नई दिल्ली, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। चार वर्षीय अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम (एफवाईयूपी) के नए ड्राफ्ट से विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक छात्रों को मदद मिलेगी। भारतीय छात्रों में विदेशों में पढ़ाई को लेकर क्रेज साल दर साल बढ़ रहा है। इस साल नवंबर तक 6 लाख से ज्यादा भारतीय छात्र, उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए हैं, जबकि 2021 में यह संख्या 4.44 लाख थी। सरकार ने यह आंकड़ा पिछले हफ्ते लोकसभा में पेश किया है।
इन आंकड़ों में कहा गया है कि कनाडा, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका और इटली ऐसे शीर्ष 5 देश हैं जहां पर भारतीय छात्र पढ़ने के लिए ज्यादा जा रहे हैं। यूजीसी के नए ड्राफ्ट के अनुसार, अब छात्र तीन साल के बजाय चार साल पूरा करने पर ही अंडरग्रेजुएट ऑनर्स की डिग्री प्राप्त कर सकेंगे। एफवाईयूपी का पाठ्यक्रम और क्रेडिट फ्रेमवर्क का ड्राफ्ट अंतरराष्ट्रीय स्टैण्डर्ड के अनुसार है। शिक्षा के स्तर में अंतरराष्ट्रीय बराबरी का एक लाभ यह भी है कि भारतीय छात्र को अमेरिका और पश्चिमी देशों के विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के लिए पहले से अधिक अवसर प्राप्त हो सकेंगे।
हालांकि कुछ विश्वविद्यालय इससे सहमत नहीं हैं। जेके लक्ष्मीपत यूनिवर्सिटी, जयपुर के प्रो वाइस चांसलर प्रोफेसर आशीष गुप्ता की राय कुछ विपरीत हैं। उन्होंने आईएएनएस से कहा, एफवाईयूपी उन छात्रों को मदद करेगी जो अमेरिका के कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में एडमिशन पाने के इच्छुक हैं। लेकिन प्रोग्राम में इस तरह की स्किल सिखाने की जरूरत है जिससे रोजगार बढ़ाया जा सके। इस तरह की स्किल विदेश में पढ़ने वाले छात्रों के लिए बहुत मददगार होगी। इन स्किल में कम्युनिकेशन, एडैप्टबिलिटी, विदेशी भाषा, और सेल्फ-अवेयरनेस शामिल हो सकते हैं। लेकिन विदेशी संस्थानों में एडमिशन पाने के लिए भारतीय संस्थानों में इस तरह का प्रस्ताव पेश किया जाना छात्रों के लिए सही नहीं है।
उन्होंने कहा, मूल उद्देश्य देश में तीन साल के प्रोग्राम में ज्यादा संख्या में छात्रों को शामिल करना था। एफवाईयूपी, डिग्री तीन वर्षीय कार्यक्रम का विस्तार है। जैसे कि स्कूलों में आप क्लास में जाते हैं, नोट्स तैयार करते हैं और परीक्षा देते हैं। परीक्षा में आपके प्रदर्शन के हिसाब से आपको ग्रेड मिलता है। इस प्रकार की शिक्षा से छात्र विदेशों में अच्छी यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन शिक्षा पाने के साथ-साथ करियर बनाने के लिए तैयार नहीं होते हैं क्योंकि उनका उद्देश्य मात्र विदेश के विश्वविद्यालय में प्रवेश पाना है। जो संस्थान एफवाईयूपी शुरू करने की योजना बना रहे हैं, उन्हें उसे इस बारे में सोचने की जरूरत है।
हालांकि यूजीसी स्पष्ट कर चुकी है कि एफवाईयूपी के कई शैक्षिक फायदे हैं। उच्च शिक्षा के लिए इस कदम को प्रासंगिक बनाने वाला एक और कारण यह है कि अब एफवाईयूपी से भारतीय छात्र पीएचडी करने के लिए सीधे विदेश जा सकते हैं। भारतीय छात्रों को पहले पीएचडी करने के लिए पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) करना पड़ता था, और फिर विदेश में पीएचडी प्रोग्राम के लिए जाना होता था।
यूजीसी का कहना है कि एफवाईयूपी में छात्रों की सुविधा को देखते हुए लचीलापन दिया गया है। यहां कोई भी पाठ्यक्रम छात्रों पर थोपा नहीं जा रहा है। वर्तमान में भारतीय छात्र तीन साल के बाद ग्रेजुएशन डिग्री पा सकते हैं। नया ड्राफ्ट छात्रों को चार साल का कोर्स पूरा करने और 160 क्रेडिट पाने के बाद अंडरग्रेजुएट ऑनर्स डिग्री प्राप्त करने के काबिल बनाएगा। अगर कोई छात्र तीन साल और 120 क्रेडिट पूरा कर लेता है तो उसे एक सामान्य अंडरग्रेजुएट डिग्री प्रदान की जाएगी।
एफवाईयूपी मल्टीपल एंट्री एग्जिट की सुविधा देता है। अगर कोई छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ देता हैं, तो उसे कोर्स छोड़ने के तीन साल के अंदर फिर से कोर्स पूरा करने की सहूलियत होगी। सात साल की निर्धारित अवधि के अंदर वह डिग्री पूरी कर सकते हैं।
एफवाईयूपी के पाठ्यक्रम में मेजर स्ट्रीम कोर्सेस, माइनर स्ट्रीम कोर्सेस, अन्य विषयों के कोर्सेस, लैंग्वेज कोर्सेस, स्किल कोर्सेस और पर्यावरण शिक्षा पर कोर्स, भारत को समझने, डिजिटल और तकनीकी समाधान को जानने, स्वास्थ्य और कल्याण, योग शिक्षा, खेल तथा फिटनेस प्रोग्राम आदि शामिल हैं।
–आईएएनएस
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