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Home Today's Special News

कंझावला कांड : क्या सवालों से भाग रही दिल्ली पुलिस?

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January 3, 2023
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कंझावला कांड : क्या सवालों से भाग रही दिल्ली पुलिस?
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नई दिल्ली, 3 जनवरी (आईएएनएस)। क्या दिल्ली पुलिस कंझावला मामले में सवालों से भाग रही है, जिसमें रविवार तड़के करीब 12 किलोमीटर तक कार से घसीटे जाने के बाद 20 वर्षीय युवती की दर्दनाक मौत हो गई?

दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को मामले की जांच का ब्योरा देते हुए महज 1.33 मिनट बात की।

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एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि घटना के समय पीड़िता के साथ एक और महिला थी।

हुड्डा ने कहा, उसे कोई चोट नहीं आई थी और घटना के बाद वह अपने घर वापस चली गई। अब हमारे पास एक चश्मदीद गवाह है और उसका बयान दर्ज किया जा रहा है। यह हमारे मामले को मजबूत बनाता है और हम बहुत जल्द जांच पूरी करेंगे।

हालांकि, उन्होंने मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया, जिससे कई सवाल अनुत्तरित रह गए।

* युवती की स्कूटी को कार ने टक्कर मारने के बाद वह कार के नीचे कैसे फंसी?

* युवती को जब 12 किलोमीटर तक घसीटा गया, उस दौरान इलाके की पुलिस पेट्रोलिंग यूनिट कहां थी? क्या 31 दिसंबर की रात से 1 जनवरी की सुबह तक शहर भर में 16,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद उस इलाके में कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था?

* ऐसा कैसे हो सकता है कि कार के अंदर बैठे लोगों को ऐसा नहीं लगा कि कार के नीचे कुछ फंस गया है?

* आरोपियों ने लगभग एक घंटे तक एक चुनिंदा मार्ग पर कार के नीचे शव को फंसाए क्यों रखा?

* ठीक कितने बजे हादसा हुआ और पीड़िता को मारुति बलेनो कार कितनी देर तक घसीटती रही?

इस घटना ने एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी में महिला सुरक्षा का मुद्दा खड़ा कर दिया है।

शराब के नशे में कार में सवार पांच लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए (लापरवाही से मौत) और 279 (तेजी से गाड़ी चलाना) के तहत मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया है। बाद में पीड़िता के परिवार के सदस्यों के विरोध के बाद पुलिस ने प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) को जोड़ा।

पांचों आरोपियों के खून के नमूने जांच के लिए फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजे गए हैं कि कहीं वे शराब के नशे में तो नहीं थे। रिपोर्ट आना बाकी है।

पुलिस ने शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता का यौन उत्पीड़न किए जाने से इनकार किया है। हालांकि, अंतिम राय संरक्षित किए गए जैविक नमूनों की रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट मिलने के बाद आएगी।

एक सूत्र ने कहा कि एक जांच रिपोर्ट के साथ पूरी रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी जाएगी, जिसे विशेष पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह तैयार कर रही हैं।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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नई दिल्ली, 3 जनवरी (आईएएनएस)। क्या दिल्ली पुलिस कंझावला मामले में सवालों से भाग रही है, जिसमें रविवार तड़के करीब 12 किलोमीटर तक कार से घसीटे जाने के बाद 20 वर्षीय युवती की दर्दनाक मौत हो गई?

दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को मामले की जांच का ब्योरा देते हुए महज 1.33 मिनट बात की।

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि घटना के समय पीड़िता के साथ एक और महिला थी।

हुड्डा ने कहा, उसे कोई चोट नहीं आई थी और घटना के बाद वह अपने घर वापस चली गई। अब हमारे पास एक चश्मदीद गवाह है और उसका बयान दर्ज किया जा रहा है। यह हमारे मामले को मजबूत बनाता है और हम बहुत जल्द जांच पूरी करेंगे।

हालांकि, उन्होंने मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया, जिससे कई सवाल अनुत्तरित रह गए।

* युवती की स्कूटी को कार ने टक्कर मारने के बाद वह कार के नीचे कैसे फंसी?

* युवती को जब 12 किलोमीटर तक घसीटा गया, उस दौरान इलाके की पुलिस पेट्रोलिंग यूनिट कहां थी? क्या 31 दिसंबर की रात से 1 जनवरी की सुबह तक शहर भर में 16,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद उस इलाके में कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था?

* ऐसा कैसे हो सकता है कि कार के अंदर बैठे लोगों को ऐसा नहीं लगा कि कार के नीचे कुछ फंस गया है?

* आरोपियों ने लगभग एक घंटे तक एक चुनिंदा मार्ग पर कार के नीचे शव को फंसाए क्यों रखा?

* ठीक कितने बजे हादसा हुआ और पीड़िता को मारुति बलेनो कार कितनी देर तक घसीटती रही?

इस घटना ने एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी में महिला सुरक्षा का मुद्दा खड़ा कर दिया है।

शराब के नशे में कार में सवार पांच लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए (लापरवाही से मौत) और 279 (तेजी से गाड़ी चलाना) के तहत मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया है। बाद में पीड़िता के परिवार के सदस्यों के विरोध के बाद पुलिस ने प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) को जोड़ा।

पांचों आरोपियों के खून के नमूने जांच के लिए फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजे गए हैं कि कहीं वे शराब के नशे में तो नहीं थे। रिपोर्ट आना बाकी है।

पुलिस ने शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता का यौन उत्पीड़न किए जाने से इनकार किया है। हालांकि, अंतिम राय संरक्षित किए गए जैविक नमूनों की रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट मिलने के बाद आएगी।

एक सूत्र ने कहा कि एक जांच रिपोर्ट के साथ पूरी रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी जाएगी, जिसे विशेष पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह तैयार कर रही हैं।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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नई दिल्ली, 3 जनवरी (आईएएनएस)। क्या दिल्ली पुलिस कंझावला मामले में सवालों से भाग रही है, जिसमें रविवार तड़के करीब 12 किलोमीटर तक कार से घसीटे जाने के बाद 20 वर्षीय युवती की दर्दनाक मौत हो गई?

दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को मामले की जांच का ब्योरा देते हुए महज 1.33 मिनट बात की।

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि घटना के समय पीड़िता के साथ एक और महिला थी।

हुड्डा ने कहा, उसे कोई चोट नहीं आई थी और घटना के बाद वह अपने घर वापस चली गई। अब हमारे पास एक चश्मदीद गवाह है और उसका बयान दर्ज किया जा रहा है। यह हमारे मामले को मजबूत बनाता है और हम बहुत जल्द जांच पूरी करेंगे।

हालांकि, उन्होंने मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया, जिससे कई सवाल अनुत्तरित रह गए।

* युवती की स्कूटी को कार ने टक्कर मारने के बाद वह कार के नीचे कैसे फंसी?

* युवती को जब 12 किलोमीटर तक घसीटा गया, उस दौरान इलाके की पुलिस पेट्रोलिंग यूनिट कहां थी? क्या 31 दिसंबर की रात से 1 जनवरी की सुबह तक शहर भर में 16,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद उस इलाके में कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था?

* ऐसा कैसे हो सकता है कि कार के अंदर बैठे लोगों को ऐसा नहीं लगा कि कार के नीचे कुछ फंस गया है?

* आरोपियों ने लगभग एक घंटे तक एक चुनिंदा मार्ग पर कार के नीचे शव को फंसाए क्यों रखा?

* ठीक कितने बजे हादसा हुआ और पीड़िता को मारुति बलेनो कार कितनी देर तक घसीटती रही?

इस घटना ने एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी में महिला सुरक्षा का मुद्दा खड़ा कर दिया है।

शराब के नशे में कार में सवार पांच लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए (लापरवाही से मौत) और 279 (तेजी से गाड़ी चलाना) के तहत मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया है। बाद में पीड़िता के परिवार के सदस्यों के विरोध के बाद पुलिस ने प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) को जोड़ा।

पांचों आरोपियों के खून के नमूने जांच के लिए फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजे गए हैं कि कहीं वे शराब के नशे में तो नहीं थे। रिपोर्ट आना बाकी है।

पुलिस ने शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता का यौन उत्पीड़न किए जाने से इनकार किया है। हालांकि, अंतिम राय संरक्षित किए गए जैविक नमूनों की रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट मिलने के बाद आएगी।

एक सूत्र ने कहा कि एक जांच रिपोर्ट के साथ पूरी रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी जाएगी, जिसे विशेष पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह तैयार कर रही हैं।

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दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को मामले की जांच का ब्योरा देते हुए महज 1.33 मिनट बात की।

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि घटना के समय पीड़िता के साथ एक और महिला थी।

हुड्डा ने कहा, उसे कोई चोट नहीं आई थी और घटना के बाद वह अपने घर वापस चली गई। अब हमारे पास एक चश्मदीद गवाह है और उसका बयान दर्ज किया जा रहा है। यह हमारे मामले को मजबूत बनाता है और हम बहुत जल्द जांच पूरी करेंगे।

हालांकि, उन्होंने मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया, जिससे कई सवाल अनुत्तरित रह गए।

* युवती की स्कूटी को कार ने टक्कर मारने के बाद वह कार के नीचे कैसे फंसी?

* युवती को जब 12 किलोमीटर तक घसीटा गया, उस दौरान इलाके की पुलिस पेट्रोलिंग यूनिट कहां थी? क्या 31 दिसंबर की रात से 1 जनवरी की सुबह तक शहर भर में 16,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद उस इलाके में कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था?

* ऐसा कैसे हो सकता है कि कार के अंदर बैठे लोगों को ऐसा नहीं लगा कि कार के नीचे कुछ फंस गया है?

* आरोपियों ने लगभग एक घंटे तक एक चुनिंदा मार्ग पर कार के नीचे शव को फंसाए क्यों रखा?

* ठीक कितने बजे हादसा हुआ और पीड़िता को मारुति बलेनो कार कितनी देर तक घसीटती रही?

इस घटना ने एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी में महिला सुरक्षा का मुद्दा खड़ा कर दिया है।

शराब के नशे में कार में सवार पांच लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए (लापरवाही से मौत) और 279 (तेजी से गाड़ी चलाना) के तहत मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया है। बाद में पीड़िता के परिवार के सदस्यों के विरोध के बाद पुलिस ने प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) को जोड़ा।

पांचों आरोपियों के खून के नमूने जांच के लिए फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजे गए हैं कि कहीं वे शराब के नशे में तो नहीं थे। रिपोर्ट आना बाकी है।

पुलिस ने शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता का यौन उत्पीड़न किए जाने से इनकार किया है। हालांकि, अंतिम राय संरक्षित किए गए जैविक नमूनों की रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट मिलने के बाद आएगी।

एक सूत्र ने कहा कि एक जांच रिपोर्ट के साथ पूरी रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी जाएगी, जिसे विशेष पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह तैयार कर रही हैं।

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दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को मामले की जांच का ब्योरा देते हुए महज 1.33 मिनट बात की।

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि घटना के समय पीड़िता के साथ एक और महिला थी।

हुड्डा ने कहा, उसे कोई चोट नहीं आई थी और घटना के बाद वह अपने घर वापस चली गई। अब हमारे पास एक चश्मदीद गवाह है और उसका बयान दर्ज किया जा रहा है। यह हमारे मामले को मजबूत बनाता है और हम बहुत जल्द जांच पूरी करेंगे।

हालांकि, उन्होंने मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया, जिससे कई सवाल अनुत्तरित रह गए।

* युवती की स्कूटी को कार ने टक्कर मारने के बाद वह कार के नीचे कैसे फंसी?

* युवती को जब 12 किलोमीटर तक घसीटा गया, उस दौरान इलाके की पुलिस पेट्रोलिंग यूनिट कहां थी? क्या 31 दिसंबर की रात से 1 जनवरी की सुबह तक शहर भर में 16,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद उस इलाके में कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था?

* ऐसा कैसे हो सकता है कि कार के अंदर बैठे लोगों को ऐसा नहीं लगा कि कार के नीचे कुछ फंस गया है?

* आरोपियों ने लगभग एक घंटे तक एक चुनिंदा मार्ग पर कार के नीचे शव को फंसाए क्यों रखा?

* ठीक कितने बजे हादसा हुआ और पीड़िता को मारुति बलेनो कार कितनी देर तक घसीटती रही?

इस घटना ने एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी में महिला सुरक्षा का मुद्दा खड़ा कर दिया है।

शराब के नशे में कार में सवार पांच लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए (लापरवाही से मौत) और 279 (तेजी से गाड़ी चलाना) के तहत मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया है। बाद में पीड़िता के परिवार के सदस्यों के विरोध के बाद पुलिस ने प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) को जोड़ा।

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पुलिस ने शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता का यौन उत्पीड़न किए जाने से इनकार किया है। हालांकि, अंतिम राय संरक्षित किए गए जैविक नमूनों की रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट मिलने के बाद आएगी।

एक सूत्र ने कहा कि एक जांच रिपोर्ट के साथ पूरी रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी जाएगी, जिसे विशेष पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह तैयार कर रही हैं।

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हुड्डा ने कहा, उसे कोई चोट नहीं आई थी और घटना के बाद वह अपने घर वापस चली गई। अब हमारे पास एक चश्मदीद गवाह है और उसका बयान दर्ज किया जा रहा है। यह हमारे मामले को मजबूत बनाता है और हम बहुत जल्द जांच पूरी करेंगे।

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* युवती की स्कूटी को कार ने टक्कर मारने के बाद वह कार के नीचे कैसे फंसी?

* युवती को जब 12 किलोमीटर तक घसीटा गया, उस दौरान इलाके की पुलिस पेट्रोलिंग यूनिट कहां थी? क्या 31 दिसंबर की रात से 1 जनवरी की सुबह तक शहर भर में 16,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद उस इलाके में कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था?

* ऐसा कैसे हो सकता है कि कार के अंदर बैठे लोगों को ऐसा नहीं लगा कि कार के नीचे कुछ फंस गया है?

* आरोपियों ने लगभग एक घंटे तक एक चुनिंदा मार्ग पर कार के नीचे शव को फंसाए क्यों रखा?

* ठीक कितने बजे हादसा हुआ और पीड़िता को मारुति बलेनो कार कितनी देर तक घसीटती रही?

इस घटना ने एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी में महिला सुरक्षा का मुद्दा खड़ा कर दिया है।

शराब के नशे में कार में सवार पांच लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए (लापरवाही से मौत) और 279 (तेजी से गाड़ी चलाना) के तहत मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया है। बाद में पीड़िता के परिवार के सदस्यों के विरोध के बाद पुलिस ने प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) को जोड़ा।

पांचों आरोपियों के खून के नमूने जांच के लिए फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजे गए हैं कि कहीं वे शराब के नशे में तो नहीं थे। रिपोर्ट आना बाकी है।

पुलिस ने शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता का यौन उत्पीड़न किए जाने से इनकार किया है। हालांकि, अंतिम राय संरक्षित किए गए जैविक नमूनों की रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट मिलने के बाद आएगी।

एक सूत्र ने कहा कि एक जांच रिपोर्ट के साथ पूरी रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी जाएगी, जिसे विशेष पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह तैयार कर रही हैं।

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दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को मामले की जांच का ब्योरा देते हुए महज 1.33 मिनट बात की।

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि घटना के समय पीड़िता के साथ एक और महिला थी।

हुड्डा ने कहा, उसे कोई चोट नहीं आई थी और घटना के बाद वह अपने घर वापस चली गई। अब हमारे पास एक चश्मदीद गवाह है और उसका बयान दर्ज किया जा रहा है। यह हमारे मामले को मजबूत बनाता है और हम बहुत जल्द जांच पूरी करेंगे।

हालांकि, उन्होंने मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया, जिससे कई सवाल अनुत्तरित रह गए।

* युवती की स्कूटी को कार ने टक्कर मारने के बाद वह कार के नीचे कैसे फंसी?

* युवती को जब 12 किलोमीटर तक घसीटा गया, उस दौरान इलाके की पुलिस पेट्रोलिंग यूनिट कहां थी? क्या 31 दिसंबर की रात से 1 जनवरी की सुबह तक शहर भर में 16,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद उस इलाके में कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था?

* ऐसा कैसे हो सकता है कि कार के अंदर बैठे लोगों को ऐसा नहीं लगा कि कार के नीचे कुछ फंस गया है?

* आरोपियों ने लगभग एक घंटे तक एक चुनिंदा मार्ग पर कार के नीचे शव को फंसाए क्यों रखा?

* ठीक कितने बजे हादसा हुआ और पीड़िता को मारुति बलेनो कार कितनी देर तक घसीटती रही?

इस घटना ने एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी में महिला सुरक्षा का मुद्दा खड़ा कर दिया है।

शराब के नशे में कार में सवार पांच लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए (लापरवाही से मौत) और 279 (तेजी से गाड़ी चलाना) के तहत मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया है। बाद में पीड़िता के परिवार के सदस्यों के विरोध के बाद पुलिस ने प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) को जोड़ा।

पांचों आरोपियों के खून के नमूने जांच के लिए फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजे गए हैं कि कहीं वे शराब के नशे में तो नहीं थे। रिपोर्ट आना बाकी है।

पुलिस ने शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता का यौन उत्पीड़न किए जाने से इनकार किया है। हालांकि, अंतिम राय संरक्षित किए गए जैविक नमूनों की रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट मिलने के बाद आएगी।

एक सूत्र ने कहा कि एक जांच रिपोर्ट के साथ पूरी रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी जाएगी, जिसे विशेष पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह तैयार कर रही हैं।

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दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को मामले की जांच का ब्योरा देते हुए महज 1.33 मिनट बात की।

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि घटना के समय पीड़िता के साथ एक और महिला थी।

हुड्डा ने कहा, उसे कोई चोट नहीं आई थी और घटना के बाद वह अपने घर वापस चली गई। अब हमारे पास एक चश्मदीद गवाह है और उसका बयान दर्ज किया जा रहा है। यह हमारे मामले को मजबूत बनाता है और हम बहुत जल्द जांच पूरी करेंगे।

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* युवती की स्कूटी को कार ने टक्कर मारने के बाद वह कार के नीचे कैसे फंसी?

* युवती को जब 12 किलोमीटर तक घसीटा गया, उस दौरान इलाके की पुलिस पेट्रोलिंग यूनिट कहां थी? क्या 31 दिसंबर की रात से 1 जनवरी की सुबह तक शहर भर में 16,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद उस इलाके में कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था?

* ऐसा कैसे हो सकता है कि कार के अंदर बैठे लोगों को ऐसा नहीं लगा कि कार के नीचे कुछ फंस गया है?

* आरोपियों ने लगभग एक घंटे तक एक चुनिंदा मार्ग पर कार के नीचे शव को फंसाए क्यों रखा?

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इस घटना ने एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी में महिला सुरक्षा का मुद्दा खड़ा कर दिया है।

शराब के नशे में कार में सवार पांच लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए (लापरवाही से मौत) और 279 (तेजी से गाड़ी चलाना) के तहत मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया है। बाद में पीड़िता के परिवार के सदस्यों के विरोध के बाद पुलिस ने प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) को जोड़ा।

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पुलिस ने शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता का यौन उत्पीड़न किए जाने से इनकार किया है। हालांकि, अंतिम राय संरक्षित किए गए जैविक नमूनों की रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट मिलने के बाद आएगी।

एक सूत्र ने कहा कि एक जांच रिपोर्ट के साथ पूरी रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी जाएगी, जिसे विशेष पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह तैयार कर रही हैं।

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एसजीके/एएनएम

नई दिल्ली, 3 जनवरी (आईएएनएस)। क्या दिल्ली पुलिस कंझावला मामले में सवालों से भाग रही है, जिसमें रविवार तड़के करीब 12 किलोमीटर तक कार से घसीटे जाने के बाद 20 वर्षीय युवती की दर्दनाक मौत हो गई?

दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को मामले की जांच का ब्योरा देते हुए महज 1.33 मिनट बात की।

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि घटना के समय पीड़िता के साथ एक और महिला थी।

हुड्डा ने कहा, उसे कोई चोट नहीं आई थी और घटना के बाद वह अपने घर वापस चली गई। अब हमारे पास एक चश्मदीद गवाह है और उसका बयान दर्ज किया जा रहा है। यह हमारे मामले को मजबूत बनाता है और हम बहुत जल्द जांच पूरी करेंगे।

हालांकि, उन्होंने मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया, जिससे कई सवाल अनुत्तरित रह गए।

* युवती की स्कूटी को कार ने टक्कर मारने के बाद वह कार के नीचे कैसे फंसी?

* युवती को जब 12 किलोमीटर तक घसीटा गया, उस दौरान इलाके की पुलिस पेट्रोलिंग यूनिट कहां थी? क्या 31 दिसंबर की रात से 1 जनवरी की सुबह तक शहर भर में 16,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद उस इलाके में कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था?

* ऐसा कैसे हो सकता है कि कार के अंदर बैठे लोगों को ऐसा नहीं लगा कि कार के नीचे कुछ फंस गया है?

* आरोपियों ने लगभग एक घंटे तक एक चुनिंदा मार्ग पर कार के नीचे शव को फंसाए क्यों रखा?

* ठीक कितने बजे हादसा हुआ और पीड़िता को मारुति बलेनो कार कितनी देर तक घसीटती रही?

इस घटना ने एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी में महिला सुरक्षा का मुद्दा खड़ा कर दिया है।

शराब के नशे में कार में सवार पांच लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए (लापरवाही से मौत) और 279 (तेजी से गाड़ी चलाना) के तहत मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया है। बाद में पीड़िता के परिवार के सदस्यों के विरोध के बाद पुलिस ने प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) को जोड़ा।

पांचों आरोपियों के खून के नमूने जांच के लिए फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजे गए हैं कि कहीं वे शराब के नशे में तो नहीं थे। रिपोर्ट आना बाकी है।

पुलिस ने शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता का यौन उत्पीड़न किए जाने से इनकार किया है। हालांकि, अंतिम राय संरक्षित किए गए जैविक नमूनों की रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट मिलने के बाद आएगी।

एक सूत्र ने कहा कि एक जांच रिपोर्ट के साथ पूरी रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी जाएगी, जिसे विशेष पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह तैयार कर रही हैं।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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नई दिल्ली, 3 जनवरी (आईएएनएस)। क्या दिल्ली पुलिस कंझावला मामले में सवालों से भाग रही है, जिसमें रविवार तड़के करीब 12 किलोमीटर तक कार से घसीटे जाने के बाद 20 वर्षीय युवती की दर्दनाक मौत हो गई?

दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को मामले की जांच का ब्योरा देते हुए महज 1.33 मिनट बात की।

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि घटना के समय पीड़िता के साथ एक और महिला थी।

हुड्डा ने कहा, उसे कोई चोट नहीं आई थी और घटना के बाद वह अपने घर वापस चली गई। अब हमारे पास एक चश्मदीद गवाह है और उसका बयान दर्ज किया जा रहा है। यह हमारे मामले को मजबूत बनाता है और हम बहुत जल्द जांच पूरी करेंगे।

हालांकि, उन्होंने मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया, जिससे कई सवाल अनुत्तरित रह गए।

* युवती की स्कूटी को कार ने टक्कर मारने के बाद वह कार के नीचे कैसे फंसी?

* युवती को जब 12 किलोमीटर तक घसीटा गया, उस दौरान इलाके की पुलिस पेट्रोलिंग यूनिट कहां थी? क्या 31 दिसंबर की रात से 1 जनवरी की सुबह तक शहर भर में 16,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद उस इलाके में कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था?

* ऐसा कैसे हो सकता है कि कार के अंदर बैठे लोगों को ऐसा नहीं लगा कि कार के नीचे कुछ फंस गया है?

* आरोपियों ने लगभग एक घंटे तक एक चुनिंदा मार्ग पर कार के नीचे शव को फंसाए क्यों रखा?

* ठीक कितने बजे हादसा हुआ और पीड़िता को मारुति बलेनो कार कितनी देर तक घसीटती रही?

इस घटना ने एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी में महिला सुरक्षा का मुद्दा खड़ा कर दिया है।

शराब के नशे में कार में सवार पांच लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए (लापरवाही से मौत) और 279 (तेजी से गाड़ी चलाना) के तहत मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया है। बाद में पीड़िता के परिवार के सदस्यों के विरोध के बाद पुलिस ने प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) को जोड़ा।

पांचों आरोपियों के खून के नमूने जांच के लिए फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजे गए हैं कि कहीं वे शराब के नशे में तो नहीं थे। रिपोर्ट आना बाकी है।

पुलिस ने शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता का यौन उत्पीड़न किए जाने से इनकार किया है। हालांकि, अंतिम राय संरक्षित किए गए जैविक नमूनों की रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट मिलने के बाद आएगी।

एक सूत्र ने कहा कि एक जांच रिपोर्ट के साथ पूरी रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी जाएगी, जिसे विशेष पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह तैयार कर रही हैं।

–आईएएनएस

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दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को मामले की जांच का ब्योरा देते हुए महज 1.33 मिनट बात की।

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि घटना के समय पीड़िता के साथ एक और महिला थी।

हुड्डा ने कहा, उसे कोई चोट नहीं आई थी और घटना के बाद वह अपने घर वापस चली गई। अब हमारे पास एक चश्मदीद गवाह है और उसका बयान दर्ज किया जा रहा है। यह हमारे मामले को मजबूत बनाता है और हम बहुत जल्द जांच पूरी करेंगे।

हालांकि, उन्होंने मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया, जिससे कई सवाल अनुत्तरित रह गए।

* युवती की स्कूटी को कार ने टक्कर मारने के बाद वह कार के नीचे कैसे फंसी?

* युवती को जब 12 किलोमीटर तक घसीटा गया, उस दौरान इलाके की पुलिस पेट्रोलिंग यूनिट कहां थी? क्या 31 दिसंबर की रात से 1 जनवरी की सुबह तक शहर भर में 16,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद उस इलाके में कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था?

* ऐसा कैसे हो सकता है कि कार के अंदर बैठे लोगों को ऐसा नहीं लगा कि कार के नीचे कुछ फंस गया है?

* आरोपियों ने लगभग एक घंटे तक एक चुनिंदा मार्ग पर कार के नीचे शव को फंसाए क्यों रखा?

* ठीक कितने बजे हादसा हुआ और पीड़िता को मारुति बलेनो कार कितनी देर तक घसीटती रही?

इस घटना ने एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी में महिला सुरक्षा का मुद्दा खड़ा कर दिया है।

शराब के नशे में कार में सवार पांच लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए (लापरवाही से मौत) और 279 (तेजी से गाड़ी चलाना) के तहत मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया है। बाद में पीड़िता के परिवार के सदस्यों के विरोध के बाद पुलिस ने प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) को जोड़ा।

पांचों आरोपियों के खून के नमूने जांच के लिए फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजे गए हैं कि कहीं वे शराब के नशे में तो नहीं थे। रिपोर्ट आना बाकी है।

पुलिस ने शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता का यौन उत्पीड़न किए जाने से इनकार किया है। हालांकि, अंतिम राय संरक्षित किए गए जैविक नमूनों की रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट मिलने के बाद आएगी।

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हुड्डा ने कहा, उसे कोई चोट नहीं आई थी और घटना के बाद वह अपने घर वापस चली गई। अब हमारे पास एक चश्मदीद गवाह है और उसका बयान दर्ज किया जा रहा है। यह हमारे मामले को मजबूत बनाता है और हम बहुत जल्द जांच पूरी करेंगे।

हालांकि, उन्होंने मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया, जिससे कई सवाल अनुत्तरित रह गए।

* युवती की स्कूटी को कार ने टक्कर मारने के बाद वह कार के नीचे कैसे फंसी?

* युवती को जब 12 किलोमीटर तक घसीटा गया, उस दौरान इलाके की पुलिस पेट्रोलिंग यूनिट कहां थी? क्या 31 दिसंबर की रात से 1 जनवरी की सुबह तक शहर भर में 16,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद उस इलाके में कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था?

* ऐसा कैसे हो सकता है कि कार के अंदर बैठे लोगों को ऐसा नहीं लगा कि कार के नीचे कुछ फंस गया है?

* आरोपियों ने लगभग एक घंटे तक एक चुनिंदा मार्ग पर कार के नीचे शव को फंसाए क्यों रखा?

* ठीक कितने बजे हादसा हुआ और पीड़िता को मारुति बलेनो कार कितनी देर तक घसीटती रही?

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शराब के नशे में कार में सवार पांच लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए (लापरवाही से मौत) और 279 (तेजी से गाड़ी चलाना) के तहत मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया है। बाद में पीड़िता के परिवार के सदस्यों के विरोध के बाद पुलिस ने प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) को जोड़ा।

पांचों आरोपियों के खून के नमूने जांच के लिए फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजे गए हैं कि कहीं वे शराब के नशे में तो नहीं थे। रिपोर्ट आना बाकी है।

पुलिस ने शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता का यौन उत्पीड़न किए जाने से इनकार किया है। हालांकि, अंतिम राय संरक्षित किए गए जैविक नमूनों की रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट मिलने के बाद आएगी।

एक सूत्र ने कहा कि एक जांच रिपोर्ट के साथ पूरी रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी जाएगी, जिसे विशेष पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह तैयार कर रही हैं।

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दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को मामले की जांच का ब्योरा देते हुए महज 1.33 मिनट बात की।

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि घटना के समय पीड़िता के साथ एक और महिला थी।

हुड्डा ने कहा, उसे कोई चोट नहीं आई थी और घटना के बाद वह अपने घर वापस चली गई। अब हमारे पास एक चश्मदीद गवाह है और उसका बयान दर्ज किया जा रहा है। यह हमारे मामले को मजबूत बनाता है और हम बहुत जल्द जांच पूरी करेंगे।

हालांकि, उन्होंने मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया, जिससे कई सवाल अनुत्तरित रह गए।

* युवती की स्कूटी को कार ने टक्कर मारने के बाद वह कार के नीचे कैसे फंसी?

* युवती को जब 12 किलोमीटर तक घसीटा गया, उस दौरान इलाके की पुलिस पेट्रोलिंग यूनिट कहां थी? क्या 31 दिसंबर की रात से 1 जनवरी की सुबह तक शहर भर में 16,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद उस इलाके में कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था?

* ऐसा कैसे हो सकता है कि कार के अंदर बैठे लोगों को ऐसा नहीं लगा कि कार के नीचे कुछ फंस गया है?

* आरोपियों ने लगभग एक घंटे तक एक चुनिंदा मार्ग पर कार के नीचे शव को फंसाए क्यों रखा?

* ठीक कितने बजे हादसा हुआ और पीड़िता को मारुति बलेनो कार कितनी देर तक घसीटती रही?

इस घटना ने एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी में महिला सुरक्षा का मुद्दा खड़ा कर दिया है।

शराब के नशे में कार में सवार पांच लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए (लापरवाही से मौत) और 279 (तेजी से गाड़ी चलाना) के तहत मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया है। बाद में पीड़िता के परिवार के सदस्यों के विरोध के बाद पुलिस ने प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) को जोड़ा।

पांचों आरोपियों के खून के नमूने जांच के लिए फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजे गए हैं कि कहीं वे शराब के नशे में तो नहीं थे। रिपोर्ट आना बाकी है।

पुलिस ने शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता का यौन उत्पीड़न किए जाने से इनकार किया है। हालांकि, अंतिम राय संरक्षित किए गए जैविक नमूनों की रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट मिलने के बाद आएगी।

एक सूत्र ने कहा कि एक जांच रिपोर्ट के साथ पूरी रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी जाएगी, जिसे विशेष पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह तैयार कर रही हैं।

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दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को मामले की जांच का ब्योरा देते हुए महज 1.33 मिनट बात की।

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि घटना के समय पीड़िता के साथ एक और महिला थी।

हुड्डा ने कहा, उसे कोई चोट नहीं आई थी और घटना के बाद वह अपने घर वापस चली गई। अब हमारे पास एक चश्मदीद गवाह है और उसका बयान दर्ज किया जा रहा है। यह हमारे मामले को मजबूत बनाता है और हम बहुत जल्द जांच पूरी करेंगे।

हालांकि, उन्होंने मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया, जिससे कई सवाल अनुत्तरित रह गए।

* युवती की स्कूटी को कार ने टक्कर मारने के बाद वह कार के नीचे कैसे फंसी?

* युवती को जब 12 किलोमीटर तक घसीटा गया, उस दौरान इलाके की पुलिस पेट्रोलिंग यूनिट कहां थी? क्या 31 दिसंबर की रात से 1 जनवरी की सुबह तक शहर भर में 16,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद उस इलाके में कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था?

* ऐसा कैसे हो सकता है कि कार के अंदर बैठे लोगों को ऐसा नहीं लगा कि कार के नीचे कुछ फंस गया है?

* आरोपियों ने लगभग एक घंटे तक एक चुनिंदा मार्ग पर कार के नीचे शव को फंसाए क्यों रखा?

* ठीक कितने बजे हादसा हुआ और पीड़िता को मारुति बलेनो कार कितनी देर तक घसीटती रही?

इस घटना ने एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी में महिला सुरक्षा का मुद्दा खड़ा कर दिया है।

शराब के नशे में कार में सवार पांच लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए (लापरवाही से मौत) और 279 (तेजी से गाड़ी चलाना) के तहत मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया है। बाद में पीड़िता के परिवार के सदस्यों के विरोध के बाद पुलिस ने प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) को जोड़ा।

पांचों आरोपियों के खून के नमूने जांच के लिए फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजे गए हैं कि कहीं वे शराब के नशे में तो नहीं थे। रिपोर्ट आना बाकी है।

पुलिस ने शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता का यौन उत्पीड़न किए जाने से इनकार किया है। हालांकि, अंतिम राय संरक्षित किए गए जैविक नमूनों की रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट मिलने के बाद आएगी।

एक सूत्र ने कहा कि एक जांच रिपोर्ट के साथ पूरी रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी जाएगी, जिसे विशेष पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह तैयार कर रही हैं।

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दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को मामले की जांच का ब्योरा देते हुए महज 1.33 मिनट बात की।

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि घटना के समय पीड़िता के साथ एक और महिला थी।

हुड्डा ने कहा, उसे कोई चोट नहीं आई थी और घटना के बाद वह अपने घर वापस चली गई। अब हमारे पास एक चश्मदीद गवाह है और उसका बयान दर्ज किया जा रहा है। यह हमारे मामले को मजबूत बनाता है और हम बहुत जल्द जांच पूरी करेंगे।

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* युवती की स्कूटी को कार ने टक्कर मारने के बाद वह कार के नीचे कैसे फंसी?

* युवती को जब 12 किलोमीटर तक घसीटा गया, उस दौरान इलाके की पुलिस पेट्रोलिंग यूनिट कहां थी? क्या 31 दिसंबर की रात से 1 जनवरी की सुबह तक शहर भर में 16,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद उस इलाके में कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था?

* ऐसा कैसे हो सकता है कि कार के अंदर बैठे लोगों को ऐसा नहीं लगा कि कार के नीचे कुछ फंस गया है?

* आरोपियों ने लगभग एक घंटे तक एक चुनिंदा मार्ग पर कार के नीचे शव को फंसाए क्यों रखा?

* ठीक कितने बजे हादसा हुआ और पीड़िता को मारुति बलेनो कार कितनी देर तक घसीटती रही?

इस घटना ने एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी में महिला सुरक्षा का मुद्दा खड़ा कर दिया है।

शराब के नशे में कार में सवार पांच लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए (लापरवाही से मौत) और 279 (तेजी से गाड़ी चलाना) के तहत मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया है। बाद में पीड़िता के परिवार के सदस्यों के विरोध के बाद पुलिस ने प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) को जोड़ा।

पांचों आरोपियों के खून के नमूने जांच के लिए फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजे गए हैं कि कहीं वे शराब के नशे में तो नहीं थे। रिपोर्ट आना बाकी है।

पुलिस ने शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता का यौन उत्पीड़न किए जाने से इनकार किया है। हालांकि, अंतिम राय संरक्षित किए गए जैविक नमूनों की रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट मिलने के बाद आएगी।

एक सूत्र ने कहा कि एक जांच रिपोर्ट के साथ पूरी रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी जाएगी, जिसे विशेष पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह तैयार कर रही हैं।

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दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को मामले की जांच का ब्योरा देते हुए महज 1.33 मिनट बात की।

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हुड्डा ने कहा, उसे कोई चोट नहीं आई थी और घटना के बाद वह अपने घर वापस चली गई। अब हमारे पास एक चश्मदीद गवाह है और उसका बयान दर्ज किया जा रहा है। यह हमारे मामले को मजबूत बनाता है और हम बहुत जल्द जांच पूरी करेंगे।

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* युवती की स्कूटी को कार ने टक्कर मारने के बाद वह कार के नीचे कैसे फंसी?

* युवती को जब 12 किलोमीटर तक घसीटा गया, उस दौरान इलाके की पुलिस पेट्रोलिंग यूनिट कहां थी? क्या 31 दिसंबर की रात से 1 जनवरी की सुबह तक शहर भर में 16,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद उस इलाके में कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था?

* ऐसा कैसे हो सकता है कि कार के अंदर बैठे लोगों को ऐसा नहीं लगा कि कार के नीचे कुछ फंस गया है?

* आरोपियों ने लगभग एक घंटे तक एक चुनिंदा मार्ग पर कार के नीचे शव को फंसाए क्यों रखा?

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शराब के नशे में कार में सवार पांच लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए (लापरवाही से मौत) और 279 (तेजी से गाड़ी चलाना) के तहत मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया है। बाद में पीड़िता के परिवार के सदस्यों के विरोध के बाद पुलिस ने प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) को जोड़ा।

पांचों आरोपियों के खून के नमूने जांच के लिए फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजे गए हैं कि कहीं वे शराब के नशे में तो नहीं थे। रिपोर्ट आना बाकी है।

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