वियना, 6 जुलाई (आईएएनएस)। ऑस्ट्रियाई चांसलर कार्ल नेहमर ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वियना की आगामी यात्रा को ‘स्पेशल ऑनर’ करार दिया। उन्होंने कहा कि वह इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
पीएम मोदी अपनी दो देशों की यात्रा के दूसरे चरण में 9 जुलाई को मॉस्को से ऑस्ट्रिया पहुंचने वाले हैं।
यह 41 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की ऑस्ट्रिया की पहली यात्रा होगी। वियना प्रवास के दौरान पीएम मोदी ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वान डेर बेलेन से मुलाकात करेंगे और चांसलर नेहमर के साथ बातचीत करेंगे। दोनों नेता भारत और ऑस्ट्रिया के बिजनेस लीडर्स को भी संबोधित करेंगे।
चांसलर नेहमर ने कहा “मैं दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अगले सप्ताह वियना में स्वागत करने के लिए बहुत बेताब हूं। यह यात्रा एक विशेष सम्मान है क्योंकि यह चालीस से अधिक वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की मेरे देश की पहली यात्रा है, यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हम भारत के साथ राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “हमें अपने द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा करने और कई भू-राजनीतिक चुनौतियों पर बेहतरीन सहयोग के बारे में बात करने का अवसर मिलेगा।”
अक्टूबर 2021 में, ग्लासगो में सीओपी 26 के मौके पर, प्रधानमंत्री मोदी ने तत्कालीन ऑस्ट्रियाई चांसलर अलेक्जेंडर शालेनबर्ग के साथ चर्चा की थी, जो अब देश के विदेश मंत्री हैं।
अपनी यात्रा के दौरान पीएम मोदी का वियना में भारतीय समुदाय के सदस्यों के साथ बातचीत करने का भी कार्यक्रम है।
शुक्रवार को, विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने ऑस्ट्रिया को एक “महत्वपूर्ण मध्य यूरोपीय देश” कहा, जो बुनियादी ढांचे, नवीकरणीय ऊर्जा, उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों, स्टार्ट-अप क्षेत्रों, मीडिया और मनोरंजन में द्विपक्षीय सहयोग के उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है।
उन्होंने बढ़ते भारत-ऑस्ट्रिया व्यापार और निवेश संबंधों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें फरवरी 2024 में भारत-ऑस्ट्रिया स्टार्ट-अप ब्रिज का हालिया लॉन्च भी शामिल है, जिसने एक “बहुत आशाजनक” शुरुआत की है।
भारत और ऑस्ट्रिया ने पिछले साल मई में कई समझौते पर भी हस्ताक्षर किए थे और द्विपक्षीय साझेदारी के नए क्षेत्रों का विस्तार और पता लगाने के लिए मिलकर काम करना जारी रखा है।
विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) पवन कपूर ने कहा “हम यह भी देख रहे हैं कि प्रौद्योगिकी के मामले में हम क्या कर सकते हैं। मुझे लगता है कि 30 से 40 बड़ी ऑस्ट्रियाई कंपनियां पहले से ही भारत में बुनियादी ढांचे, सुरंग बनाने, ट्रैक बिछाने से लेकर कई क्षेत्रों में मौजूद हैं। ऑस्ट्रिया में पहले से ही भारत से काफी मात्रा में निवेश हो रहा है, लेकिन हम देखना चाहते हैं कि हम इसे कैसे आगे बढ़ा सकते हैं।”
–आईएएनएस
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