deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home ताज़ा समाचार

ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने खोज निकाला खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध

by
October 4, 2024
in ताज़ा समाचार
0
0
SHARES
2
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

कैनबरा, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने खर्राटों से तंग लोगों की परेशानी की वजह पता कर लेने का दावा किया है। शोध में खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पाया गया है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से रात में खर्राटे लेते हैं, उनमें उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित उच्च रक्तचाप होने की संभावना अधिक होती है।

READ ALSO

‘एनआईएमएएस’ अभियान के बाद कंचनजंगा पर्वत के लिए शुद्धिकरण अनुष्ठान का आह्वान

अहमदाबाद प्लेन क्रैश के बाद सेवा में जुटे आरएसएस कार्यकर्ता, मानवता की सेवा कर रहे स्वयंसेवक

इस शोध में बताया गया है, “उच्च रक्तचाप तब होता है जब किसी व्यक्ति की नसों में दबाव बहुत अधिक हो जाता है। इससे हृदय को गंभीर नुकसान हो सकता है और दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय रोग हो सकता है।”

रक्तचाप को मिलीमीटर पारे (एमएमएचजी) में दो संख्याओं के रूप में दर्ज किया जाता है, जैसे कि 120/80। पहला अंक – सिस्टोलिक रक्तचाप – हृदय द्वारा रक्त पंप किए जाने पर धमनियों में दबाव को मापता है और दूसरा – डायस्टोलिक रक्तचाप – उस समय का दबाव है जब हृदय अगली धड़कन से पहले आराम करता है।

इस अध्ययन में 12,287 लोगों को शामिल किया गया। इसमें से 15 प्रतिशत लोगों ने छह महीने की निगरानी अवधि में औसतन रात के 20 प्रतिशत से अधिक समय तक खर्राटे लिए। जिन लोगों ने अधिक खर्राटे लिए थे, खर्राटे नहीं लेने वाले प्रतिभागियों की तुलना में उनका सिस्टोलिक रक्तचाप 3.8 एमएमएचजी तथा डायस्टोलिक रक्तचाप 4.5 एमएमएचजी अधिक था।

यह दुनिया में पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध की जांच करने के लिए लंबे समय तक कई रातों तक घर पर निगरानी की गई। अध्ययन में भाग लेने वाले मध्यम आयु वर्ग के थे और 88 प्रतिशत पुरुष थे।

फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के शोध के प्रमुख लेखक बैस्टियन लेचैट ने बुधवार को एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “पहली बार हम निष्पक्ष रूप से कह सकते हैं कि नियमित रूप से रात में खर्राटे लेने और उच्च रक्तचाप के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है।”

–आईएएनएस

पीएसएम/एकेजे

ADVERTISEMENT

कैनबरा, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने खर्राटों से तंग लोगों की परेशानी की वजह पता कर लेने का दावा किया है। शोध में खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पाया गया है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से रात में खर्राटे लेते हैं, उनमें उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित उच्च रक्तचाप होने की संभावना अधिक होती है।

इस शोध में बताया गया है, “उच्च रक्तचाप तब होता है जब किसी व्यक्ति की नसों में दबाव बहुत अधिक हो जाता है। इससे हृदय को गंभीर नुकसान हो सकता है और दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय रोग हो सकता है।”

रक्तचाप को मिलीमीटर पारे (एमएमएचजी) में दो संख्याओं के रूप में दर्ज किया जाता है, जैसे कि 120/80। पहला अंक – सिस्टोलिक रक्तचाप – हृदय द्वारा रक्त पंप किए जाने पर धमनियों में दबाव को मापता है और दूसरा – डायस्टोलिक रक्तचाप – उस समय का दबाव है जब हृदय अगली धड़कन से पहले आराम करता है।

इस अध्ययन में 12,287 लोगों को शामिल किया गया। इसमें से 15 प्रतिशत लोगों ने छह महीने की निगरानी अवधि में औसतन रात के 20 प्रतिशत से अधिक समय तक खर्राटे लिए। जिन लोगों ने अधिक खर्राटे लिए थे, खर्राटे नहीं लेने वाले प्रतिभागियों की तुलना में उनका सिस्टोलिक रक्तचाप 3.8 एमएमएचजी तथा डायस्टोलिक रक्तचाप 4.5 एमएमएचजी अधिक था।

यह दुनिया में पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध की जांच करने के लिए लंबे समय तक कई रातों तक घर पर निगरानी की गई। अध्ययन में भाग लेने वाले मध्यम आयु वर्ग के थे और 88 प्रतिशत पुरुष थे।

फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के शोध के प्रमुख लेखक बैस्टियन लेचैट ने बुधवार को एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “पहली बार हम निष्पक्ष रूप से कह सकते हैं कि नियमित रूप से रात में खर्राटे लेने और उच्च रक्तचाप के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है।”

–आईएएनएस

पीएसएम/एकेजे

ADVERTISEMENT

कैनबरा, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने खर्राटों से तंग लोगों की परेशानी की वजह पता कर लेने का दावा किया है। शोध में खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पाया गया है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से रात में खर्राटे लेते हैं, उनमें उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित उच्च रक्तचाप होने की संभावना अधिक होती है।

इस शोध में बताया गया है, “उच्च रक्तचाप तब होता है जब किसी व्यक्ति की नसों में दबाव बहुत अधिक हो जाता है। इससे हृदय को गंभीर नुकसान हो सकता है और दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय रोग हो सकता है।”

रक्तचाप को मिलीमीटर पारे (एमएमएचजी) में दो संख्याओं के रूप में दर्ज किया जाता है, जैसे कि 120/80। पहला अंक – सिस्टोलिक रक्तचाप – हृदय द्वारा रक्त पंप किए जाने पर धमनियों में दबाव को मापता है और दूसरा – डायस्टोलिक रक्तचाप – उस समय का दबाव है जब हृदय अगली धड़कन से पहले आराम करता है।

इस अध्ययन में 12,287 लोगों को शामिल किया गया। इसमें से 15 प्रतिशत लोगों ने छह महीने की निगरानी अवधि में औसतन रात के 20 प्रतिशत से अधिक समय तक खर्राटे लिए। जिन लोगों ने अधिक खर्राटे लिए थे, खर्राटे नहीं लेने वाले प्रतिभागियों की तुलना में उनका सिस्टोलिक रक्तचाप 3.8 एमएमएचजी तथा डायस्टोलिक रक्तचाप 4.5 एमएमएचजी अधिक था।

यह दुनिया में पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध की जांच करने के लिए लंबे समय तक कई रातों तक घर पर निगरानी की गई। अध्ययन में भाग लेने वाले मध्यम आयु वर्ग के थे और 88 प्रतिशत पुरुष थे।

फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के शोध के प्रमुख लेखक बैस्टियन लेचैट ने बुधवार को एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “पहली बार हम निष्पक्ष रूप से कह सकते हैं कि नियमित रूप से रात में खर्राटे लेने और उच्च रक्तचाप के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है।”

–आईएएनएस

पीएसएम/एकेजे

ADVERTISEMENT

कैनबरा, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने खर्राटों से तंग लोगों की परेशानी की वजह पता कर लेने का दावा किया है। शोध में खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पाया गया है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से रात में खर्राटे लेते हैं, उनमें उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित उच्च रक्तचाप होने की संभावना अधिक होती है।

इस शोध में बताया गया है, “उच्च रक्तचाप तब होता है जब किसी व्यक्ति की नसों में दबाव बहुत अधिक हो जाता है। इससे हृदय को गंभीर नुकसान हो सकता है और दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय रोग हो सकता है।”

रक्तचाप को मिलीमीटर पारे (एमएमएचजी) में दो संख्याओं के रूप में दर्ज किया जाता है, जैसे कि 120/80। पहला अंक – सिस्टोलिक रक्तचाप – हृदय द्वारा रक्त पंप किए जाने पर धमनियों में दबाव को मापता है और दूसरा – डायस्टोलिक रक्तचाप – उस समय का दबाव है जब हृदय अगली धड़कन से पहले आराम करता है।

इस अध्ययन में 12,287 लोगों को शामिल किया गया। इसमें से 15 प्रतिशत लोगों ने छह महीने की निगरानी अवधि में औसतन रात के 20 प्रतिशत से अधिक समय तक खर्राटे लिए। जिन लोगों ने अधिक खर्राटे लिए थे, खर्राटे नहीं लेने वाले प्रतिभागियों की तुलना में उनका सिस्टोलिक रक्तचाप 3.8 एमएमएचजी तथा डायस्टोलिक रक्तचाप 4.5 एमएमएचजी अधिक था।

यह दुनिया में पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध की जांच करने के लिए लंबे समय तक कई रातों तक घर पर निगरानी की गई। अध्ययन में भाग लेने वाले मध्यम आयु वर्ग के थे और 88 प्रतिशत पुरुष थे।

फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के शोध के प्रमुख लेखक बैस्टियन लेचैट ने बुधवार को एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “पहली बार हम निष्पक्ष रूप से कह सकते हैं कि नियमित रूप से रात में खर्राटे लेने और उच्च रक्तचाप के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है।”

–आईएएनएस

पीएसएम/एकेजे

ADVERTISEMENT

कैनबरा, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने खर्राटों से तंग लोगों की परेशानी की वजह पता कर लेने का दावा किया है। शोध में खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पाया गया है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से रात में खर्राटे लेते हैं, उनमें उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित उच्च रक्तचाप होने की संभावना अधिक होती है।

इस शोध में बताया गया है, “उच्च रक्तचाप तब होता है जब किसी व्यक्ति की नसों में दबाव बहुत अधिक हो जाता है। इससे हृदय को गंभीर नुकसान हो सकता है और दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय रोग हो सकता है।”

रक्तचाप को मिलीमीटर पारे (एमएमएचजी) में दो संख्याओं के रूप में दर्ज किया जाता है, जैसे कि 120/80। पहला अंक – सिस्टोलिक रक्तचाप – हृदय द्वारा रक्त पंप किए जाने पर धमनियों में दबाव को मापता है और दूसरा – डायस्टोलिक रक्तचाप – उस समय का दबाव है जब हृदय अगली धड़कन से पहले आराम करता है।

इस अध्ययन में 12,287 लोगों को शामिल किया गया। इसमें से 15 प्रतिशत लोगों ने छह महीने की निगरानी अवधि में औसतन रात के 20 प्रतिशत से अधिक समय तक खर्राटे लिए। जिन लोगों ने अधिक खर्राटे लिए थे, खर्राटे नहीं लेने वाले प्रतिभागियों की तुलना में उनका सिस्टोलिक रक्तचाप 3.8 एमएमएचजी तथा डायस्टोलिक रक्तचाप 4.5 एमएमएचजी अधिक था।

यह दुनिया में पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध की जांच करने के लिए लंबे समय तक कई रातों तक घर पर निगरानी की गई। अध्ययन में भाग लेने वाले मध्यम आयु वर्ग के थे और 88 प्रतिशत पुरुष थे।

फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के शोध के प्रमुख लेखक बैस्टियन लेचैट ने बुधवार को एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “पहली बार हम निष्पक्ष रूप से कह सकते हैं कि नियमित रूप से रात में खर्राटे लेने और उच्च रक्तचाप के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है।”

–आईएएनएस

पीएसएम/एकेजे

ADVERTISEMENT

कैनबरा, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने खर्राटों से तंग लोगों की परेशानी की वजह पता कर लेने का दावा किया है। शोध में खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पाया गया है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से रात में खर्राटे लेते हैं, उनमें उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित उच्च रक्तचाप होने की संभावना अधिक होती है।

इस शोध में बताया गया है, “उच्च रक्तचाप तब होता है जब किसी व्यक्ति की नसों में दबाव बहुत अधिक हो जाता है। इससे हृदय को गंभीर नुकसान हो सकता है और दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय रोग हो सकता है।”

रक्तचाप को मिलीमीटर पारे (एमएमएचजी) में दो संख्याओं के रूप में दर्ज किया जाता है, जैसे कि 120/80। पहला अंक – सिस्टोलिक रक्तचाप – हृदय द्वारा रक्त पंप किए जाने पर धमनियों में दबाव को मापता है और दूसरा – डायस्टोलिक रक्तचाप – उस समय का दबाव है जब हृदय अगली धड़कन से पहले आराम करता है।

इस अध्ययन में 12,287 लोगों को शामिल किया गया। इसमें से 15 प्रतिशत लोगों ने छह महीने की निगरानी अवधि में औसतन रात के 20 प्रतिशत से अधिक समय तक खर्राटे लिए। जिन लोगों ने अधिक खर्राटे लिए थे, खर्राटे नहीं लेने वाले प्रतिभागियों की तुलना में उनका सिस्टोलिक रक्तचाप 3.8 एमएमएचजी तथा डायस्टोलिक रक्तचाप 4.5 एमएमएचजी अधिक था।

यह दुनिया में पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध की जांच करने के लिए लंबे समय तक कई रातों तक घर पर निगरानी की गई। अध्ययन में भाग लेने वाले मध्यम आयु वर्ग के थे और 88 प्रतिशत पुरुष थे।

फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के शोध के प्रमुख लेखक बैस्टियन लेचैट ने बुधवार को एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “पहली बार हम निष्पक्ष रूप से कह सकते हैं कि नियमित रूप से रात में खर्राटे लेने और उच्च रक्तचाप के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है।”

–आईएएनएस

पीएसएम/एकेजे

ADVERTISEMENT

कैनबरा, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने खर्राटों से तंग लोगों की परेशानी की वजह पता कर लेने का दावा किया है। शोध में खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पाया गया है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से रात में खर्राटे लेते हैं, उनमें उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित उच्च रक्तचाप होने की संभावना अधिक होती है।

इस शोध में बताया गया है, “उच्च रक्तचाप तब होता है जब किसी व्यक्ति की नसों में दबाव बहुत अधिक हो जाता है। इससे हृदय को गंभीर नुकसान हो सकता है और दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय रोग हो सकता है।”

रक्तचाप को मिलीमीटर पारे (एमएमएचजी) में दो संख्याओं के रूप में दर्ज किया जाता है, जैसे कि 120/80। पहला अंक – सिस्टोलिक रक्तचाप – हृदय द्वारा रक्त पंप किए जाने पर धमनियों में दबाव को मापता है और दूसरा – डायस्टोलिक रक्तचाप – उस समय का दबाव है जब हृदय अगली धड़कन से पहले आराम करता है।

इस अध्ययन में 12,287 लोगों को शामिल किया गया। इसमें से 15 प्रतिशत लोगों ने छह महीने की निगरानी अवधि में औसतन रात के 20 प्रतिशत से अधिक समय तक खर्राटे लिए। जिन लोगों ने अधिक खर्राटे लिए थे, खर्राटे नहीं लेने वाले प्रतिभागियों की तुलना में उनका सिस्टोलिक रक्तचाप 3.8 एमएमएचजी तथा डायस्टोलिक रक्तचाप 4.5 एमएमएचजी अधिक था।

यह दुनिया में पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध की जांच करने के लिए लंबे समय तक कई रातों तक घर पर निगरानी की गई। अध्ययन में भाग लेने वाले मध्यम आयु वर्ग के थे और 88 प्रतिशत पुरुष थे।

फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के शोध के प्रमुख लेखक बैस्टियन लेचैट ने बुधवार को एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “पहली बार हम निष्पक्ष रूप से कह सकते हैं कि नियमित रूप से रात में खर्राटे लेने और उच्च रक्तचाप के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है।”

–आईएएनएस

पीएसएम/एकेजे

ADVERTISEMENT

कैनबरा, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने खर्राटों से तंग लोगों की परेशानी की वजह पता कर लेने का दावा किया है। शोध में खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पाया गया है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से रात में खर्राटे लेते हैं, उनमें उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित उच्च रक्तचाप होने की संभावना अधिक होती है।

इस शोध में बताया गया है, “उच्च रक्तचाप तब होता है जब किसी व्यक्ति की नसों में दबाव बहुत अधिक हो जाता है। इससे हृदय को गंभीर नुकसान हो सकता है और दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय रोग हो सकता है।”

रक्तचाप को मिलीमीटर पारे (एमएमएचजी) में दो संख्याओं के रूप में दर्ज किया जाता है, जैसे कि 120/80। पहला अंक – सिस्टोलिक रक्तचाप – हृदय द्वारा रक्त पंप किए जाने पर धमनियों में दबाव को मापता है और दूसरा – डायस्टोलिक रक्तचाप – उस समय का दबाव है जब हृदय अगली धड़कन से पहले आराम करता है।

इस अध्ययन में 12,287 लोगों को शामिल किया गया। इसमें से 15 प्रतिशत लोगों ने छह महीने की निगरानी अवधि में औसतन रात के 20 प्रतिशत से अधिक समय तक खर्राटे लिए। जिन लोगों ने अधिक खर्राटे लिए थे, खर्राटे नहीं लेने वाले प्रतिभागियों की तुलना में उनका सिस्टोलिक रक्तचाप 3.8 एमएमएचजी तथा डायस्टोलिक रक्तचाप 4.5 एमएमएचजी अधिक था।

यह दुनिया में पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध की जांच करने के लिए लंबे समय तक कई रातों तक घर पर निगरानी की गई। अध्ययन में भाग लेने वाले मध्यम आयु वर्ग के थे और 88 प्रतिशत पुरुष थे।

फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के शोध के प्रमुख लेखक बैस्टियन लेचैट ने बुधवार को एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “पहली बार हम निष्पक्ष रूप से कह सकते हैं कि नियमित रूप से रात में खर्राटे लेने और उच्च रक्तचाप के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है।”

–आईएएनएस

पीएसएम/एकेजे

कैनबरा, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने खर्राटों से तंग लोगों की परेशानी की वजह पता कर लेने का दावा किया है। शोध में खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पाया गया है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से रात में खर्राटे लेते हैं, उनमें उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित उच्च रक्तचाप होने की संभावना अधिक होती है।

इस शोध में बताया गया है, “उच्च रक्तचाप तब होता है जब किसी व्यक्ति की नसों में दबाव बहुत अधिक हो जाता है। इससे हृदय को गंभीर नुकसान हो सकता है और दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय रोग हो सकता है।”

रक्तचाप को मिलीमीटर पारे (एमएमएचजी) में दो संख्याओं के रूप में दर्ज किया जाता है, जैसे कि 120/80। पहला अंक – सिस्टोलिक रक्तचाप – हृदय द्वारा रक्त पंप किए जाने पर धमनियों में दबाव को मापता है और दूसरा – डायस्टोलिक रक्तचाप – उस समय का दबाव है जब हृदय अगली धड़कन से पहले आराम करता है।

इस अध्ययन में 12,287 लोगों को शामिल किया गया। इसमें से 15 प्रतिशत लोगों ने छह महीने की निगरानी अवधि में औसतन रात के 20 प्रतिशत से अधिक समय तक खर्राटे लिए। जिन लोगों ने अधिक खर्राटे लिए थे, खर्राटे नहीं लेने वाले प्रतिभागियों की तुलना में उनका सिस्टोलिक रक्तचाप 3.8 एमएमएचजी तथा डायस्टोलिक रक्तचाप 4.5 एमएमएचजी अधिक था।

यह दुनिया में पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध की जांच करने के लिए लंबे समय तक कई रातों तक घर पर निगरानी की गई। अध्ययन में भाग लेने वाले मध्यम आयु वर्ग के थे और 88 प्रतिशत पुरुष थे।

फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के शोध के प्रमुख लेखक बैस्टियन लेचैट ने बुधवार को एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “पहली बार हम निष्पक्ष रूप से कह सकते हैं कि नियमित रूप से रात में खर्राटे लेने और उच्च रक्तचाप के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है।”

–आईएएनएस

पीएसएम/एकेजे

ADVERTISEMENT

कैनबरा, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने खर्राटों से तंग लोगों की परेशानी की वजह पता कर लेने का दावा किया है। शोध में खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पाया गया है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से रात में खर्राटे लेते हैं, उनमें उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित उच्च रक्तचाप होने की संभावना अधिक होती है।

इस शोध में बताया गया है, “उच्च रक्तचाप तब होता है जब किसी व्यक्ति की नसों में दबाव बहुत अधिक हो जाता है। इससे हृदय को गंभीर नुकसान हो सकता है और दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय रोग हो सकता है।”

रक्तचाप को मिलीमीटर पारे (एमएमएचजी) में दो संख्याओं के रूप में दर्ज किया जाता है, जैसे कि 120/80। पहला अंक – सिस्टोलिक रक्तचाप – हृदय द्वारा रक्त पंप किए जाने पर धमनियों में दबाव को मापता है और दूसरा – डायस्टोलिक रक्तचाप – उस समय का दबाव है जब हृदय अगली धड़कन से पहले आराम करता है।

इस अध्ययन में 12,287 लोगों को शामिल किया गया। इसमें से 15 प्रतिशत लोगों ने छह महीने की निगरानी अवधि में औसतन रात के 20 प्रतिशत से अधिक समय तक खर्राटे लिए। जिन लोगों ने अधिक खर्राटे लिए थे, खर्राटे नहीं लेने वाले प्रतिभागियों की तुलना में उनका सिस्टोलिक रक्तचाप 3.8 एमएमएचजी तथा डायस्टोलिक रक्तचाप 4.5 एमएमएचजी अधिक था।

यह दुनिया में पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध की जांच करने के लिए लंबे समय तक कई रातों तक घर पर निगरानी की गई। अध्ययन में भाग लेने वाले मध्यम आयु वर्ग के थे और 88 प्रतिशत पुरुष थे।

फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के शोध के प्रमुख लेखक बैस्टियन लेचैट ने बुधवार को एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “पहली बार हम निष्पक्ष रूप से कह सकते हैं कि नियमित रूप से रात में खर्राटे लेने और उच्च रक्तचाप के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है।”

–आईएएनएस

पीएसएम/एकेजे

ADVERTISEMENT

कैनबरा, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने खर्राटों से तंग लोगों की परेशानी की वजह पता कर लेने का दावा किया है। शोध में खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पाया गया है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से रात में खर्राटे लेते हैं, उनमें उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित उच्च रक्तचाप होने की संभावना अधिक होती है।

इस शोध में बताया गया है, “उच्च रक्तचाप तब होता है जब किसी व्यक्ति की नसों में दबाव बहुत अधिक हो जाता है। इससे हृदय को गंभीर नुकसान हो सकता है और दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय रोग हो सकता है।”

रक्तचाप को मिलीमीटर पारे (एमएमएचजी) में दो संख्याओं के रूप में दर्ज किया जाता है, जैसे कि 120/80। पहला अंक – सिस्टोलिक रक्तचाप – हृदय द्वारा रक्त पंप किए जाने पर धमनियों में दबाव को मापता है और दूसरा – डायस्टोलिक रक्तचाप – उस समय का दबाव है जब हृदय अगली धड़कन से पहले आराम करता है।

इस अध्ययन में 12,287 लोगों को शामिल किया गया। इसमें से 15 प्रतिशत लोगों ने छह महीने की निगरानी अवधि में औसतन रात के 20 प्रतिशत से अधिक समय तक खर्राटे लिए। जिन लोगों ने अधिक खर्राटे लिए थे, खर्राटे नहीं लेने वाले प्रतिभागियों की तुलना में उनका सिस्टोलिक रक्तचाप 3.8 एमएमएचजी तथा डायस्टोलिक रक्तचाप 4.5 एमएमएचजी अधिक था।

यह दुनिया में पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध की जांच करने के लिए लंबे समय तक कई रातों तक घर पर निगरानी की गई। अध्ययन में भाग लेने वाले मध्यम आयु वर्ग के थे और 88 प्रतिशत पुरुष थे।

फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के शोध के प्रमुख लेखक बैस्टियन लेचैट ने बुधवार को एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “पहली बार हम निष्पक्ष रूप से कह सकते हैं कि नियमित रूप से रात में खर्राटे लेने और उच्च रक्तचाप के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है।”

–आईएएनएस

पीएसएम/एकेजे

ADVERTISEMENT

कैनबरा, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने खर्राटों से तंग लोगों की परेशानी की वजह पता कर लेने का दावा किया है। शोध में खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पाया गया है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से रात में खर्राटे लेते हैं, उनमें उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित उच्च रक्तचाप होने की संभावना अधिक होती है।

इस शोध में बताया गया है, “उच्च रक्तचाप तब होता है जब किसी व्यक्ति की नसों में दबाव बहुत अधिक हो जाता है। इससे हृदय को गंभीर नुकसान हो सकता है और दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय रोग हो सकता है।”

रक्तचाप को मिलीमीटर पारे (एमएमएचजी) में दो संख्याओं के रूप में दर्ज किया जाता है, जैसे कि 120/80। पहला अंक – सिस्टोलिक रक्तचाप – हृदय द्वारा रक्त पंप किए जाने पर धमनियों में दबाव को मापता है और दूसरा – डायस्टोलिक रक्तचाप – उस समय का दबाव है जब हृदय अगली धड़कन से पहले आराम करता है।

इस अध्ययन में 12,287 लोगों को शामिल किया गया। इसमें से 15 प्रतिशत लोगों ने छह महीने की निगरानी अवधि में औसतन रात के 20 प्रतिशत से अधिक समय तक खर्राटे लिए। जिन लोगों ने अधिक खर्राटे लिए थे, खर्राटे नहीं लेने वाले प्रतिभागियों की तुलना में उनका सिस्टोलिक रक्तचाप 3.8 एमएमएचजी तथा डायस्टोलिक रक्तचाप 4.5 एमएमएचजी अधिक था।

यह दुनिया में पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध की जांच करने के लिए लंबे समय तक कई रातों तक घर पर निगरानी की गई। अध्ययन में भाग लेने वाले मध्यम आयु वर्ग के थे और 88 प्रतिशत पुरुष थे।

फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के शोध के प्रमुख लेखक बैस्टियन लेचैट ने बुधवार को एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “पहली बार हम निष्पक्ष रूप से कह सकते हैं कि नियमित रूप से रात में खर्राटे लेने और उच्च रक्तचाप के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है।”

–आईएएनएस

पीएसएम/एकेजे

ADVERTISEMENT

कैनबरा, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने खर्राटों से तंग लोगों की परेशानी की वजह पता कर लेने का दावा किया है। शोध में खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पाया गया है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से रात में खर्राटे लेते हैं, उनमें उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित उच्च रक्तचाप होने की संभावना अधिक होती है।

इस शोध में बताया गया है, “उच्च रक्तचाप तब होता है जब किसी व्यक्ति की नसों में दबाव बहुत अधिक हो जाता है। इससे हृदय को गंभीर नुकसान हो सकता है और दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय रोग हो सकता है।”

रक्तचाप को मिलीमीटर पारे (एमएमएचजी) में दो संख्याओं के रूप में दर्ज किया जाता है, जैसे कि 120/80। पहला अंक – सिस्टोलिक रक्तचाप – हृदय द्वारा रक्त पंप किए जाने पर धमनियों में दबाव को मापता है और दूसरा – डायस्टोलिक रक्तचाप – उस समय का दबाव है जब हृदय अगली धड़कन से पहले आराम करता है।

इस अध्ययन में 12,287 लोगों को शामिल किया गया। इसमें से 15 प्रतिशत लोगों ने छह महीने की निगरानी अवधि में औसतन रात के 20 प्रतिशत से अधिक समय तक खर्राटे लिए। जिन लोगों ने अधिक खर्राटे लिए थे, खर्राटे नहीं लेने वाले प्रतिभागियों की तुलना में उनका सिस्टोलिक रक्तचाप 3.8 एमएमएचजी तथा डायस्टोलिक रक्तचाप 4.5 एमएमएचजी अधिक था।

यह दुनिया में पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध की जांच करने के लिए लंबे समय तक कई रातों तक घर पर निगरानी की गई। अध्ययन में भाग लेने वाले मध्यम आयु वर्ग के थे और 88 प्रतिशत पुरुष थे।

फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के शोध के प्रमुख लेखक बैस्टियन लेचैट ने बुधवार को एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “पहली बार हम निष्पक्ष रूप से कह सकते हैं कि नियमित रूप से रात में खर्राटे लेने और उच्च रक्तचाप के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है।”

–आईएएनएस

पीएसएम/एकेजे

ADVERTISEMENT

कैनबरा, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने खर्राटों से तंग लोगों की परेशानी की वजह पता कर लेने का दावा किया है। शोध में खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पाया गया है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से रात में खर्राटे लेते हैं, उनमें उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित उच्च रक्तचाप होने की संभावना अधिक होती है।

इस शोध में बताया गया है, “उच्च रक्तचाप तब होता है जब किसी व्यक्ति की नसों में दबाव बहुत अधिक हो जाता है। इससे हृदय को गंभीर नुकसान हो सकता है और दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय रोग हो सकता है।”

रक्तचाप को मिलीमीटर पारे (एमएमएचजी) में दो संख्याओं के रूप में दर्ज किया जाता है, जैसे कि 120/80। पहला अंक – सिस्टोलिक रक्तचाप – हृदय द्वारा रक्त पंप किए जाने पर धमनियों में दबाव को मापता है और दूसरा – डायस्टोलिक रक्तचाप – उस समय का दबाव है जब हृदय अगली धड़कन से पहले आराम करता है।

इस अध्ययन में 12,287 लोगों को शामिल किया गया। इसमें से 15 प्रतिशत लोगों ने छह महीने की निगरानी अवधि में औसतन रात के 20 प्रतिशत से अधिक समय तक खर्राटे लिए। जिन लोगों ने अधिक खर्राटे लिए थे, खर्राटे नहीं लेने वाले प्रतिभागियों की तुलना में उनका सिस्टोलिक रक्तचाप 3.8 एमएमएचजी तथा डायस्टोलिक रक्तचाप 4.5 एमएमएचजी अधिक था।

यह दुनिया में पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध की जांच करने के लिए लंबे समय तक कई रातों तक घर पर निगरानी की गई। अध्ययन में भाग लेने वाले मध्यम आयु वर्ग के थे और 88 प्रतिशत पुरुष थे।

फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के शोध के प्रमुख लेखक बैस्टियन लेचैट ने बुधवार को एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “पहली बार हम निष्पक्ष रूप से कह सकते हैं कि नियमित रूप से रात में खर्राटे लेने और उच्च रक्तचाप के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है।”

–आईएएनएस

पीएसएम/एकेजे

ADVERTISEMENT

कैनबरा, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने खर्राटों से तंग लोगों की परेशानी की वजह पता कर लेने का दावा किया है। शोध में खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पाया गया है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से रात में खर्राटे लेते हैं, उनमें उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित उच्च रक्तचाप होने की संभावना अधिक होती है।

इस शोध में बताया गया है, “उच्च रक्तचाप तब होता है जब किसी व्यक्ति की नसों में दबाव बहुत अधिक हो जाता है। इससे हृदय को गंभीर नुकसान हो सकता है और दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय रोग हो सकता है।”

रक्तचाप को मिलीमीटर पारे (एमएमएचजी) में दो संख्याओं के रूप में दर्ज किया जाता है, जैसे कि 120/80। पहला अंक – सिस्टोलिक रक्तचाप – हृदय द्वारा रक्त पंप किए जाने पर धमनियों में दबाव को मापता है और दूसरा – डायस्टोलिक रक्तचाप – उस समय का दबाव है जब हृदय अगली धड़कन से पहले आराम करता है।

इस अध्ययन में 12,287 लोगों को शामिल किया गया। इसमें से 15 प्रतिशत लोगों ने छह महीने की निगरानी अवधि में औसतन रात के 20 प्रतिशत से अधिक समय तक खर्राटे लिए। जिन लोगों ने अधिक खर्राटे लिए थे, खर्राटे नहीं लेने वाले प्रतिभागियों की तुलना में उनका सिस्टोलिक रक्तचाप 3.8 एमएमएचजी तथा डायस्टोलिक रक्तचाप 4.5 एमएमएचजी अधिक था।

यह दुनिया में पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध की जांच करने के लिए लंबे समय तक कई रातों तक घर पर निगरानी की गई। अध्ययन में भाग लेने वाले मध्यम आयु वर्ग के थे और 88 प्रतिशत पुरुष थे।

फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के शोध के प्रमुख लेखक बैस्टियन लेचैट ने बुधवार को एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “पहली बार हम निष्पक्ष रूप से कह सकते हैं कि नियमित रूप से रात में खर्राटे लेने और उच्च रक्तचाप के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है।”

–आईएएनएस

पीएसएम/एकेजे

ADVERTISEMENT

कैनबरा, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने खर्राटों से तंग लोगों की परेशानी की वजह पता कर लेने का दावा किया है। शोध में खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पाया गया है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध पर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से रात में खर्राटे लेते हैं, उनमें उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित उच्च रक्तचाप होने की संभावना अधिक होती है।

इस शोध में बताया गया है, “उच्च रक्तचाप तब होता है जब किसी व्यक्ति की नसों में दबाव बहुत अधिक हो जाता है। इससे हृदय को गंभीर नुकसान हो सकता है और दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय रोग हो सकता है।”

रक्तचाप को मिलीमीटर पारे (एमएमएचजी) में दो संख्याओं के रूप में दर्ज किया जाता है, जैसे कि 120/80। पहला अंक – सिस्टोलिक रक्तचाप – हृदय द्वारा रक्त पंप किए जाने पर धमनियों में दबाव को मापता है और दूसरा – डायस्टोलिक रक्तचाप – उस समय का दबाव है जब हृदय अगली धड़कन से पहले आराम करता है।

इस अध्ययन में 12,287 लोगों को शामिल किया गया। इसमें से 15 प्रतिशत लोगों ने छह महीने की निगरानी अवधि में औसतन रात के 20 प्रतिशत से अधिक समय तक खर्राटे लिए। जिन लोगों ने अधिक खर्राटे लिए थे, खर्राटे नहीं लेने वाले प्रतिभागियों की तुलना में उनका सिस्टोलिक रक्तचाप 3.8 एमएमएचजी तथा डायस्टोलिक रक्तचाप 4.5 एमएमएचजी अधिक था।

यह दुनिया में पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें खर्राटों और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध की जांच करने के लिए लंबे समय तक कई रातों तक घर पर निगरानी की गई। अध्ययन में भाग लेने वाले मध्यम आयु वर्ग के थे और 88 प्रतिशत पुरुष थे।

फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के शोध के प्रमुख लेखक बैस्टियन लेचैट ने बुधवार को एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “पहली बार हम निष्पक्ष रूप से कह सकते हैं कि नियमित रूप से रात में खर्राटे लेने और उच्च रक्तचाप के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है।”

–आईएएनएस

पीएसएम/एकेजे

Related Posts

ताज़ा समाचार

‘एनआईएमएएस’ अभियान के बाद कंचनजंगा पर्वत के लिए शुद्धिकरण अनुष्ठान का आह्वान

June 14, 2025
ताज़ा समाचार

अहमदाबाद प्लेन क्रैश के बाद सेवा में जुटे आरएसएस कार्यकर्ता, मानवता की सेवा कर रहे स्वयंसेवक

June 14, 2025
ताज़ा समाचार

बांग्लादेश में कोविड से दो और लोगों की मौत, 15 नए मामले सामने आए

June 14, 2025
ताज़ा समाचार

राष्ट्रीय महिला आयोग और उत्तराखंड सेतु आयोग के बीच एमओयू, महिला सशक्तिकरण पर जोर

June 14, 2025
ताज़ा समाचार

ओडिशा पुलिस ने बंगाल और गुजरात में छह साइबर अपराधियों को किया गिरफ्तार

June 14, 2025
ताज़ा समाचार

दिल्ली में नई आबकारी नीति जल्द : रेखा गुप्ता

June 14, 2025
Next Post

एआई और स्वायत्त प्रणालियों की भविष्य के युद्धों में निर्णायक भूमिका : राजनाथ सिंह

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

084297
Total views : 5892073
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In