नई दिल्ली, 1 जून (आईएएनएस)। सरकारी स्वामित्व वाली एसजेवीएन ने गुरुवार को नेपाल में 669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। कंपनी ने कहा कि 5,792 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ निर्माण कार्य पांच साल में पूरा होगा।
इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड की मौजूदगी में यहां हस्ताक्षर किए गए।
समझौते पर एसजेवीएन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा और नेपाल के निवेश बोर्ड के सीईओ सुशील भट्ट ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन सात से आठ वर्षो के भीतर लोअर अरुण एचईपी को एक मॉडल हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें अवधारणा से लेकर कमीशनिंग तक पूर्ण निष्पादन शामिल है। एक बड़ी उपलब्धि के रूप में एसजेवीएन द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) रिकॉर्ड समय में तैयार की गई है और दोनों सरकारों द्वारा इसकी स्वीकृति अब तक की सबसे तेज थी।
उन्होंने विकास में भागीदार के रूप में एसजेवीएन के प्रति विश्वास दिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड का आभार जताया। उन्होंने परियोजना की आवश्यक तकनीकी-आर्थिक स्वीकृतियों में तेजी लाने में समर्थन के लिए विद्युत मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को भी धन्यवाद दिया।
एक आधिकारिक बयान में शर्मा के हवाले से कहा गया है, 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी के बाद नेपाल में यह हमारा दूसरा बड़े पैमाने का निवेश है, जो निर्माण के अग्रिम चरण में है। अब हमारा लक्ष्य भारत सरकार से निवेश स्वीकृति प्राप्त करने के बाद चालू वित्तवर्ष में नई परियोजना का निर्माण शुरू करना है।
उन्होंने मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परियोजना का निर्माण पांच साल में 5,792 करोड़ रुपये की लागत से 4.99 रुपये प्रति यूनिट के स्तरित टैरिफ के साथ किया जाएगा। परियोजना बीओओटी के आधार पर विकसित की जाएगी और पूरा होने पर यह सालाना 2,901 मिलियन यूनिट ऊर्जा पैदा करेगी।
इसके अलावा, एसजेवीएन बिजली की निकासी और भारत को निर्यात के लिए 217 किलोमीटर लंबा संबद्ध पारेषण नेटवर्क भी विकसित कर रहा है।
669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट नेपाल के संखुवासभा और भोजपुर जिलों में स्थित है।
एसजेवीएन का मुख्यालय शिमला में है। इस कंपनी ने फरवरी 2021 में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से परियोजना जीती और जुलाई 2021 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
एसजेवीएन पहले से ही हिमाचल प्रदेश में 412 मेगावाट रामपुर हाइड्रो पावर स्टेशन के साथ मिलकर भारत के सबसे बड़े भूमिगत 1,500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन का संचालन कर रहा है।
एसजेवीएन नेपाल में 2,059 मेगावाट की तीन जलविद्युत परियोजनाएं चला रहा है। 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी निर्माण के अग्रिम चरण में है और 490 मेगावाट अरुण-4 एसजेवीएन और नेपाल विद्युत प्राधिकरण द्वारा संयुक्त उद्यम मोड में विकसित किया जाएगा।
एसजेवीएन ने वर्ष 2030 तक नेपाल में 5,000 मेगावाट की परियोजनाएं हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
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नई दिल्ली, 1 जून (आईएएनएस)। सरकारी स्वामित्व वाली एसजेवीएन ने गुरुवार को नेपाल में 669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। कंपनी ने कहा कि 5,792 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ निर्माण कार्य पांच साल में पूरा होगा।
इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड की मौजूदगी में यहां हस्ताक्षर किए गए।
समझौते पर एसजेवीएन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा और नेपाल के निवेश बोर्ड के सीईओ सुशील भट्ट ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन सात से आठ वर्षो के भीतर लोअर अरुण एचईपी को एक मॉडल हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें अवधारणा से लेकर कमीशनिंग तक पूर्ण निष्पादन शामिल है। एक बड़ी उपलब्धि के रूप में एसजेवीएन द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) रिकॉर्ड समय में तैयार की गई है और दोनों सरकारों द्वारा इसकी स्वीकृति अब तक की सबसे तेज थी।
उन्होंने विकास में भागीदार के रूप में एसजेवीएन के प्रति विश्वास दिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड का आभार जताया। उन्होंने परियोजना की आवश्यक तकनीकी-आर्थिक स्वीकृतियों में तेजी लाने में समर्थन के लिए विद्युत मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को भी धन्यवाद दिया।
एक आधिकारिक बयान में शर्मा के हवाले से कहा गया है, 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी के बाद नेपाल में यह हमारा दूसरा बड़े पैमाने का निवेश है, जो निर्माण के अग्रिम चरण में है। अब हमारा लक्ष्य भारत सरकार से निवेश स्वीकृति प्राप्त करने के बाद चालू वित्तवर्ष में नई परियोजना का निर्माण शुरू करना है।
उन्होंने मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परियोजना का निर्माण पांच साल में 5,792 करोड़ रुपये की लागत से 4.99 रुपये प्रति यूनिट के स्तरित टैरिफ के साथ किया जाएगा। परियोजना बीओओटी के आधार पर विकसित की जाएगी और पूरा होने पर यह सालाना 2,901 मिलियन यूनिट ऊर्जा पैदा करेगी।
इसके अलावा, एसजेवीएन बिजली की निकासी और भारत को निर्यात के लिए 217 किलोमीटर लंबा संबद्ध पारेषण नेटवर्क भी विकसित कर रहा है।
669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट नेपाल के संखुवासभा और भोजपुर जिलों में स्थित है।
एसजेवीएन का मुख्यालय शिमला में है। इस कंपनी ने फरवरी 2021 में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से परियोजना जीती और जुलाई 2021 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
एसजेवीएन पहले से ही हिमाचल प्रदेश में 412 मेगावाट रामपुर हाइड्रो पावर स्टेशन के साथ मिलकर भारत के सबसे बड़े भूमिगत 1,500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन का संचालन कर रहा है।
एसजेवीएन नेपाल में 2,059 मेगावाट की तीन जलविद्युत परियोजनाएं चला रहा है। 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी निर्माण के अग्रिम चरण में है और 490 मेगावाट अरुण-4 एसजेवीएन और नेपाल विद्युत प्राधिकरण द्वारा संयुक्त उद्यम मोड में विकसित किया जाएगा।
एसजेवीएन ने वर्ष 2030 तक नेपाल में 5,000 मेगावाट की परियोजनाएं हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 1 जून (आईएएनएस)। सरकारी स्वामित्व वाली एसजेवीएन ने गुरुवार को नेपाल में 669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। कंपनी ने कहा कि 5,792 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ निर्माण कार्य पांच साल में पूरा होगा।
इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड की मौजूदगी में यहां हस्ताक्षर किए गए।
समझौते पर एसजेवीएन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा और नेपाल के निवेश बोर्ड के सीईओ सुशील भट्ट ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन सात से आठ वर्षो के भीतर लोअर अरुण एचईपी को एक मॉडल हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें अवधारणा से लेकर कमीशनिंग तक पूर्ण निष्पादन शामिल है। एक बड़ी उपलब्धि के रूप में एसजेवीएन द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) रिकॉर्ड समय में तैयार की गई है और दोनों सरकारों द्वारा इसकी स्वीकृति अब तक की सबसे तेज थी।
उन्होंने विकास में भागीदार के रूप में एसजेवीएन के प्रति विश्वास दिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड का आभार जताया। उन्होंने परियोजना की आवश्यक तकनीकी-आर्थिक स्वीकृतियों में तेजी लाने में समर्थन के लिए विद्युत मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को भी धन्यवाद दिया।
एक आधिकारिक बयान में शर्मा के हवाले से कहा गया है, 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी के बाद नेपाल में यह हमारा दूसरा बड़े पैमाने का निवेश है, जो निर्माण के अग्रिम चरण में है। अब हमारा लक्ष्य भारत सरकार से निवेश स्वीकृति प्राप्त करने के बाद चालू वित्तवर्ष में नई परियोजना का निर्माण शुरू करना है।
उन्होंने मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परियोजना का निर्माण पांच साल में 5,792 करोड़ रुपये की लागत से 4.99 रुपये प्रति यूनिट के स्तरित टैरिफ के साथ किया जाएगा। परियोजना बीओओटी के आधार पर विकसित की जाएगी और पूरा होने पर यह सालाना 2,901 मिलियन यूनिट ऊर्जा पैदा करेगी।
इसके अलावा, एसजेवीएन बिजली की निकासी और भारत को निर्यात के लिए 217 किलोमीटर लंबा संबद्ध पारेषण नेटवर्क भी विकसित कर रहा है।
669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट नेपाल के संखुवासभा और भोजपुर जिलों में स्थित है।
एसजेवीएन का मुख्यालय शिमला में है। इस कंपनी ने फरवरी 2021 में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से परियोजना जीती और जुलाई 2021 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
एसजेवीएन पहले से ही हिमाचल प्रदेश में 412 मेगावाट रामपुर हाइड्रो पावर स्टेशन के साथ मिलकर भारत के सबसे बड़े भूमिगत 1,500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन का संचालन कर रहा है।
एसजेवीएन नेपाल में 2,059 मेगावाट की तीन जलविद्युत परियोजनाएं चला रहा है। 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी निर्माण के अग्रिम चरण में है और 490 मेगावाट अरुण-4 एसजेवीएन और नेपाल विद्युत प्राधिकरण द्वारा संयुक्त उद्यम मोड में विकसित किया जाएगा।
एसजेवीएन ने वर्ष 2030 तक नेपाल में 5,000 मेगावाट की परियोजनाएं हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
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नई दिल्ली, 1 जून (आईएएनएस)। सरकारी स्वामित्व वाली एसजेवीएन ने गुरुवार को नेपाल में 669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। कंपनी ने कहा कि 5,792 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ निर्माण कार्य पांच साल में पूरा होगा।
इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड की मौजूदगी में यहां हस्ताक्षर किए गए।
समझौते पर एसजेवीएन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा और नेपाल के निवेश बोर्ड के सीईओ सुशील भट्ट ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन सात से आठ वर्षो के भीतर लोअर अरुण एचईपी को एक मॉडल हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें अवधारणा से लेकर कमीशनिंग तक पूर्ण निष्पादन शामिल है। एक बड़ी उपलब्धि के रूप में एसजेवीएन द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) रिकॉर्ड समय में तैयार की गई है और दोनों सरकारों द्वारा इसकी स्वीकृति अब तक की सबसे तेज थी।
उन्होंने विकास में भागीदार के रूप में एसजेवीएन के प्रति विश्वास दिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड का आभार जताया। उन्होंने परियोजना की आवश्यक तकनीकी-आर्थिक स्वीकृतियों में तेजी लाने में समर्थन के लिए विद्युत मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को भी धन्यवाद दिया।
एक आधिकारिक बयान में शर्मा के हवाले से कहा गया है, 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी के बाद नेपाल में यह हमारा दूसरा बड़े पैमाने का निवेश है, जो निर्माण के अग्रिम चरण में है। अब हमारा लक्ष्य भारत सरकार से निवेश स्वीकृति प्राप्त करने के बाद चालू वित्तवर्ष में नई परियोजना का निर्माण शुरू करना है।
उन्होंने मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परियोजना का निर्माण पांच साल में 5,792 करोड़ रुपये की लागत से 4.99 रुपये प्रति यूनिट के स्तरित टैरिफ के साथ किया जाएगा। परियोजना बीओओटी के आधार पर विकसित की जाएगी और पूरा होने पर यह सालाना 2,901 मिलियन यूनिट ऊर्जा पैदा करेगी।
इसके अलावा, एसजेवीएन बिजली की निकासी और भारत को निर्यात के लिए 217 किलोमीटर लंबा संबद्ध पारेषण नेटवर्क भी विकसित कर रहा है।
669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट नेपाल के संखुवासभा और भोजपुर जिलों में स्थित है।
एसजेवीएन का मुख्यालय शिमला में है। इस कंपनी ने फरवरी 2021 में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से परियोजना जीती और जुलाई 2021 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
एसजेवीएन पहले से ही हिमाचल प्रदेश में 412 मेगावाट रामपुर हाइड्रो पावर स्टेशन के साथ मिलकर भारत के सबसे बड़े भूमिगत 1,500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन का संचालन कर रहा है।
एसजेवीएन नेपाल में 2,059 मेगावाट की तीन जलविद्युत परियोजनाएं चला रहा है। 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी निर्माण के अग्रिम चरण में है और 490 मेगावाट अरुण-4 एसजेवीएन और नेपाल विद्युत प्राधिकरण द्वारा संयुक्त उद्यम मोड में विकसित किया जाएगा।
एसजेवीएन ने वर्ष 2030 तक नेपाल में 5,000 मेगावाट की परियोजनाएं हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
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नई दिल्ली, 1 जून (आईएएनएस)। सरकारी स्वामित्व वाली एसजेवीएन ने गुरुवार को नेपाल में 669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। कंपनी ने कहा कि 5,792 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ निर्माण कार्य पांच साल में पूरा होगा।
इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड की मौजूदगी में यहां हस्ताक्षर किए गए।
समझौते पर एसजेवीएन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा और नेपाल के निवेश बोर्ड के सीईओ सुशील भट्ट ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन सात से आठ वर्षो के भीतर लोअर अरुण एचईपी को एक मॉडल हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें अवधारणा से लेकर कमीशनिंग तक पूर्ण निष्पादन शामिल है। एक बड़ी उपलब्धि के रूप में एसजेवीएन द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) रिकॉर्ड समय में तैयार की गई है और दोनों सरकारों द्वारा इसकी स्वीकृति अब तक की सबसे तेज थी।
उन्होंने विकास में भागीदार के रूप में एसजेवीएन के प्रति विश्वास दिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड का आभार जताया। उन्होंने परियोजना की आवश्यक तकनीकी-आर्थिक स्वीकृतियों में तेजी लाने में समर्थन के लिए विद्युत मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को भी धन्यवाद दिया।
एक आधिकारिक बयान में शर्मा के हवाले से कहा गया है, 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी के बाद नेपाल में यह हमारा दूसरा बड़े पैमाने का निवेश है, जो निर्माण के अग्रिम चरण में है। अब हमारा लक्ष्य भारत सरकार से निवेश स्वीकृति प्राप्त करने के बाद चालू वित्तवर्ष में नई परियोजना का निर्माण शुरू करना है।
उन्होंने मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परियोजना का निर्माण पांच साल में 5,792 करोड़ रुपये की लागत से 4.99 रुपये प्रति यूनिट के स्तरित टैरिफ के साथ किया जाएगा। परियोजना बीओओटी के आधार पर विकसित की जाएगी और पूरा होने पर यह सालाना 2,901 मिलियन यूनिट ऊर्जा पैदा करेगी।
इसके अलावा, एसजेवीएन बिजली की निकासी और भारत को निर्यात के लिए 217 किलोमीटर लंबा संबद्ध पारेषण नेटवर्क भी विकसित कर रहा है।
669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट नेपाल के संखुवासभा और भोजपुर जिलों में स्थित है।
एसजेवीएन का मुख्यालय शिमला में है। इस कंपनी ने फरवरी 2021 में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से परियोजना जीती और जुलाई 2021 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
एसजेवीएन पहले से ही हिमाचल प्रदेश में 412 मेगावाट रामपुर हाइड्रो पावर स्टेशन के साथ मिलकर भारत के सबसे बड़े भूमिगत 1,500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन का संचालन कर रहा है।
एसजेवीएन नेपाल में 2,059 मेगावाट की तीन जलविद्युत परियोजनाएं चला रहा है। 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी निर्माण के अग्रिम चरण में है और 490 मेगावाट अरुण-4 एसजेवीएन और नेपाल विद्युत प्राधिकरण द्वारा संयुक्त उद्यम मोड में विकसित किया जाएगा।
एसजेवीएन ने वर्ष 2030 तक नेपाल में 5,000 मेगावाट की परियोजनाएं हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
–आईएएनएस
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इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड की मौजूदगी में यहां हस्ताक्षर किए गए।
समझौते पर एसजेवीएन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा और नेपाल के निवेश बोर्ड के सीईओ सुशील भट्ट ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन सात से आठ वर्षो के भीतर लोअर अरुण एचईपी को एक मॉडल हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें अवधारणा से लेकर कमीशनिंग तक पूर्ण निष्पादन शामिल है। एक बड़ी उपलब्धि के रूप में एसजेवीएन द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) रिकॉर्ड समय में तैयार की गई है और दोनों सरकारों द्वारा इसकी स्वीकृति अब तक की सबसे तेज थी।
उन्होंने विकास में भागीदार के रूप में एसजेवीएन के प्रति विश्वास दिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड का आभार जताया। उन्होंने परियोजना की आवश्यक तकनीकी-आर्थिक स्वीकृतियों में तेजी लाने में समर्थन के लिए विद्युत मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को भी धन्यवाद दिया।
एक आधिकारिक बयान में शर्मा के हवाले से कहा गया है, 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी के बाद नेपाल में यह हमारा दूसरा बड़े पैमाने का निवेश है, जो निर्माण के अग्रिम चरण में है। अब हमारा लक्ष्य भारत सरकार से निवेश स्वीकृति प्राप्त करने के बाद चालू वित्तवर्ष में नई परियोजना का निर्माण शुरू करना है।
उन्होंने मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परियोजना का निर्माण पांच साल में 5,792 करोड़ रुपये की लागत से 4.99 रुपये प्रति यूनिट के स्तरित टैरिफ के साथ किया जाएगा। परियोजना बीओओटी के आधार पर विकसित की जाएगी और पूरा होने पर यह सालाना 2,901 मिलियन यूनिट ऊर्जा पैदा करेगी।
इसके अलावा, एसजेवीएन बिजली की निकासी और भारत को निर्यात के लिए 217 किलोमीटर लंबा संबद्ध पारेषण नेटवर्क भी विकसित कर रहा है।
669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट नेपाल के संखुवासभा और भोजपुर जिलों में स्थित है।
एसजेवीएन का मुख्यालय शिमला में है। इस कंपनी ने फरवरी 2021 में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से परियोजना जीती और जुलाई 2021 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
एसजेवीएन पहले से ही हिमाचल प्रदेश में 412 मेगावाट रामपुर हाइड्रो पावर स्टेशन के साथ मिलकर भारत के सबसे बड़े भूमिगत 1,500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन का संचालन कर रहा है।
एसजेवीएन नेपाल में 2,059 मेगावाट की तीन जलविद्युत परियोजनाएं चला रहा है। 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी निर्माण के अग्रिम चरण में है और 490 मेगावाट अरुण-4 एसजेवीएन और नेपाल विद्युत प्राधिकरण द्वारा संयुक्त उद्यम मोड में विकसित किया जाएगा।
एसजेवीएन ने वर्ष 2030 तक नेपाल में 5,000 मेगावाट की परियोजनाएं हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
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इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड की मौजूदगी में यहां हस्ताक्षर किए गए।
समझौते पर एसजेवीएन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा और नेपाल के निवेश बोर्ड के सीईओ सुशील भट्ट ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन सात से आठ वर्षो के भीतर लोअर अरुण एचईपी को एक मॉडल हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें अवधारणा से लेकर कमीशनिंग तक पूर्ण निष्पादन शामिल है। एक बड़ी उपलब्धि के रूप में एसजेवीएन द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) रिकॉर्ड समय में तैयार की गई है और दोनों सरकारों द्वारा इसकी स्वीकृति अब तक की सबसे तेज थी।
उन्होंने विकास में भागीदार के रूप में एसजेवीएन के प्रति विश्वास दिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड का आभार जताया। उन्होंने परियोजना की आवश्यक तकनीकी-आर्थिक स्वीकृतियों में तेजी लाने में समर्थन के लिए विद्युत मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को भी धन्यवाद दिया।
एक आधिकारिक बयान में शर्मा के हवाले से कहा गया है, 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी के बाद नेपाल में यह हमारा दूसरा बड़े पैमाने का निवेश है, जो निर्माण के अग्रिम चरण में है। अब हमारा लक्ष्य भारत सरकार से निवेश स्वीकृति प्राप्त करने के बाद चालू वित्तवर्ष में नई परियोजना का निर्माण शुरू करना है।
उन्होंने मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परियोजना का निर्माण पांच साल में 5,792 करोड़ रुपये की लागत से 4.99 रुपये प्रति यूनिट के स्तरित टैरिफ के साथ किया जाएगा। परियोजना बीओओटी के आधार पर विकसित की जाएगी और पूरा होने पर यह सालाना 2,901 मिलियन यूनिट ऊर्जा पैदा करेगी।
इसके अलावा, एसजेवीएन बिजली की निकासी और भारत को निर्यात के लिए 217 किलोमीटर लंबा संबद्ध पारेषण नेटवर्क भी विकसित कर रहा है।
669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट नेपाल के संखुवासभा और भोजपुर जिलों में स्थित है।
एसजेवीएन का मुख्यालय शिमला में है। इस कंपनी ने फरवरी 2021 में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से परियोजना जीती और जुलाई 2021 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
एसजेवीएन पहले से ही हिमाचल प्रदेश में 412 मेगावाट रामपुर हाइड्रो पावर स्टेशन के साथ मिलकर भारत के सबसे बड़े भूमिगत 1,500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन का संचालन कर रहा है।
एसजेवीएन नेपाल में 2,059 मेगावाट की तीन जलविद्युत परियोजनाएं चला रहा है। 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी निर्माण के अग्रिम चरण में है और 490 मेगावाट अरुण-4 एसजेवीएन और नेपाल विद्युत प्राधिकरण द्वारा संयुक्त उद्यम मोड में विकसित किया जाएगा।
एसजेवीएन ने वर्ष 2030 तक नेपाल में 5,000 मेगावाट की परियोजनाएं हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
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इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड की मौजूदगी में यहां हस्ताक्षर किए गए।
समझौते पर एसजेवीएन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा और नेपाल के निवेश बोर्ड के सीईओ सुशील भट्ट ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन सात से आठ वर्षो के भीतर लोअर अरुण एचईपी को एक मॉडल हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें अवधारणा से लेकर कमीशनिंग तक पूर्ण निष्पादन शामिल है। एक बड़ी उपलब्धि के रूप में एसजेवीएन द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) रिकॉर्ड समय में तैयार की गई है और दोनों सरकारों द्वारा इसकी स्वीकृति अब तक की सबसे तेज थी।
उन्होंने विकास में भागीदार के रूप में एसजेवीएन के प्रति विश्वास दिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड का आभार जताया। उन्होंने परियोजना की आवश्यक तकनीकी-आर्थिक स्वीकृतियों में तेजी लाने में समर्थन के लिए विद्युत मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को भी धन्यवाद दिया।
एक आधिकारिक बयान में शर्मा के हवाले से कहा गया है, 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी के बाद नेपाल में यह हमारा दूसरा बड़े पैमाने का निवेश है, जो निर्माण के अग्रिम चरण में है। अब हमारा लक्ष्य भारत सरकार से निवेश स्वीकृति प्राप्त करने के बाद चालू वित्तवर्ष में नई परियोजना का निर्माण शुरू करना है।
उन्होंने मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परियोजना का निर्माण पांच साल में 5,792 करोड़ रुपये की लागत से 4.99 रुपये प्रति यूनिट के स्तरित टैरिफ के साथ किया जाएगा। परियोजना बीओओटी के आधार पर विकसित की जाएगी और पूरा होने पर यह सालाना 2,901 मिलियन यूनिट ऊर्जा पैदा करेगी।
इसके अलावा, एसजेवीएन बिजली की निकासी और भारत को निर्यात के लिए 217 किलोमीटर लंबा संबद्ध पारेषण नेटवर्क भी विकसित कर रहा है।
669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट नेपाल के संखुवासभा और भोजपुर जिलों में स्थित है।
एसजेवीएन का मुख्यालय शिमला में है। इस कंपनी ने फरवरी 2021 में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से परियोजना जीती और जुलाई 2021 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
एसजेवीएन पहले से ही हिमाचल प्रदेश में 412 मेगावाट रामपुर हाइड्रो पावर स्टेशन के साथ मिलकर भारत के सबसे बड़े भूमिगत 1,500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन का संचालन कर रहा है।
एसजेवीएन नेपाल में 2,059 मेगावाट की तीन जलविद्युत परियोजनाएं चला रहा है। 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी निर्माण के अग्रिम चरण में है और 490 मेगावाट अरुण-4 एसजेवीएन और नेपाल विद्युत प्राधिकरण द्वारा संयुक्त उद्यम मोड में विकसित किया जाएगा।
एसजेवीएन ने वर्ष 2030 तक नेपाल में 5,000 मेगावाट की परियोजनाएं हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
नई दिल्ली, 1 जून (आईएएनएस)। सरकारी स्वामित्व वाली एसजेवीएन ने गुरुवार को नेपाल में 669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। कंपनी ने कहा कि 5,792 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ निर्माण कार्य पांच साल में पूरा होगा।
इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड की मौजूदगी में यहां हस्ताक्षर किए गए।
समझौते पर एसजेवीएन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा और नेपाल के निवेश बोर्ड के सीईओ सुशील भट्ट ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन सात से आठ वर्षो के भीतर लोअर अरुण एचईपी को एक मॉडल हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें अवधारणा से लेकर कमीशनिंग तक पूर्ण निष्पादन शामिल है। एक बड़ी उपलब्धि के रूप में एसजेवीएन द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) रिकॉर्ड समय में तैयार की गई है और दोनों सरकारों द्वारा इसकी स्वीकृति अब तक की सबसे तेज थी।
उन्होंने विकास में भागीदार के रूप में एसजेवीएन के प्रति विश्वास दिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड का आभार जताया। उन्होंने परियोजना की आवश्यक तकनीकी-आर्थिक स्वीकृतियों में तेजी लाने में समर्थन के लिए विद्युत मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को भी धन्यवाद दिया।
एक आधिकारिक बयान में शर्मा के हवाले से कहा गया है, 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी के बाद नेपाल में यह हमारा दूसरा बड़े पैमाने का निवेश है, जो निर्माण के अग्रिम चरण में है। अब हमारा लक्ष्य भारत सरकार से निवेश स्वीकृति प्राप्त करने के बाद चालू वित्तवर्ष में नई परियोजना का निर्माण शुरू करना है।
उन्होंने मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परियोजना का निर्माण पांच साल में 5,792 करोड़ रुपये की लागत से 4.99 रुपये प्रति यूनिट के स्तरित टैरिफ के साथ किया जाएगा। परियोजना बीओओटी के आधार पर विकसित की जाएगी और पूरा होने पर यह सालाना 2,901 मिलियन यूनिट ऊर्जा पैदा करेगी।
इसके अलावा, एसजेवीएन बिजली की निकासी और भारत को निर्यात के लिए 217 किलोमीटर लंबा संबद्ध पारेषण नेटवर्क भी विकसित कर रहा है।
669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट नेपाल के संखुवासभा और भोजपुर जिलों में स्थित है।
एसजेवीएन का मुख्यालय शिमला में है। इस कंपनी ने फरवरी 2021 में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से परियोजना जीती और जुलाई 2021 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
एसजेवीएन पहले से ही हिमाचल प्रदेश में 412 मेगावाट रामपुर हाइड्रो पावर स्टेशन के साथ मिलकर भारत के सबसे बड़े भूमिगत 1,500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन का संचालन कर रहा है।
एसजेवीएन नेपाल में 2,059 मेगावाट की तीन जलविद्युत परियोजनाएं चला रहा है। 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी निर्माण के अग्रिम चरण में है और 490 मेगावाट अरुण-4 एसजेवीएन और नेपाल विद्युत प्राधिकरण द्वारा संयुक्त उद्यम मोड में विकसित किया जाएगा।
एसजेवीएन ने वर्ष 2030 तक नेपाल में 5,000 मेगावाट की परियोजनाएं हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
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नई दिल्ली, 1 जून (आईएएनएस)। सरकारी स्वामित्व वाली एसजेवीएन ने गुरुवार को नेपाल में 669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। कंपनी ने कहा कि 5,792 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ निर्माण कार्य पांच साल में पूरा होगा।
इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड की मौजूदगी में यहां हस्ताक्षर किए गए।
समझौते पर एसजेवीएन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा और नेपाल के निवेश बोर्ड के सीईओ सुशील भट्ट ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन सात से आठ वर्षो के भीतर लोअर अरुण एचईपी को एक मॉडल हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें अवधारणा से लेकर कमीशनिंग तक पूर्ण निष्पादन शामिल है। एक बड़ी उपलब्धि के रूप में एसजेवीएन द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) रिकॉर्ड समय में तैयार की गई है और दोनों सरकारों द्वारा इसकी स्वीकृति अब तक की सबसे तेज थी।
उन्होंने विकास में भागीदार के रूप में एसजेवीएन के प्रति विश्वास दिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड का आभार जताया। उन्होंने परियोजना की आवश्यक तकनीकी-आर्थिक स्वीकृतियों में तेजी लाने में समर्थन के लिए विद्युत मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को भी धन्यवाद दिया।
एक आधिकारिक बयान में शर्मा के हवाले से कहा गया है, 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी के बाद नेपाल में यह हमारा दूसरा बड़े पैमाने का निवेश है, जो निर्माण के अग्रिम चरण में है। अब हमारा लक्ष्य भारत सरकार से निवेश स्वीकृति प्राप्त करने के बाद चालू वित्तवर्ष में नई परियोजना का निर्माण शुरू करना है।
उन्होंने मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परियोजना का निर्माण पांच साल में 5,792 करोड़ रुपये की लागत से 4.99 रुपये प्रति यूनिट के स्तरित टैरिफ के साथ किया जाएगा। परियोजना बीओओटी के आधार पर विकसित की जाएगी और पूरा होने पर यह सालाना 2,901 मिलियन यूनिट ऊर्जा पैदा करेगी।
इसके अलावा, एसजेवीएन बिजली की निकासी और भारत को निर्यात के लिए 217 किलोमीटर लंबा संबद्ध पारेषण नेटवर्क भी विकसित कर रहा है।
669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट नेपाल के संखुवासभा और भोजपुर जिलों में स्थित है।
एसजेवीएन का मुख्यालय शिमला में है। इस कंपनी ने फरवरी 2021 में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से परियोजना जीती और जुलाई 2021 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
एसजेवीएन पहले से ही हिमाचल प्रदेश में 412 मेगावाट रामपुर हाइड्रो पावर स्टेशन के साथ मिलकर भारत के सबसे बड़े भूमिगत 1,500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन का संचालन कर रहा है।
एसजेवीएन नेपाल में 2,059 मेगावाट की तीन जलविद्युत परियोजनाएं चला रहा है। 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी निर्माण के अग्रिम चरण में है और 490 मेगावाट अरुण-4 एसजेवीएन और नेपाल विद्युत प्राधिकरण द्वारा संयुक्त उद्यम मोड में विकसित किया जाएगा।
एसजेवीएन ने वर्ष 2030 तक नेपाल में 5,000 मेगावाट की परियोजनाएं हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
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नई दिल्ली, 1 जून (आईएएनएस)। सरकारी स्वामित्व वाली एसजेवीएन ने गुरुवार को नेपाल में 669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। कंपनी ने कहा कि 5,792 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ निर्माण कार्य पांच साल में पूरा होगा।
इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड की मौजूदगी में यहां हस्ताक्षर किए गए।
समझौते पर एसजेवीएन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा और नेपाल के निवेश बोर्ड के सीईओ सुशील भट्ट ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन सात से आठ वर्षो के भीतर लोअर अरुण एचईपी को एक मॉडल हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें अवधारणा से लेकर कमीशनिंग तक पूर्ण निष्पादन शामिल है। एक बड़ी उपलब्धि के रूप में एसजेवीएन द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) रिकॉर्ड समय में तैयार की गई है और दोनों सरकारों द्वारा इसकी स्वीकृति अब तक की सबसे तेज थी।
उन्होंने विकास में भागीदार के रूप में एसजेवीएन के प्रति विश्वास दिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड का आभार जताया। उन्होंने परियोजना की आवश्यक तकनीकी-आर्थिक स्वीकृतियों में तेजी लाने में समर्थन के लिए विद्युत मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को भी धन्यवाद दिया।
एक आधिकारिक बयान में शर्मा के हवाले से कहा गया है, 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी के बाद नेपाल में यह हमारा दूसरा बड़े पैमाने का निवेश है, जो निर्माण के अग्रिम चरण में है। अब हमारा लक्ष्य भारत सरकार से निवेश स्वीकृति प्राप्त करने के बाद चालू वित्तवर्ष में नई परियोजना का निर्माण शुरू करना है।
उन्होंने मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परियोजना का निर्माण पांच साल में 5,792 करोड़ रुपये की लागत से 4.99 रुपये प्रति यूनिट के स्तरित टैरिफ के साथ किया जाएगा। परियोजना बीओओटी के आधार पर विकसित की जाएगी और पूरा होने पर यह सालाना 2,901 मिलियन यूनिट ऊर्जा पैदा करेगी।
इसके अलावा, एसजेवीएन बिजली की निकासी और भारत को निर्यात के लिए 217 किलोमीटर लंबा संबद्ध पारेषण नेटवर्क भी विकसित कर रहा है।
669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट नेपाल के संखुवासभा और भोजपुर जिलों में स्थित है।
एसजेवीएन का मुख्यालय शिमला में है। इस कंपनी ने फरवरी 2021 में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से परियोजना जीती और जुलाई 2021 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
एसजेवीएन पहले से ही हिमाचल प्रदेश में 412 मेगावाट रामपुर हाइड्रो पावर स्टेशन के साथ मिलकर भारत के सबसे बड़े भूमिगत 1,500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन का संचालन कर रहा है।
एसजेवीएन नेपाल में 2,059 मेगावाट की तीन जलविद्युत परियोजनाएं चला रहा है। 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी निर्माण के अग्रिम चरण में है और 490 मेगावाट अरुण-4 एसजेवीएन और नेपाल विद्युत प्राधिकरण द्वारा संयुक्त उद्यम मोड में विकसित किया जाएगा।
एसजेवीएन ने वर्ष 2030 तक नेपाल में 5,000 मेगावाट की परियोजनाएं हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
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नई दिल्ली, 1 जून (आईएएनएस)। सरकारी स्वामित्व वाली एसजेवीएन ने गुरुवार को नेपाल में 669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। कंपनी ने कहा कि 5,792 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ निर्माण कार्य पांच साल में पूरा होगा।
इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड की मौजूदगी में यहां हस्ताक्षर किए गए।
समझौते पर एसजेवीएन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा और नेपाल के निवेश बोर्ड के सीईओ सुशील भट्ट ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन सात से आठ वर्षो के भीतर लोअर अरुण एचईपी को एक मॉडल हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें अवधारणा से लेकर कमीशनिंग तक पूर्ण निष्पादन शामिल है। एक बड़ी उपलब्धि के रूप में एसजेवीएन द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) रिकॉर्ड समय में तैयार की गई है और दोनों सरकारों द्वारा इसकी स्वीकृति अब तक की सबसे तेज थी।
उन्होंने विकास में भागीदार के रूप में एसजेवीएन के प्रति विश्वास दिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड का आभार जताया। उन्होंने परियोजना की आवश्यक तकनीकी-आर्थिक स्वीकृतियों में तेजी लाने में समर्थन के लिए विद्युत मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को भी धन्यवाद दिया।
एक आधिकारिक बयान में शर्मा के हवाले से कहा गया है, 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी के बाद नेपाल में यह हमारा दूसरा बड़े पैमाने का निवेश है, जो निर्माण के अग्रिम चरण में है। अब हमारा लक्ष्य भारत सरकार से निवेश स्वीकृति प्राप्त करने के बाद चालू वित्तवर्ष में नई परियोजना का निर्माण शुरू करना है।
उन्होंने मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परियोजना का निर्माण पांच साल में 5,792 करोड़ रुपये की लागत से 4.99 रुपये प्रति यूनिट के स्तरित टैरिफ के साथ किया जाएगा। परियोजना बीओओटी के आधार पर विकसित की जाएगी और पूरा होने पर यह सालाना 2,901 मिलियन यूनिट ऊर्जा पैदा करेगी।
इसके अलावा, एसजेवीएन बिजली की निकासी और भारत को निर्यात के लिए 217 किलोमीटर लंबा संबद्ध पारेषण नेटवर्क भी विकसित कर रहा है।
669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट नेपाल के संखुवासभा और भोजपुर जिलों में स्थित है।
एसजेवीएन का मुख्यालय शिमला में है। इस कंपनी ने फरवरी 2021 में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से परियोजना जीती और जुलाई 2021 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
एसजेवीएन पहले से ही हिमाचल प्रदेश में 412 मेगावाट रामपुर हाइड्रो पावर स्टेशन के साथ मिलकर भारत के सबसे बड़े भूमिगत 1,500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन का संचालन कर रहा है।
एसजेवीएन नेपाल में 2,059 मेगावाट की तीन जलविद्युत परियोजनाएं चला रहा है। 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी निर्माण के अग्रिम चरण में है और 490 मेगावाट अरुण-4 एसजेवीएन और नेपाल विद्युत प्राधिकरण द्वारा संयुक्त उद्यम मोड में विकसित किया जाएगा।
एसजेवीएन ने वर्ष 2030 तक नेपाल में 5,000 मेगावाट की परियोजनाएं हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
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नई दिल्ली, 1 जून (आईएएनएस)। सरकारी स्वामित्व वाली एसजेवीएन ने गुरुवार को नेपाल में 669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। कंपनी ने कहा कि 5,792 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ निर्माण कार्य पांच साल में पूरा होगा।
इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड की मौजूदगी में यहां हस्ताक्षर किए गए।
समझौते पर एसजेवीएन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा और नेपाल के निवेश बोर्ड के सीईओ सुशील भट्ट ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन सात से आठ वर्षो के भीतर लोअर अरुण एचईपी को एक मॉडल हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें अवधारणा से लेकर कमीशनिंग तक पूर्ण निष्पादन शामिल है। एक बड़ी उपलब्धि के रूप में एसजेवीएन द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) रिकॉर्ड समय में तैयार की गई है और दोनों सरकारों द्वारा इसकी स्वीकृति अब तक की सबसे तेज थी।
उन्होंने विकास में भागीदार के रूप में एसजेवीएन के प्रति विश्वास दिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड का आभार जताया। उन्होंने परियोजना की आवश्यक तकनीकी-आर्थिक स्वीकृतियों में तेजी लाने में समर्थन के लिए विद्युत मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को भी धन्यवाद दिया।
एक आधिकारिक बयान में शर्मा के हवाले से कहा गया है, 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी के बाद नेपाल में यह हमारा दूसरा बड़े पैमाने का निवेश है, जो निर्माण के अग्रिम चरण में है। अब हमारा लक्ष्य भारत सरकार से निवेश स्वीकृति प्राप्त करने के बाद चालू वित्तवर्ष में नई परियोजना का निर्माण शुरू करना है।
उन्होंने मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परियोजना का निर्माण पांच साल में 5,792 करोड़ रुपये की लागत से 4.99 रुपये प्रति यूनिट के स्तरित टैरिफ के साथ किया जाएगा। परियोजना बीओओटी के आधार पर विकसित की जाएगी और पूरा होने पर यह सालाना 2,901 मिलियन यूनिट ऊर्जा पैदा करेगी।
इसके अलावा, एसजेवीएन बिजली की निकासी और भारत को निर्यात के लिए 217 किलोमीटर लंबा संबद्ध पारेषण नेटवर्क भी विकसित कर रहा है।
669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट नेपाल के संखुवासभा और भोजपुर जिलों में स्थित है।
एसजेवीएन का मुख्यालय शिमला में है। इस कंपनी ने फरवरी 2021 में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से परियोजना जीती और जुलाई 2021 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
एसजेवीएन पहले से ही हिमाचल प्रदेश में 412 मेगावाट रामपुर हाइड्रो पावर स्टेशन के साथ मिलकर भारत के सबसे बड़े भूमिगत 1,500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन का संचालन कर रहा है।
एसजेवीएन नेपाल में 2,059 मेगावाट की तीन जलविद्युत परियोजनाएं चला रहा है। 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी निर्माण के अग्रिम चरण में है और 490 मेगावाट अरुण-4 एसजेवीएन और नेपाल विद्युत प्राधिकरण द्वारा संयुक्त उद्यम मोड में विकसित किया जाएगा।
एसजेवीएन ने वर्ष 2030 तक नेपाल में 5,000 मेगावाट की परियोजनाएं हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
–आईएएनएस
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इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड की मौजूदगी में यहां हस्ताक्षर किए गए।
समझौते पर एसजेवीएन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा और नेपाल के निवेश बोर्ड के सीईओ सुशील भट्ट ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन सात से आठ वर्षो के भीतर लोअर अरुण एचईपी को एक मॉडल हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें अवधारणा से लेकर कमीशनिंग तक पूर्ण निष्पादन शामिल है। एक बड़ी उपलब्धि के रूप में एसजेवीएन द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) रिकॉर्ड समय में तैयार की गई है और दोनों सरकारों द्वारा इसकी स्वीकृति अब तक की सबसे तेज थी।
उन्होंने विकास में भागीदार के रूप में एसजेवीएन के प्रति विश्वास दिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड का आभार जताया। उन्होंने परियोजना की आवश्यक तकनीकी-आर्थिक स्वीकृतियों में तेजी लाने में समर्थन के लिए विद्युत मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को भी धन्यवाद दिया।
एक आधिकारिक बयान में शर्मा के हवाले से कहा गया है, 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी के बाद नेपाल में यह हमारा दूसरा बड़े पैमाने का निवेश है, जो निर्माण के अग्रिम चरण में है। अब हमारा लक्ष्य भारत सरकार से निवेश स्वीकृति प्राप्त करने के बाद चालू वित्तवर्ष में नई परियोजना का निर्माण शुरू करना है।
उन्होंने मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परियोजना का निर्माण पांच साल में 5,792 करोड़ रुपये की लागत से 4.99 रुपये प्रति यूनिट के स्तरित टैरिफ के साथ किया जाएगा। परियोजना बीओओटी के आधार पर विकसित की जाएगी और पूरा होने पर यह सालाना 2,901 मिलियन यूनिट ऊर्जा पैदा करेगी।
इसके अलावा, एसजेवीएन बिजली की निकासी और भारत को निर्यात के लिए 217 किलोमीटर लंबा संबद्ध पारेषण नेटवर्क भी विकसित कर रहा है।
669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट नेपाल के संखुवासभा और भोजपुर जिलों में स्थित है।
एसजेवीएन का मुख्यालय शिमला में है। इस कंपनी ने फरवरी 2021 में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से परियोजना जीती और जुलाई 2021 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
एसजेवीएन पहले से ही हिमाचल प्रदेश में 412 मेगावाट रामपुर हाइड्रो पावर स्टेशन के साथ मिलकर भारत के सबसे बड़े भूमिगत 1,500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन का संचालन कर रहा है।
एसजेवीएन नेपाल में 2,059 मेगावाट की तीन जलविद्युत परियोजनाएं चला रहा है। 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी निर्माण के अग्रिम चरण में है और 490 मेगावाट अरुण-4 एसजेवीएन और नेपाल विद्युत प्राधिकरण द्वारा संयुक्त उद्यम मोड में विकसित किया जाएगा।
एसजेवीएन ने वर्ष 2030 तक नेपाल में 5,000 मेगावाट की परियोजनाएं हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
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इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड की मौजूदगी में यहां हस्ताक्षर किए गए।
समझौते पर एसजेवीएन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा और नेपाल के निवेश बोर्ड के सीईओ सुशील भट्ट ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन सात से आठ वर्षो के भीतर लोअर अरुण एचईपी को एक मॉडल हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें अवधारणा से लेकर कमीशनिंग तक पूर्ण निष्पादन शामिल है। एक बड़ी उपलब्धि के रूप में एसजेवीएन द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) रिकॉर्ड समय में तैयार की गई है और दोनों सरकारों द्वारा इसकी स्वीकृति अब तक की सबसे तेज थी।
उन्होंने विकास में भागीदार के रूप में एसजेवीएन के प्रति विश्वास दिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड का आभार जताया। उन्होंने परियोजना की आवश्यक तकनीकी-आर्थिक स्वीकृतियों में तेजी लाने में समर्थन के लिए विद्युत मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को भी धन्यवाद दिया।
एक आधिकारिक बयान में शर्मा के हवाले से कहा गया है, 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी के बाद नेपाल में यह हमारा दूसरा बड़े पैमाने का निवेश है, जो निर्माण के अग्रिम चरण में है। अब हमारा लक्ष्य भारत सरकार से निवेश स्वीकृति प्राप्त करने के बाद चालू वित्तवर्ष में नई परियोजना का निर्माण शुरू करना है।
उन्होंने मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परियोजना का निर्माण पांच साल में 5,792 करोड़ रुपये की लागत से 4.99 रुपये प्रति यूनिट के स्तरित टैरिफ के साथ किया जाएगा। परियोजना बीओओटी के आधार पर विकसित की जाएगी और पूरा होने पर यह सालाना 2,901 मिलियन यूनिट ऊर्जा पैदा करेगी।
इसके अलावा, एसजेवीएन बिजली की निकासी और भारत को निर्यात के लिए 217 किलोमीटर लंबा संबद्ध पारेषण नेटवर्क भी विकसित कर रहा है।
669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट नेपाल के संखुवासभा और भोजपुर जिलों में स्थित है।
एसजेवीएन का मुख्यालय शिमला में है। इस कंपनी ने फरवरी 2021 में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से परियोजना जीती और जुलाई 2021 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
एसजेवीएन पहले से ही हिमाचल प्रदेश में 412 मेगावाट रामपुर हाइड्रो पावर स्टेशन के साथ मिलकर भारत के सबसे बड़े भूमिगत 1,500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन का संचालन कर रहा है।
एसजेवीएन नेपाल में 2,059 मेगावाट की तीन जलविद्युत परियोजनाएं चला रहा है। 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी निर्माण के अग्रिम चरण में है और 490 मेगावाट अरुण-4 एसजेवीएन और नेपाल विद्युत प्राधिकरण द्वारा संयुक्त उद्यम मोड में विकसित किया जाएगा।
एसजेवीएन ने वर्ष 2030 तक नेपाल में 5,000 मेगावाट की परियोजनाएं हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
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नई दिल्ली, 1 जून (आईएएनएस)। सरकारी स्वामित्व वाली एसजेवीएन ने गुरुवार को नेपाल में 669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। कंपनी ने कहा कि 5,792 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ निर्माण कार्य पांच साल में पूरा होगा।
इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड की मौजूदगी में यहां हस्ताक्षर किए गए।
समझौते पर एसजेवीएन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा और नेपाल के निवेश बोर्ड के सीईओ सुशील भट्ट ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन सात से आठ वर्षो के भीतर लोअर अरुण एचईपी को एक मॉडल हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें अवधारणा से लेकर कमीशनिंग तक पूर्ण निष्पादन शामिल है। एक बड़ी उपलब्धि के रूप में एसजेवीएन द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) रिकॉर्ड समय में तैयार की गई है और दोनों सरकारों द्वारा इसकी स्वीकृति अब तक की सबसे तेज थी।
उन्होंने विकास में भागीदार के रूप में एसजेवीएन के प्रति विश्वास दिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड का आभार जताया। उन्होंने परियोजना की आवश्यक तकनीकी-आर्थिक स्वीकृतियों में तेजी लाने में समर्थन के लिए विद्युत मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को भी धन्यवाद दिया।
एक आधिकारिक बयान में शर्मा के हवाले से कहा गया है, 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी के बाद नेपाल में यह हमारा दूसरा बड़े पैमाने का निवेश है, जो निर्माण के अग्रिम चरण में है। अब हमारा लक्ष्य भारत सरकार से निवेश स्वीकृति प्राप्त करने के बाद चालू वित्तवर्ष में नई परियोजना का निर्माण शुरू करना है।
उन्होंने मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परियोजना का निर्माण पांच साल में 5,792 करोड़ रुपये की लागत से 4.99 रुपये प्रति यूनिट के स्तरित टैरिफ के साथ किया जाएगा। परियोजना बीओओटी के आधार पर विकसित की जाएगी और पूरा होने पर यह सालाना 2,901 मिलियन यूनिट ऊर्जा पैदा करेगी।
इसके अलावा, एसजेवीएन बिजली की निकासी और भारत को निर्यात के लिए 217 किलोमीटर लंबा संबद्ध पारेषण नेटवर्क भी विकसित कर रहा है।
669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट नेपाल के संखुवासभा और भोजपुर जिलों में स्थित है।
एसजेवीएन का मुख्यालय शिमला में है। इस कंपनी ने फरवरी 2021 में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से परियोजना जीती और जुलाई 2021 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
एसजेवीएन पहले से ही हिमाचल प्रदेश में 412 मेगावाट रामपुर हाइड्रो पावर स्टेशन के साथ मिलकर भारत के सबसे बड़े भूमिगत 1,500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन का संचालन कर रहा है।
एसजेवीएन नेपाल में 2,059 मेगावाट की तीन जलविद्युत परियोजनाएं चला रहा है। 900 मेगावाट अरुण-3 एचईपी निर्माण के अग्रिम चरण में है और 490 मेगावाट अरुण-4 एसजेवीएन और नेपाल विद्युत प्राधिकरण द्वारा संयुक्त उद्यम मोड में विकसित किया जाएगा।
एसजेवीएन ने वर्ष 2030 तक नेपाल में 5,000 मेगावाट की परियोजनाएं हासिल करने का लक्ष्य रखा है।