जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने सीधी के शासकीय कॉलेज में पदस्थ गेस्ट फैकल्टी को बाथरूम में बंद कर पीटे जाने के मामले को गंभीरता से लिया. इसी के साथ याचिकाकर्ता को सीधी के एसपी रविंद्र वर्मा व टीआई दीपक बघेल सहित अन्य के विरुद्ध एट्रोसिटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराने स्वतंत्र कर दिया है. मामले की अगली सुनवाई पांच जनवरी को निर्धारित की गई है.
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि किसी भी शासकीय कर्मचारी को कोई भी संगठन ज्वाइन करने दबाव नहीं बनाया जा सकता. मारपीट की घटना के बाद कार्रवाई की बजाय पीड़ित को कॉलेज से बर्खास्त कर दिए जाने के मामले को भी हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. इस के साथ उच्च शिक्षा विभाग और सीधी के आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज के प्रिंसिपल के विरुद्ध नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
याचिकाकर्ता का आरोप है कि वह आरक्षित वर्ग से आता है. उस पर आरएसएस ज्वाइन करने का दबाव बनाया जा रहा था. उसने मना कर दिया तो अपमानित किया गया. याचिकाकर्ता सतना निवासी रामजस चौधरी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा. उन्होंने मारपीट में घायल गेस्ट फैकल्टी के फोटो कोर्ट के समक्ष रखे. साथ ही दलील दी कि याचिकाकर्ता अपने विरुद्ध अत्याचार की शिकायत करने नौ दिसंबर को पुलिस थाने पहुंचा को उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया गया. पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. यही नहीं उसे अगले ही दिन कालेज से बर्खास्त कर दिया गया.
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आरोप है कि 12 सितंबर 2024 को जब कॉलेज से घर जाने के लिए वाहन का इंतजार कर रहे थे, तभी तीन लोग हथियार से लैस होकर आए और सरेराह मारपीट की गई. घायल हालत में रामजस अस्पताल पहुंचे, जहां पुलिस आई तो उन्हें बताया कि राज किशोर तिवारी, संदीप शर्मा, गीता भारती, सुरेश कुमार तिवारी और उनके साथियों ने हमला करवाया है लेकिन पुलिस ने नामजद की जगह अज्ञात लिखा. थाना प्रभारी मझगवां दीपक सिंह ने मदद करने की वजह गाली-गलौज करते हुए चार घंटे तक थाने में बैठाकर रखा.
अगस्त माह में सीधी एसपी रविन्द्र वर्मा के पास शिकायत लेकर पहुंचे तो उन्होंने आवेदन फाड़ दिया और धमकी दी कि दोबारा आए तो थाने में बंद करवा दूंगा. 10 आवेदन देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई. याचिकाकर्ता का आरोप है कि अक्टूबर 2023 को कालेज के प्राध्यापक डॉ. सुरेश कुमार तिवारी ने कालेज में आकर आरएसएस की मीटिंग ज्वाइन करने की बात कही थी. मना करने के बाद उसके साथ मारपीट हुई. सुनवाई पश्चात न्यायालय ने उक्त निर्देश दिये.