नई दिल्ली, 19 सितंबर (आईएएनएस)। हिंदी के मशहूर नाटककार मोहन राकेश के नाटक ‘आधे अधूरे’ पर निर्देशक बासु भट्टाचार्य ने फिल्म बनाने का फैसला लिया। इस नाटक से जुड़े एक कलाकार को चुना गया। अन्य स्टारकास्ट भी फाइनल किए गए। किसी कारण से फिल्म रिलीज नहीं हो सकी। लेकिन, ‘आधे अधूरे’ नाटक से जुड़े कलाकार को दूसरा मौका मिला।
उस कलाकार को बासु भट्टाचार्य ने अपनी अगली फिल्म ‘अनुभव’ में रोल दिया। इस कलाकार का नाम दिनेश ठाकुर था। उनके साथ फिल्म ‘अनुभव’ में लोकप्रिय कलाकार तनुजा और संजीव कुमार भी थे। इस फिल्म ने दिनेश ठाकुर को पहचान दिलाई। बासु भट्टाचार्य ने भी दिनेश ठाकुर से ताउम्र रिश्ते को निभाया था। उन्होंने दिनेश ठाकुर को अपनी अंतिम फिल्म ‘आस्था’ में भी काम दिया।
दिनेश ठाकुर का जन्म 1947 में हुआ था। राजस्थान के जयपुर में पैदा हुए दिनेश ठाकुर का मायानगरी मुंबई तक का सफर आसान नहीं रहा। किसी ने भी नहीं सोचा था कि दिनेश ठाकुर आने वाले समय में सिल्वर स्क्रीन के ‘सरताज’ बनेंगे, खुद दिनेश ठाकुर ने भी नहीं। पिता का जयपुर में कारोबार था, जिसे वह समेटकर दिल्ली शिफ्ट हो गए। इस कारण दिनेश ठाकुर को भी दिल्ली आना पड़ा।
दिल्ली में स्कूली शिक्षा के बाद दिनेश ठाकुर ने किरोड़ीमल कॉलेज में दाखिला लिया और कॉलेज की ड्रामा सोसाइटी का हिस्सा भी बन गए। यहां उन्होंने खूब नाटक किए और अपनी एक्टिंग स्किल पर भी खूब काम किया। दिल्ली में नाटककार ओम शिवपुरी की संस्था ‘दिशांतर’ के साथ काम करते हुए दिनेश ठाकुर को काफी लोकप्रियता मिली। लेकिन, फिल्म इंडस्ट्री ने उनके टैलेंट को नहीं पहचाना।
हिंदी फिल्म ‘रजनीगंधा’ अमोल पालेकर और विद्या सिन्हा के करियर के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुई थी। इस फिल्म से दोनों कलाकार अपने करियर के टॉप पर पहुंच गए। इस फिल्म में दिनेश ठाकुर भी थे। उन्हें उतनी सफलता नहीं मिली। दिनेश ठाकुर ने ‘मेरे अपने’ और ‘घर’ जैसी कई सफल हिंदी फिल्मों में भी काम किया था। वह फिल्म के साथ तीन दशकों तक एक थियेटर ग्रुप भी चलाते रहे।
‘रजनीगंधा’ को लेकर एक दिलचस्प वाकया भी है। दिनेश ठाकुर दाढ़ी रखने के शौकीन थे। उन्हें फिल्म के निर्देशक ने टेलीग्राम किया था ‘कीप ब्रेड’। यह टेलीग्राम दिनेश ठाकुर के पिता के हाथ में लग गया और उन्होंने दिनेश ठाकुर से कहा कि देखो, तुम्हें दाल-रोटी की चिंता करने की बात कही गई है। जब दिनेश ठाकुर मुंबई पहुंचे तो निर्देशक बासु चटर्जी ने उन्हें क्लीन शेव देखकर हैरानी जताई।
‘रजनीगंधा’ फिल्म के निर्देशक बासु चटर्जी ने दिनेश ठाकुर को टेलीग्राम की याद दिलाते हुए कहा कि मैंने तुम्हें दाढ़ी रखने को कहा था… कीप ब्रेड। अब, कंफ्यूजन कहां से हुई, किसी को नहीं पता चला। कहा जाता है कि टेलीग्राम में लिखे ‘ब्रेड’ से कंफ्यूजन हुई। खैर, फिल्म की शूटिंग हुई और एक सीन में दिनेश ठाकुर बिना दाढ़ी के ही दिखे। फिल्म में उनके किरदार ‘नवीन’ को खूब पसंद किया गया था।
वह फिल्म ‘घर’ की कहानी और पटकथा लिखने के लिए जाने जाते हैं, जिसने उन्हें 1979 की फिल्म फेयर बेस्ट स्टोरी का अवॉर्ड दिलवाया था। दिनेश ठाकुर का 20 सितंबर 2012 को मुंबई में निधन हो गया। उनका सबसे पुराना नाटक ‘जिन लाहौर नही वेख्या’ आज भी लोकप्रिय है। उनके हिंदी नाटक ‘हाय मेरा दिल’ ने शानदार सफलता हासिल की थी। इसके देशभर में 1,100 से अधिक शो हुए।
–आईएएनएस
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