पुणे (महाराष्ट्र), 27 दिसंबर (आईएएनएस)। विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने बुधवार को छत्रपति शिवाजी महाराज के जन्मस्थान शिवनेरी किले से पुणे कलेक्टरेट तक किसानों की मांगों को लेकर अपना 4 दिवसीय, 100 किलोमीटर लंबा ‘किसान आक्रोश मोर्चा’ शुरू किया।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के सांसद डॉ. अमोल कोल्हे ने एमवीए सहयोगी कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के विधायकों और नेताओं के साथ शिवनेरी किले पर श्रद्धांजलि अर्पित करके मार्च शुरू किया, जिसमें कई महिलाओं तथा युवाओं समेत हजारों किसान बैनर और तख्तियां लेकर शामिल थे।
हर रोज सुबह 8 से रात 8 बजे तक जारी मार्च विभिन्न स्थानों पर सार्वजनिक बैठकों के साथ खत्म होगा। यह 30 दिसंबर 2023 को पुणे में राकांपा अध्यक्ष शरद पवार द्वारा संबोधित की जाने वाली एक विशाल सार्वजनिक रैली में समाप्त होगा।
मीडिया से बातचीत करते हुए, डॉ. कोल्हे और अन्य ने विरोध जुलूस निकालने के लिए किसानों की प्रमुख मांगों को सूचीबद्ध किया।
डॉ. कोल्हे ने कहा, ”प्याज निर्यात पर लगा प्रतिबंध तुरंत हटाया जाना चाहिए और प्याज निर्यात के लिए दीर्घकालिक नीति बनाई जानी चाहिए। किसानों को विशेष रूप से कीट-प्रवण क्षेत्रों में कृषि के लिए दिन के समय बिजली आपूर्ति मिलनी चाहिए। फसल बीमा कंपनियों की मनमानी पर लगाम लगाई जाए और किसानों को नुकसान का मुआवजा तुरंत मिले।”
डॉ. कोल्हे ने सवाल किया कि इस साल खरीफ (मानसून) और रबी (सर्दियों) की फसल के मौसम के दौरान हुए भारी नुकसान को देखते हुए किसान पूर्ण फसल ऋण माफी के हकदार क्यों नहीं हैं, जबकि सरकार ने बड़े कॉरपोरेट घरानों का 25 लाख करोड़ रुपये का बकाया माफ कर दिया है।
उन्होंने किसानों के बच्चों के लिए एक औपचारिक शिक्षा ऋण नीति और सभी दूध उत्पादक किसानों के लिए समान सब्सिडी की मांग की। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा किए गए सभी वादों को लागू करने का आग्रह किया, जो ‘किसानों की सरकार’ होने का दावा करते हैं।
डॉ. कोल्हे ने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की दोषपूर्ण नीतियों के कारण किसान बहुत संकट में हैं, जिन्हें केवल सत्ता में बने रहने की चिंता है।
डॉ. कोल्हे ने कहा, “हम छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरित हैं, जिन्होंने खेती करने वालों को पूरी सुरक्षा दी थी। लेकिन, उनके नाम का सहारा लेकर सत्ता में आने वाली भाजपा सरकार ने खेती करने वालों को बर्बाद कर दिया है।”
यह लड़ाई उन सभी कृषक भाइयों, माताओं, बहनों के लिए है, जो अन्यायपूर्ण व्यवस्था से उत्पीड़ित हैं।
–आईएएनएस
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