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Home Today's Special News

ओडिशा: चालू वित्त वर्ष में 28,973 करोड़ रुपये का खनन राजस्व एकत्र

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January 20, 2023
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ओडिशा: चालू वित्त वर्ष में 28,973 करोड़ रुपये का खनन राजस्व एकत्र
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भुवनेश्वर, 20 जनवरी (आईएएनएस)। ओडिशा सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 17 जनवरी तक खनन से कुल 28,973.43 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र किया है, राज्य के इस्पात एवं खान मंत्री प्रफुल्ल मलिक ने शुक्रवार को यहां यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि 2019-20 और 2020-21 के दौरान 11,020 करोड़ रुपये और 13,791 करोड़ रुपये के खनन राजस्व के मुकाबले, राज्य 2021-22 के दौरान खनन राजस्व से 49,858 करोड़ रुपये एकत्र करने में सक्षम रहा है।

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मलिक ने बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित मिनरल्स, माइनिंग एंड मेटल कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा- वर्ष 1999-2000 में कच्चे इस्पात की लगभग 4 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की स्थापित क्षमता से, राज्य ने प्रगति की है, अब तक, 33 एमटीपीए से अधिक की कुल क्षमता वाले 47 इस्पात उद्योग हैं जो देश की कुल स्थापित क्षमता का लगभग एक चौथाई है।

इसके अलावा, उन्होंने कहा, राज्य में पेलेट संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 29 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है और स्पंज आयरन संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 15 मिलियन टन है। मंत्री ने कहा कि 2020-21 के दौरान, खनिजों का कुल उत्पादन 325.495 मिलियन टन के प्रेषण के साथ 293.648 मिलियन टन था, जो 2021-22 के दौरान क्रमश: बढ़कर 362.40 मिलियन टन और 358.88 मिलियन टन हो गया है।

चालू वर्ष के दौरान, 17 जनवरी, 2023 तक खनिजों का कुल उत्पादन और प्रेषण क्रमश: 302.06 मिलियन टन और 295.07 मिलियन टन रहा। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने कानून के संशोधित प्रावधानों का समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया है और जैसा कि प्रस्तुत किया गया है, ओडिशा अब तक 37 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी करने वाला अग्रणी राज्य बन गया है, जिसमें 22 समाप्त हो चुके खनन पट्टे भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि लघु खनिज क्षेत्र के संबंध में राज्य भी नए लघु खनिज स्रोतों की पहचान करने और उन्हें संचालन की प्रक्रिया में लाने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में गौण खनिज संसाधनों से राजस्व 680 करोड़ रुपये था। मलिक ने कहा कि देश के खनिज उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती निम्न श्रेणी के खनिजों का उचित उपयोग करना है, जिनका कभी उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि हमारे पास उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीक नहीं है।

उन्होंने सुझाव दिया, इन निम्न श्रेणी के खनिजों का उपयोग करके, हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं और इन खनिजों के दुरुपयोग को रोक सकते हैं। खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा- केवल 7 से 8 साल पहले, ओडिशा को खनन क्षेत्र से लगभग 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन पिछले साल यह 50,000 करोड़ रुपये हो गया, जिसके बदले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बेहतर बुनियादी ढांचा मिला।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

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भुवनेश्वर, 20 जनवरी (आईएएनएस)। ओडिशा सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 17 जनवरी तक खनन से कुल 28,973.43 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र किया है, राज्य के इस्पात एवं खान मंत्री प्रफुल्ल मलिक ने शुक्रवार को यहां यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि 2019-20 और 2020-21 के दौरान 11,020 करोड़ रुपये और 13,791 करोड़ रुपये के खनन राजस्व के मुकाबले, राज्य 2021-22 के दौरान खनन राजस्व से 49,858 करोड़ रुपये एकत्र करने में सक्षम रहा है।

मलिक ने बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित मिनरल्स, माइनिंग एंड मेटल कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा- वर्ष 1999-2000 में कच्चे इस्पात की लगभग 4 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की स्थापित क्षमता से, राज्य ने प्रगति की है, अब तक, 33 एमटीपीए से अधिक की कुल क्षमता वाले 47 इस्पात उद्योग हैं जो देश की कुल स्थापित क्षमता का लगभग एक चौथाई है।

इसके अलावा, उन्होंने कहा, राज्य में पेलेट संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 29 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है और स्पंज आयरन संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 15 मिलियन टन है। मंत्री ने कहा कि 2020-21 के दौरान, खनिजों का कुल उत्पादन 325.495 मिलियन टन के प्रेषण के साथ 293.648 मिलियन टन था, जो 2021-22 के दौरान क्रमश: बढ़कर 362.40 मिलियन टन और 358.88 मिलियन टन हो गया है।

चालू वर्ष के दौरान, 17 जनवरी, 2023 तक खनिजों का कुल उत्पादन और प्रेषण क्रमश: 302.06 मिलियन टन और 295.07 मिलियन टन रहा। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने कानून के संशोधित प्रावधानों का समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया है और जैसा कि प्रस्तुत किया गया है, ओडिशा अब तक 37 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी करने वाला अग्रणी राज्य बन गया है, जिसमें 22 समाप्त हो चुके खनन पट्टे भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि लघु खनिज क्षेत्र के संबंध में राज्य भी नए लघु खनिज स्रोतों की पहचान करने और उन्हें संचालन की प्रक्रिया में लाने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में गौण खनिज संसाधनों से राजस्व 680 करोड़ रुपये था। मलिक ने कहा कि देश के खनिज उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती निम्न श्रेणी के खनिजों का उचित उपयोग करना है, जिनका कभी उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि हमारे पास उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीक नहीं है।

उन्होंने सुझाव दिया, इन निम्न श्रेणी के खनिजों का उपयोग करके, हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं और इन खनिजों के दुरुपयोग को रोक सकते हैं। खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा- केवल 7 से 8 साल पहले, ओडिशा को खनन क्षेत्र से लगभग 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन पिछले साल यह 50,000 करोड़ रुपये हो गया, जिसके बदले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बेहतर बुनियादी ढांचा मिला।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

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भुवनेश्वर, 20 जनवरी (आईएएनएस)। ओडिशा सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 17 जनवरी तक खनन से कुल 28,973.43 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र किया है, राज्य के इस्पात एवं खान मंत्री प्रफुल्ल मलिक ने शुक्रवार को यहां यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि 2019-20 और 2020-21 के दौरान 11,020 करोड़ रुपये और 13,791 करोड़ रुपये के खनन राजस्व के मुकाबले, राज्य 2021-22 के दौरान खनन राजस्व से 49,858 करोड़ रुपये एकत्र करने में सक्षम रहा है।

मलिक ने बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित मिनरल्स, माइनिंग एंड मेटल कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा- वर्ष 1999-2000 में कच्चे इस्पात की लगभग 4 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की स्थापित क्षमता से, राज्य ने प्रगति की है, अब तक, 33 एमटीपीए से अधिक की कुल क्षमता वाले 47 इस्पात उद्योग हैं जो देश की कुल स्थापित क्षमता का लगभग एक चौथाई है।

इसके अलावा, उन्होंने कहा, राज्य में पेलेट संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 29 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है और स्पंज आयरन संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 15 मिलियन टन है। मंत्री ने कहा कि 2020-21 के दौरान, खनिजों का कुल उत्पादन 325.495 मिलियन टन के प्रेषण के साथ 293.648 मिलियन टन था, जो 2021-22 के दौरान क्रमश: बढ़कर 362.40 मिलियन टन और 358.88 मिलियन टन हो गया है।

चालू वर्ष के दौरान, 17 जनवरी, 2023 तक खनिजों का कुल उत्पादन और प्रेषण क्रमश: 302.06 मिलियन टन और 295.07 मिलियन टन रहा। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने कानून के संशोधित प्रावधानों का समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया है और जैसा कि प्रस्तुत किया गया है, ओडिशा अब तक 37 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी करने वाला अग्रणी राज्य बन गया है, जिसमें 22 समाप्त हो चुके खनन पट्टे भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि लघु खनिज क्षेत्र के संबंध में राज्य भी नए लघु खनिज स्रोतों की पहचान करने और उन्हें संचालन की प्रक्रिया में लाने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में गौण खनिज संसाधनों से राजस्व 680 करोड़ रुपये था। मलिक ने कहा कि देश के खनिज उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती निम्न श्रेणी के खनिजों का उचित उपयोग करना है, जिनका कभी उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि हमारे पास उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीक नहीं है।

उन्होंने सुझाव दिया, इन निम्न श्रेणी के खनिजों का उपयोग करके, हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं और इन खनिजों के दुरुपयोग को रोक सकते हैं। खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा- केवल 7 से 8 साल पहले, ओडिशा को खनन क्षेत्र से लगभग 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन पिछले साल यह 50,000 करोड़ रुपये हो गया, जिसके बदले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बेहतर बुनियादी ढांचा मिला।

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उन्होंने कहा कि 2019-20 और 2020-21 के दौरान 11,020 करोड़ रुपये और 13,791 करोड़ रुपये के खनन राजस्व के मुकाबले, राज्य 2021-22 के दौरान खनन राजस्व से 49,858 करोड़ रुपये एकत्र करने में सक्षम रहा है।

मलिक ने बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित मिनरल्स, माइनिंग एंड मेटल कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा- वर्ष 1999-2000 में कच्चे इस्पात की लगभग 4 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की स्थापित क्षमता से, राज्य ने प्रगति की है, अब तक, 33 एमटीपीए से अधिक की कुल क्षमता वाले 47 इस्पात उद्योग हैं जो देश की कुल स्थापित क्षमता का लगभग एक चौथाई है।

इसके अलावा, उन्होंने कहा, राज्य में पेलेट संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 29 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है और स्पंज आयरन संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 15 मिलियन टन है। मंत्री ने कहा कि 2020-21 के दौरान, खनिजों का कुल उत्पादन 325.495 मिलियन टन के प्रेषण के साथ 293.648 मिलियन टन था, जो 2021-22 के दौरान क्रमश: बढ़कर 362.40 मिलियन टन और 358.88 मिलियन टन हो गया है।

चालू वर्ष के दौरान, 17 जनवरी, 2023 तक खनिजों का कुल उत्पादन और प्रेषण क्रमश: 302.06 मिलियन टन और 295.07 मिलियन टन रहा। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने कानून के संशोधित प्रावधानों का समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया है और जैसा कि प्रस्तुत किया गया है, ओडिशा अब तक 37 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी करने वाला अग्रणी राज्य बन गया है, जिसमें 22 समाप्त हो चुके खनन पट्टे भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि लघु खनिज क्षेत्र के संबंध में राज्य भी नए लघु खनिज स्रोतों की पहचान करने और उन्हें संचालन की प्रक्रिया में लाने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में गौण खनिज संसाधनों से राजस्व 680 करोड़ रुपये था। मलिक ने कहा कि देश के खनिज उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती निम्न श्रेणी के खनिजों का उचित उपयोग करना है, जिनका कभी उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि हमारे पास उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीक नहीं है।

उन्होंने सुझाव दिया, इन निम्न श्रेणी के खनिजों का उपयोग करके, हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं और इन खनिजों के दुरुपयोग को रोक सकते हैं। खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा- केवल 7 से 8 साल पहले, ओडिशा को खनन क्षेत्र से लगभग 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन पिछले साल यह 50,000 करोड़ रुपये हो गया, जिसके बदले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बेहतर बुनियादी ढांचा मिला।

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भुवनेश्वर, 20 जनवरी (आईएएनएस)। ओडिशा सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 17 जनवरी तक खनन से कुल 28,973.43 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र किया है, राज्य के इस्पात एवं खान मंत्री प्रफुल्ल मलिक ने शुक्रवार को यहां यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि 2019-20 और 2020-21 के दौरान 11,020 करोड़ रुपये और 13,791 करोड़ रुपये के खनन राजस्व के मुकाबले, राज्य 2021-22 के दौरान खनन राजस्व से 49,858 करोड़ रुपये एकत्र करने में सक्षम रहा है।

मलिक ने बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित मिनरल्स, माइनिंग एंड मेटल कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा- वर्ष 1999-2000 में कच्चे इस्पात की लगभग 4 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की स्थापित क्षमता से, राज्य ने प्रगति की है, अब तक, 33 एमटीपीए से अधिक की कुल क्षमता वाले 47 इस्पात उद्योग हैं जो देश की कुल स्थापित क्षमता का लगभग एक चौथाई है।

इसके अलावा, उन्होंने कहा, राज्य में पेलेट संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 29 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है और स्पंज आयरन संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 15 मिलियन टन है। मंत्री ने कहा कि 2020-21 के दौरान, खनिजों का कुल उत्पादन 325.495 मिलियन टन के प्रेषण के साथ 293.648 मिलियन टन था, जो 2021-22 के दौरान क्रमश: बढ़कर 362.40 मिलियन टन और 358.88 मिलियन टन हो गया है।

चालू वर्ष के दौरान, 17 जनवरी, 2023 तक खनिजों का कुल उत्पादन और प्रेषण क्रमश: 302.06 मिलियन टन और 295.07 मिलियन टन रहा। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने कानून के संशोधित प्रावधानों का समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया है और जैसा कि प्रस्तुत किया गया है, ओडिशा अब तक 37 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी करने वाला अग्रणी राज्य बन गया है, जिसमें 22 समाप्त हो चुके खनन पट्टे भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि लघु खनिज क्षेत्र के संबंध में राज्य भी नए लघु खनिज स्रोतों की पहचान करने और उन्हें संचालन की प्रक्रिया में लाने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में गौण खनिज संसाधनों से राजस्व 680 करोड़ रुपये था। मलिक ने कहा कि देश के खनिज उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती निम्न श्रेणी के खनिजों का उचित उपयोग करना है, जिनका कभी उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि हमारे पास उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीक नहीं है।

उन्होंने सुझाव दिया, इन निम्न श्रेणी के खनिजों का उपयोग करके, हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं और इन खनिजों के दुरुपयोग को रोक सकते हैं। खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा- केवल 7 से 8 साल पहले, ओडिशा को खनन क्षेत्र से लगभग 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन पिछले साल यह 50,000 करोड़ रुपये हो गया, जिसके बदले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बेहतर बुनियादी ढांचा मिला।

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उन्होंने कहा कि 2019-20 और 2020-21 के दौरान 11,020 करोड़ रुपये और 13,791 करोड़ रुपये के खनन राजस्व के मुकाबले, राज्य 2021-22 के दौरान खनन राजस्व से 49,858 करोड़ रुपये एकत्र करने में सक्षम रहा है।

मलिक ने बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित मिनरल्स, माइनिंग एंड मेटल कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा- वर्ष 1999-2000 में कच्चे इस्पात की लगभग 4 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की स्थापित क्षमता से, राज्य ने प्रगति की है, अब तक, 33 एमटीपीए से अधिक की कुल क्षमता वाले 47 इस्पात उद्योग हैं जो देश की कुल स्थापित क्षमता का लगभग एक चौथाई है।

इसके अलावा, उन्होंने कहा, राज्य में पेलेट संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 29 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है और स्पंज आयरन संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 15 मिलियन टन है। मंत्री ने कहा कि 2020-21 के दौरान, खनिजों का कुल उत्पादन 325.495 मिलियन टन के प्रेषण के साथ 293.648 मिलियन टन था, जो 2021-22 के दौरान क्रमश: बढ़कर 362.40 मिलियन टन और 358.88 मिलियन टन हो गया है।

चालू वर्ष के दौरान, 17 जनवरी, 2023 तक खनिजों का कुल उत्पादन और प्रेषण क्रमश: 302.06 मिलियन टन और 295.07 मिलियन टन रहा। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने कानून के संशोधित प्रावधानों का समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया है और जैसा कि प्रस्तुत किया गया है, ओडिशा अब तक 37 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी करने वाला अग्रणी राज्य बन गया है, जिसमें 22 समाप्त हो चुके खनन पट्टे भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि लघु खनिज क्षेत्र के संबंध में राज्य भी नए लघु खनिज स्रोतों की पहचान करने और उन्हें संचालन की प्रक्रिया में लाने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में गौण खनिज संसाधनों से राजस्व 680 करोड़ रुपये था। मलिक ने कहा कि देश के खनिज उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती निम्न श्रेणी के खनिजों का उचित उपयोग करना है, जिनका कभी उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि हमारे पास उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीक नहीं है।

उन्होंने सुझाव दिया, इन निम्न श्रेणी के खनिजों का उपयोग करके, हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं और इन खनिजों के दुरुपयोग को रोक सकते हैं। खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा- केवल 7 से 8 साल पहले, ओडिशा को खनन क्षेत्र से लगभग 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन पिछले साल यह 50,000 करोड़ रुपये हो गया, जिसके बदले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बेहतर बुनियादी ढांचा मिला।

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उन्होंने कहा कि 2019-20 और 2020-21 के दौरान 11,020 करोड़ रुपये और 13,791 करोड़ रुपये के खनन राजस्व के मुकाबले, राज्य 2021-22 के दौरान खनन राजस्व से 49,858 करोड़ रुपये एकत्र करने में सक्षम रहा है।

मलिक ने बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित मिनरल्स, माइनिंग एंड मेटल कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा- वर्ष 1999-2000 में कच्चे इस्पात की लगभग 4 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की स्थापित क्षमता से, राज्य ने प्रगति की है, अब तक, 33 एमटीपीए से अधिक की कुल क्षमता वाले 47 इस्पात उद्योग हैं जो देश की कुल स्थापित क्षमता का लगभग एक चौथाई है।

इसके अलावा, उन्होंने कहा, राज्य में पेलेट संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 29 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है और स्पंज आयरन संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 15 मिलियन टन है। मंत्री ने कहा कि 2020-21 के दौरान, खनिजों का कुल उत्पादन 325.495 मिलियन टन के प्रेषण के साथ 293.648 मिलियन टन था, जो 2021-22 के दौरान क्रमश: बढ़कर 362.40 मिलियन टन और 358.88 मिलियन टन हो गया है।

चालू वर्ष के दौरान, 17 जनवरी, 2023 तक खनिजों का कुल उत्पादन और प्रेषण क्रमश: 302.06 मिलियन टन और 295.07 मिलियन टन रहा। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने कानून के संशोधित प्रावधानों का समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया है और जैसा कि प्रस्तुत किया गया है, ओडिशा अब तक 37 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी करने वाला अग्रणी राज्य बन गया है, जिसमें 22 समाप्त हो चुके खनन पट्टे भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि लघु खनिज क्षेत्र के संबंध में राज्य भी नए लघु खनिज स्रोतों की पहचान करने और उन्हें संचालन की प्रक्रिया में लाने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में गौण खनिज संसाधनों से राजस्व 680 करोड़ रुपये था। मलिक ने कहा कि देश के खनिज उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती निम्न श्रेणी के खनिजों का उचित उपयोग करना है, जिनका कभी उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि हमारे पास उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीक नहीं है।

उन्होंने सुझाव दिया, इन निम्न श्रेणी के खनिजों का उपयोग करके, हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं और इन खनिजों के दुरुपयोग को रोक सकते हैं। खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा- केवल 7 से 8 साल पहले, ओडिशा को खनन क्षेत्र से लगभग 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन पिछले साल यह 50,000 करोड़ रुपये हो गया, जिसके बदले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बेहतर बुनियादी ढांचा मिला।

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भुवनेश्वर, 20 जनवरी (आईएएनएस)। ओडिशा सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 17 जनवरी तक खनन से कुल 28,973.43 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र किया है, राज्य के इस्पात एवं खान मंत्री प्रफुल्ल मलिक ने शुक्रवार को यहां यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि 2019-20 और 2020-21 के दौरान 11,020 करोड़ रुपये और 13,791 करोड़ रुपये के खनन राजस्व के मुकाबले, राज्य 2021-22 के दौरान खनन राजस्व से 49,858 करोड़ रुपये एकत्र करने में सक्षम रहा है।

मलिक ने बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित मिनरल्स, माइनिंग एंड मेटल कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा- वर्ष 1999-2000 में कच्चे इस्पात की लगभग 4 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की स्थापित क्षमता से, राज्य ने प्रगति की है, अब तक, 33 एमटीपीए से अधिक की कुल क्षमता वाले 47 इस्पात उद्योग हैं जो देश की कुल स्थापित क्षमता का लगभग एक चौथाई है।

इसके अलावा, उन्होंने कहा, राज्य में पेलेट संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 29 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है और स्पंज आयरन संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 15 मिलियन टन है। मंत्री ने कहा कि 2020-21 के दौरान, खनिजों का कुल उत्पादन 325.495 मिलियन टन के प्रेषण के साथ 293.648 मिलियन टन था, जो 2021-22 के दौरान क्रमश: बढ़कर 362.40 मिलियन टन और 358.88 मिलियन टन हो गया है।

चालू वर्ष के दौरान, 17 जनवरी, 2023 तक खनिजों का कुल उत्पादन और प्रेषण क्रमश: 302.06 मिलियन टन और 295.07 मिलियन टन रहा। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने कानून के संशोधित प्रावधानों का समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया है और जैसा कि प्रस्तुत किया गया है, ओडिशा अब तक 37 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी करने वाला अग्रणी राज्य बन गया है, जिसमें 22 समाप्त हो चुके खनन पट्टे भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि लघु खनिज क्षेत्र के संबंध में राज्य भी नए लघु खनिज स्रोतों की पहचान करने और उन्हें संचालन की प्रक्रिया में लाने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में गौण खनिज संसाधनों से राजस्व 680 करोड़ रुपये था। मलिक ने कहा कि देश के खनिज उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती निम्न श्रेणी के खनिजों का उचित उपयोग करना है, जिनका कभी उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि हमारे पास उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीक नहीं है।

उन्होंने सुझाव दिया, इन निम्न श्रेणी के खनिजों का उपयोग करके, हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं और इन खनिजों के दुरुपयोग को रोक सकते हैं। खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा- केवल 7 से 8 साल पहले, ओडिशा को खनन क्षेत्र से लगभग 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन पिछले साल यह 50,000 करोड़ रुपये हो गया, जिसके बदले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बेहतर बुनियादी ढांचा मिला।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

भुवनेश्वर, 20 जनवरी (आईएएनएस)। ओडिशा सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 17 जनवरी तक खनन से कुल 28,973.43 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र किया है, राज्य के इस्पात एवं खान मंत्री प्रफुल्ल मलिक ने शुक्रवार को यहां यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि 2019-20 और 2020-21 के दौरान 11,020 करोड़ रुपये और 13,791 करोड़ रुपये के खनन राजस्व के मुकाबले, राज्य 2021-22 के दौरान खनन राजस्व से 49,858 करोड़ रुपये एकत्र करने में सक्षम रहा है।

मलिक ने बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित मिनरल्स, माइनिंग एंड मेटल कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा- वर्ष 1999-2000 में कच्चे इस्पात की लगभग 4 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की स्थापित क्षमता से, राज्य ने प्रगति की है, अब तक, 33 एमटीपीए से अधिक की कुल क्षमता वाले 47 इस्पात उद्योग हैं जो देश की कुल स्थापित क्षमता का लगभग एक चौथाई है।

इसके अलावा, उन्होंने कहा, राज्य में पेलेट संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 29 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है और स्पंज आयरन संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 15 मिलियन टन है। मंत्री ने कहा कि 2020-21 के दौरान, खनिजों का कुल उत्पादन 325.495 मिलियन टन के प्रेषण के साथ 293.648 मिलियन टन था, जो 2021-22 के दौरान क्रमश: बढ़कर 362.40 मिलियन टन और 358.88 मिलियन टन हो गया है।

चालू वर्ष के दौरान, 17 जनवरी, 2023 तक खनिजों का कुल उत्पादन और प्रेषण क्रमश: 302.06 मिलियन टन और 295.07 मिलियन टन रहा। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने कानून के संशोधित प्रावधानों का समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया है और जैसा कि प्रस्तुत किया गया है, ओडिशा अब तक 37 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी करने वाला अग्रणी राज्य बन गया है, जिसमें 22 समाप्त हो चुके खनन पट्टे भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि लघु खनिज क्षेत्र के संबंध में राज्य भी नए लघु खनिज स्रोतों की पहचान करने और उन्हें संचालन की प्रक्रिया में लाने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में गौण खनिज संसाधनों से राजस्व 680 करोड़ रुपये था। मलिक ने कहा कि देश के खनिज उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती निम्न श्रेणी के खनिजों का उचित उपयोग करना है, जिनका कभी उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि हमारे पास उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीक नहीं है।

उन्होंने सुझाव दिया, इन निम्न श्रेणी के खनिजों का उपयोग करके, हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं और इन खनिजों के दुरुपयोग को रोक सकते हैं। खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा- केवल 7 से 8 साल पहले, ओडिशा को खनन क्षेत्र से लगभग 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन पिछले साल यह 50,000 करोड़ रुपये हो गया, जिसके बदले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बेहतर बुनियादी ढांचा मिला।

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भुवनेश्वर, 20 जनवरी (आईएएनएस)। ओडिशा सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 17 जनवरी तक खनन से कुल 28,973.43 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र किया है, राज्य के इस्पात एवं खान मंत्री प्रफुल्ल मलिक ने शुक्रवार को यहां यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि 2019-20 और 2020-21 के दौरान 11,020 करोड़ रुपये और 13,791 करोड़ रुपये के खनन राजस्व के मुकाबले, राज्य 2021-22 के दौरान खनन राजस्व से 49,858 करोड़ रुपये एकत्र करने में सक्षम रहा है।

मलिक ने बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित मिनरल्स, माइनिंग एंड मेटल कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा- वर्ष 1999-2000 में कच्चे इस्पात की लगभग 4 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की स्थापित क्षमता से, राज्य ने प्रगति की है, अब तक, 33 एमटीपीए से अधिक की कुल क्षमता वाले 47 इस्पात उद्योग हैं जो देश की कुल स्थापित क्षमता का लगभग एक चौथाई है।

इसके अलावा, उन्होंने कहा, राज्य में पेलेट संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 29 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है और स्पंज आयरन संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 15 मिलियन टन है। मंत्री ने कहा कि 2020-21 के दौरान, खनिजों का कुल उत्पादन 325.495 मिलियन टन के प्रेषण के साथ 293.648 मिलियन टन था, जो 2021-22 के दौरान क्रमश: बढ़कर 362.40 मिलियन टन और 358.88 मिलियन टन हो गया है।

चालू वर्ष के दौरान, 17 जनवरी, 2023 तक खनिजों का कुल उत्पादन और प्रेषण क्रमश: 302.06 मिलियन टन और 295.07 मिलियन टन रहा। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने कानून के संशोधित प्रावधानों का समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया है और जैसा कि प्रस्तुत किया गया है, ओडिशा अब तक 37 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी करने वाला अग्रणी राज्य बन गया है, जिसमें 22 समाप्त हो चुके खनन पट्टे भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि लघु खनिज क्षेत्र के संबंध में राज्य भी नए लघु खनिज स्रोतों की पहचान करने और उन्हें संचालन की प्रक्रिया में लाने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में गौण खनिज संसाधनों से राजस्व 680 करोड़ रुपये था। मलिक ने कहा कि देश के खनिज उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती निम्न श्रेणी के खनिजों का उचित उपयोग करना है, जिनका कभी उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि हमारे पास उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीक नहीं है।

उन्होंने सुझाव दिया, इन निम्न श्रेणी के खनिजों का उपयोग करके, हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं और इन खनिजों के दुरुपयोग को रोक सकते हैं। खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा- केवल 7 से 8 साल पहले, ओडिशा को खनन क्षेत्र से लगभग 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन पिछले साल यह 50,000 करोड़ रुपये हो गया, जिसके बदले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बेहतर बुनियादी ढांचा मिला।

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उन्होंने कहा कि 2019-20 और 2020-21 के दौरान 11,020 करोड़ रुपये और 13,791 करोड़ रुपये के खनन राजस्व के मुकाबले, राज्य 2021-22 के दौरान खनन राजस्व से 49,858 करोड़ रुपये एकत्र करने में सक्षम रहा है।

मलिक ने बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित मिनरल्स, माइनिंग एंड मेटल कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा- वर्ष 1999-2000 में कच्चे इस्पात की लगभग 4 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की स्थापित क्षमता से, राज्य ने प्रगति की है, अब तक, 33 एमटीपीए से अधिक की कुल क्षमता वाले 47 इस्पात उद्योग हैं जो देश की कुल स्थापित क्षमता का लगभग एक चौथाई है।

इसके अलावा, उन्होंने कहा, राज्य में पेलेट संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 29 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है और स्पंज आयरन संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 15 मिलियन टन है। मंत्री ने कहा कि 2020-21 के दौरान, खनिजों का कुल उत्पादन 325.495 मिलियन टन के प्रेषण के साथ 293.648 मिलियन टन था, जो 2021-22 के दौरान क्रमश: बढ़कर 362.40 मिलियन टन और 358.88 मिलियन टन हो गया है।

चालू वर्ष के दौरान, 17 जनवरी, 2023 तक खनिजों का कुल उत्पादन और प्रेषण क्रमश: 302.06 मिलियन टन और 295.07 मिलियन टन रहा। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने कानून के संशोधित प्रावधानों का समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया है और जैसा कि प्रस्तुत किया गया है, ओडिशा अब तक 37 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी करने वाला अग्रणी राज्य बन गया है, जिसमें 22 समाप्त हो चुके खनन पट्टे भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि लघु खनिज क्षेत्र के संबंध में राज्य भी नए लघु खनिज स्रोतों की पहचान करने और उन्हें संचालन की प्रक्रिया में लाने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में गौण खनिज संसाधनों से राजस्व 680 करोड़ रुपये था। मलिक ने कहा कि देश के खनिज उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती निम्न श्रेणी के खनिजों का उचित उपयोग करना है, जिनका कभी उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि हमारे पास उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीक नहीं है।

उन्होंने सुझाव दिया, इन निम्न श्रेणी के खनिजों का उपयोग करके, हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं और इन खनिजों के दुरुपयोग को रोक सकते हैं। खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा- केवल 7 से 8 साल पहले, ओडिशा को खनन क्षेत्र से लगभग 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन पिछले साल यह 50,000 करोड़ रुपये हो गया, जिसके बदले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बेहतर बुनियादी ढांचा मिला।

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उन्होंने कहा कि 2019-20 और 2020-21 के दौरान 11,020 करोड़ रुपये और 13,791 करोड़ रुपये के खनन राजस्व के मुकाबले, राज्य 2021-22 के दौरान खनन राजस्व से 49,858 करोड़ रुपये एकत्र करने में सक्षम रहा है।

मलिक ने बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित मिनरल्स, माइनिंग एंड मेटल कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा- वर्ष 1999-2000 में कच्चे इस्पात की लगभग 4 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की स्थापित क्षमता से, राज्य ने प्रगति की है, अब तक, 33 एमटीपीए से अधिक की कुल क्षमता वाले 47 इस्पात उद्योग हैं जो देश की कुल स्थापित क्षमता का लगभग एक चौथाई है।

इसके अलावा, उन्होंने कहा, राज्य में पेलेट संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 29 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है और स्पंज आयरन संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 15 मिलियन टन है। मंत्री ने कहा कि 2020-21 के दौरान, खनिजों का कुल उत्पादन 325.495 मिलियन टन के प्रेषण के साथ 293.648 मिलियन टन था, जो 2021-22 के दौरान क्रमश: बढ़कर 362.40 मिलियन टन और 358.88 मिलियन टन हो गया है।

चालू वर्ष के दौरान, 17 जनवरी, 2023 तक खनिजों का कुल उत्पादन और प्रेषण क्रमश: 302.06 मिलियन टन और 295.07 मिलियन टन रहा। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने कानून के संशोधित प्रावधानों का समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया है और जैसा कि प्रस्तुत किया गया है, ओडिशा अब तक 37 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी करने वाला अग्रणी राज्य बन गया है, जिसमें 22 समाप्त हो चुके खनन पट्टे भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि लघु खनिज क्षेत्र के संबंध में राज्य भी नए लघु खनिज स्रोतों की पहचान करने और उन्हें संचालन की प्रक्रिया में लाने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में गौण खनिज संसाधनों से राजस्व 680 करोड़ रुपये था। मलिक ने कहा कि देश के खनिज उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती निम्न श्रेणी के खनिजों का उचित उपयोग करना है, जिनका कभी उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि हमारे पास उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीक नहीं है।

उन्होंने सुझाव दिया, इन निम्न श्रेणी के खनिजों का उपयोग करके, हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं और इन खनिजों के दुरुपयोग को रोक सकते हैं। खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा- केवल 7 से 8 साल पहले, ओडिशा को खनन क्षेत्र से लगभग 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन पिछले साल यह 50,000 करोड़ रुपये हो गया, जिसके बदले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बेहतर बुनियादी ढांचा मिला।

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उन्होंने कहा कि 2019-20 और 2020-21 के दौरान 11,020 करोड़ रुपये और 13,791 करोड़ रुपये के खनन राजस्व के मुकाबले, राज्य 2021-22 के दौरान खनन राजस्व से 49,858 करोड़ रुपये एकत्र करने में सक्षम रहा है।

मलिक ने बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित मिनरल्स, माइनिंग एंड मेटल कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा- वर्ष 1999-2000 में कच्चे इस्पात की लगभग 4 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की स्थापित क्षमता से, राज्य ने प्रगति की है, अब तक, 33 एमटीपीए से अधिक की कुल क्षमता वाले 47 इस्पात उद्योग हैं जो देश की कुल स्थापित क्षमता का लगभग एक चौथाई है।

इसके अलावा, उन्होंने कहा, राज्य में पेलेट संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 29 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है और स्पंज आयरन संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 15 मिलियन टन है। मंत्री ने कहा कि 2020-21 के दौरान, खनिजों का कुल उत्पादन 325.495 मिलियन टन के प्रेषण के साथ 293.648 मिलियन टन था, जो 2021-22 के दौरान क्रमश: बढ़कर 362.40 मिलियन टन और 358.88 मिलियन टन हो गया है।

चालू वर्ष के दौरान, 17 जनवरी, 2023 तक खनिजों का कुल उत्पादन और प्रेषण क्रमश: 302.06 मिलियन टन और 295.07 मिलियन टन रहा। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने कानून के संशोधित प्रावधानों का समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया है और जैसा कि प्रस्तुत किया गया है, ओडिशा अब तक 37 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी करने वाला अग्रणी राज्य बन गया है, जिसमें 22 समाप्त हो चुके खनन पट्टे भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि लघु खनिज क्षेत्र के संबंध में राज्य भी नए लघु खनिज स्रोतों की पहचान करने और उन्हें संचालन की प्रक्रिया में लाने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में गौण खनिज संसाधनों से राजस्व 680 करोड़ रुपये था। मलिक ने कहा कि देश के खनिज उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती निम्न श्रेणी के खनिजों का उचित उपयोग करना है, जिनका कभी उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि हमारे पास उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीक नहीं है।

उन्होंने सुझाव दिया, इन निम्न श्रेणी के खनिजों का उपयोग करके, हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं और इन खनिजों के दुरुपयोग को रोक सकते हैं। खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा- केवल 7 से 8 साल पहले, ओडिशा को खनन क्षेत्र से लगभग 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन पिछले साल यह 50,000 करोड़ रुपये हो गया, जिसके बदले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बेहतर बुनियादी ढांचा मिला।

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उन्होंने कहा कि 2019-20 और 2020-21 के दौरान 11,020 करोड़ रुपये और 13,791 करोड़ रुपये के खनन राजस्व के मुकाबले, राज्य 2021-22 के दौरान खनन राजस्व से 49,858 करोड़ रुपये एकत्र करने में सक्षम रहा है।

मलिक ने बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित मिनरल्स, माइनिंग एंड मेटल कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा- वर्ष 1999-2000 में कच्चे इस्पात की लगभग 4 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की स्थापित क्षमता से, राज्य ने प्रगति की है, अब तक, 33 एमटीपीए से अधिक की कुल क्षमता वाले 47 इस्पात उद्योग हैं जो देश की कुल स्थापित क्षमता का लगभग एक चौथाई है।

इसके अलावा, उन्होंने कहा, राज्य में पेलेट संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 29 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है और स्पंज आयरन संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 15 मिलियन टन है। मंत्री ने कहा कि 2020-21 के दौरान, खनिजों का कुल उत्पादन 325.495 मिलियन टन के प्रेषण के साथ 293.648 मिलियन टन था, जो 2021-22 के दौरान क्रमश: बढ़कर 362.40 मिलियन टन और 358.88 मिलियन टन हो गया है।

चालू वर्ष के दौरान, 17 जनवरी, 2023 तक खनिजों का कुल उत्पादन और प्रेषण क्रमश: 302.06 मिलियन टन और 295.07 मिलियन टन रहा। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने कानून के संशोधित प्रावधानों का समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया है और जैसा कि प्रस्तुत किया गया है, ओडिशा अब तक 37 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी करने वाला अग्रणी राज्य बन गया है, जिसमें 22 समाप्त हो चुके खनन पट्टे भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि लघु खनिज क्षेत्र के संबंध में राज्य भी नए लघु खनिज स्रोतों की पहचान करने और उन्हें संचालन की प्रक्रिया में लाने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में गौण खनिज संसाधनों से राजस्व 680 करोड़ रुपये था। मलिक ने कहा कि देश के खनिज उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती निम्न श्रेणी के खनिजों का उचित उपयोग करना है, जिनका कभी उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि हमारे पास उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीक नहीं है।

उन्होंने सुझाव दिया, इन निम्न श्रेणी के खनिजों का उपयोग करके, हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं और इन खनिजों के दुरुपयोग को रोक सकते हैं। खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा- केवल 7 से 8 साल पहले, ओडिशा को खनन क्षेत्र से लगभग 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन पिछले साल यह 50,000 करोड़ रुपये हो गया, जिसके बदले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बेहतर बुनियादी ढांचा मिला।

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उन्होंने कहा कि 2019-20 और 2020-21 के दौरान 11,020 करोड़ रुपये और 13,791 करोड़ रुपये के खनन राजस्व के मुकाबले, राज्य 2021-22 के दौरान खनन राजस्व से 49,858 करोड़ रुपये एकत्र करने में सक्षम रहा है।

मलिक ने बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित मिनरल्स, माइनिंग एंड मेटल कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा- वर्ष 1999-2000 में कच्चे इस्पात की लगभग 4 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की स्थापित क्षमता से, राज्य ने प्रगति की है, अब तक, 33 एमटीपीए से अधिक की कुल क्षमता वाले 47 इस्पात उद्योग हैं जो देश की कुल स्थापित क्षमता का लगभग एक चौथाई है।

इसके अलावा, उन्होंने कहा, राज्य में पेलेट संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 29 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है और स्पंज आयरन संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 15 मिलियन टन है। मंत्री ने कहा कि 2020-21 के दौरान, खनिजों का कुल उत्पादन 325.495 मिलियन टन के प्रेषण के साथ 293.648 मिलियन टन था, जो 2021-22 के दौरान क्रमश: बढ़कर 362.40 मिलियन टन और 358.88 मिलियन टन हो गया है।

चालू वर्ष के दौरान, 17 जनवरी, 2023 तक खनिजों का कुल उत्पादन और प्रेषण क्रमश: 302.06 मिलियन टन और 295.07 मिलियन टन रहा। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने कानून के संशोधित प्रावधानों का समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया है और जैसा कि प्रस्तुत किया गया है, ओडिशा अब तक 37 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी करने वाला अग्रणी राज्य बन गया है, जिसमें 22 समाप्त हो चुके खनन पट्टे भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि लघु खनिज क्षेत्र के संबंध में राज्य भी नए लघु खनिज स्रोतों की पहचान करने और उन्हें संचालन की प्रक्रिया में लाने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में गौण खनिज संसाधनों से राजस्व 680 करोड़ रुपये था। मलिक ने कहा कि देश के खनिज उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती निम्न श्रेणी के खनिजों का उचित उपयोग करना है, जिनका कभी उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि हमारे पास उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीक नहीं है।

उन्होंने सुझाव दिया, इन निम्न श्रेणी के खनिजों का उपयोग करके, हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं और इन खनिजों के दुरुपयोग को रोक सकते हैं। खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा- केवल 7 से 8 साल पहले, ओडिशा को खनन क्षेत्र से लगभग 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन पिछले साल यह 50,000 करोड़ रुपये हो गया, जिसके बदले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बेहतर बुनियादी ढांचा मिला।

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उन्होंने कहा कि 2019-20 और 2020-21 के दौरान 11,020 करोड़ रुपये और 13,791 करोड़ रुपये के खनन राजस्व के मुकाबले, राज्य 2021-22 के दौरान खनन राजस्व से 49,858 करोड़ रुपये एकत्र करने में सक्षम रहा है।

मलिक ने बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित मिनरल्स, माइनिंग एंड मेटल कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा- वर्ष 1999-2000 में कच्चे इस्पात की लगभग 4 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की स्थापित क्षमता से, राज्य ने प्रगति की है, अब तक, 33 एमटीपीए से अधिक की कुल क्षमता वाले 47 इस्पात उद्योग हैं जो देश की कुल स्थापित क्षमता का लगभग एक चौथाई है।

इसके अलावा, उन्होंने कहा, राज्य में पेलेट संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 29 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है और स्पंज आयरन संयंत्रों की स्थापित क्षमता लगभग 15 मिलियन टन है। मंत्री ने कहा कि 2020-21 के दौरान, खनिजों का कुल उत्पादन 325.495 मिलियन टन के प्रेषण के साथ 293.648 मिलियन टन था, जो 2021-22 के दौरान क्रमश: बढ़कर 362.40 मिलियन टन और 358.88 मिलियन टन हो गया है।

चालू वर्ष के दौरान, 17 जनवरी, 2023 तक खनिजों का कुल उत्पादन और प्रेषण क्रमश: 302.06 मिलियन टन और 295.07 मिलियन टन रहा। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने कानून के संशोधित प्रावधानों का समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया है और जैसा कि प्रस्तुत किया गया है, ओडिशा अब तक 37 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी करने वाला अग्रणी राज्य बन गया है, जिसमें 22 समाप्त हो चुके खनन पट्टे भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि लघु खनिज क्षेत्र के संबंध में राज्य भी नए लघु खनिज स्रोतों की पहचान करने और उन्हें संचालन की प्रक्रिया में लाने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में गौण खनिज संसाधनों से राजस्व 680 करोड़ रुपये था। मलिक ने कहा कि देश के खनिज उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती निम्न श्रेणी के खनिजों का उचित उपयोग करना है, जिनका कभी उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि हमारे पास उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीक नहीं है।

उन्होंने सुझाव दिया, इन निम्न श्रेणी के खनिजों का उपयोग करके, हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं और इन खनिजों के दुरुपयोग को रोक सकते हैं। खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा- केवल 7 से 8 साल पहले, ओडिशा को खनन क्षेत्र से लगभग 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन पिछले साल यह 50,000 करोड़ रुपये हो गया, जिसके बदले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बेहतर बुनियादी ढांचा मिला।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

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