नई दिल्ली, 13 जनवरी (आईएएनएस)। देश में पहली बार भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने बासमती चावल (ब्राउन बासमती, मिल्ड बासमती, हल्की भूरी बासमती और मिल्ड हल्की उबली बासमती) के लिए मानक तय किए हैं।
खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) प्रथम संशोधन विनियम, 2023 और भारत के राजपत्र में अधिसूचित मानकों का उद्देश्य बासमती चावल के व्यापार में उचित व्यवहार स्थापित करना और घरेलू और वैश्विक स्तर पर उपभोक्ता हितों की रक्षा करना है। ये मानक एक अगस्त से लागू हो जाएंगे।
इन मानकों के अनुसार, बासमती चावल में बासमती चावल की प्राकृतिक सुगंध होनी चाहिए और कृत्रिम रंग, पॉलिशिंग एजेंटों और कृत्रिम सुगंधों से मुक्त होना चाहिए। ये मानक बासमती चावल के लिए विभिन्न पहचान और गुणवत्ता मापदंडों को भी निर्दिष्ट करते हैं, जैसे बासमती चावल का औसत साइज, पकने के बाद चावल की स्थिति, चावल में नमी यूरिक एसिड की मात्रा और बासमती में इत्तेफाक से नॉन बासमती की कितनी मात्रा हो सकती है, आदि।
प्रीमियम गुणवत्ता वाला चावल होने और गैर-बासमती किस्मों की तुलना में महंगा होने करने के कारण, बासमती चावल आर्थिक लाभ के लिए विभिन्न प्रकार की मिलावट का शिकार होता है। इसलिए, घरेलू और निर्यात बाजारों में मानकीकृत वास्तविक बासमती चावल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एफएसएसएआई ने बासमती चावल के लिए मानक तय किए हैं, जिन्हें संबंधित सरकारी विभागों/एजेंसियों और अन्य हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के माध्यम से तैयार किया गया है।
बासमती चावल भारतीय उपमहाद्वीप के हिमालय की तलहटी में उगाए जाने वाले चावल की प्रीमियम किस्म है और अपने लंबे दाने के आकार, भुरभुरी बनावट और सुगंध और स्वाद के लिए सार्वभौमिक रूप से जाना जाता है।
–आईएएनएस
केसी/एसजीके