deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home राष्ट्रीय

एनडीए के विस्तार अभियान में जुटी भाजपा लेकिन अकाली दल को लेकर दुविधा बरकरार

by
June 11, 2023
in राष्ट्रीय
0
एनडीए के विस्तार अभियान में जुटी भाजपा लेकिन अकाली दल को लेकर दुविधा बरकरार
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)। 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव को देखते हुए भाजपा और विपक्षी दल दोनों अपने-अपने खेमे को मजबूत करने में जुट गए हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश के कई विपक्षी दलों को कांग्रेस के साथ खड़े होने के लिए मना लेने के बाद पटना में एक बड़ी बैठक करने जा रहे हैं तो वहीं भाजपा भी पार्टी के साथ-साथ अपने गठबंधन एनडीए के विस्तार अभियान में भी जुट गई है।

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने पुराने सहयोगी तेलुगूदेशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू से भी मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि अगर भाजपा और टीडीपी के बीच में कुछ मुद्दों पर सहमति बन जाती है तो भाजपा की पुरानी सहयोगी फिर से एनडीए के खेमे में वापस आ सकती है और भाजपा आंध्र प्रदेश के साथ-साथ तेलंगाना में भी टीडीपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ सकती है।

READ ALSO

पाकिस्तान का साथ देना तुर्की को भारी पड़ेगा, आतंकवाद के समर्थकों से व्यापार नहीं : नरेंद्र कश्यप

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को मिला इजरायल का साथ, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए दी बधाई

भाजपा के एक और पुराने सहयोगी शिवसेना का एक बड़ा धड़ा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पहले ही भाजपा के साथ आ चुका है और दोनों मिलकर महाराष्ट्र में सरकार चला रहे हैं। हाल ही में एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात की थी और उसमें यह तय किया गया था कि दोनों ही दल आगामी चुनावों में मिलकर लड़ेंगे लेकिन भाजपा के सामने सबसे बड़ी दुविधा अपने सबसे पुराने सहयोगियों में से एक अकाली दल को लेकर है।

एनडीए का कुनबा बढ़ाने की मुहिम में जुटी भाजपा एक-एक राजनीतिक दल की अहमियत को बखूबी समझती है लेकिन जैसे ही मसला अकाली दल का आता है तो पंजाब की राजनीति को देखते हुए उसके सामने दुविधा खड़ी हो जाती है। बताया जा रहा है कि, आम आदमी पार्टी के पंजाब में मजबूत होने के बाद अकाली दल एक बार फिर से भाजपा के साथ आना चाहता है, यहां तक कि भाजपा के कई नेता भी लोक सभा चुनाव के गणित को देखते हुए अकाली दल को फिर से एनडीए के पाले में देखना चाहते हैं लेकिन पिछले वर्ष पहली बार पंजाब में बड़े भाई की भूमिका में विधान सभा चुनाव लड़ने और जालंधर लोक सभा उपचुनाव में हारने के बावजूद पार्टी को मिले मतों को देखते हुए अब पार्टी के ज्यादातर नेताओं का यह मानना है कि बीजेपी को राज्य में अकेले ही चुनाव लड़ना चाहिए ।

भाजपा आलाकमान द्वारा पिछले साल हुए विधान सभा चुनाव के लिए चुनाव प्रभारी बनाए गए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत अभी भी लगातार राज्य का दौरा कर पार्टी को मजबूत बनाने के मिशन में जुटे हुए हैं। पंजाब को लेकर पार्टी की रणनीति का खुलासा करते हुए शेखावत ने हाल ही में आईएएनएस से कहा कि राष्ट्र प्रथम और पार्टी द्वितीय के सिद्धांत को मानते हुए सोशल फैब्रिक इंटेक्ट रहे, इसे सुनिश्चित करते हुए पार्टी पंजाब में हमेशा छोटे भाई की भूमिका में रही। भाजपा ने हमेशा पंजाब में अपने दल के हितों को कंप्रोमाइज किया लेकिन जिस तरह से दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बनी और वह (अकाली दल) हमें छोड़ कर गए, उसके बाद भाजपा ने राज्य में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए वहां काम किया। किसान आंदोलन के समय जिस तरह की परिस्थितियां बना दी गई थी, उसके बावजूद विधान सभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को छोड़कर भाजपा एकमात्र ऐसी पार्टी थी, जिसका वोट प्रतिशत बढ़ा था।

उन्होंने आगे कहा कि, उसके बाद हुए दोनों उपचुनाव में भी भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा यहां तक कि जालंधर लोक सभा उपचुनाव में जहां कांग्रेस पार्टी के पास 9 में से 5 विधायक होने के बावजूद उन्हें किसी विधान सभा में लीड नहीं मिली लेकिन भाजपा को जालंधर में दो विधान सभा में लीड मिली।

2024 लोक सभा चुनाव में पंजाब में इतिहास रचने का दावा करते हुए शेखावत ने आगे कहा कि बेशक पार्टी जालंधर में चुनाव हार गई हो लेकिन जिस तरह से राज्य में भाजपा कार्यकर्ता मेहनत कर रहे हैं, जिस तरह से पार्टी कार्यकर्ताओं की क्षमता और कैपिसिटी को बढ़ाकर पार्टी की ताकत को धरातल पर बड़ा कर रही है उसे देखते हुए उन्हें पूरा विश्वास है कि 2024 में भाजपा पंजाब में एक नया इतिहास रचेगी।

वहीं जालंधर लोक सभा उपचुनाव में भाजपा को मिले मत प्रतिशत से उत्साहित केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी शनिवार को यही दावा किया कि पंजाब में अकाली दल के साथ जाने की जरूरत नहीं है।

अकाली दल के फिर से साथ आने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए पुरी ने भाजपा मुख्यालय में कहा कि पंजाब की 117 विधान सभा सीटों में से भाजपा कभी भी 23 से ज्यादा सीटों पर नहीं लड़ी थी और इसका नतीजा यह रहा कि पार्टी पंजाब के शहरी क्षेत्र में तो मजबूत थी लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं थी।

जालंधर लोक सभा उपचुनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने दावा किया कि पार्टी कई बूथों पर नंबर दो की पार्टी रही है। अकाली दल के साथ फिर से जाने के प्रति अनिच्छा जाहिर करते हुए पुरी ने कहा कि अकाली दल के कई नेता भाजपा में आ रहे हैं, भाजपा पैन इंडिया पार्टी है जो लगातार बढ़ रही है।

हालांकि यह भी एक तथ्य है कि अभी तक भाजपा या अकाली दल के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से इसे लेकर कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। हालांकि सूत्रों की मानें तो दोनों ही दल अपनी-अपनी वजहों से इस प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं लेकिन इतना तो तय है कि अगर अकाली दल एनडीए में वापसी का फैसला करता भी है तो उसे इस बार भाजपा को ज्यादा सीटें और तवज्जों, दोनों ही देनी पड़ेगी।

–आईएएनएस

एसटीपी/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)। 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव को देखते हुए भाजपा और विपक्षी दल दोनों अपने-अपने खेमे को मजबूत करने में जुट गए हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश के कई विपक्षी दलों को कांग्रेस के साथ खड़े होने के लिए मना लेने के बाद पटना में एक बड़ी बैठक करने जा रहे हैं तो वहीं भाजपा भी पार्टी के साथ-साथ अपने गठबंधन एनडीए के विस्तार अभियान में भी जुट गई है।

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने पुराने सहयोगी तेलुगूदेशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू से भी मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि अगर भाजपा और टीडीपी के बीच में कुछ मुद्दों पर सहमति बन जाती है तो भाजपा की पुरानी सहयोगी फिर से एनडीए के खेमे में वापस आ सकती है और भाजपा आंध्र प्रदेश के साथ-साथ तेलंगाना में भी टीडीपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ सकती है।

भाजपा के एक और पुराने सहयोगी शिवसेना का एक बड़ा धड़ा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पहले ही भाजपा के साथ आ चुका है और दोनों मिलकर महाराष्ट्र में सरकार चला रहे हैं। हाल ही में एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात की थी और उसमें यह तय किया गया था कि दोनों ही दल आगामी चुनावों में मिलकर लड़ेंगे लेकिन भाजपा के सामने सबसे बड़ी दुविधा अपने सबसे पुराने सहयोगियों में से एक अकाली दल को लेकर है।

एनडीए का कुनबा बढ़ाने की मुहिम में जुटी भाजपा एक-एक राजनीतिक दल की अहमियत को बखूबी समझती है लेकिन जैसे ही मसला अकाली दल का आता है तो पंजाब की राजनीति को देखते हुए उसके सामने दुविधा खड़ी हो जाती है। बताया जा रहा है कि, आम आदमी पार्टी के पंजाब में मजबूत होने के बाद अकाली दल एक बार फिर से भाजपा के साथ आना चाहता है, यहां तक कि भाजपा के कई नेता भी लोक सभा चुनाव के गणित को देखते हुए अकाली दल को फिर से एनडीए के पाले में देखना चाहते हैं लेकिन पिछले वर्ष पहली बार पंजाब में बड़े भाई की भूमिका में विधान सभा चुनाव लड़ने और जालंधर लोक सभा उपचुनाव में हारने के बावजूद पार्टी को मिले मतों को देखते हुए अब पार्टी के ज्यादातर नेताओं का यह मानना है कि बीजेपी को राज्य में अकेले ही चुनाव लड़ना चाहिए ।

भाजपा आलाकमान द्वारा पिछले साल हुए विधान सभा चुनाव के लिए चुनाव प्रभारी बनाए गए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत अभी भी लगातार राज्य का दौरा कर पार्टी को मजबूत बनाने के मिशन में जुटे हुए हैं। पंजाब को लेकर पार्टी की रणनीति का खुलासा करते हुए शेखावत ने हाल ही में आईएएनएस से कहा कि राष्ट्र प्रथम और पार्टी द्वितीय के सिद्धांत को मानते हुए सोशल फैब्रिक इंटेक्ट रहे, इसे सुनिश्चित करते हुए पार्टी पंजाब में हमेशा छोटे भाई की भूमिका में रही। भाजपा ने हमेशा पंजाब में अपने दल के हितों को कंप्रोमाइज किया लेकिन जिस तरह से दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बनी और वह (अकाली दल) हमें छोड़ कर गए, उसके बाद भाजपा ने राज्य में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए वहां काम किया। किसान आंदोलन के समय जिस तरह की परिस्थितियां बना दी गई थी, उसके बावजूद विधान सभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को छोड़कर भाजपा एकमात्र ऐसी पार्टी थी, जिसका वोट प्रतिशत बढ़ा था।

उन्होंने आगे कहा कि, उसके बाद हुए दोनों उपचुनाव में भी भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा यहां तक कि जालंधर लोक सभा उपचुनाव में जहां कांग्रेस पार्टी के पास 9 में से 5 विधायक होने के बावजूद उन्हें किसी विधान सभा में लीड नहीं मिली लेकिन भाजपा को जालंधर में दो विधान सभा में लीड मिली।

2024 लोक सभा चुनाव में पंजाब में इतिहास रचने का दावा करते हुए शेखावत ने आगे कहा कि बेशक पार्टी जालंधर में चुनाव हार गई हो लेकिन जिस तरह से राज्य में भाजपा कार्यकर्ता मेहनत कर रहे हैं, जिस तरह से पार्टी कार्यकर्ताओं की क्षमता और कैपिसिटी को बढ़ाकर पार्टी की ताकत को धरातल पर बड़ा कर रही है उसे देखते हुए उन्हें पूरा विश्वास है कि 2024 में भाजपा पंजाब में एक नया इतिहास रचेगी।

वहीं जालंधर लोक सभा उपचुनाव में भाजपा को मिले मत प्रतिशत से उत्साहित केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी शनिवार को यही दावा किया कि पंजाब में अकाली दल के साथ जाने की जरूरत नहीं है।

अकाली दल के फिर से साथ आने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए पुरी ने भाजपा मुख्यालय में कहा कि पंजाब की 117 विधान सभा सीटों में से भाजपा कभी भी 23 से ज्यादा सीटों पर नहीं लड़ी थी और इसका नतीजा यह रहा कि पार्टी पंजाब के शहरी क्षेत्र में तो मजबूत थी लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं थी।

जालंधर लोक सभा उपचुनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने दावा किया कि पार्टी कई बूथों पर नंबर दो की पार्टी रही है। अकाली दल के साथ फिर से जाने के प्रति अनिच्छा जाहिर करते हुए पुरी ने कहा कि अकाली दल के कई नेता भाजपा में आ रहे हैं, भाजपा पैन इंडिया पार्टी है जो लगातार बढ़ रही है।

हालांकि यह भी एक तथ्य है कि अभी तक भाजपा या अकाली दल के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से इसे लेकर कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। हालांकि सूत्रों की मानें तो दोनों ही दल अपनी-अपनी वजहों से इस प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं लेकिन इतना तो तय है कि अगर अकाली दल एनडीए में वापसी का फैसला करता भी है तो उसे इस बार भाजपा को ज्यादा सीटें और तवज्जों, दोनों ही देनी पड़ेगी।

–आईएएनएस

एसटीपी/एसकेपी

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)। 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव को देखते हुए भाजपा और विपक्षी दल दोनों अपने-अपने खेमे को मजबूत करने में जुट गए हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश के कई विपक्षी दलों को कांग्रेस के साथ खड़े होने के लिए मना लेने के बाद पटना में एक बड़ी बैठक करने जा रहे हैं तो वहीं भाजपा भी पार्टी के साथ-साथ अपने गठबंधन एनडीए के विस्तार अभियान में भी जुट गई है।

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने पुराने सहयोगी तेलुगूदेशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू से भी मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि अगर भाजपा और टीडीपी के बीच में कुछ मुद्दों पर सहमति बन जाती है तो भाजपा की पुरानी सहयोगी फिर से एनडीए के खेमे में वापस आ सकती है और भाजपा आंध्र प्रदेश के साथ-साथ तेलंगाना में भी टीडीपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ सकती है।

भाजपा के एक और पुराने सहयोगी शिवसेना का एक बड़ा धड़ा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पहले ही भाजपा के साथ आ चुका है और दोनों मिलकर महाराष्ट्र में सरकार चला रहे हैं। हाल ही में एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात की थी और उसमें यह तय किया गया था कि दोनों ही दल आगामी चुनावों में मिलकर लड़ेंगे लेकिन भाजपा के सामने सबसे बड़ी दुविधा अपने सबसे पुराने सहयोगियों में से एक अकाली दल को लेकर है।

एनडीए का कुनबा बढ़ाने की मुहिम में जुटी भाजपा एक-एक राजनीतिक दल की अहमियत को बखूबी समझती है लेकिन जैसे ही मसला अकाली दल का आता है तो पंजाब की राजनीति को देखते हुए उसके सामने दुविधा खड़ी हो जाती है। बताया जा रहा है कि, आम आदमी पार्टी के पंजाब में मजबूत होने के बाद अकाली दल एक बार फिर से भाजपा के साथ आना चाहता है, यहां तक कि भाजपा के कई नेता भी लोक सभा चुनाव के गणित को देखते हुए अकाली दल को फिर से एनडीए के पाले में देखना चाहते हैं लेकिन पिछले वर्ष पहली बार पंजाब में बड़े भाई की भूमिका में विधान सभा चुनाव लड़ने और जालंधर लोक सभा उपचुनाव में हारने के बावजूद पार्टी को मिले मतों को देखते हुए अब पार्टी के ज्यादातर नेताओं का यह मानना है कि बीजेपी को राज्य में अकेले ही चुनाव लड़ना चाहिए ।

भाजपा आलाकमान द्वारा पिछले साल हुए विधान सभा चुनाव के लिए चुनाव प्रभारी बनाए गए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत अभी भी लगातार राज्य का दौरा कर पार्टी को मजबूत बनाने के मिशन में जुटे हुए हैं। पंजाब को लेकर पार्टी की रणनीति का खुलासा करते हुए शेखावत ने हाल ही में आईएएनएस से कहा कि राष्ट्र प्रथम और पार्टी द्वितीय के सिद्धांत को मानते हुए सोशल फैब्रिक इंटेक्ट रहे, इसे सुनिश्चित करते हुए पार्टी पंजाब में हमेशा छोटे भाई की भूमिका में रही। भाजपा ने हमेशा पंजाब में अपने दल के हितों को कंप्रोमाइज किया लेकिन जिस तरह से दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बनी और वह (अकाली दल) हमें छोड़ कर गए, उसके बाद भाजपा ने राज्य में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए वहां काम किया। किसान आंदोलन के समय जिस तरह की परिस्थितियां बना दी गई थी, उसके बावजूद विधान सभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को छोड़कर भाजपा एकमात्र ऐसी पार्टी थी, जिसका वोट प्रतिशत बढ़ा था।

उन्होंने आगे कहा कि, उसके बाद हुए दोनों उपचुनाव में भी भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा यहां तक कि जालंधर लोक सभा उपचुनाव में जहां कांग्रेस पार्टी के पास 9 में से 5 विधायक होने के बावजूद उन्हें किसी विधान सभा में लीड नहीं मिली लेकिन भाजपा को जालंधर में दो विधान सभा में लीड मिली।

2024 लोक सभा चुनाव में पंजाब में इतिहास रचने का दावा करते हुए शेखावत ने आगे कहा कि बेशक पार्टी जालंधर में चुनाव हार गई हो लेकिन जिस तरह से राज्य में भाजपा कार्यकर्ता मेहनत कर रहे हैं, जिस तरह से पार्टी कार्यकर्ताओं की क्षमता और कैपिसिटी को बढ़ाकर पार्टी की ताकत को धरातल पर बड़ा कर रही है उसे देखते हुए उन्हें पूरा विश्वास है कि 2024 में भाजपा पंजाब में एक नया इतिहास रचेगी।

वहीं जालंधर लोक सभा उपचुनाव में भाजपा को मिले मत प्रतिशत से उत्साहित केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी शनिवार को यही दावा किया कि पंजाब में अकाली दल के साथ जाने की जरूरत नहीं है।

अकाली दल के फिर से साथ आने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए पुरी ने भाजपा मुख्यालय में कहा कि पंजाब की 117 विधान सभा सीटों में से भाजपा कभी भी 23 से ज्यादा सीटों पर नहीं लड़ी थी और इसका नतीजा यह रहा कि पार्टी पंजाब के शहरी क्षेत्र में तो मजबूत थी लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं थी।

जालंधर लोक सभा उपचुनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने दावा किया कि पार्टी कई बूथों पर नंबर दो की पार्टी रही है। अकाली दल के साथ फिर से जाने के प्रति अनिच्छा जाहिर करते हुए पुरी ने कहा कि अकाली दल के कई नेता भाजपा में आ रहे हैं, भाजपा पैन इंडिया पार्टी है जो लगातार बढ़ रही है।

हालांकि यह भी एक तथ्य है कि अभी तक भाजपा या अकाली दल के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से इसे लेकर कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। हालांकि सूत्रों की मानें तो दोनों ही दल अपनी-अपनी वजहों से इस प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं लेकिन इतना तो तय है कि अगर अकाली दल एनडीए में वापसी का फैसला करता भी है तो उसे इस बार भाजपा को ज्यादा सीटें और तवज्जों, दोनों ही देनी पड़ेगी।

–आईएएनएस

एसटीपी/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)। 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव को देखते हुए भाजपा और विपक्षी दल दोनों अपने-अपने खेमे को मजबूत करने में जुट गए हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश के कई विपक्षी दलों को कांग्रेस के साथ खड़े होने के लिए मना लेने के बाद पटना में एक बड़ी बैठक करने जा रहे हैं तो वहीं भाजपा भी पार्टी के साथ-साथ अपने गठबंधन एनडीए के विस्तार अभियान में भी जुट गई है।

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने पुराने सहयोगी तेलुगूदेशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू से भी मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि अगर भाजपा और टीडीपी के बीच में कुछ मुद्दों पर सहमति बन जाती है तो भाजपा की पुरानी सहयोगी फिर से एनडीए के खेमे में वापस आ सकती है और भाजपा आंध्र प्रदेश के साथ-साथ तेलंगाना में भी टीडीपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ सकती है।

भाजपा के एक और पुराने सहयोगी शिवसेना का एक बड़ा धड़ा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पहले ही भाजपा के साथ आ चुका है और दोनों मिलकर महाराष्ट्र में सरकार चला रहे हैं। हाल ही में एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात की थी और उसमें यह तय किया गया था कि दोनों ही दल आगामी चुनावों में मिलकर लड़ेंगे लेकिन भाजपा के सामने सबसे बड़ी दुविधा अपने सबसे पुराने सहयोगियों में से एक अकाली दल को लेकर है।

एनडीए का कुनबा बढ़ाने की मुहिम में जुटी भाजपा एक-एक राजनीतिक दल की अहमियत को बखूबी समझती है लेकिन जैसे ही मसला अकाली दल का आता है तो पंजाब की राजनीति को देखते हुए उसके सामने दुविधा खड़ी हो जाती है। बताया जा रहा है कि, आम आदमी पार्टी के पंजाब में मजबूत होने के बाद अकाली दल एक बार फिर से भाजपा के साथ आना चाहता है, यहां तक कि भाजपा के कई नेता भी लोक सभा चुनाव के गणित को देखते हुए अकाली दल को फिर से एनडीए के पाले में देखना चाहते हैं लेकिन पिछले वर्ष पहली बार पंजाब में बड़े भाई की भूमिका में विधान सभा चुनाव लड़ने और जालंधर लोक सभा उपचुनाव में हारने के बावजूद पार्टी को मिले मतों को देखते हुए अब पार्टी के ज्यादातर नेताओं का यह मानना है कि बीजेपी को राज्य में अकेले ही चुनाव लड़ना चाहिए ।

भाजपा आलाकमान द्वारा पिछले साल हुए विधान सभा चुनाव के लिए चुनाव प्रभारी बनाए गए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत अभी भी लगातार राज्य का दौरा कर पार्टी को मजबूत बनाने के मिशन में जुटे हुए हैं। पंजाब को लेकर पार्टी की रणनीति का खुलासा करते हुए शेखावत ने हाल ही में आईएएनएस से कहा कि राष्ट्र प्रथम और पार्टी द्वितीय के सिद्धांत को मानते हुए सोशल फैब्रिक इंटेक्ट रहे, इसे सुनिश्चित करते हुए पार्टी पंजाब में हमेशा छोटे भाई की भूमिका में रही। भाजपा ने हमेशा पंजाब में अपने दल के हितों को कंप्रोमाइज किया लेकिन जिस तरह से दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बनी और वह (अकाली दल) हमें छोड़ कर गए, उसके बाद भाजपा ने राज्य में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए वहां काम किया। किसान आंदोलन के समय जिस तरह की परिस्थितियां बना दी गई थी, उसके बावजूद विधान सभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को छोड़कर भाजपा एकमात्र ऐसी पार्टी थी, जिसका वोट प्रतिशत बढ़ा था।

उन्होंने आगे कहा कि, उसके बाद हुए दोनों उपचुनाव में भी भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा यहां तक कि जालंधर लोक सभा उपचुनाव में जहां कांग्रेस पार्टी के पास 9 में से 5 विधायक होने के बावजूद उन्हें किसी विधान सभा में लीड नहीं मिली लेकिन भाजपा को जालंधर में दो विधान सभा में लीड मिली।

2024 लोक सभा चुनाव में पंजाब में इतिहास रचने का दावा करते हुए शेखावत ने आगे कहा कि बेशक पार्टी जालंधर में चुनाव हार गई हो लेकिन जिस तरह से राज्य में भाजपा कार्यकर्ता मेहनत कर रहे हैं, जिस तरह से पार्टी कार्यकर्ताओं की क्षमता और कैपिसिटी को बढ़ाकर पार्टी की ताकत को धरातल पर बड़ा कर रही है उसे देखते हुए उन्हें पूरा विश्वास है कि 2024 में भाजपा पंजाब में एक नया इतिहास रचेगी।

वहीं जालंधर लोक सभा उपचुनाव में भाजपा को मिले मत प्रतिशत से उत्साहित केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी शनिवार को यही दावा किया कि पंजाब में अकाली दल के साथ जाने की जरूरत नहीं है।

अकाली दल के फिर से साथ आने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए पुरी ने भाजपा मुख्यालय में कहा कि पंजाब की 117 विधान सभा सीटों में से भाजपा कभी भी 23 से ज्यादा सीटों पर नहीं लड़ी थी और इसका नतीजा यह रहा कि पार्टी पंजाब के शहरी क्षेत्र में तो मजबूत थी लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं थी।

जालंधर लोक सभा उपचुनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने दावा किया कि पार्टी कई बूथों पर नंबर दो की पार्टी रही है। अकाली दल के साथ फिर से जाने के प्रति अनिच्छा जाहिर करते हुए पुरी ने कहा कि अकाली दल के कई नेता भाजपा में आ रहे हैं, भाजपा पैन इंडिया पार्टी है जो लगातार बढ़ रही है।

हालांकि यह भी एक तथ्य है कि अभी तक भाजपा या अकाली दल के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से इसे लेकर कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। हालांकि सूत्रों की मानें तो दोनों ही दल अपनी-अपनी वजहों से इस प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं लेकिन इतना तो तय है कि अगर अकाली दल एनडीए में वापसी का फैसला करता भी है तो उसे इस बार भाजपा को ज्यादा सीटें और तवज्जों, दोनों ही देनी पड़ेगी।

–आईएएनएस

एसटीपी/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)। 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव को देखते हुए भाजपा और विपक्षी दल दोनों अपने-अपने खेमे को मजबूत करने में जुट गए हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश के कई विपक्षी दलों को कांग्रेस के साथ खड़े होने के लिए मना लेने के बाद पटना में एक बड़ी बैठक करने जा रहे हैं तो वहीं भाजपा भी पार्टी के साथ-साथ अपने गठबंधन एनडीए के विस्तार अभियान में भी जुट गई है।

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने पुराने सहयोगी तेलुगूदेशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू से भी मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि अगर भाजपा और टीडीपी के बीच में कुछ मुद्दों पर सहमति बन जाती है तो भाजपा की पुरानी सहयोगी फिर से एनडीए के खेमे में वापस आ सकती है और भाजपा आंध्र प्रदेश के साथ-साथ तेलंगाना में भी टीडीपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ सकती है।

भाजपा के एक और पुराने सहयोगी शिवसेना का एक बड़ा धड़ा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पहले ही भाजपा के साथ आ चुका है और दोनों मिलकर महाराष्ट्र में सरकार चला रहे हैं। हाल ही में एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात की थी और उसमें यह तय किया गया था कि दोनों ही दल आगामी चुनावों में मिलकर लड़ेंगे लेकिन भाजपा के सामने सबसे बड़ी दुविधा अपने सबसे पुराने सहयोगियों में से एक अकाली दल को लेकर है।

एनडीए का कुनबा बढ़ाने की मुहिम में जुटी भाजपा एक-एक राजनीतिक दल की अहमियत को बखूबी समझती है लेकिन जैसे ही मसला अकाली दल का आता है तो पंजाब की राजनीति को देखते हुए उसके सामने दुविधा खड़ी हो जाती है। बताया जा रहा है कि, आम आदमी पार्टी के पंजाब में मजबूत होने के बाद अकाली दल एक बार फिर से भाजपा के साथ आना चाहता है, यहां तक कि भाजपा के कई नेता भी लोक सभा चुनाव के गणित को देखते हुए अकाली दल को फिर से एनडीए के पाले में देखना चाहते हैं लेकिन पिछले वर्ष पहली बार पंजाब में बड़े भाई की भूमिका में विधान सभा चुनाव लड़ने और जालंधर लोक सभा उपचुनाव में हारने के बावजूद पार्टी को मिले मतों को देखते हुए अब पार्टी के ज्यादातर नेताओं का यह मानना है कि बीजेपी को राज्य में अकेले ही चुनाव लड़ना चाहिए ।

भाजपा आलाकमान द्वारा पिछले साल हुए विधान सभा चुनाव के लिए चुनाव प्रभारी बनाए गए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत अभी भी लगातार राज्य का दौरा कर पार्टी को मजबूत बनाने के मिशन में जुटे हुए हैं। पंजाब को लेकर पार्टी की रणनीति का खुलासा करते हुए शेखावत ने हाल ही में आईएएनएस से कहा कि राष्ट्र प्रथम और पार्टी द्वितीय के सिद्धांत को मानते हुए सोशल फैब्रिक इंटेक्ट रहे, इसे सुनिश्चित करते हुए पार्टी पंजाब में हमेशा छोटे भाई की भूमिका में रही। भाजपा ने हमेशा पंजाब में अपने दल के हितों को कंप्रोमाइज किया लेकिन जिस तरह से दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बनी और वह (अकाली दल) हमें छोड़ कर गए, उसके बाद भाजपा ने राज्य में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए वहां काम किया। किसान आंदोलन के समय जिस तरह की परिस्थितियां बना दी गई थी, उसके बावजूद विधान सभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को छोड़कर भाजपा एकमात्र ऐसी पार्टी थी, जिसका वोट प्रतिशत बढ़ा था।

उन्होंने आगे कहा कि, उसके बाद हुए दोनों उपचुनाव में भी भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा यहां तक कि जालंधर लोक सभा उपचुनाव में जहां कांग्रेस पार्टी के पास 9 में से 5 विधायक होने के बावजूद उन्हें किसी विधान सभा में लीड नहीं मिली लेकिन भाजपा को जालंधर में दो विधान सभा में लीड मिली।

2024 लोक सभा चुनाव में पंजाब में इतिहास रचने का दावा करते हुए शेखावत ने आगे कहा कि बेशक पार्टी जालंधर में चुनाव हार गई हो लेकिन जिस तरह से राज्य में भाजपा कार्यकर्ता मेहनत कर रहे हैं, जिस तरह से पार्टी कार्यकर्ताओं की क्षमता और कैपिसिटी को बढ़ाकर पार्टी की ताकत को धरातल पर बड़ा कर रही है उसे देखते हुए उन्हें पूरा विश्वास है कि 2024 में भाजपा पंजाब में एक नया इतिहास रचेगी।

वहीं जालंधर लोक सभा उपचुनाव में भाजपा को मिले मत प्रतिशत से उत्साहित केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी शनिवार को यही दावा किया कि पंजाब में अकाली दल के साथ जाने की जरूरत नहीं है।

अकाली दल के फिर से साथ आने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए पुरी ने भाजपा मुख्यालय में कहा कि पंजाब की 117 विधान सभा सीटों में से भाजपा कभी भी 23 से ज्यादा सीटों पर नहीं लड़ी थी और इसका नतीजा यह रहा कि पार्टी पंजाब के शहरी क्षेत्र में तो मजबूत थी लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं थी।

जालंधर लोक सभा उपचुनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने दावा किया कि पार्टी कई बूथों पर नंबर दो की पार्टी रही है। अकाली दल के साथ फिर से जाने के प्रति अनिच्छा जाहिर करते हुए पुरी ने कहा कि अकाली दल के कई नेता भाजपा में आ रहे हैं, भाजपा पैन इंडिया पार्टी है जो लगातार बढ़ रही है।

हालांकि यह भी एक तथ्य है कि अभी तक भाजपा या अकाली दल के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से इसे लेकर कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। हालांकि सूत्रों की मानें तो दोनों ही दल अपनी-अपनी वजहों से इस प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं लेकिन इतना तो तय है कि अगर अकाली दल एनडीए में वापसी का फैसला करता भी है तो उसे इस बार भाजपा को ज्यादा सीटें और तवज्जों, दोनों ही देनी पड़ेगी।

–आईएएनएस

एसटीपी/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)। 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव को देखते हुए भाजपा और विपक्षी दल दोनों अपने-अपने खेमे को मजबूत करने में जुट गए हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश के कई विपक्षी दलों को कांग्रेस के साथ खड़े होने के लिए मना लेने के बाद पटना में एक बड़ी बैठक करने जा रहे हैं तो वहीं भाजपा भी पार्टी के साथ-साथ अपने गठबंधन एनडीए के विस्तार अभियान में भी जुट गई है।

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने पुराने सहयोगी तेलुगूदेशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू से भी मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि अगर भाजपा और टीडीपी के बीच में कुछ मुद्दों पर सहमति बन जाती है तो भाजपा की पुरानी सहयोगी फिर से एनडीए के खेमे में वापस आ सकती है और भाजपा आंध्र प्रदेश के साथ-साथ तेलंगाना में भी टीडीपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ सकती है।

भाजपा के एक और पुराने सहयोगी शिवसेना का एक बड़ा धड़ा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पहले ही भाजपा के साथ आ चुका है और दोनों मिलकर महाराष्ट्र में सरकार चला रहे हैं। हाल ही में एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात की थी और उसमें यह तय किया गया था कि दोनों ही दल आगामी चुनावों में मिलकर लड़ेंगे लेकिन भाजपा के सामने सबसे बड़ी दुविधा अपने सबसे पुराने सहयोगियों में से एक अकाली दल को लेकर है।

एनडीए का कुनबा बढ़ाने की मुहिम में जुटी भाजपा एक-एक राजनीतिक दल की अहमियत को बखूबी समझती है लेकिन जैसे ही मसला अकाली दल का आता है तो पंजाब की राजनीति को देखते हुए उसके सामने दुविधा खड़ी हो जाती है। बताया जा रहा है कि, आम आदमी पार्टी के पंजाब में मजबूत होने के बाद अकाली दल एक बार फिर से भाजपा के साथ आना चाहता है, यहां तक कि भाजपा के कई नेता भी लोक सभा चुनाव के गणित को देखते हुए अकाली दल को फिर से एनडीए के पाले में देखना चाहते हैं लेकिन पिछले वर्ष पहली बार पंजाब में बड़े भाई की भूमिका में विधान सभा चुनाव लड़ने और जालंधर लोक सभा उपचुनाव में हारने के बावजूद पार्टी को मिले मतों को देखते हुए अब पार्टी के ज्यादातर नेताओं का यह मानना है कि बीजेपी को राज्य में अकेले ही चुनाव लड़ना चाहिए ।

भाजपा आलाकमान द्वारा पिछले साल हुए विधान सभा चुनाव के लिए चुनाव प्रभारी बनाए गए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत अभी भी लगातार राज्य का दौरा कर पार्टी को मजबूत बनाने के मिशन में जुटे हुए हैं। पंजाब को लेकर पार्टी की रणनीति का खुलासा करते हुए शेखावत ने हाल ही में आईएएनएस से कहा कि राष्ट्र प्रथम और पार्टी द्वितीय के सिद्धांत को मानते हुए सोशल फैब्रिक इंटेक्ट रहे, इसे सुनिश्चित करते हुए पार्टी पंजाब में हमेशा छोटे भाई की भूमिका में रही। भाजपा ने हमेशा पंजाब में अपने दल के हितों को कंप्रोमाइज किया लेकिन जिस तरह से दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बनी और वह (अकाली दल) हमें छोड़ कर गए, उसके बाद भाजपा ने राज्य में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए वहां काम किया। किसान आंदोलन के समय जिस तरह की परिस्थितियां बना दी गई थी, उसके बावजूद विधान सभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को छोड़कर भाजपा एकमात्र ऐसी पार्टी थी, जिसका वोट प्रतिशत बढ़ा था।

उन्होंने आगे कहा कि, उसके बाद हुए दोनों उपचुनाव में भी भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा यहां तक कि जालंधर लोक सभा उपचुनाव में जहां कांग्रेस पार्टी के पास 9 में से 5 विधायक होने के बावजूद उन्हें किसी विधान सभा में लीड नहीं मिली लेकिन भाजपा को जालंधर में दो विधान सभा में लीड मिली।

2024 लोक सभा चुनाव में पंजाब में इतिहास रचने का दावा करते हुए शेखावत ने आगे कहा कि बेशक पार्टी जालंधर में चुनाव हार गई हो लेकिन जिस तरह से राज्य में भाजपा कार्यकर्ता मेहनत कर रहे हैं, जिस तरह से पार्टी कार्यकर्ताओं की क्षमता और कैपिसिटी को बढ़ाकर पार्टी की ताकत को धरातल पर बड़ा कर रही है उसे देखते हुए उन्हें पूरा विश्वास है कि 2024 में भाजपा पंजाब में एक नया इतिहास रचेगी।

वहीं जालंधर लोक सभा उपचुनाव में भाजपा को मिले मत प्रतिशत से उत्साहित केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी शनिवार को यही दावा किया कि पंजाब में अकाली दल के साथ जाने की जरूरत नहीं है।

अकाली दल के फिर से साथ आने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए पुरी ने भाजपा मुख्यालय में कहा कि पंजाब की 117 विधान सभा सीटों में से भाजपा कभी भी 23 से ज्यादा सीटों पर नहीं लड़ी थी और इसका नतीजा यह रहा कि पार्टी पंजाब के शहरी क्षेत्र में तो मजबूत थी लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं थी।

जालंधर लोक सभा उपचुनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने दावा किया कि पार्टी कई बूथों पर नंबर दो की पार्टी रही है। अकाली दल के साथ फिर से जाने के प्रति अनिच्छा जाहिर करते हुए पुरी ने कहा कि अकाली दल के कई नेता भाजपा में आ रहे हैं, भाजपा पैन इंडिया पार्टी है जो लगातार बढ़ रही है।

हालांकि यह भी एक तथ्य है कि अभी तक भाजपा या अकाली दल के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से इसे लेकर कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। हालांकि सूत्रों की मानें तो दोनों ही दल अपनी-अपनी वजहों से इस प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं लेकिन इतना तो तय है कि अगर अकाली दल एनडीए में वापसी का फैसला करता भी है तो उसे इस बार भाजपा को ज्यादा सीटें और तवज्जों, दोनों ही देनी पड़ेगी।

–आईएएनएस

एसटीपी/एसकेपी

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)। 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव को देखते हुए भाजपा और विपक्षी दल दोनों अपने-अपने खेमे को मजबूत करने में जुट गए हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश के कई विपक्षी दलों को कांग्रेस के साथ खड़े होने के लिए मना लेने के बाद पटना में एक बड़ी बैठक करने जा रहे हैं तो वहीं भाजपा भी पार्टी के साथ-साथ अपने गठबंधन एनडीए के विस्तार अभियान में भी जुट गई है।

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने पुराने सहयोगी तेलुगूदेशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू से भी मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि अगर भाजपा और टीडीपी के बीच में कुछ मुद्दों पर सहमति बन जाती है तो भाजपा की पुरानी सहयोगी फिर से एनडीए के खेमे में वापस आ सकती है और भाजपा आंध्र प्रदेश के साथ-साथ तेलंगाना में भी टीडीपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ सकती है।

भाजपा के एक और पुराने सहयोगी शिवसेना का एक बड़ा धड़ा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पहले ही भाजपा के साथ आ चुका है और दोनों मिलकर महाराष्ट्र में सरकार चला रहे हैं। हाल ही में एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात की थी और उसमें यह तय किया गया था कि दोनों ही दल आगामी चुनावों में मिलकर लड़ेंगे लेकिन भाजपा के सामने सबसे बड़ी दुविधा अपने सबसे पुराने सहयोगियों में से एक अकाली दल को लेकर है।

एनडीए का कुनबा बढ़ाने की मुहिम में जुटी भाजपा एक-एक राजनीतिक दल की अहमियत को बखूबी समझती है लेकिन जैसे ही मसला अकाली दल का आता है तो पंजाब की राजनीति को देखते हुए उसके सामने दुविधा खड़ी हो जाती है। बताया जा रहा है कि, आम आदमी पार्टी के पंजाब में मजबूत होने के बाद अकाली दल एक बार फिर से भाजपा के साथ आना चाहता है, यहां तक कि भाजपा के कई नेता भी लोक सभा चुनाव के गणित को देखते हुए अकाली दल को फिर से एनडीए के पाले में देखना चाहते हैं लेकिन पिछले वर्ष पहली बार पंजाब में बड़े भाई की भूमिका में विधान सभा चुनाव लड़ने और जालंधर लोक सभा उपचुनाव में हारने के बावजूद पार्टी को मिले मतों को देखते हुए अब पार्टी के ज्यादातर नेताओं का यह मानना है कि बीजेपी को राज्य में अकेले ही चुनाव लड़ना चाहिए ।

भाजपा आलाकमान द्वारा पिछले साल हुए विधान सभा चुनाव के लिए चुनाव प्रभारी बनाए गए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत अभी भी लगातार राज्य का दौरा कर पार्टी को मजबूत बनाने के मिशन में जुटे हुए हैं। पंजाब को लेकर पार्टी की रणनीति का खुलासा करते हुए शेखावत ने हाल ही में आईएएनएस से कहा कि राष्ट्र प्रथम और पार्टी द्वितीय के सिद्धांत को मानते हुए सोशल फैब्रिक इंटेक्ट रहे, इसे सुनिश्चित करते हुए पार्टी पंजाब में हमेशा छोटे भाई की भूमिका में रही। भाजपा ने हमेशा पंजाब में अपने दल के हितों को कंप्रोमाइज किया लेकिन जिस तरह से दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बनी और वह (अकाली दल) हमें छोड़ कर गए, उसके बाद भाजपा ने राज्य में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए वहां काम किया। किसान आंदोलन के समय जिस तरह की परिस्थितियां बना दी गई थी, उसके बावजूद विधान सभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को छोड़कर भाजपा एकमात्र ऐसी पार्टी थी, जिसका वोट प्रतिशत बढ़ा था।

उन्होंने आगे कहा कि, उसके बाद हुए दोनों उपचुनाव में भी भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा यहां तक कि जालंधर लोक सभा उपचुनाव में जहां कांग्रेस पार्टी के पास 9 में से 5 विधायक होने के बावजूद उन्हें किसी विधान सभा में लीड नहीं मिली लेकिन भाजपा को जालंधर में दो विधान सभा में लीड मिली।

2024 लोक सभा चुनाव में पंजाब में इतिहास रचने का दावा करते हुए शेखावत ने आगे कहा कि बेशक पार्टी जालंधर में चुनाव हार गई हो लेकिन जिस तरह से राज्य में भाजपा कार्यकर्ता मेहनत कर रहे हैं, जिस तरह से पार्टी कार्यकर्ताओं की क्षमता और कैपिसिटी को बढ़ाकर पार्टी की ताकत को धरातल पर बड़ा कर रही है उसे देखते हुए उन्हें पूरा विश्वास है कि 2024 में भाजपा पंजाब में एक नया इतिहास रचेगी।

वहीं जालंधर लोक सभा उपचुनाव में भाजपा को मिले मत प्रतिशत से उत्साहित केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी शनिवार को यही दावा किया कि पंजाब में अकाली दल के साथ जाने की जरूरत नहीं है।

अकाली दल के फिर से साथ आने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए पुरी ने भाजपा मुख्यालय में कहा कि पंजाब की 117 विधान सभा सीटों में से भाजपा कभी भी 23 से ज्यादा सीटों पर नहीं लड़ी थी और इसका नतीजा यह रहा कि पार्टी पंजाब के शहरी क्षेत्र में तो मजबूत थी लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं थी।

जालंधर लोक सभा उपचुनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने दावा किया कि पार्टी कई बूथों पर नंबर दो की पार्टी रही है। अकाली दल के साथ फिर से जाने के प्रति अनिच्छा जाहिर करते हुए पुरी ने कहा कि अकाली दल के कई नेता भाजपा में आ रहे हैं, भाजपा पैन इंडिया पार्टी है जो लगातार बढ़ रही है।

हालांकि यह भी एक तथ्य है कि अभी तक भाजपा या अकाली दल के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से इसे लेकर कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। हालांकि सूत्रों की मानें तो दोनों ही दल अपनी-अपनी वजहों से इस प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं लेकिन इतना तो तय है कि अगर अकाली दल एनडीए में वापसी का फैसला करता भी है तो उसे इस बार भाजपा को ज्यादा सीटें और तवज्जों, दोनों ही देनी पड़ेगी।

–आईएएनएस

एसटीपी/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)। 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव को देखते हुए भाजपा और विपक्षी दल दोनों अपने-अपने खेमे को मजबूत करने में जुट गए हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश के कई विपक्षी दलों को कांग्रेस के साथ खड़े होने के लिए मना लेने के बाद पटना में एक बड़ी बैठक करने जा रहे हैं तो वहीं भाजपा भी पार्टी के साथ-साथ अपने गठबंधन एनडीए के विस्तार अभियान में भी जुट गई है।

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने पुराने सहयोगी तेलुगूदेशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू से भी मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि अगर भाजपा और टीडीपी के बीच में कुछ मुद्दों पर सहमति बन जाती है तो भाजपा की पुरानी सहयोगी फिर से एनडीए के खेमे में वापस आ सकती है और भाजपा आंध्र प्रदेश के साथ-साथ तेलंगाना में भी टीडीपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ सकती है।

भाजपा के एक और पुराने सहयोगी शिवसेना का एक बड़ा धड़ा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पहले ही भाजपा के साथ आ चुका है और दोनों मिलकर महाराष्ट्र में सरकार चला रहे हैं। हाल ही में एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात की थी और उसमें यह तय किया गया था कि दोनों ही दल आगामी चुनावों में मिलकर लड़ेंगे लेकिन भाजपा के सामने सबसे बड़ी दुविधा अपने सबसे पुराने सहयोगियों में से एक अकाली दल को लेकर है।

एनडीए का कुनबा बढ़ाने की मुहिम में जुटी भाजपा एक-एक राजनीतिक दल की अहमियत को बखूबी समझती है लेकिन जैसे ही मसला अकाली दल का आता है तो पंजाब की राजनीति को देखते हुए उसके सामने दुविधा खड़ी हो जाती है। बताया जा रहा है कि, आम आदमी पार्टी के पंजाब में मजबूत होने के बाद अकाली दल एक बार फिर से भाजपा के साथ आना चाहता है, यहां तक कि भाजपा के कई नेता भी लोक सभा चुनाव के गणित को देखते हुए अकाली दल को फिर से एनडीए के पाले में देखना चाहते हैं लेकिन पिछले वर्ष पहली बार पंजाब में बड़े भाई की भूमिका में विधान सभा चुनाव लड़ने और जालंधर लोक सभा उपचुनाव में हारने के बावजूद पार्टी को मिले मतों को देखते हुए अब पार्टी के ज्यादातर नेताओं का यह मानना है कि बीजेपी को राज्य में अकेले ही चुनाव लड़ना चाहिए ।

भाजपा आलाकमान द्वारा पिछले साल हुए विधान सभा चुनाव के लिए चुनाव प्रभारी बनाए गए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत अभी भी लगातार राज्य का दौरा कर पार्टी को मजबूत बनाने के मिशन में जुटे हुए हैं। पंजाब को लेकर पार्टी की रणनीति का खुलासा करते हुए शेखावत ने हाल ही में आईएएनएस से कहा कि राष्ट्र प्रथम और पार्टी द्वितीय के सिद्धांत को मानते हुए सोशल फैब्रिक इंटेक्ट रहे, इसे सुनिश्चित करते हुए पार्टी पंजाब में हमेशा छोटे भाई की भूमिका में रही। भाजपा ने हमेशा पंजाब में अपने दल के हितों को कंप्रोमाइज किया लेकिन जिस तरह से दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बनी और वह (अकाली दल) हमें छोड़ कर गए, उसके बाद भाजपा ने राज्य में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए वहां काम किया। किसान आंदोलन के समय जिस तरह की परिस्थितियां बना दी गई थी, उसके बावजूद विधान सभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को छोड़कर भाजपा एकमात्र ऐसी पार्टी थी, जिसका वोट प्रतिशत बढ़ा था।

उन्होंने आगे कहा कि, उसके बाद हुए दोनों उपचुनाव में भी भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा यहां तक कि जालंधर लोक सभा उपचुनाव में जहां कांग्रेस पार्टी के पास 9 में से 5 विधायक होने के बावजूद उन्हें किसी विधान सभा में लीड नहीं मिली लेकिन भाजपा को जालंधर में दो विधान सभा में लीड मिली।

2024 लोक सभा चुनाव में पंजाब में इतिहास रचने का दावा करते हुए शेखावत ने आगे कहा कि बेशक पार्टी जालंधर में चुनाव हार गई हो लेकिन जिस तरह से राज्य में भाजपा कार्यकर्ता मेहनत कर रहे हैं, जिस तरह से पार्टी कार्यकर्ताओं की क्षमता और कैपिसिटी को बढ़ाकर पार्टी की ताकत को धरातल पर बड़ा कर रही है उसे देखते हुए उन्हें पूरा विश्वास है कि 2024 में भाजपा पंजाब में एक नया इतिहास रचेगी।

वहीं जालंधर लोक सभा उपचुनाव में भाजपा को मिले मत प्रतिशत से उत्साहित केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी शनिवार को यही दावा किया कि पंजाब में अकाली दल के साथ जाने की जरूरत नहीं है।

अकाली दल के फिर से साथ आने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए पुरी ने भाजपा मुख्यालय में कहा कि पंजाब की 117 विधान सभा सीटों में से भाजपा कभी भी 23 से ज्यादा सीटों पर नहीं लड़ी थी और इसका नतीजा यह रहा कि पार्टी पंजाब के शहरी क्षेत्र में तो मजबूत थी लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं थी।

जालंधर लोक सभा उपचुनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने दावा किया कि पार्टी कई बूथों पर नंबर दो की पार्टी रही है। अकाली दल के साथ फिर से जाने के प्रति अनिच्छा जाहिर करते हुए पुरी ने कहा कि अकाली दल के कई नेता भाजपा में आ रहे हैं, भाजपा पैन इंडिया पार्टी है जो लगातार बढ़ रही है।

हालांकि यह भी एक तथ्य है कि अभी तक भाजपा या अकाली दल के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से इसे लेकर कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। हालांकि सूत्रों की मानें तो दोनों ही दल अपनी-अपनी वजहों से इस प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं लेकिन इतना तो तय है कि अगर अकाली दल एनडीए में वापसी का फैसला करता भी है तो उसे इस बार भाजपा को ज्यादा सीटें और तवज्जों, दोनों ही देनी पड़ेगी।

–आईएएनएस

एसटीपी/एसकेपी

Related Posts

राष्ट्रीय

पाकिस्तान का साथ देना तुर्की को भारी पड़ेगा, आतंकवाद के समर्थकों से व्यापार नहीं : नरेंद्र कश्यप

May 15, 2025
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को मिला इजरायल का साथ, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए दी बधाई
राष्ट्रीय

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को मिला इजरायल का साथ, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए दी बधाई

May 15, 2025
राष्ट्रीय

मध्य प्रदेशः लाड़ली बहना योजना के दो साल पूरे, सवा करोड़ बहनों के खातों में राशि ट्रांसफर

May 15, 2025
राष्ट्रीय

मुख्यमंत्री नायब सैनी ने शहीद लांस नायक दिनेश शर्मा को दी श्रद्धांजलि, कहा- आतंकवाद को जड़ से खत्म किया जाएगा

May 15, 2025
राष्ट्रीय

भारतीय सेना की बहादुरी को सलाम, जवान ही असली नायक : वारिस पठान

May 15, 2025
राष्ट्रीय

‘कोई शुल्क नहीं! कोई सीमा नहीं!’, गौतम अदाणी ने शत-प्रतिशत रिजल्ट के लिए अदाणी विद्या मंदिर अहमदाबाद की तारीफ की

May 15, 2025
Next Post

देशभर में ग्रेजुएशन के छात्र अब पढ़ेगे जलवायु परिवर्तन, स्वच्छता और पर्यावरण का पाठ

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

POPULAR NEWS

बंदा प्रकाश तेलंगाना विधान परिषद के उप सभापति चुने गए

बंदा प्रकाश तेलंगाना विधान परिषद के उप सभापति चुने गए

February 12, 2023
बीएसएफ ने मेघालय में 40 मवेशियों को छुड़ाया, 3 तस्कर गिरफ्तार

बीएसएफ ने मेघालय में 40 मवेशियों को छुड़ाया, 3 तस्कर गिरफ्तार

February 12, 2023
चीनी शताब्दी की दूर-दूर तक संभावना नहीं

चीनी शताब्दी की दूर-दूर तक संभावना नहीं

February 12, 2023

बंगाल के जलपाईगुड़ी में बाढ़ जैसे हालात, शहर में घुसने लगा नदी का पानी

August 26, 2023
राधिका खेड़ा ने छोड़ा कांग्रेस का दामन, प्राथमिक सदस्यता से दिया इस्तीफा

राधिका खेड़ा ने छोड़ा कांग्रेस का दामन, प्राथमिक सदस्यता से दिया इस्तीफा

May 5, 2024

EDITOR'S PICK

अमेरिका में ट्रंप सरकार आने के बाद भारत को नुकसान हो रहा, पीएम मोदी इसपर कुछ बोलें : मृत्युंजय तिवारी

अमेरिका में ट्रंप सरकार आने के बाद भारत को नुकसान हो रहा, पीएम मोदी इसपर कुछ बोलें : मृत्युंजय तिवारी

February 17, 2025
भारत पाक सीमा पर फिर पाक ड्रोन की घुसपैठ, सुरक्षा बलों ने गोलीबारी कर खदेड़ा

भारत पाक सीमा पर फिर पाक ड्रोन की घुसपैठ, सुरक्षा बलों ने गोलीबारी कर खदेड़ा

January 31, 2023
हेमंत सोरेन ने चुनाव आयोग से फर्जीवाड़ा किया, तत्काल कार्रवाई हो : संजय सेठ

हेमंत सोरेन ने चुनाव आयोग से फर्जीवाड़ा किया, तत्काल कार्रवाई हो : संजय सेठ

November 1, 2024

उग्र विरोध के बाद सरकार ने नागपुर की दीक्षाभूमि पर पार्किंग परियोजना रोकी

July 1, 2024
ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

081383
Total views : 5874565
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Notifications