलोक अस्पताल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था।

नवलखा ने अप्रैल में पारित बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया, जिसमें तलोजा जेल से स्थानांतरित किए जाने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया और इसके बजाय उन्हें नजरबंद कर दिया गया। अगस्त 2018 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था और शुरू में घर में नजरबंद रखा गया था। अप्रैल 2020 में शीर्ष अदालत के एक आदेश के बाद उन्हें महाराष्ट्र के तलोजा केंद्रीय कारागार में स्थानांतरित कर दिया गया।

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एनआईए और महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ से कहा कि अलीबाग का वह घर, जहां नवलखा शिफ्ट होना चाहते हैं, ट्रायल कोर्ट से 110 किमी दूर है और उन्हें कोर्ट ले जाने में सात घंटे से ज्यादा समय लगेगा और फिर वापस उनके आवास पर ले जाने में उतना ही समय लगेगा।

नवलखा के वकील ने कहा कि अलीबाग उसी जिले में है, जहां तलोजा जेल है, जहां उन्हें दूरी के विवाद पर सवाल उठाते हुए रखा गया था।

नवलखा की याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए राजू ने खंडपीठ में शामिल न्यायमूर्ति बी.वी.नागरत्ना के समक्ष तर्क दिया कि अलीबाग इलाके में नवलखा का घर एक आवासीय क्षेत्र में स्थित है, जहां घेराबंदी करना बहुत मुश्किल है। उन्होंने कहा, सुरक्षा पहलू को ध्यान में रखते हुए यह संभव नहीं है।

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि नवलखा द्वारा हाउस अरेस्ट के लिए मैदान लिया जाना एक तमाशा था। उन्होंने कहा कि नवलखा ने अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव का हवाला देते हुए अदालत से स्वास्थ्य आधार पर उन्हें जेल से हाउस अरेस्ट में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। वहीं, राजू ने कहा कि जिस क्षेत्र में वह शिफ्ट होना चाहते हैं, वहां कोई सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल नहीं है।

नवलखा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने राजू की दलील का जोरदार विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि वे निश्चित रूप से जांच एजेंसी के साथ उस क्षेत्र के बारे में चर्चा कर सकते हैं, जहां उनके मुवक्किल को घर में नजरबंद रखा जा सकता है।

दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने राजू को एजेंसी की आपत्ति को रिकॉर्ड पर लाने के लिए कहा और मामले को अगस्त में आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 10 नवंबर को नवलखा को उनके बिगड़ते स्वास्थ्य पर विचार करने के बाद नजरबंद करने की अनुमति दी थी और उन्हें 14 नवंबर तक 2 लाख रुपये की स्थानीय जमानत देने के लिए भी कहा था।

इस साल 28 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने नवलखा को उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मियों को उपलब्ध कराने के लिए आठ लाख रुपये और जमा करने का निर्देश दिया था।

पिछले साल 29 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने तलोजा जेल अधीक्षक को नवलखा को तुरंत इलाज के लिए मुंबई के जसलोक अस्पताल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था।

नवलखा ने अप्रैल में पारित बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया, जिसमें तलोजा जेल से स्थानांतरित किए जाने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया और इसके बजाय उन्हें नजरबंद कर दिया गया। अगस्त 2018 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था और शुरू में घर में नजरबंद रखा गया था। अप्रैल 2020 में शीर्ष अदालत के एक आदेश के बाद उन्हें महाराष्ट्र के तलोजा केंद्रीय कारागार में स्थानांतरित कर दिया गया।

–आईएएनएस

एसजीके

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