मांड्या (कर्नाटक), 18 जनवरी (आईएएनएस)। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उस याचिका पर राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है, जिसमें मांड्या जिले के श्रीरंगपट्टनम शहर में एक ऐतिहासिक मस्जिद के परिसर में एक मदरसे के अवैध संचालन पर सवाल उठाया गया है।
मुख्य न्यायाधीश पी.बी.वराले और न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कनकपुरा निवासी अभिषेक गौड़ा द्वारा दायर जनहित याचिका के जवाब में बुधवार को यह आदेश दिया।
पीठ ने भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक, कर्नाटक सरकार के राजस्व विभाग और कर्नाटक में मांड्या के जिला आयुक्त को नोटिस जारी किया है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि श्रीरंगपट्टनम एक ऐतिहासिक और पर्यटन स्थल है और टीपू सुल्तान के शासनकाल के दौरान बनी श्रीरंगपट्टनम में जुम्मा मस्जिद को एएसआई द्वारा संरक्षित एक ऐतिहासिक और प्राचीन स्मारक घोषित किया गया है।
हालांकि, याचिकाकर्ता का आरोप है कि ऐतिहासिक मस्जिद के परिसर में एक आवासीय मदरसा अवैध रूप से चल रहा है। याचिका के मुताबिक, जिस परिसर में खाना बनता है, वहां करीब 50 से 60 छात्र रहकर पढ़ाई कर रहे हैं।
इसके अतिरिक्त, शौचालय, स्नानघर, एक अतिथि गृह और एक रसोईघर सहित विभिन्न संरचनाएं बनाई गई हैं, और गीले कपड़े परिसर में सूखने के लिए छोड़ दिए गए हैं। याचिकाकर्ता का दावा है कि ये गतिविधियां प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1958 की धारा 7, 8 और 16 का उल्लंघन करती हैं।
याचिकाकर्ता ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार के साथ-साथ एएसआई भी इन उल्लंघनों से अवगत है। कथित तौर पर 20 मई, 2020 को मांड्या जिले के जिला आयुक्त को एक शिकायत सौंपी गई थी, इसमें अधिकारियों से अतिक्रमण और उल्लंघनों को संबोधित करने का आग्रह किया गया था। याचिकाकर्ता ने मदरसा परिसर को तत्काल खाली कराने की मांग की।
याचिकाकर्ता मस्जिद को एक प्राचीन स्मारक के रूप में संरक्षित करने की मांग और इस संबंध में राज्य और केंद्र सरकारों को निर्देश जारी करने की मांग करता है।
–आईएएनएस
सीबीटी/