गुवाहाटी, 22 मार्च (आईएएनएस)। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) ने रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के साथ एआई-आधारित घुसपैठ जांच प्रणाली (आईडीएस) की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं, ताकि रेलवे ट्रैक पर ट्रेन-हाथी की टक्कर को रोका जा सके। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
एनएफआर के सीपीआरओ सब्यसाची डे ने आईएएनएस को बताया, हम ट्रैक पर आने वाले जंगली जानवरों, खासकर हाथियों की आवाजाही को रोकने और उनका पता लगाने के लिए कई पहल कर रहे हैं। महत्वपूर्ण खंडों में आईडीएस की स्थापना उनमें से एक है।
समझौता ज्ञापन पर सोमवार को गुवाहाटी के मालीगांव में एनएफआर के महाप्रबंधक अंशुल गुप्ता और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।
रेलवे अधिकारी ने कहा, आईडीएस पर पायलट परियोजना की सफलता के बाद, जो पश्चिम बंगाल में अलीपुरद्वार डिवीजन के तहत डुआर्स क्षेत्र के चलसा-हसीमारा खंड और असम में लुमडिंग डिवीजन के तहत लंका-हवाईपुर खंड में शुरू की गई थी, अब धीरे-धीरे प्रणाली को स्थापित करने का निर्णय लिया गया है।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह प्रणाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर आधारित है और मौजूदा ऑप्टिकल फाइबर का इस्तेमाल स्थानों पर जंगली जानवरों की गतिविधियों की पहचान करने और नियंत्रण कार्यालयों, स्टेशन मास्टर, गेटमैन और लोको पायलटों को सतर्क करने के लिए सेंसर के रूप में किया जाएगा।
यह रेलवे ट्रैक पर हाथियों की वास्तविक समय उपस्थिति को समझने के लिए डायलिसिस स्कैटरिंग घटना के सिद्धांत पर काम कर रहे फाइबर ऑप्टिक-आधारित ध्वनिक प्रणाली का उपयोग करता है।
बयान में कहा गया है, एआई-आधारित सॉफ्टवेयर 60 किलोमीटर की दूरी तक असामान्य आंदोलनों की निगरानी कर सकता है। इसके अलावा, आईडीएस रेल फ्रैक्चर का पता लगाने, रेलवे ट्रैक पर अतिक्रमण करने और रेलवे पटरियों के पास अनधिकृत खुदाई के कारण पटरियों आदि के पास भूस्खलन जैसे आपदा के बारे में चेतावनी देने में भी मदद करेगा।
रेलवे अधिकारी ने यह भी कहा कि पायलट प्रोजेक्ट पहले ही रेलवे ट्रैक की ओर आ रहे कई हाथियों की जान ट्रेनों की चपेट में आने से बचाने में सफल रहा है।
–आईएएनएस
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