जबलपुर. जिले में अधिकतम विक्रय मूल्य (एमआरपी) से अधिक मूल्य पर विगत 3 वर्षों से हो रही शराब की बिक्री का मामला सुर्खियों में आने के बाद आबकारी विभाग में हड़कंप का माहौल निर्मित हो गया. हड़कंप की स्थिति तब निर्मित हुई जब राजधानी से संस्कारधानी के वरिष्ठ अधिकारियों से इस विषय में पूछताछ की गई.
विभागीय सूत्रों की मानें तो आनन-फानन में दुकानदारों को एमआरपी से अधिक पर शराब बेचने से मना भी किया गया लेकिन विगत 3 वर्षों से जिनकी आदत बिगड़ चुकी हैं वे एक बार के निर्देश पर कैसे मानते लिहाजा दुकानदार और मुख्य रूप से सिंडिकेट अब आबकारी अधिकारियों की सुनने को भी तैयार नहीं जिसके चलते जिले में विषम परिस्थितियां निर्मित हो रही हैं.
शराब 3 साल से एमआरपी से अधिक मूल्य पर बिक रही
विभागीय सूत्रों की मानें तो मामला सुर्खियों में आने के बाद भोपाल से जल्द संस्कारधानी में जांच के लिए टीम आने के भी संकेत मिल रहे हैं. भोपाल के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं. ज्ञात हो कि देश बन्धु द्वारा इस विषय में 3 साल से एमआरपी से अधिक मूल्य पर बिक रही शराब, सिंडिकेट के हाथों की कठपुतली बना आबकारी विभाग शीर्षक से 26 दिसंबर को एक खबर प्रकाशित की गई थी. जिसके बाद विभाग में हड़कंप का माहौल हैं.
3 साल से नहीं हुई कार्रवाई
ज्ञात हो कि एमआरपी से अधिक मूल्य पर शराब की बिक्री पर एक पूर्व सहायक आयुक्त आबकारी पर निलंबन की गाज तक गिर चुकी हैं लेकिन वर्तमान अधिकारी विगत 3 वर्षोँ सें एमआरपी से अधिक मूल्य पर शराब की बिक्री पर अंकुश नहीं लगा पाए. आबकारी विभाग के सूत्रों की मानें तो नए अधिकारी के पदभार ग्रहण करने के बाद लगातार तीन वर्षों से जिले में शराब एमआरपी से अधिक मूल्य पर बिक रही हैं. आबकारी सूत्रों की मानेंं तो विगत तीन साल से विभाग को अधिकारी नहीं बल्कि शराब सिंडिकेट चला रहा हैं. स्थिति ये हैं कि विभागीय कर्मी यदि अपने वरिष्ठ अधिकारियों की न सुने तो माफी मिल जाएगी लेकिन यदि सिंडिकेट के आकाओं की नाफरमानी की तो खैर नहीं.