नई दिल्ली, 26 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने शनिवार को कहा कि चीन की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिंगपिंग की बैठक को लेकर जारी बयान में “डिसइंगेजमेंट” का कोई जिक्र नहीं है।
उन्होंने यह भी पूछा कि अगर कोई डिसइंगेजमेंट हो रहा है तो वह किसकी शर्तों पर हो रहा है। लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा कि यह दिलचस्प होता कि चीनी पक्ष कहता कि पीएमओ और राष्ट्रपति शी जिंगपिंग की बैठक हुई, जिसमें सैनिकों की वापसी का कोई जिक्र नहीं हुआ।
इसके बदले यह कहा गया कि भारत के अनुरोध पर आयोजित बैठक में दोनों पक्षों को अपने द्विपक्षीय संबंधों के समग्र हितों को ध्यान में रखने और सीमा मुद्दे को ठीक से संभालने पर चर्चा हुई, ताकि सीमा क्षेत्र में शांति की रक्षा की जा सके।
उन्होंने कहा, “भारत की स्थिति : मोदी और शी अपने संबंधित अधिकारियों को सैनिकों की शीघ्र वापसी और तनाव कम करने के प्रयासों को तेज करने का निर्देश देने पर सहमत हुए।”
पूर्व केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “दो विवरण उतने ही अलग हैं, जितनी कि चॉक और चीज़। यदि कुछ हो रहा है तो किसकी शर्तों पर हो रहा है? क्या भारत अब 1959 की चीनी दावा रेखा को स्वीकार करने को तैयार है?
संबंधों को सामान्य बनाने के लिए अप्रैल 2020 से पहले की यथास्थिति बहाल करने की भारत की स्थिति का क्या हुआ? अप्रैल 2020 से चीनी कब्जे के तहत 2,000 वर्ग किमी भारतीय क्षेत्र का क्या होगा?”
उन्होंने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के विदेश मंत्रालय के रीड आउट के लिंक को भी अटैच करते हुए अपनी टिप्पणी की।
दरअसल, 24 अगस्त को जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन पर मीडिया को जानकारी देने के दौरान जब विदेश सचिव विनय क्वात्रा से मोदी-शी के बीच बातचीत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि दोनों नेता संबंधित अधिकारियों को शीघ्र विघटन और तनाव कम करने के प्रयासों को तेज करने के निर्देश देने पर सहमत हुए।
विनय क्वात्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित किया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना और एलएसी का सम्मान करना भारत-चीन संबंधों को सामान्य बनाने के लिए जरूरी है।
विदेश सचिव ने आगे बताया कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने एलएसी पर अनसुलझे मुद्दों पर भारत की चिंताओं पर प्रकाश डाला।
विनय क्वात्रा ने संवाददाताओं से कहा कि यह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर हुई बातचीत थी, जहां पीएम मोदी ने एलएसी तनाव के बारे में बात की। यह औपचारिक द्विपक्षीय वार्ता नहीं थी।
बता दें 14 अगस्त को भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बीच कोर कमांडर स्तर की 19वें दौर की वार्ता हुई। बातचीत के दौरान पूर्वी लद्दाख में तनाव वाले इलाके में सैनिकों को पीछे हटाने और तनाव कम करने पर चर्चा हुई। भारत की ओर से देपसांग और डेमचोक इलाके पर चर्चा की गई।
पूर्वी लद्दाख में कुछ जगहों पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध बना हुआ है। पिछले तीन साल से भारत और चीन की सेनाओं के बीच टकराव चल रहा है। हालांकि, इस दौरान दोनों पक्षों ने व्यापक कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी सुनिश्चित की है। इसके बावजूद देपसांग और डेमचोक में तनाव है।
–आईएएनएस
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