नई दिल्ली, 22 मार्च (आईएएनएस)। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने एक संयुक्त समिति को निर्देश दिया है कि वह दिल्ली, जयपुर और मुंबई मेट्रो रेल के निर्माण के दौरान पानी को बर्बाद होने से बचाए और उसका सदुपयोग सुनिश्चित करने के लिए और एक कार्य योजना तैयार कर सुधारात्मक कदम उठाए।
अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल (सेवानिवृत्त), न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. सेंथिल वेल की प्रधान पीठ मेट्रो रेल के निर्माण के दौरान उपरोक्त तीन शहरों में पानी की बर्बादी के बारे में दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी।
आवेदक ने एनजीटी को बताया, पानी का निर्वहन राष्ट्रीय जल नीति, 2012, 2019 में शुरू किए गए जल शक्ति अभियान, जल संरक्षण के लिए सभी सरपंचों से प्रधानमंत्री की अपील और जल संरक्षण की आवश्यकता वाले सतत विकास के सिद्धांत सहित सरकारी नीतियों के खिलाफ है।
ट्रिब्यूनल ने आवेदन पर ध्यान दिया और स्थिति की जांच करने और उचित सुधारात्मक कार्रवाई करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय, सीपीसीबी और मेट्रो रेल निगमों के सचिव से बनी एक संयुक्त समिति को निर्देश दिया।
समिति को एक सप्ताह के भीतर बुलाने, संबंधित हितधारकों और अधिकारियों के साथ बातचीत करने और स्थिति के वास्तविक तथ्यों के आधार पर एक कार्य योजना विकसित करने और लागू करने के निर्देश दिए गए।
इसे पानी के सदुपयोग की गारंटी के लिए उपयुक्त एसओपी विकसित करने और वर्षाजल एकत्र करने के लिए वर्षाजल संचयन प्रणाली (आरडब्ल्यूएचएस) के निर्माण का काम भी सौंपा गया था।
–आईएएनएस
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