नई दिल्ली, 6 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार में मतदाता पुनरीक्षण की पहली लिस्ट चुनाव आयोग द्वारा जारी कर दी गई है। इसे लेकर विपक्ष लगातार हमलावर हो रहा है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इसको लेकर केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि सरकार संसद में बहस से बच रही है और विपक्ष की आवाज को दबाना चाहती है।
अखिलेश यादव ने कहा, “हम लोकसभा में बहस के लिए आए हैं, लेकिन सरकार हमारी बातें सुनना नहीं चाहती। एसआईआर को लेकर हम लगातार आवाज उठाते रहेंगे।”
उन्होंने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के बयान पर पलटवार करते हुए कहा, “लोकसभा चर्चा के लिए है। जब चर्चा होगी, तो सरकार को जवाब देना पड़ेगा कि वोट क्यों काटे जा रहे हैं, नाम डिलीट क्यों हो रहे हैं, और बूथों से नाम क्यों हटाए जा रहे हैं। भाजपा वाले वोटर आईडी और आधार कार्ड 5 मिनट में कैसे बनवा लेते हैं? यह सब सवाल हैं, जिनका जवाब सरकार को देना चाहिए।”
सपा सांसद हरेंद्र सिंह मलिक ने कहा, “हम एसआईआर पर चर्चा की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार स्पष्ट रूप से इससे बच रही है।”
वहीं, समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा, “यह सरकार लोकतंत्र को खत्म करना चाहती है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि चुनाव आयोग चुप है और सरकार के साथ मिलकर काम करता नजर आ रहा है।”
वहीं, इन आरोपों का भाजपा की ओर से जवाब दिया गया। भाजपा सांसद तोखन साहू ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा, “विपक्ष जनता को सिर्फ भ्रमित करने का काम कर रही है। अगर उन्हें कोई समस्या है, तो वे चुनाव आयोग के पास जाएं और आपत्ति दर्ज करें। लेकिन वे संसद में कार्यवाही नहीं चलने दे रहे और न ही औपचारिक आपत्ति दर्ज करवा रहे हैं।”
भाजपा सांसद किरण चौधरी ने कहा, “एसआईआर पूरी तरह से चुनाव आयोग का काम है, इसमें हमारा कोई हस्तक्षेप नहीं होता। हर चुनाव से पहले चुनाव आयोग वोटर लिस्ट की सत्यता जांचता है क्योंकि कई बार लोगों की मृत्यु हो जाती है या वे स्थान बदल लेते हैं। इसलिए वोटर लिस्ट को अपडेट करना जरूरी होता है।”
लोकसभा में इस मुद्दे को लेकर दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस देखने को मिली। जहां एक ओर विपक्ष इस विषय पर चर्चा की मांग कर रहा है, वहीं सरकार और भाजपा सांसदों का कहना है कि यह चुनाव आयोग का विषय है और संसद को बाधित करना गलत है।
–आईएएनएस
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