तिरुवनंतपुरम, 4 जुलाई (आईएएनएस)। कन्नूर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अभी और फ्लाइट्स शुरू होने वाली हैं, लेकिन इस क्षेत्र में मोरों की बड़ी संख्या के चलते ऑपरेशन में दिक्कत आ रही है।
कन्नूर इंटरनेशनल एयरपोर्ट मट्टनूर की एक पहाड़ी पर स्थित है, इसे 2018 में ऑपरेशन के लिए खोला गया था, उस वक्त यहां अक्सर सियार और कुत्ते आते थे।
समय के साथ सियार और कुत्तों की संख्या में तो कमी आई, लेकिन पिछले कुछ सालों में मोरों की संख्या में इजाफा हो गया।
ये पक्षी वन्यजीव अधिनियम की अनुसूची 1 के अंतर्गत आते हैं और इन्हें संरक्षित करना होता है।
इन पक्षियों की वजह से कई उड़ानें प्रभावित हुई हैं। इस खतरे का समाधान ढूंढने के लिए राज्य के वन मंत्री ए.के. ससींद्रन ने शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की और मामले पर विचार किया।
सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को एयरपोर्ट पर दूसरी बैठक होगी और मंत्री ससींद्रन ने उनके साथ मिलकर कार्य योजना बनाई है।
इन पक्षियों को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाने और फिर उन्हें जंगल में ले जाने की व्यवस्था की जा रही है, जहां उन्हें छोड़ा जाएगा। कन्नूर हवाई अड्डे से 2018 में ऑपरेशन शुरू हुआ और यह केरल का चौथा एयरपोर्ट है।
–आईएएनएस
पीके/एसकेपी
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कन्नूर इंटरनेशनल एयरपोर्ट मट्टनूर की एक पहाड़ी पर स्थित है, इसे 2018 में ऑपरेशन के लिए खोला गया था, उस वक्त यहां अक्सर सियार और कुत्ते आते थे।
समय के साथ सियार और कुत्तों की संख्या में तो कमी आई, लेकिन पिछले कुछ सालों में मोरों की संख्या में इजाफा हो गया।
ये पक्षी वन्यजीव अधिनियम की अनुसूची 1 के अंतर्गत आते हैं और इन्हें संरक्षित करना होता है।
इन पक्षियों की वजह से कई उड़ानें प्रभावित हुई हैं। इस खतरे का समाधान ढूंढने के लिए राज्य के वन मंत्री ए.के. ससींद्रन ने शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की और मामले पर विचार किया।
सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को एयरपोर्ट पर दूसरी बैठक होगी और मंत्री ससींद्रन ने उनके साथ मिलकर कार्य योजना बनाई है।
इन पक्षियों को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाने और फिर उन्हें जंगल में ले जाने की व्यवस्था की जा रही है, जहां उन्हें छोड़ा जाएगा। कन्नूर हवाई अड्डे से 2018 में ऑपरेशन शुरू हुआ और यह केरल का चौथा एयरपोर्ट है।
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ये पक्षी वन्यजीव अधिनियम की अनुसूची 1 के अंतर्गत आते हैं और इन्हें संरक्षित करना होता है।
इन पक्षियों की वजह से कई उड़ानें प्रभावित हुई हैं। इस खतरे का समाधान ढूंढने के लिए राज्य के वन मंत्री ए.के. ससींद्रन ने शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की और मामले पर विचार किया।
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कन्नूर इंटरनेशनल एयरपोर्ट मट्टनूर की एक पहाड़ी पर स्थित है, इसे 2018 में ऑपरेशन के लिए खोला गया था, उस वक्त यहां अक्सर सियार और कुत्ते आते थे।
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ये पक्षी वन्यजीव अधिनियम की अनुसूची 1 के अंतर्गत आते हैं और इन्हें संरक्षित करना होता है।
इन पक्षियों की वजह से कई उड़ानें प्रभावित हुई हैं। इस खतरे का समाधान ढूंढने के लिए राज्य के वन मंत्री ए.के. ससींद्रन ने शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की और मामले पर विचार किया।
सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को एयरपोर्ट पर दूसरी बैठक होगी और मंत्री ससींद्रन ने उनके साथ मिलकर कार्य योजना बनाई है।
इन पक्षियों को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाने और फिर उन्हें जंगल में ले जाने की व्यवस्था की जा रही है, जहां उन्हें छोड़ा जाएगा। कन्नूर हवाई अड्डे से 2018 में ऑपरेशन शुरू हुआ और यह केरल का चौथा एयरपोर्ट है।
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समय के साथ सियार और कुत्तों की संख्या में तो कमी आई, लेकिन पिछले कुछ सालों में मोरों की संख्या में इजाफा हो गया।
ये पक्षी वन्यजीव अधिनियम की अनुसूची 1 के अंतर्गत आते हैं और इन्हें संरक्षित करना होता है।
इन पक्षियों की वजह से कई उड़ानें प्रभावित हुई हैं। इस खतरे का समाधान ढूंढने के लिए राज्य के वन मंत्री ए.के. ससींद्रन ने शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की और मामले पर विचार किया।
सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को एयरपोर्ट पर दूसरी बैठक होगी और मंत्री ससींद्रन ने उनके साथ मिलकर कार्य योजना बनाई है।
इन पक्षियों को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाने और फिर उन्हें जंगल में ले जाने की व्यवस्था की जा रही है, जहां उन्हें छोड़ा जाएगा। कन्नूर हवाई अड्डे से 2018 में ऑपरेशन शुरू हुआ और यह केरल का चौथा एयरपोर्ट है।
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समय के साथ सियार और कुत्तों की संख्या में तो कमी आई, लेकिन पिछले कुछ सालों में मोरों की संख्या में इजाफा हो गया।
ये पक्षी वन्यजीव अधिनियम की अनुसूची 1 के अंतर्गत आते हैं और इन्हें संरक्षित करना होता है।
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