नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने बुधवार को प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर अपने सदस्यों के जीवन और आजीविका से संबंधित दो मामलों की सुनवाई न होने का मुद्दा उठाया।
वरिष्ठ अधिवक्ता और एससीबीए के अध्यक्ष विकास सिंह ने पत्र में कहा है कि दो मामले एससीबीए के सदस्यों के जीवन और आजीविका से संबंधित हैं और इन मामलों की सुनवाई न होना गंभीर चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा, हमें अब यह महसूस हो रहा है कि एससीबीए ने चूंकि अपने इतिहास में कभी भी हड़ताल का सहारा नहीं लिया है, इसलिए इसे उचित महत्व नहीं दिया जा रहा है। इस अनुचित व्यवहार को देखते हुए हम आशा और विश्वास करते हैं कि हमें मजबूर करने के लिए ऐसी स्थिति नहीं बनेगी। विरोध के कुछ गरिमापूर्ण तरीके का सहारा लें।
पत्र में सिंह ने कहा कि वह बार की आकांक्षाओं को व्यक्त कर रहे हैं, जो बिना किसी प्राथमिकता के केवल किसी अन्य वादी की तरह व्यवहार करना चाहता है।
मामलों में से एक बार निकाय द्वारा दायर एक याचिका है जिसमें वकीलों के लिए चैंबर ब्लॉक के रूप में आईटीओ के पास शीर्ष अदालत को आवंटित 1.33 एकड़ जमीन को बदलने की अनुमति देने के लिए शहरी विकास मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की गई है।
पत्र में कहा गया है, न्याय व्यवस्था की संस्था में एक समान हितधारक होने के नाते एससीबीए को अपने सदस्यों के कल्याण से संबंधित मामले को सूचीबद्ध करने और सुनवाई करने के लिए सामान्य प्रक्रिया में अजनबी के रूप में नहीं लगाया जा सकता। मामलों की सुनवाई के अनुरोध को अस्वीकार करके एससीबीए के साथ एक सामान्य वादी से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है।
दूसरा मामला नोएडा में एससीबीए मल्टी-स्टेट ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी लिमिटेड के लिए निर्मित सुप्रीम टावर्स की तत्काल मरम्मत से जुड़ा है, जहां 700 से अधिक वकील अपने परिवारों के साथ रहते हैं।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम