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‘ऑपरेशन सिंदूर’ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक मिसाल के तौर पर इतिहास में होगा दर्ज : राष्ट्रपति मुर्मू

देशबन्धु by देशबन्धु
August 14, 2025
in राष्ट्रीय
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नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को देश के नाम संबोधन में प्रमुख बातों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह, 7 अगस्त को, देश में ‘राष्ट्रीय हथकरघा दिवस’ मनाया गया। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य हमारे बुनकरों और उनके उत्पादों का सम्मान करना है।

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उन्होंने कहा कि हमारे स्वाधीनता संग्राम के दौरान 1905 में शुरू किए गए स्वदेशी आंदोलन की स्मृति में 2015 से यह दिवस हर साल मनाया जाता है। महात्मा गांधी ने भारतीय कारीगरों और शिल्पकारों के खून-पसीने से निर्मित और उनके अतुलनीय कौशल से युक्त उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी की भावना को और मजबूत किया था। स्वदेशी का विचार ‘मेक-इन-इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ जैसे राष्ट्रीय प्रयासों को प्रेरित करता रहा है। हम सबको यह संकल्प लेना है कि हम अपने देश में बने उत्पादों को खरीदेंगे और उनका उपयोग करेंगे।

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सामाजिक क्षेत्र में किए गए प्रयासों से संवर्धित, समग्र आर्थिक विकास के बल पर भारत 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के मार्ग पर अग्रसर है। मैं समझती हूं कि अमृत काल के इस दौर में आगे बढ़ते जाने की राष्ट्रीय यात्रा में सभी देशवासी यथाशक्ति अपना सर्वाधिक योगदान देंगे। मेरा मानना है कि समाज के तीन ऐसे वर्ग हैं, जो हमें प्रगति के इस मार्ग पर आगे बढ़ाएंगे। ये तीनों वर्ग हैं, हमारे युवा, महिलाएं और वे समुदाय, जो लंबे समय से हाशिये पर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे युवाओं को अपने सपनों को साकार करने के लिए अनुकूल परिस्थितियां मिल गई हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से दूरगामी बदलाव किए गए हैं। शिक्षा को जीवन-मूल्यों से, तथा कौशल को परंपरा के साथ जोड़ा गया है। रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं। उद्यमिता की आकांक्षा रखने वाले लोगों के लिए सरकार ने सर्वाधिक अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराया है। युवा प्रतिभाओं की ऊर्जा से शक्ति प्राप्त करके, हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है।

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उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि शुभांशु शुक्ला की इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की यात्रा ने एक पूरी पीढ़ी को ऊंचे सपने देखने की प्रेरणा दी है। यह अंतरिक्ष यात्रा भारत के आगामी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम ‘गगनयान’ के लिए अत्यंत सहायक सिद्ध होगी। नए आत्मविश्वास से भरपूर हमारे युवा खेल-जगत में अपनी पहचान बना रहे हैं। उदाहरण के लिए, शतरंज में अब भारत के युवाओं का जैसा वर्चस्व है वैसा पहले कभी नहीं था। राष्ट्रीय खेल नीति- 2025 में निहित विजन के अनुरूप हम ऐसे आमूल बदलावों की परिकल्पना कर रहे हैं, जिनके बल पर भारत एक वैश्विक खेल महाशक्ति के रूप में उभरेगा।

उन्होंने कहा कि हमारी बेटियां हमारा गौरव हैं। वे प्रतिरक्षा और सुरक्षा सहित हर क्षेत्र में अवरोधों को पार करके आगे बढ़ रही हैं। खेलकूद को उत्कृष्टता, सशक्तीकरण और क्षमताओं का महत्वपूर्ण संकेतक माना जाता है। विश्व शतरंज चैंपियनशिप के लिए ‘फिडे महिला विश्व कप’ का फाइनल मैच 19 वर्ष की भारत की एक बेटी और 38 वर्ष की एक भारतीय महिला के बीच खेला गया। यह उपलब्धि पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमारी महिलाओं में विद्यमान विश्वस्तर की सतत उत्कृष्टता को रेखांकित करती है। रोजगार में भी जेंडर गैप कम हो रहा है। ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ से महिला सशक्तीकरण अब सिर्फ एक नारा न रहकर यथार्थ बन गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे समाज का एक बड़ा हिस्सा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अन्य समुदायों के लोगों का है। इन समुदायों के लोग अब हाशिए पर होने का टैग हटा रहे हैं। उनकी सामाजिक और आर्थिक आकांक्षाओं को साकार करने के लिए सक्रिय प्रयासों के माध्यम से सरकार उनकी सहायता करती आ रही है। अपनी वास्तविक क्षमता को हासिल करने की दिशा में भारत अब और अधिक तेज गति से आगे बढ़ रहा है। हमारे सुधारों और नीतियों से विकास का एक प्रभावी मंच तैयार हुआ है। इस तैयारी के बल पर मैं एक ऐसे उज्ज्वल भविष्य को देख पा रही हूं, जहां हम सब अपनी सामूहिक समृद्धि और खुशहाली में उत्साहपूर्वक योगदान दे रहे होंगे। उस भविष्य की ओर हम भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस रखते हुए अनवरत सुशासन के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में मुझे महात्मा गांधी की एक महत्वपूर्ण बात याद आ रही है। गांधीजी ने बताया था और मैं दोहराती हूं, ‘भ्रष्टाचार और दंभ, लोकतंत्र के अनिवार्य परिणाम नहीं होने चाहिए।’ हम सब यह संकल्प लें कि गांधीजी के इस आदर्श को कार्यरूप देंगे और भ्रष्टाचार को समूल नष्ट करेंगे। इस वर्ष हमें आतंकवाद का दंश झेलना पड़ा। कश्मीर घूमने गए निर्दोष नागरिकों की हत्या, कायरतापूर्ण और नितांत अमानवीय थी। इसका जवाब भारत ने फौलादी संकल्प के साथ निर्णायक तरीके से दिया। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने यह दिखा दिया कि जब राष्ट्र की सुरक्षा का प्रश्न सामने आता है तब हमारे सशस्त्र बल किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह सक्षम सिद्ध होते हैं। रणनीतिक स्पष्टता और तकनीकी दक्षता के साथ हमारी सेना ने सीमा पार के आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया। मेरा विश्वास है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ आतंकवाद के विरुद्ध मानवता की लड़ाई में एक मिसाल के तौर पर इतिहास में दर्ज होगा।

उन्होंने कहा कि हमारी एकता ही हमारी जवाबी कार्रवाई की सबसे बड़ी विशेषता थी। यही एकता उन सभी तत्वों के लिए सबसे करारा जवाब भी है, जो हमें विभाजित देखना चाहते हैं। भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट करने के लिए विभिन्न देशों में गए संसद सदस्यों के बहुदलीय प्रतिनिधि मंडलों में भी हमारी यही एकता दिखाई दी। विश्व समुदाय ने भारत की इस नीति का संज्ञान लिया है कि हम आक्रमणकारी तो नहीं बनेंगे, लेकिन अपने नागरिकों की रक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई करने में तनिक भी संकोच नहीं करेंगे। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ प्रतिरक्षा के क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत मिशन’ की परीक्षा का भी अवसर था। अब यह सिद्ध हो गया है कि हम सही रास्ते पर हैं। हमारा स्वदेशी विनिर्माण उस निर्णायक स्तर पर पहुंच गया है, जहां हम अपनी बहुत सी सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने में भी आत्मनिर्भर बन गए हैं। ये उपलब्धियां स्वाधीन भारत के रक्षा इतिहास में एक नए अध्याय का सूत्रपात हैं।

उन्होंने कहा कि इस अवसर पर मैं आप सभी से यह आग्रह करना चाहती हूं कि पर्यावरण की रक्षा के लिए आप सब हर संभव प्रयास करें। जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने के लिए हमें अपने आप में भी कुछ परिवर्तन करने होंगे। हमें अपनी आदतें और अपनी विश्व दृष्टि में बदलाव लाना होगा। हमें अपनी धरती, नदियों, पहाड़ों, पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं के साथ अपने संबंधों में भी परिवर्तन करना होगा। हम सब अपने योगदान से एक ऐसी पृथ्वी छोड़कर जाएं, जहां जीवन अपने नैसर्गिक रूप में फलता-फूलता रहे।

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–आईएएनएस

डीकेपी/

देशबन्धु

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