नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)। एससीओ सदस्य देशों द्वारा मंगलवार को एससीओ राष्ट्राध्यक्षों की परिषद के एक दिवसीय आभासी शिखर सम्मेलन के समापन पर जारी एक संयुक्त घोषणा में उन्होंने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की कड़ी निंदा की।
समूह ने कहा कि वह एससीओ चार्टर और आम तौर पर स्वीकृत सिद्धांतों और अंतर्राष्ट्रीय कानून के मानदंडों के अनुसार अनुभवों और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करके आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद की ओर ले जाने वाले कट्टरपंथ का मुकाबला करने की दिशा में सहयोग करेगा।
उन्होंने एससीओ सदस्य देशों के क्षेत्र में आयोजित होने वाले प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए, इस पर व्यावहारिक अनुभव का आदान-प्रदान करने का भी निर्णय लिया।
एससीओ सदस्य देशों ने आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को बढ़ावा देने वाली कट्टरपंथी विचारधाराओं का मुकाबला करने के लिए क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की भी कसम खाई।
उन्होंने आतंकवाद के समर्थकों को उनकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के साधनों और अवसरों से वंचित करने का निर्णय लिया।
संयुक्त बयान में कहा गया, “सदस्य राज्य आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की ओर ले जाने वाले कट्टरपंथ को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया अभियान चलाएंगे, और कट्टरपंथी व्यक्तियों को समाज में पुनर्वास और पुन: एकीकृत करने और कट्टरपंथी विचारधारा या आतंकवादी गतिविधि में उनकी वापसी को रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम लागू करेंगे।”
एससीओ देशों ने अपने घरेलू कानूनों के अनुसार पहचाने गए व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ आवश्यक उपाय शुरू करते हुए, इंटरनेट से कट्टरपंथी और आतंकवादी सामग्री को ब्लॉक करने और हटाने के लिए उपाय करने का भी निर्णय लिया।
एससीओ शिखर सम्मेलन वस्तुतः भारत की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था, जिसमें अन्य सदस्य देशों के प्रमुखों के अलावा, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ की भी भागीदारी देखी गई।
ईरान को इस समूह में नये सदस्य के रूप में शामिल किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए एससीओ देशों से आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों की निंदा करने का आह्वान किया और कहा कि इस मुद्दे पर कोई दोहरा मापदंड नहीं हो सकता।
–आईएएनएस
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