जबलपुर. हाईकोर्ट जस्टिस एम एस भट्टी की एकलपीठ नरे अपने अहम आदेष में कहा है कि भारतीय वन अधिनियम के तहत कंपाउंडिंग का मौका दिए बिना राजसात की कार्रवाई करना अनुचित है. एकलपीठ ने राजसात की कार्यवाही को निरस्त करते हुए प्रकरण को पुनः वन विभाग को भेज दिया है.
सिंगरौली निवासी राजनारायण सिंह की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि वनमंडल सिंगरौली के चितरंगी परिक्षेत्र में एक मार्च 2020 को वन कर्मियों ने उनका गिट्टी से भरा ट्रेक्टर पकड़ते हुए जब्त किया था. वन विभाग ने कंपाउंडिंग का अवसर दिये वाहन व माल को राजसात कर लिया था. जिसके खिलाफ उन्होंने अधीनस्थ अदालत से आवेदन दायर किया था. अधीनस्थ अदालत से राहत नहीं मिलने के कारण उक्त याचिका दायर की गयी है.
याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि वन अधिकारियों को केवल वनोपज को ही जब्त करने का अधिकार है. उन्होंने तर्क दिया कि इंडियन फॉरेस्ट एक्ट की धारा 68 के तहत पहले कंपाउंडिंग की कार्रवाई करनी थी. याचिकाकर्ता कंपाउंडिंग के लिए राजी नहीं होता, उसके बाद ही धारा 52 के तहत राजसात की कार्रवाई करनी चाहिए. एकलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी करते हुए प्रकरण को वापस वन विभाग को भेजते हुए कहा कि नियमानुसार पहले कंपाउंडिंग की कार्रवाई करें.