नई दिल्ली, 7 फरवरी (आईएएनएस)। राष्ट्रीय महिला आयोग ने अखिल भारतीय क्षमता निर्माण शी इज अ चेंजमेकर परियोजना के तहत सात दक्षिणी और उत्तर-पूर्वी राज्यों से निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों (विधायकों) के लिए लैंगिक उत्तरदायी शासन पर 4-6 फरवरी तक तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।
महिला प्रतिनिधियों के नेतृत्व कौशल में सुधार के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया। पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू इसके समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। नायडू ने अपने संबोधन में राजनीति और निर्णय लेने में महिलाओं के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि स्थानीय सरकारों, संसदों और विधानसभाओं में महिलाओं को समान प्रतिनिधित्व और राजनीतिक पदों तक पहुंच होनी चाहिए।
उन्होंने वित्तीय सशक्तिकरण के लिए समान विरासत शेयरों के मूल्य को भी रेखांकित किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह महत्वपूर्ण है क्योंकि महिलाओं को पूरी तरह से सशक्त बनाने के लिए हमें उन्हें वित्तीय संसाधनों तक पहुंच प्रदान करनी चाहिए। नेतृत्व में विविधता और लैंगिक संतुलन के मूल्य को कम करके नहीं आंकना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग का यह अखिल भारतीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम महिला नेताओं को उनके मील के पत्थर हासिल करने और उच्च सफलता हासिल करने में मदद करता है। अधिक से अधिक महिला नेता कौशल और कल्पनाशील ²ष्टिकोण का एक अलग सेट प्रदान कर सकती हैं। महिला नेता सांस्कृतिक और संरचनात्मक भिन्नता लाती हैं जो प्रभावी समाधान चलाती हैं।
वहीं राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि इस अवसर पर बोलने की उनकी इच्छा ने महिलाओं को सशक्त बनाने के प्रति उनके समर्पण को प्रदर्शित किया। उन्होंने कहा कि वह लगातार अधिक महिलाओं के संसद में चुने जाने के प्रबल समर्थक रहे हैं। महिला सशक्तिकरण के बिना, कोई भी विकास नहीं कर सकता है। महिला विधायकों को सशक्त बनाने के लिए आयोग इस क्षमता निर्माण कार्यक्रम को चला रही है।
तीन दिवसीय कार्यशाला में राष्ट्रीय लिंग और बाल केंद्र, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के सहयोग से किया गया था। कार्यशाला के दौरान, महिला विधायकों को प्रभावी नेतृत्व, समावेशी शासन, लिंग संवेदनशील और समावेशी संचार, विधायी परंपराओं को मजबूत करना और डिजिटल साक्षरता और सोशल मीडिया जैसे विभिन्न सत्रों में लिंग-उत्तरदायी शासन पर प्रशिक्षित किया जायेगा। कार्यशाला में केरल, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और असम राज्यों से 33 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
कार्यशाला का प्राथमिक उद्देश्य निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों को उनकी पहचान की गई शक्तियों के निर्माण के लिए संवेदनशील बनाना और उनकी सहायता करना है और इस तरह से आत्म-जागरूकता के स्तर को बढ़ाना है जो उन्हें समग्र रूप से विभिन्न और चुनौतीपूर्ण रास्तों का प्रबंधन करने में मदद करेगा।
–आईएएनएस
पीटीके/एएनएम
नई दिल्ली, 7 फरवरी (आईएएनएस)। राष्ट्रीय महिला आयोग ने अखिल भारतीय क्षमता निर्माण शी इज अ चेंजमेकर परियोजना के तहत सात दक्षिणी और उत्तर-पूर्वी राज्यों से निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों (विधायकों) के लिए लैंगिक उत्तरदायी शासन पर 4-6 फरवरी तक तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।
महिला प्रतिनिधियों के नेतृत्व कौशल में सुधार के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया। पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू इसके समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। नायडू ने अपने संबोधन में राजनीति और निर्णय लेने में महिलाओं के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि स्थानीय सरकारों, संसदों और विधानसभाओं में महिलाओं को समान प्रतिनिधित्व और राजनीतिक पदों तक पहुंच होनी चाहिए।
उन्होंने वित्तीय सशक्तिकरण के लिए समान विरासत शेयरों के मूल्य को भी रेखांकित किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह महत्वपूर्ण है क्योंकि महिलाओं को पूरी तरह से सशक्त बनाने के लिए हमें उन्हें वित्तीय संसाधनों तक पहुंच प्रदान करनी चाहिए। नेतृत्व में विविधता और लैंगिक संतुलन के मूल्य को कम करके नहीं आंकना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग का यह अखिल भारतीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम महिला नेताओं को उनके मील के पत्थर हासिल करने और उच्च सफलता हासिल करने में मदद करता है। अधिक से अधिक महिला नेता कौशल और कल्पनाशील ²ष्टिकोण का एक अलग सेट प्रदान कर सकती हैं। महिला नेता सांस्कृतिक और संरचनात्मक भिन्नता लाती हैं जो प्रभावी समाधान चलाती हैं।
वहीं राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि इस अवसर पर बोलने की उनकी इच्छा ने महिलाओं को सशक्त बनाने के प्रति उनके समर्पण को प्रदर्शित किया। उन्होंने कहा कि वह लगातार अधिक महिलाओं के संसद में चुने जाने के प्रबल समर्थक रहे हैं। महिला सशक्तिकरण के बिना, कोई भी विकास नहीं कर सकता है। महिला विधायकों को सशक्त बनाने के लिए आयोग इस क्षमता निर्माण कार्यक्रम को चला रही है।
तीन दिवसीय कार्यशाला में राष्ट्रीय लिंग और बाल केंद्र, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के सहयोग से किया गया था। कार्यशाला के दौरान, महिला विधायकों को प्रभावी नेतृत्व, समावेशी शासन, लिंग संवेदनशील और समावेशी संचार, विधायी परंपराओं को मजबूत करना और डिजिटल साक्षरता और सोशल मीडिया जैसे विभिन्न सत्रों में लिंग-उत्तरदायी शासन पर प्रशिक्षित किया जायेगा। कार्यशाला में केरल, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और असम राज्यों से 33 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
कार्यशाला का प्राथमिक उद्देश्य निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों को उनकी पहचान की गई शक्तियों के निर्माण के लिए संवेदनशील बनाना और उनकी सहायता करना है और इस तरह से आत्म-जागरूकता के स्तर को बढ़ाना है जो उन्हें समग्र रूप से विभिन्न और चुनौतीपूर्ण रास्तों का प्रबंधन करने में मदद करेगा।
–आईएएनएस
पीटीके/एएनएम