गोरखपुर, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। जिन वनटांगिया महिलाओं की पहचान जंगलों से हुआ करती थी। आज फैशन व संस्कृति शो में उनके कदम आत्मविश्वास से लबरेज होकर आगे बढ़ते हैं। जानकारों का मानना है कि यह सब मिशन शक्ति के कारण ही संभव हो सका है। नारी स्वावलंबन व सम्मान के लिहाज से बदलाव की यह दास्तां है गोरखपुर के वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नंबर तीन की।
कभी झुग्गियों में रहने को ही जिन वनटांगिया महिलाओं व युवतियों ने अपनी नियति मान लिया था, आज उनका जलवा फैशन शो के रैंप तक नजर आता है। जनवरी 2022 से अब तक गोरखपुर महोत्सव, आगरा महोत्सव, अयोध्या के सावन झूला महोत्सव, मथुरा, काशी में जी-20 समारोह व महराजगंज महोत्सव में आयोजित फैशन व संस्कृति शो में वनटांगिया महिलाओं ने शानदार प्रतिभागिता से यह साबित कर दिखाया है कि मौका मिलने पर वे किसी से कमतर नहीं हैं।
वनटांगिया महिलाओं व युवतियों को फैशन शो के रैंप तक का सफर कराया है। गोरखपुर में पैदा हुईं राजस्थान मूल की सुगम सिंह शेखावत ने। सुगम की परास्नातक तक की शिक्षा गोरखपुर में ही हुई है और वह वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं।
सुगम सिंह शेखावत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से कभी वंचितों में गिने जाने वाले वनटांगिया समाज की जिंदगी में आए व्यापक परिवर्तन की मुरीद हैं। उनका कहना है कि फैशन व संस्कृति शो में प्रतिभाग कराकर वह वनटांगिया नारियों को आगे बढ़ाने की सीएम योगी की सोच व उनके द्वारा चलाए जा रहे मिशन शक्ति से खुद को जोड़ रही हैं। फैशन शो में रैंप पर चलने वालों में कोई बकरी चराती थीं, कोई खेती तो कोई सब्जी बेचने का काम। सुगम उन्हें प्रशिक्षित कर रैंप तक ले आई हैं।
इन्होंने कभी स्टेज तक नहीं देखा था। आज 17 साल की किशोरी से लेकर 66 वर्ष की बुजुर्ग तक रैंप पर सम्मान बटोर चुकी हैं। वनटांगिया महिलाओं ने अब तक जितने भी फैशन शो किए, वे सब भारतीय संस्कृति के थीम पर रहे हैं। इसका सिलसिला शुरू हुआ गोरखपुर महोत्सव 2022 से जिसके शो स्टॉपर थे फ़िल्म अभिनेता व सांसद रविकिशन।
फिर तो आगरा महोत्सव, अयोध्या, मथुरा में भी उनके कदम आत्मविश्वास से आगे बढ़ते गए। काशी में जी-20 के समारोह में विदेशी मेहमान भी उनके कायल हो गए। सुगम सिंह शेखावत बताती हैं कि हर आयोजन में लोगों को यह भी जानकारी दी जाती है कि वनटांगिया लोगों की पहले जिंदगी कैसी थी और योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद क्या बदलाव आया।
गौरतलब है कि दशकों तक उपेक्षा ही वनटांगियों की पहचान बनी हुई थी। 2017 के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से इनके जीवन में भी विकास की दस्तक हुई। बुनियादी सुविधाओं से संतृप्त होकर वे समाज की मुख्य धारा से जुड़ चुके हैं।
–आईएएनएस
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