नई दिल्ली, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। पिछले पांच वर्षो के दौरान एनएसई द्वारा कुल 32 ब्रोकरों को डिफॉल्टर घोषित किया गया है। संसद में सोमवार को यह जानकारी दी गई।
वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने एक लिखित उत्तर में लोकसभा को बताया कि बाजार नियामक सेबी, एक्सचेंजों के साथ कुछ मानदंडों के आधार पर दलालों का नियमित निरीक्षण करता है और एक्सचेंजों के नियमों और उपनियमों के अनुसार कार्रवाई करता है।
उन्होंने बताया कि सेबी के 22 नवंबर, 2019 और 24 नवंबर, 2020 के आदेशों के अनुसार, लगभग 2,000 करोड़ रुपये की प्रतिभूतियां और 82,559 ग्राहकों से संबंधित कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड (केएसबीएल) के पूरी तरह से भुगतान किए गए ग्राहकों को स्थानांतरित कर दी गईं।
चौधरी ने कहा कि एनएसई और बीएसई ने 2 दिसंबर, 2019 से केएसबीएल के ट्रेडिंग टर्मिनलों को निलंबित कर दिया है और 23 नवंबर, 2020 को इसे डिफॉल्टर घोषित कर दिया है। इसके अलावा, फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के निष्कर्षो और एनएसई की टिप्पणियों के आधार पर सेबी ने प्रवर्तन कार्रवाई शुरू की है। जवाब में कहा गया कि केएसबीएल, उसके निदेशकों, उसके सीईओ और केएसबीएल की दो समूह कंपनियों के खिलाफ संबंधित विनियमों के तहत कार्रवाई शुरू की गई है।
उन्होंने कहा कि एनएसई निवेशकों के दावों का निपटारा अपने उप-नियमों के अनुसार कर रहा है। 20 मार्च, 2023 तक एनएसई के निवेशक सुरक्षा कोष (आईपीएफ) से 34,497 ग्राहकों को 414.24 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया है। एनएसई ने अन्य एमआईआई के साथ केएसबीएल के म्यूचुअल फंड वितरण व्यवसाय का भी मुद्रीकरण किया है और लगभग 150 करोड़ रुपये की धनराशि का एहसास हुआ है और इसका उपयोग केएसबीएल के ग्राहकों को वितरण के लिए किया जा रहा है।
–आईएएनएस
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