मुंबई, 29 जनवरी (आईएएनएस)। बजट सप्ताह में सोमवार को इक्विटी बाजारों के तेजी से बढ़ने के साथ एफपीआई निवेश पर सरकार के स्पष्टीकरण ने भी एक बूस्टर शॉट जोड़ा है।
बीडीओ इंडिया के एफएस टैक्स एंड रेगुलेटरी सर्विसेज के पार्टनर और लीडर, मनोज पुरोहित ने कहा कि एफपीआई के लिए नकदी प्रवाह को अधिकतम करने के लिए लाभांश आय पर स्पष्टता प्रदान करना एक अतिरिक्त वरदान होगा।
सरकार एफपीआई के लिए विभिन्न कर और परिचालन मुद्दों को हल करने के लिए कई स्पष्टीकरण और संशोधन जारी कर रही है। एफपीआई भारत में कारोबार करने के लिए नियमों में आसानी की उम्मीद कर रहे हैं।
कानून के मौजूदा प्रावधानों के तहत लाभांश आयकर योग्य है, और एफपीआई सहित गैर-निवासियों को ऐसी लाभांश आय के भुगतान पर आयकर कानून के अनुसार या उसके अनुसार 20 प्रतिशत की दर से स्रोत पर कर कटौती योग्य है। एफपीआई संबंधित देश की कर संधि में उल्लिखित दर, जो भी अधिक लाभकारी हो।
कर संधि का लाभ उठाने के लिए, लाभांश भुगतान करने वाली संस्थाओं को कानून के तहत निर्दिष्ट दस्तावेज जमा करना आवश्यक है।
हालांकि एफपीआई संधि का लाभ उठाने के लिए जरूरी सभी दस्तावेज जमा करते हैं, निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी एक रूढ़िवादी दृष्टिकोण अपनाती है और एफपीआई के लिए लागू 20 प्रतिशत की दर (साथ ही लागू अधिभार और उपकर) पर कर रोकती है।
आयकर कानून आय रिटर्न दाखिल करके ऐसे रोके गए कर की वापसी का दावा करने के लिए एक तंत्र प्रदान करता है, लेकिन प्रारंभिक चरण में नकदी प्रवाह की समस्या होती है।
प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए घोषणा को अधिसूचित किया जा सकता है, जो कर संधि के लाभ का दावा करने के लिए सभी जरूरतों को पूरा कर सकता है और ऐसी घोषणा को किसी एक प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराया जा सकता है, ताकि निवेशकर्ता कंपनी लाभकारी दर पर स्रोत पर कर कटौती कर सके। इससे एफपीआई को अपने नकदी बहिर्प्रवाह को अधिकतम करने में मदद मिलेगी।
इस स्थिति से निपटने और स्पष्टता व समानता प्रदान करने से बाजार के माहौल में हितधारकों को अधिक स्थिरता मिलेगी, जिसमें एक्सचेंजों पर लेनदेन टी+1/टी+0 पर तय किया जाएगा, चाहे जैसा भी मामला हो।
–आईएएनएस
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