नई दिल्ली, 13 मार्च (आईएएनएस)। शिरोणमि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू किए जाने के कदम का स्वागत किया है। एसजीपीसी ने कहा, इससे मुस्लिम बाहुल्य देशों से ‘गरिमा और सम्मान’ के साथ भारत की शरण लेने वाले लोगों को नागरिकता प्रदान की जाएगी।
एसजीपीसी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने कहा, “बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में धर्म के आधार पर सताए गए अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी। सिख समुदाय के लोगों को इससे बड़े पैमाने पर फायदा पहुंचेगा।”
एसजीपीसी महासचिव ने कहा कि चुनाव के समय में सरकार की तरफ से इस तरह के लोकलुभावने कदमों की अपेक्षा की जा सकती है। वहीं, इस कदम से सिख समुदाय को काफी हद तक मदद मिलेगी, क्योंकि उन्हें प्रताड़ित कर देश छोड़ने पर मजबूर किया गया है।
इसके साथ ही उन्होंने अफगानिस्तान में सिख समुदाय के लोगों को वापस लाने की दिशा में भारत सरकार के कदम की सराहना की।
उन्होंने कहा, “गुरुद्वारे को ढहा दिया गया और दूसरे धार्मिक स्थलों को भी नेस्तनाबूत कर दिया गया। हालांकि, उस वक्त सिखों को बचाने के लिए एसजीपीसी पहुंची थी, लेकिन सरकार ने बिना वक्त गंवाए सिख समुदाय के लोगों को बचाने की दिशा में कदम बढ़ाया।”
एसजीपीसी प्रवक्ता ने नए अधिसूचित सीएए नियमों के तहत नागरिकता का दायरा बढ़ाने की भी वकालत की।
उन्होंने कहा कि सीएए के तहत मुस्लिम समुदाय के पीड़ितों को भी इसी तरह का फायदा दिया जा सकता है।
सोमवार को केंद्र सरकार ने सीएए के संदर्भ में अधिसूचना जारी की थी। इस अधिनियम के अंतर्गत 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में शरण लेने वाले अल्पसंख्यक समदुाय को सीएए के तहत भारत की नागरिकता दी जाएगी।
बता दें कि सीएए के तहत हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारत की नागरिकता प्रदान किए जाने का प्रावधान किया गया है। केंद्र सरकार सीएए साल 2019 में लेकर आई थी।
–आईएएनएस
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